बच्चे गलती से कैसे सीखते हैं? - bachche galatee se kaise seekhate hain?

क्या बच्चे, क्या बड़े हम सब गलतियों से कुछ ना कुछ सीखते ही हैं.....

गलतियां करना इंसान का स्वभाविक स्वभाव होता है। हम कभी ना कभी कोई ना कोई गलती करते ही हैं। फिर भी हम सब कोई गलती करना नहीं चाहते हैं ।हमें हमेशा यह लगता है कि हमसे कोई गलती ना हो जाए इसलिए गलती करने से हर इंसान डरता है। किसी काम को करने के पीछे अक्सर हमारा यही डर छिपा होता है की यह काम हमसे गलत ना हो जाए लेकिन कभी आपने सोचा है कि हम सब गलतियां करने से ही सीखते हैं । 

रोजमर्रा की लाइफ में हम जाने अनजाने ना जाने कितनी गलतियां करते हैं लेकिन कोई भी गलती या भूल इतनी बड़ी नहीं होती कि उसे सुधारा ना जा सके। हमें गलतियों से सीख लेनी चाहिए तथा कोशिश करनी चाहिए कि भविष्य में वह गलती दोबारा ना हो । कभी कभी हम दूसरों की गलतियों से भी सीखते हैं इसके लिए जरूरी है कि हम हर समय अपनी आंखें खुली रखें ।

रोजमर्रा के जीवन में होने वाली कई घटनाएं हमें जिंदगी के लिए जरूरी सबक दे जाती हैंं। जी हां बच्चे हो या बड़े हो हम सब गलतियों से कुछ ना कुछ सीखते अवश्य ही हैं। इसलिए बच्चों को गलतियां करने से ना डराए क्योंकि गलतियों से कोई भी अछूता नहीं होता चाहे वह कितना भी सफल व्यक्ति क्यों ना हो जीवन में कभी ना कभी वह गलतियों से सबक लेता ही है ।

जीवन में सफलता का राज इसी बात में है कि हम सब उन गलतियों से क्या सबक लेते हैं ।आपके बच्चे यदि जीवन में कुछ गलतियां करते हैं तो उन गलतियों से कुछ ना कुछ सीखते भी हैं ।आपने भी बचपन में अपनी गलतियों से काफी कुछ सबक लिया होगा और कुछ न कुछ सीखा भी होगा।इसका अर्थ यह है कि जो लोग गलतियो ,हार और प्रतिकूल परिस्थितियों को एक सबक के रूप में लेते हैं । वे जीवन में निश्चित रूप से कामयाब होते हैं ।

गलतियां हर एक की जिंदगी का एक हिस्सा होती है उन्हें केवल स्वीकार करना ही काफी नहीं है बल्कि उनके पीछे छिपे कारणों को समझ कर सुधारना भी उतना ही आवश्यक है। इसलिए बच्चे हो या बड़े आओ हम सब गलतियों से सीखें क्योंकि गलतियां हमें सिखाती है । किसी भी काम को करने से पहले हम कुछ ना कुछ गलती करते हैं फिर गलती करके ही सीखते हैं ।

 बच्चे अगर कोई गलती करते हैं तो उन्हें प्यार से समझाएं उन्हें बताएं की गलतियां करना इंसान का स्वभाव होता है ।हर कोई अपने जीवन में गलतियां करता है और गलतियां करके ही सीखता है और सबक लेता है इसलिए तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है ।

बच्चों का मन बहुत कोमल होता है अगर गलतियां करने पर उसको नकारात्मक बातें कही जाए तो वह कुछ भी नया सीखने से कतरा ने लगेंगे इसलिए गलतियां करने पर भी पॉजिटिव बातों से उसका उत्साह बढ़ाना चाहिए। उसको यह अहसास कराना चाहिए कि एक बार गलती हो गई तो कोई बात नहीं अगर इस गलती से हम कोई अच्छा सबक सीखते हैं तो यह हमारे लिए अच्छा ही है। 

बच्चों को यह बताना चाहिए कि गलतियों के डर से अगर हम कोई नया काम नहीं करेंगे तो फिर उस काम को कैसे सीखेंगे। ये सभी बातें हम सब बड़ों पर भी लागू होती हैं अगर किसी गलती के डर से हम कोई नया काम नहीं करेंगे तो फिर उस काम को कैसे सीखेंगे।

बच्चों को गलतियां करने पर समझाएं की शुरुआत में कुछ ना कुछ नया सीखने में गलतियां हो जाती है लेकिन यदि हम गलतियों में सुधार करके किसी भी काम को सतत प्रयास से लगातार कोशिश करते हैं तो हमें सफलता जरूर मिलती है।

बच्चों को समझाएं सफलता का राज कहीं ना कहीं गलतियां करने में भी छिपा हुआ है यदि हम गलतियों के डर से कुछ नया सीखने से डरेंगे तो फिर उस काम को कैसे सीखेंगे ।बच्चों को गलतियों से सामना करना सिखाएं। ये एक मां ही अच्छे से सिखा सकती है ।

