Amit अपनी मां से क्यों नाराज होता है? - amit apanee maan se kyon naaraaj hota hai?

प्रश्न-अभ्यास:

1. 'ईदगाह' कहानी के उन प्रयोगों का उल्लेख कीजिए, जिनमें ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है? 

उत्तर: इस कहानी में ईदगाह के बारे में दिखाया गया है। रमजान के पूरे 30 रोजों के बाद, ईद आई है। ईद की खुशी गांव के सभी लोगों के चेहरे पर दिख रही है। गांव के सभी लोग ईदगाह जाने के लिए बहुत ही उत्साहित है। ईदगाह की खुशी लोगों के साथ-साथ पेड़-पौधे, वृक्ष, नदियां, चिड़िया आदि सभी में खुशी की लहर देखने को मिल रही है। गांव में खुशी का माहौल है और सभी लोग ईदगाह जाने की तैयारियां करने में जुटे हुए हैं। सब लोग तैयारियों में ऐसे जुटे हुए हैं मानो उन्हें ईदगाह का कितने दिनों से इंतजार था। जिसके कुरते में बटन नहीं है वह पर उसके घर सुई धागा लेने के लिए दौड़ता है, जिनके जूते खड़े हो गए हैं, वे तेली के घर तेल मांगने को जा रहे हैं, जिनके घरों में बैल है,वह जल्दी-जल्दी बैलों को खाना पानी दे रहे हैं क्योंकि किसी को भी ईद का पहुंचने में देरी नहीं करनी है। बड़े लोगों को तो काफी परेशानी है परंतु छोटे बच्चे, इन सब परेशानियों से दूर, बस ईदगाह की खुशी में झूम रहे हैं। उन्हें घर गृहस्ती के परेशानियों से कोई मतलब नहीं है। वे केबल बार-बार अपने जेब से पैसा निकाल कर गिनते हैं और वापस जेब में रख लेते हैं। ऐसा लगता है मानो उनके पास कुबेर का खजाना है। बच्चे बहुत ही उत्साहित है कि वह ईदगाह के मेले में क्या खरीदेंगे। सब एक दूसरे से बेहतर खिलौना खरीदने की उम्मीद कर रहे हैं।

2. ‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।' इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

उत्तर: जिसके जीवन में आशा का प्रकाश सदैव बना रहता है, वह जीवन में हमेशा आगे बढ़ता रहता है। आशा रूपी प्रकाश हमें शक्ति देता है और वह शक्ति हमें निराशा के क्षणों से बाहर ले जाता है। जब विषम परिस्थितियां सामने आ जाती है तब मनुष्य की सोचने की शक्ति बहुत ही कम हो जाती है। ऐसी परिस्थितियों में आशा की किरण ही हमें बाहर निकलने मे मदद करती हैं। निराशावादी व्यक्ति आगे नहीं बढ़ सकता क्योंकि वह जल्दी हार मान लेता है और कष्टों से लड़ना छोड़ देता है। परंतु जो मनुष्य आशा का दामन पकड़ कर रखता है, वह कभी हार नहीं मानता और निरंतर आगे ही बढ़ते रहता है। उसे इस बात का ज्ञात रहता है कि उसकी मेहनत अवश्य ही रंग लाएगी। यही आशावादी सोच उसे निराशा से बाहर निकालती है और वह हमेशा प्रेरणा स्रोत पाता है। जैसा कि हमने इस कहानी में देखा कि हामिद के माता पिता उसके साथ नहीं है परंतु वह हमेशा यह आशा करता है कि उसके माता-पिता जल्द ही उसके पास लौट कर आएंगे। यही कारण है कि वह हमेशा प्रसन्न रहता है।

3. ‘उन्हें क्या खबर की चौधरी आज आँखे बदल ले, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए।’ - इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कहानी में बताया गया है कि गांव के लोग इतने गरीब होते हैं कि वह कोई भी त्योहार मनाने के लिए चौधरी से पैसे लेते हैं। पर्व की खुशी मनाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि उनके पास पैसे हो। उनकी स्थिति ऐसी नहीं होती इसलिए वह चौधरी से ही पैसे लेते हैं। इस कारण यह बहुत आवश्यक है कि चौधरी उनसे हमेशा खुश रहे ताकि वे लोग पर्व त्योहार अच्छे से मना सके। यदि चौधरी उनसे किसी बात को लेकर नाराज हो जाता, तो उन्हें पैसे नहीं देता, जिसके कारण वे लोग पर्व त्यौहार नहीं मना सकते। चौधरी के नाराजगी के कारण गांव के सभी लोगों का त्योहार नष्ट हो सकता था। इसके कारण गांव के लोगों में शोक की लहर दौड़ जाती। लेखक ने कहा है कि यदि चौधरी नाराज हो जाए तो गांव के लोगों की ईदगाह की खुशी मुहर्रम के गम में बदल जाती।

