गेहूं में पीलापन आने पर करें दवा का छिड़कावकृप्या इस समाचार को हैलो जागरण के लोगो सहित लगाएं.. यमुनानगर, जागरण संवाद केंद्र : गेहूं की फसल में अचानक पीलापन आ गया है। पीलापन आने से किसान काफी चिंतित हैं। किसानों के मन में घर कर गया है कि कहीं पीलापन आने से उत्पादन पर असर न पड़ जाए। फसल में बीमारी का आना किसानों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होना भी है। बिजाई के समय अगर किसान सावधानी बरतें तो वे उसमें लगने वाली बीमारी व होने वाले नुकसान से बच सकते हैं। फसल में बीमारी आने पर उससे कैसे बचा जाए, क्या सावधानी बरती जाए। इसके उपचार शनिवार को कृषि उपनिदेशक डॉ. प्रदीप मिल ने किसानों को फोन पर बताए। डॉ. प्रदीप मिल दैनिक जागरण द्वारा आयोजित हैलो जागरण कार्यक्रम में किसानों की समस्याओं का फोन पर निदान किया। खास बात यह रही कि ज्यादातर किसानों द्वारा किए गए प्रश्नों में गेहूं में आए पीलेपन व अन्य बीमारियों से संबंधित प्रश्न पूछे गए। डॉ. प्रदीप मिल ने किसानों द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों का बड़ी सहजता से जवाब दिया। किसानों ने क्या प्रश्न पूछे और डॉ. प्रदीप मिल द्वारा दिए गए जवाब निम्न प्रकार से हैं: 1. अराईयांवाला गांव से जसबीर सिंह सवाल: गेहूं में पीलापन आने का कारण क्या है? जवाब: आपने बिजाई के समय गेहूं में यूरिया की पूरी खुराक नहीं डाली। खेत में मात्र 25 किलो यूरिया ही डाला गया है। सर्दी के कारण पौधे को नाइट्रोजन नहीं मिलने के कारण पीलापन आया है। 2. देवधर से मांगे राम सवाल: गन्ने की बिजाई कब तक और कौन सी किस्म की करें? जवाब: गन्ने की फसल अच्छी लेनी है तो 30 फरवरी से 30 मार्च तक बिजाई करें। अच्छी फसल लेने के लिए गन्ने की 8436 किस्म की बिजाई करें। 3. रादौर से जगमोहन सिंह सवाल : गेहूं की 343 किस्म की बिजाई की है। उत्पादन कैसा होगा? जवाब: 343 किस्म यहां पर कामयाब नहीं है। इस किस्म में पीला रतुआ सहित अन्य बीमारियां ज्यादा लगती हैं। अगली बार इस किस्म को न लगाएं। गेहूं को पीलेपन से बचाने का तरीका है कि उसमें बिजाई के समय कम से कम दो बैग यूरिया डालें। 4. मालीमाजरा से नीरज कुमार। सवाल: पाले का गेहूं पर क्या असर पड़ता है। जवाब: पाले का गेहूं पर किसी तरह का विपरीत असर नहीं पड़ता। इससे घबराने की जरुरत नहीं है। 5. भरत राम सवाल: गेहूं के साथ पापुलर लगा हो तो कीटनाशक का छिड़काव करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए? जवाब: गेहूं के पीलेपन को दूर करने के लिए क्लोडिनोफाक दवा का छिड़काव करना चाहिए। अगर पापुलर पहली बार लगाया है तो उसकी जड़ तक कीटनाशक दवा न जाने दें। 6. साढौरा से बलबीर सिंह सवाल: गेहूं से मंडूसी को खत्म करने के लिए किस दवा का छिड़काव करें? जवाब: मंडूसी के खात्मे के लिए कृषि विभाग द्वारा क्लोडिनोफाक दवा 50 प्रतिशत सब्सिडी पर दी जा रही है। एक किसान को पांच एकड़ की दवा दी जा रही है। क्षेत्र के एसडीओ से परमिट बनवाकर दवा ले सकते हैं। 7.