                         सखियों, यदि आप भी गलतियां करने से डरती हैं और कुछ नया करने से बचती है तो बदलिये अपनी सोच और आगे बढ़िए कुछ नया सीखिये। यदि आपके बच्चे गलतियां करते है तब आप घबरा जाती हैं और डर जाती है तो डरना छोड़िये क्योंकि डर के आगे जीत है।क्या बच्चे ,क्या बड़े हम सब गलतियों से कुछ न कुछ सीखते जरूर हैं ।आप इस बारे मे क्या सोचती हैं अपने विचार जरूर शेयर करे आपके विचारों का तहेदिल से स्वागत है।आप मुझे फॉलो भी कर सकते हैं। धन्यवाद।

# कॉपीराइट @ अनीता सिंह...

चित्र आभार.. गूगल

डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय Momspresso.com के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों .कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और मॉम्सप्रेस्सो की उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं है ।

Published:Dec 14, 2018

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बच्चे गलतियाँ करके ही सीखते हैं, यह उनके बौद्धिक विकास में सहायक है

बच्चे गलती से कैसे सीखते हैं? - bachche galatee se kaise seekhate hain?

एक बार फिर हाजिर हूँ, इस शिक्षाप्रद कहानी के माध्यम से, आशा करती हूं , आप अवशय ही पसंद करेंगे।
राधिका अपने सारे कार्य करने के उपरांत अपनी बेटी रूबी जो तीसरी कक्षा में पढ़ती थी, उसकी हिन्दी की कॉपी की जांच कर रही थी तो उसने देखा कि रूबी ने ३-४ उत्तर गलत लिखें हैं। राधिका भी एक स्कूल में हिन्दी विषय की उच्च स्तरीय शिक्षिका के रूप में कार्यरत थी, सो जब उसको समय मिलता, वह अपना फर्ज समझकर अपनी बेटी की कॉपी की जांच अवश्य करती ।

रूबी अपना होमवर्क करके अपने खेलने में मस्त, इतने में राधिका ने बुलाया और पूछा बेटी ये उत्तर गलत क्यों लिखें हैं? रूबी बोली, मम्मी उस दिन मुझे बुखार था न, मैं स्कूल नहीं गई थी न, तो मैंने मेरी सहेली रितु की कॉपी से उतारे थे ।  रूबी अपनी मां का कहना मानने को तैयार ही नहीं थी।  ज़िद पर अड गयी और कहने लगी  हमारे स्कूल में शिक्षिका ने लिखवाया है और यह सही है ।  सबसे बड़ी बात यह कि उसकी कॉपी की चेकिंग भी स्कूल शिक्षिका के द्वारा की जा चुकी थी। फिर राधिका ने कुछ मन ही मन सोचा और कॉपी में एक नोट लिखा, व रूबी से बोली, कल कक्षा में अपनी शिक्षिका को नोट दिखाना।

दूसरे ही दिन रूबी दौडी-दौडी आई और मम्मी के गले लगकर बोली मम्मी तुम ही सही थी। हमारी शिक्षिका ने कहा कि मैंने जल्दी जल्दी में कॉपी की चेकिंग की थी, सो नहीं देख पायी । रूबी को उस दिन समझ में आ गया था कि हमेशा शिक्षिका भी सही नहीं होती और उनको इतने सारे बच्चों की कॉपी की चेकिंग करनी होती है तो उनसे भी गलती हो सकती है। उसने अपनी मां से माफी मांगते हुए कहा मम्मी अब मैं आगे से आपसे चेक करा लिया करूंगी, तभी शिक्षिका के पास कॉपी चेकिंग के लिए दूंगी।
तब राधिका ने सोचा कि यही सच है बच्चे हों या बड़े गलती तो सभी से होती है और गलती करके ही सही ज्ञान प्राप्त करने में सफल होते है । उस दिन से रूबी अपने माता-पिता के ऊपर भी विश्वास करने लगी और उसे यकीन हो गया कि माता-पिता अपने बच्चों को जन्म से ही सभी क्षेत्रों में सही ज्ञान देने की ही कोशिश करते हैं।

ऐसी ही कहानी सभी के साथ जन्म लेती होगी शायद सभी को बच्चों को ऐसे ही समझाना पड़ता होगा। कोई भी बच्चा जैसे जैसे बडा होता है, ठीक वैसे वैसे घर में हर चीज सीखने की कोशिश करता है तो उस समय घर में  गुरु के रूप में माता-पिता द्वारा तथा शाला में शिक्षक-शिक्षिकाओं के द्वारा सही-गलत का ज्ञान दिया जाना अपेक्षित है एवं साथ ही साथ परिणाम भी समझाया जाना चाहिए ताकि बच्चे को पहले से ही समझ में आ जाए, वैसे भी आजकल बच्चे तेज तर्राट ही होते हैं तो उनके लिए यह आसन होगा, ऐसा मेरा मानना है।