4. ‘मानों भ्रातृत्व का एक सूत्र, इन समस्त आत्माओं को, एक लड़ी में पिरोए हुए हैं।’ इस कथन के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘धर्म तोड़ता नहीं, जोड़ता हैं।’

उत्तर: इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं कि नमाज के दौरान सभी लोग एक ही पंक्ति में बैठकर नमाज अदा करते हैं और पहली पंक्ति के पीछे दूसरे लोग वैसी की पंक्तियां बना कर बैठ जाते हैं। नमाज पढ़ने के दौरान वे लोग एक साथ झुकते और एक साथ खड़े होते हैं। ऐसा करने के दौरान, ऐसा लगता है कि भ्रातृत्व का एक सूत्र, समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए हैं। किसी के मन में किसी के प्रति द्वेष और शत्रुता का भाव नहीं होता है। यह सब देखकर ऐसा लगता है कि मानो मनुष्यों को एक कड़ी में जोड़कर रखने का प्रयास किया जा रहा है।

5. ‘ईदगाह’, कहानी शीर्षक का औचित्य सिद्ध कीजिए। क्या इस कहानी को कोई अन्य शीर्षक दिया जा सकता है? 

उत्तर: ‘ईदगाह’, कहानी का शीर्षक बिल्कुल औचित्य है। जैसा कि इस कहानी में शुरू से अंत तक ईदगाह के बारे में ही बताया गया है तो मेरे ख्याल से यह शीर्षक बिल्कुल ही सही है। इस कहानी में हमें शुरू से ईदगाह जाने के लिए लोगों के हर्षोल्लास को दिखाया गया है। गांव के लोग कैसे ईदगाह में ले जाने के लिए बहुत ही प्रसन्न है और बच्चे भी ईदगाह जाने के लिए अत्यंत उत्साहित नजर आ रहे हैं। जहां तक हामिद की बात की जाए, वह भी अपनी बूढ़ी दादी के साथ बहुत ही प्रसन्न से रहता है। बूढ़ी दादी के पास ज्यादा पैसा नहीं होता है परंतु इस बात का हामिद पर कोई असर नहीं है। हामिद की दादी सिर्फ इस चिंता में है कि ईद जैसे त्योहार पर खाने को क्या बनाएगी और मेला जाने के समय बच्चे को क्या देगी। किसी तरह हामिद की दादी ने कुछ पैसे का इंतजाम करके हामिद को मेला घूमने के लिए दिया। मेला पहुंचने के बाद, अन्य बच्चे को खिलौना खरीदते हुए देख, हामिद का मन बिल्कुल भी नहीं ललचा। उसे पता था कि उसे कुछ ऐसी चीज खरीदनी है जिससे वह हमेशा इस्तेमाल कर सके। हम ही देख बहुत ही समझदार बच्चा था। उसने जब मेले में चिमटा देखा तो वह समझ गया कि उसे चिंता ही लेनी है। उसकी दादी के हाथ रोज रोटी बनाते वक्त पक जाते थे इसलिए उसने चिमटा लिया। घर आकर उसने वह चिंता अपनी दादी को सौंपा। उसकी दादी को हामिद पर बहुत ही गर्व महसूस हुआ और वह खुशी के मारे रोने लगी। इसलिए यह शीर्षक बिल्कुल औचित्य है। जी हां, इस कहानी का शीर्षक कुछ और भी हो सकता है। इस कहानी का शीर्षक, हामिद और उसकी बूढ़ी दादी, दादी के लिए चिमटा, हामिद और चिमटा, अन्य शीर्षक भी हो सकते हैं।

