महाशक्ति या छोटे देशों को अपने साथ क्यों रखती थी? - mahaashakti ya chhote deshon ko apane saath kyon rakhatee thee?

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छोटे देशों के साथ महाशक्तियों द्वारा सैन्य गठबन्धन रखने के प्रमुख रूप से निम्नांकित तीन कारण थे

⦁    महत्त्वपूर्ण संसाधन हासिल करना-महाशक्तियों को छोटे देशों से तेल तथा खनिज पदार्थ इत्यादि प्राप्त होता था।
⦁    भू-क्षेत्र–महाशक्तियाँ इन छोटे देशों को अपने हथियारों की बिक्री करती थीं और इनके यहाँ अपने सैन्य अड्डे स्थापित करके सेना का संचालन करती थीं।
⦁    सैनिक ठिकाने-छोटे देशों में अपने सैनिक ठिकाने बनाकर दोनों महाशक्तियाँ एक-दूसरे की जासूसी करती थीं।

इसे सुनेंरोकेंमहाशक्तियों को छोटे देशों के साथ सैनिक गुट बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी? कोई चार कारण लिखिए। (क) महत्त्वपूर्ण संसाधनों (जैसे तेल और खनिज), भू-क्षेत्र (ताकि यहाँ से महाशक्तियाँ अपने हथियार और सेना का संचालन कर सकें) की प्राप्ति । (ख) सैनिक ठिकाने (जहाँ से महाशक्तियाँ एक-दूसरे की जासूसी कर सकें) स्थापित करना ।

वारसा पैक्ट में कौन कौन से महत्वपूर्ण देश शामिल थे?

इसे सुनेंरोकेंनाटो के जवाब में सोवियत संघ के नेतृत्व में पूर्वी यूरोप के देशों के गठबंधन ने सन् 1955 में वारसा संधि की। इसमें ये देश सम्मिलित हुए – सोवियत संघ, पोलैंड, पूर्वी जर्मनी, चैकोस्लोवाकिया, हंगरी, रोमानिया और बुल्गारिया। इसका मुख्य काम था -नाटो में शामिल देशों का यूरोप में मुकाबला करना।

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वारसा संधि का पूरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंवारसा संधि (Warsaw Pact) नाटो में पश्चिम जर्मनी के शामिल होने के तुरंत बाद ही सोवियत संघ और उसके आश्रित राज्यों के बीच वारसा संधि (The Warsaw Pact, 1955) पर हस्ताक्षर किये गए। यह एक पारस्परिक रक्षा समझौता था जिसे पश्चिमी देशों ने पश्चिमी जर्मनी की नाटो सदस्यता के विरुद्ध सोवियत प्रतिक्रिया के रूप में देखा था।

दो ध्रुवीयता के अंत का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: शीत युद्ध के दौरान विश्व का दो गुटों में गया जिससे शक्ति संरचना ही दो ध्रुवीय हो गई जिसे अमेरिका और सोवियत संघ का नेतृत्व प्राप्त हुआ! Ans सोवियत संघ में अर्थ में उत्पादन के सभी साधनों पर सरकार का नियंत्रण था जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में समूह पर का उत्पादन पर नियंत्रण था!

इसे सुनेंरोकेंबर्लिन संकट, कोरिया युद्ध, सोवियत रूस द्वारा आणविक परीक्षण, सैनिक संगठन, हिन्द चीन की समस्या, यू-2 विमान काण्ड, क्यूबा मिसाइल संकट कुछ ऐसी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने शीतयुद्ध की अग्नि को प्रज्वलित किया। सन् 1991 में सोवियत रूस के विघटन से उसकी शक्ति कम हो गयी और शीतयुद्ध की समाप्ति हो गयी।

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महाशक्ति या छोटे देशों को अपने साथ क्यों रखती थी समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंमहाशक्ति छोटे देशों से सैन्य गठबंधन करके युद्ध में व युद्ध की सामग्री पर होने वाले खर्च को छोटे-छोटे देशों में बाँटकर अपने खर्च के बोझ को हल्का करना चाहती थी। महाशक्ति छोटे देशों से सैन्य गठबंधन करके उन देशों के महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों जैसे खनिज व तेल आदि पदार्थों को अपने हित में प्रयोग करना चाहती थी।

2 मैन सिद्धांत क्या है?

इसे सुनेंरोकेंट्रूमैन सिद्धांत ने साम्यवाद को ‘मुक्त विश्व’ के लिए खतरे के रूप में घोषित किया जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका, ‘मुक्त विश्व’ के प्रमुख के रूप में दुनिया में कहीं भी सफल नहीं होने देगा। प्रत्येक क्रांति को सोवियत विस्तारवाद के परिणाम के रूप में देखा गया था जिसे संयुक्त राज्य की सभी शक्तियों द्वारा कुचल दिया जाना था।

साम्यवाद का अर्थ क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंसाम्यवाद, सामाजिक-राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत एक ऐसी विचारधारा के रूप में वर्णित है, जिसमें संरचनात्मक स्तर पर एक समतामूलक वर्गविहीन समाज की स्थापना की जाएगी। ऐतिहासिक और आर्थिक वर्चस्व के प्रतिमान ध्वस्त कर उत्पादन के साधनों पर समूचे समाज का स्वामित्व होगा।

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महाशक्ति या छोटे देशों को अपने साथ क्यों रखती है समझाइए?

* द्वितीय विश्व में कौनसे देश आते हैं?* 1⃣ पूंजीवादी देश 2⃣ साम्यवादी देश 3⃣ विकासशील देश 4⃣ तेल उत्पादक देश?

इसे सुनेंरोकेंपूँजीवादी गुट ये संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, पश्चिम जर्मनी, इटली, स्पेन, नार्वे डेनमार्क इत्यादि देश थे तथा साम्यवादी गुट में सोवियत संघ, पौलेंड क्यूबा, हंगरी, पूर्वी जर्मनी, रोमानिया तथा बुल्गारिया आदि देश थे।

महाशक्ति और छोटे देशों को अपने साथ क्यों रहती थी समझाइए?

क्यूबा अमरीका के तट से लगा हुआ एक छोटा-सा द्वीपीय देश है। क्यूबा का जुड़ाव सोवियत संघ से था और सोवियत संघ उसे कूटनयिक तथा वित्तीय सहायता देता था। सोवियत संघ के नेता नीकिता ख्रुश्चेव ने क्यूबा को रूस के 'सैनिक अड्डे' के रूप में बदलने का फैसला किया। 1962 में ख्रुश्चेव ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दीं।

महा शक्तियों को गुड बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

आर्थिक सहायता - छोटे देशों को आर्थिक सहायता के रूप में माना जाता था, अर्थात आवश्यकता के समय, छोटे सहयोगी सामूहिक रूप से सैन्य खर्चों का भुगतान करने में मदद कर सकते थे। वैचारिक प्रभाव - महाशक्तियाँ भी छोटे राष्ट्रों के साथ गठजोड़ करके अपना वैचारिक प्रभाव फैलाना चाहती थीं।