वैसे तो बच्चों को खुलकर मस्ती भी बचपन में करने देना चाहिए क्योंकि बचपन में मस्ती नहीं करेंगे तो वे फिर बच्चे कैसे कहलाएंगे । घर में माता-पिता एकल परिवार में रहते हों या संयुक्त परिवार में, बच्चों के ऊपर जरूरत से ज्यादा रोक-टोक भी नहीं करना चाहिए, क्यो कि बच्चे ऐसे ही मस्ती में, खेल खिलाकर ही सीखते हैं।

जैसे कि हम कहते हैं कि जो काम करेगा , गलती भी उसीसे होगी, और गलती नहीं होगी तो वह फिर सीखेगा कैसे ?  जो काम करेगा ही नहीं तो उससे गलती होगी ही नहीं। ऐसा ही कुछ छोटे बच्चों के साथ भी है।

मैं यहां मेरा किस्सा बताना चाहूंगी कि मेरा बेटा जब छोटा था और उसे नया-नया स्कूल में प्रवेश लिया ही था और बस फिर क्या था पेंसिल और कलम मिली, दिवार पर गोदना चालु हो गया । मैंने और पति ने बहुत समझाया पर नहीं समझा और हमने वह पांच साल का होने तक गोदा-गोदी करने दी।  फिर जैसे -जैसे बड़ा हुआ, समझ आयी  कि ऐसा नहीं करते और एक दिन खुद आकर बोला पापा पुताई करवा लो दीवार अच्छी नहीं लग रही। बस उस दिन हम समझ गए कि अब इसे समझ में आ गया है और फिर हमने पुताई-रंगाई कराई, उस दिन के बाद दोबारा ऐसी हरकत हमारे यहां हुई ही नहीं।

ऐसे ही आगे भी बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होने लगता है वैसे-वैसे हर काम में उसे सही ग़लत का ज्ञान होने लगता है।  किचन में भी मैंने अपने दोनों बच्चों को ऐसे ही समस्त कार्य करने के लिए प्रेरित किया और आज परिणाम यह है कि दोनों ही खाना अच्छा बना लेते हैं और साथ ही घर के अन्य कार्य भी कुशलता पूर्वक कर रहे हैं।

बच्चे हर काम हीगलतियाँ करके ही सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं और वह काबिल इंसान बनने के लिए जरूरी भी है। आजकल का दौर ऐसा आ ही गया है कि शिक्षा प्रणाली के तहत बच्चों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने एवं नौकरी के लिए भी घर से बाहर जाने की आवश्यकता होती है तो वह सभी कार्य करने की कोशिश करेगा तभी तो वह नये कार्य करने की क्षमता भी रखेगा और अवश्य ही सफलता की सीढ़ी पर भी प्रकाशित होकर अपने माता-पिता और शिक्षक-शिक्षिका का नाम रोशन करने में कामयाब होगा।

समस्त पाठकों मैं बहुत खुश हूँ  कि आप मेरे समस्त लेख रूचि के साथ पढ़ते हैं और पसंद भी करते हैं, जिसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करती हूं एवं आशा करती हूं कि आप यह लेख भी पढ़ेंगे और अपने विचार व्यक्त करेंगे।

धन्यवाद आपका ।

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इसलिए बच्चे हो या बड़े आओ हम सब गलतियों से सीखें क्योंकि गलतियां हमें सिखाती है । किसी भी काम को करने से पहले हम कुछ ना कुछ गलती करते हैं फिर गलती करके ही सीखते हैंबच्चे अगर कोई गलती करते हैं तो उन्हें प्यार से समझाएं उन्हें बताएं की गलतियां करना इंसान का स्वभाव होता है ।

अगर हमसे कोई गलती हो जाए तो क्या करना चाहिए?

दूसरों को दोष देना बंद करें : अपने आप को माफ़ करने से पहले ये जान लेना जरुरी है कि आखिर आपने किया क्या था। ... .
माफ़ी मांगने में संकोच न करें : ... .
नाकारात्मक विचारों को उत्पन्न होते ही त्याग दें: ... .
शर्म के मरे छिपाने की बजाय सामने आइए : ... .
अपनी गलतियों के लिए आभारी बने :.

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तो पहले तो उन गलतियों को अपनी जवानी में न दोहराएं उनको बदलें क्योंकि उनके परिणाम आपको पता हैं और अगर आप खुद नही बदल पा रहें है तो किसी की हेल्प ले अगर आप अविवाहित हैं तो माता पिता की और विवाहित हैं तो पत्नी की अपनी बातें उन्हें बताएं और ये भी बताएं की अब प्लान क्या है और उनकी किस प्रकार की हेल्प चाहिए।