6. गांव से शहर जाने वाले रास्ते के मध्य पड़ने वाले स्थलों का, लेखक ने ऐसा वर्णन किया है, मानो आंखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो। अपने घर और विद्यालय के बीच में पड़ने वाले स्थलों को अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर: मेरे घर से मेरा विद्यालय 3 किलोमीटर है। मैं जहां रहता हूं वह सेल का क्वार्टर है। मैं नीचे वाले घर में रहता हूं। हमारे इलाके का बाजार इसके मध्य में है। क्योंकि मेरा स्कूल थोड़ा दूर है इसलिए मैं रोज अपनी मां के साथ, गाड़ी से स्कूल जाता हूं। विद्यालय जाने के समय हम अपने घर से निकलकर सीधे मुख्य सड़क पर आ जाते हैं। सड़क के दाएं तरफ, फल एवं सब्जी वाले, अपनी दुकान लगाते हैं। इसी सड़क के आगे जाने पर शिव जी और हनुमान जी का मंदिर भी है। वही, कचोरी वाले की दुकान भी है। विद्यालय जाने के रास्ते में कई सारे मैदान एवं पार्क भी आते हैं। वहां कहीं सारे बच्चे खेलते रहते हैं। मैदान के थोड़े ही आगे मेरा विद्यालय है।

7. ‘बूढ़े हामिद’ ने ‘बच्चे हामिद’ का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई।”इस कथन में ‘बूढ़े हामिद' और ‘बालिका अमीना' के लेखक का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: हामिद बहुत छोटा था। वह अन्य बच्चों के समान ही था। उसकी उम्र, पैसों की अहमियत और घरवालों की जरूरतों को समझने की नहीं थी। परंतु हामिद इतना समझदार था कि उसने यह बातें समझी और पैसो को व्यर्थ में नष्ट नहीं किया। हामिद ने मेले में, खिलौना ना खरीद कर, अपनी दादी के काम को सरल बनाने के लिए चिंता खरीदा। दूसरे बच्चों ने खाने पीने का या फिर खेलने का सामान लिया परंतु हामिद ने ऐसा नहीं किया। उसने एक बड़े व्यक्ति के समान, घर के जरूरतों में ही पैसा खर्च किया। इसीलिए लेखक ने उसे बूढ़ा हामिद कहा है क्योंकि वह एक बच्चे की तरह नहीं बल्कि एक समझदार व्यक्ति की तरह सोचता है। उसे अपनी जिम्मेदारियों का और घर किस तिथि का भली-भांति ज्ञान था। दूसरी ओर, बूढ़ी अमीना, अपने पोते द्वारा किए गए इस काम को देखकर बहुत ही प्रसन्न और भावुक हो गई। उसे इस बात से दुख भी पहुंचा। वह जहां तक दुखी थी, वही एक बच्चे की तरह हैरान भी थी। वह बच्चों के समान रोने लगी। वह भूल गए कि वह उम्र में हामिद से बहुत बड़ी है। लेखक ने अमीना को बच्चा कहा है।

8. ‘दामन फैलाकर हामिद को दुआएं देती जाती थी और बड़े-बड़े आंसू के बूंदे गिराए जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता।’ - लेखक के अनुसार हामिद, अमीना के दुआओं और आंसुओं के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: अमीना ने हामिद को उसके माता-पिता के बारे में झूठ कहा था। हामिद को बचपन से ऐसा लगता था कि उसके पिता, बाहर व्यापार के संबंध में गए हैं और उसकी माँ अल्लाह मियां के घर में है। उसे लगता था कि जब उसके माता-पिता लौटकर आएंगे तो उसके लिए ढेर सारा उपहार लेकर आएंगे। हामिद, जीवन के हर मुश्किल परिस्थिति से यही सोच कर निपट लेता था कि जिस दिन उसके माता-पिता उसके पास आएंगे, तब वह अन्य बच्चों की तरह खुशी से रह पाएगा पूर्णविराम उसे कोई चीज की तकलीफ नहीं होगी। जब हामिद ने अपनी दादी को चिंता दिया, तो अमीना का दिल भर आया। वह, उस बच्चे के लिए, अल्लाह से दुआएं करने लगी और खूब रोने लगी। वह भली-भांति जानती थी कि हामिद के सर से माता पिता का साया हमेशा के लिए हट चुका है। यदि आज उसके माता-पिता होते, तो उसका भविष्य ऐसा नहीं होता। यही कारण था कि हामिद इस रहस्य से अनजान था।

9. यदि हामिद की जगह आप होते, तो क्या करते? 

उत्तर: हामिद की जगह, यदि मैं होता, तो मैं इतना नहीं सोच पाता। मेले में ,बच्चों को ललचा ने के लिए अनेक वस्तुएं मिलती है। मैं यदि हामिद की जगह होता, तो अवश्य उन वस्तुओं को ही खरीदता। मैं भी अन्य बच्चों की तरह खिलौने या कुछ खाने का ही लेता। प्रत्येक मेले का उद्देश्य यही होता है कि वह मेले में आए हुए बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करें। मैं रहता तो मैं हामिद की तरह गहराई से नहीं सोच कर कुछ खाने या खेलने का ही संभाल लेता। हामिद बहुत ही समझदार बच्चा था इसलिए उसने पहले अपनी दादी के बारे में सोचा।

10. हामिद ने, चिमटे की उपयोगिता, कोशिश करते हुए, क्या-क्या तर्क दिए? 