शाहपुर से गुरमीत सिंह व बिलासपुर से अमरीक सिंह सवाल: गेहूं में तेला व चेपा रोग दिखने लगा है, क्या करें? जवाब: तेला चेपा रोग अक्सर मार्च माह में ही आता है, लेकिन इस बार यह पहले आ गया है। इससे निपटने के लिए 80 एमएल इमिडाक्लोपिड दवा पानी में मिला कर छिड़काव करें। योजनाओं का फायदा उठाएं किसान : कृषि उपनिदेशक डॉ. प्रदीप मिल ने किसानों को सलाह दी है कि अगर फसल में पीला रतुआ या अन्य कोई बीमारी हो तो उससे बचने के लिए शीघ्र ही दवा का छिड़काव करें। इस बारे में कृषि विशेषज्ञों से सलाह जरुर लेनी चाहिए। अगर कोई फसल ऐसी है जिसमें बीमारी ज्यादा आती है तो उसका एरिया लगातार नहीं होना चाहिए। उस फसल के अगले खेत में दूसरी फसल लगानी चाहिए ऐसा करने से बीमारी को फैलने से बचाया जा सकता है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे सरकार द्वारा उनके लिए चलाई जा रही योजनाओं का फायदा उठाएं। मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर फसलों में आया पीलापन, किसान ¨चतितजागरण संवाददाता, सतनाली: दक्षिणी हरियाणा के अंतिम छोर पर स्थित सतनाली क्षेत्र में बदले मौसम का असर र जागरण संवाददाता, सतनाली: दक्षिणी हरियाणा के अंतिम छोर पर स्थित सतनाली क्षेत्र में बदले मौसम का असर रबी की फसल पर दिखाई देने लगा है। खेतों में खड़ी गेंहू, चने व जौ की फसल में अचानक से पीलापन देखने को मिल रहा है। इसको लेकर किसान खासे ¨चतित हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार आशा के अनुरूप ठंड व कोहरा नहीं पड़ने तथा रेतीली भूमि में सूक्ष्म तत्वों व उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते ऐसी स्थिति हुई है। क्षेत्र के गांव श्यामपुरा, जड़वा, पथरवा, जवाहरनगर, बासड़ी, सोहड़ी, बास, ढ़ाणा सहित दर्जनों गांवों में बोई गई गेहूं, जौ, चने की फसलों में पीलापन छाने की स्थिति सबसे ज्यादा है। प्रभावित किसानों ने बताया कि गेहूं की फसलों में जनवरी माह के अंतिम पखवाड़े में सर्द मौसम के कारण पहले तो हरियाली नजर आई लेकिन पिछले एक सप्ताह से दिन के समय तापमान में बढ़ोतरी के चलते अचानक ही पौधों के ऊपर पीलापन नजर आने लगा है। इस समय रबी की फसलें अपने यौवन पर हैं और इस क्षेत्र की रेतीली भूमि में फास्फोरस, ¨जक व सल्फेट जैसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म तत्वों की भारी कमी होने से फसलों को उचित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं। जिन किसानों ने अपने खेतों में देशी खाद का प्रयोग किया है वहां फसलों पर पीलापन व कम बढ़ोतरी का असर नहीं है। किसानों ने जिला प्रशासन से ग्रामीण क्षेत्र में विशेष जागरूकता शिविर लगाकर जरूरी जानकारी मुहैया करवाने की मांग की है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दक्षिणी हरियाणा के सतनाली क्षेत्र में पीले रतुए जैसी कोई बीमारी नहीं है बल्कि कई गांवों की भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी आने से गेहूं की फसलों में पीलापन देखने को मिल रहा है। ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों को स्थिति से निबटने के लिए घबराने की बजाए ¨सचाई के साथ सूक्ष्म तत्वों वाली खाद का प्रयोग करने का सुझाव दिया है। |