उत्तर: हामिद ने चिमटा की उपयोगिता को सिद्ध करने के लिए, निम्नलिखित तर्क दिए:

Summary of Chapter 1

Class 11 Hindi Antra Chapter 1 Idgah is written by Shri Munshi Premchand. The author Munshi Premchand demonstrates a very loving and understanding relationship between a small boy Hamid and his grandmother Amina. In this story, the author describes the scene of the auspicious occasion of Id where the villagers are very happy and the children are very excited about the meal from where they could buy toys, gifts and enjoy various rides but poor Hamid having  very less money decides to buy a tong for his grandmother so that she don't burn her fingers while making chapatis (rotis). 

Class 11 Hindi Syllabus (Core and Elective)

Hindi Core is partitioned into two sections for CBSE prescribed syllabus. Section A includes two books Aroh and Vitan and section B has the question from Aroh book. Aroh which comprises 18 chapters and Vitan which comprises 4 chapters is available in PDF format on the Vedantu website. 

As per the CBSE pattern, the Hindi Elective syllabus includes two sections- Antra and Antral. While Antra is included in section A and Antral is included in section B. At Vedantu, students will always find complete solutions for all the chapters of both the books of Class 11 explained in a very easy and understandable language. 

NCERT Solutions Class 11 Hindi Antra part 2 book consists of  19 chapters. First, nine chapters contain prose and later ten chapters contain poems for which all chapter-wise solutions are available on Vedantu and students can easily download and access the chapter-wise solutions which are there on the website in PDF format. 

  • Chapter 1 Prose - Idgah

  • Chapter 2 Prose - Dopeher ka bhojan

  • Chapter 3 Prose -  Torch Bechnewale

  • Chapter 4  Prose - Gunge

  • Chapter 5 Prose - Jyotiba phule

  • Chapter 6  Prose - Khanabadosh

  • Chapter 7 Prose - Naye ki janm kundal ; ek

  • Chapter 8 Prose - Uski Maa

  • Chapter 9 Prose - Bharatbarsh ki unnati kaise ho sakti hai?

  • Chapter 10 Poem - Kabeer

  • Chapter 11 Poem - Surdas

  • Chapter 12 Poem - Hasi ki chot sapna darbar

  • Chapter 13 Poem - Padmakar

  • Chapter 14 Poem - Sandhya ke baad

  • Chapter 15 Poem - Jaag tujhko door jana sab ankho ki asu ujle

  • Chapter 16 Poem - Neend uchat jaati hai

  • Chapter 17 Poem - Badal ko ghirte dekha hai

  • Chapter 18 Poem - Hastakshep

  • Chapter 19 Poem - Ghar me waapsi

The NCERT textbooks are known to be the best as it comprises questions of almost every level from easy to moderate to challenging ones. Therefore, solving those questions will be extremely beneficial for the students to score higher marks in their exams. Once the students have completed all the NCERT questions, they can opt for self-assessment online on the Vedantu website through the mock question papers which have almost all the questions from the previous years. 

Conclusion

This was the complete discussion on the NCERT HIndi Solutions of class 11 Chapter 1. If you are a class 11 student download the NCERT solutions pdf and start your preparations. Be exam ready with Vedantu!

We wish you all the very best!

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" 44 चाचा जी, नष्ट हो जाना तो यहाँ का नियम है । जो सँवारा गया है, वह बिगड़ेगा ही । हमें दुर्बलता के डर से अपना काम नहीं रोकना चाहिए। कर्म के समय हमारी भुजाएँ दुर्बल नहीं, भगवान की सहस्र भुजाओं की सखियाँ हैं ।

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कवि के अनुसार, सबसे खतरनाक वह स्थिति है जब मनुष्य प्रतिक्रिया नहीं जताता, वह उत्साहहीन हो जाता है। 'मुर्दा शांति' से अभिप्राय है, मानय जीवन में जड़ता और निष्क्रियता का भाव होना अर्थात् अत्याचारों को मूक बनकर सहते जाना और कोई प्रतिक्रिया न व्यक्त करना। सपनों के मरने से मनुष्य की कामनाएँ, इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं।