अमावस्या के दिन यात्रा करनी चाहिए या नहीं - amaavasya ke din yaatra karanee chaahie ya nahin

कभी रिश्तेदारों से मिलने के लिए, कभी किसी बिजनस के सिलसिले में तो कभी सैर-सपाटे के लिए सफर करना ही पड़ता है। हर व्यक्ति जीवन में किसी न किसी उद्देश्य की वजह से सफर पर जाना पड़ता है। ऐसे में कुछ यात्राएं सफल और आरामदायक होती हैं तो कुछ यात्राओं में शुरू से समस्याएं आती हैं और अंत तक बनी रहती हैं। जब हम किसी उद्देश्य की वजह से या कार्य से यात्रा करते हैं तो हमारी हमेशा यही कोशिश रहती है कि जिस कारण हम यात्रा कर रहे हैं, उसमें सफलता मिले। लेकिन यात्रा कैसी होगी और यात्रा के अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे या नहीं, यह उस तिथि पर निर्भर करता है, जिसमें हम यात्रा के लिए निकलते हैं। ज्योतिष शास्त्र में यात्राओं के संदर्भ में कई बातें बताई गई हैं। जिनके अनुसार यात्रा करने पर किसी चीज की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता तथा जिस उद्देश्य के लिए यात्रा की जा रही है, उसमें भी सफलता मिलती है। अगर आप सफर पर जा रहे हैं तो इन बातों को जान लेने से फायदे में रहेंगे…

प्रतिपदा तिथि के दिन यात्रा करना
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हिंदू पंचाग की पहली तिथि को प्रतिपदा कहते हैं और इसका मतलब होता है मार्ग। इसे ज्यादातर लोग पड़वा के नाम से भी जानते हैं। इस तिथि पर चंद्रमा अपनी नई यात्रा पर निकलते हैं। यह तिथि आनंद देने वाली कही गई है लेकिन इस दिन यात्रा करना अशुभ माना गया है। अगर आप किसी जरूरी कार्य के लिए इस दिन यात्रा कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि उसे टाल दें।

द्वितीया तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की दूसरी तिथि द्वितीया है, इस तिथि को ज्यादातर लोग दौज भी कहते हैं। इस तिथि को सुमंगला कहा जाता है क्योंकि यह तिथि हमेशा मंगल करने वाली होती है। इस तिथि में यात्रा करना बेहद शुभ माना जाता है। अगर आप किसी उद्देश्य से इस तिथि पर यात्रा कर रहे हैं तो आपको उसमें सफलता जरूर मिलती है। व्यापारिक यात्राओं के लिए यह दिन काफी शुभ होता है।

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तृतीया तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की तीसरी तिथि तृतीया है और इसे तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि जया तिथि कहा गया है क्योंकि इस तिथि में किए गए कार्यों में हमेशा विजय मिलती है। यह तिथि चंद्रमा की तीसरी कला है और इस तिथि में यात्रा करना बेहद कल्याणकारी माना गया है। अगर आप इस तिथि पर डॉक्टर के यहां जा रहे हैं या फिर दवाई लेने जा रहे हैं तो व्यक्ति जल्दी स्वस्थ होता है और निरोगता का लाभ होता है।

अमावस्या के दिन यात्रा करनी चाहिए या नहीं - amaavasya ke din yaatra karanee chaahie ya nahin

चतुर्थी तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की चौथी तिथि चतुर्थी है और इस तिथि को खला के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि में किए गए किसी भी कार्य का फल शुभ नहीं मिलता। इस तिथि में यात्रा करना बेहद नुकसान देय बताया गया है। इस तिथि में कभी भी यात्रा नहीं करनी चाहिए। शास्त्रों में इस तिथि पर यात्रा करने के बारे में कहा गया है कि ‘चतुर्थी मरणाद्भयम’। अर्थात इस तिथि पर यात्रा करने से हमेशा असफलता और चोटादि लगने का भय बना रहता है।

पंचमी तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की पांचवी तिथि पंचमी है और इस तिथि को पूर्णा तिथि के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि में किए गए कार्य का विशेष फल मिलता है। इस तिथि के दिन यात्रा करना बेहद शुभ बताया गया है। अगर आप इस तिथि के दिन किसी जरूरी कार्य से बाहर जाते हैं तो आपको सफलता जरूर मिलेगी। पंचंमी तिथि के बारे में शास्त्रों में बताया गया है कि इस तिथि पर यात्रा करने से विजय प्राप्त होती है।

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षष्ठी तिथि के दिन यात्रा करना
हिंदू पंचांग की छठी तिथि षष्ठी कहलाती है और इस तिथि को कीर्ति के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर यात्रा करना हानिकारक साबित होता है। व्यापारी वर्ग या नौकरी करने वाले इस तिथि पर यात्रा के लिए न निकलें क्योंकि ऐसा करने से हानि का सामना करना पड़ सकता है। शास्त्रों में षष्ठी तिथि पर यात्रा करने के बारे में लिखा है कि ‘षष्ठीत्वं न लाभाय’ अर्थात इस तिथि को यात्रा करने पर लाभ नहीं मिलता। इसलिए इस दिन यात्रा टालना ही बेहतर है।

सप्तमी तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की सातवीं तिथि सप्तमी कहलाती है और इस तिथि को मित्रापदा भी कहा जाता है। यह तिथि चंद्रमा की सातवीं कला है। इस तिथि के दिन यात्रा अशुभ बताया गया है। जिस उद्देश्य के लिए आप यात्रा कर रहे हैं, उसका अशुभ फल मिलता है। इस तिथि पर यात्रा करना शुभता की विदाई होता है और अशुभ को न्यौता के समान माना जाता है। इस तिथि पर केवल धार्मिक यात्राएं ही की जा सकती हैं। अगर आप किसी देव दर्शन के लिए जा रहे हैं तो इस तिथि पर आप जा सकते हैं।

अष्टमी तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की आठवीं तिथि अष्टमी होती है और इस तिथि को कलावती के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि के दिन यात्रा करना हानिकारक हो सकता है। इस तिथि पर यात्रा करने से जातक बीमार हो सकता है। इसलिए शास्त्रों में इस तिथि पर यात्रा करने के बारे में कहा गया है कि ‘यात्रा रोगोत्पादक’ अर्थात यात्रा करने वाले को रोग घेर सकते हैं। इसलिए अगर यात्रा करने पर स्वास्थ्य ही खराब हो जाए तो यात्रा करने का फिर क्या मतलब रह जाता है।

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नवमी तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की नौवीं तिथि नवमी कहलाती है और इस तिथि को उग्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित बताया गया है और यात्रा करना भी इस तिथि के दिन शुभ नहीं माना जाता है। इस तिथि के दिन यात्रा करने पर कोई न कोई अंडगा लगा रहता है। शास्त्रों में बताया गया है कि नवमी तिथि के दिन यात्रा करने वाले का मन लौटकर आने को नहीं होता। साथ ही व्यक्ति के मन में निराशा और वैराग्य की भावना जागृत हो सकती है। इसलिए इस तिथि पर यात्रा नहीं करनी चाहिए।

दशमी तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की दसवीं तिथि को दशमी कहा जाता है और इस तिथि को धर्मिणी भी कहते हैं। यह तिथि चंद्रमा की दसवीं कला है। इस तिथि के दिन यात्रा करना शुभ माना जाता है। अगर आप किसी उद्देश्य की वजह से यात्रा करते हैं या फिर सैर-सपाटे के लिए यात्रा करते हैं तब भी आपको यात्रा में लाभ प्राप्त होता है। यात्रा की दृष्टि से यह बेहद उत्तम तिथि है। इस दिन की यात्रा व्यक्ति और उसके पूरे परिवार के लिए श्रेष्ठ फल देने वाली मानी गई है।

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एकादशी तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है और इस तिथि को ग्यारस या ग्यास भी कहते हैं। एकादशी के दिन यात्रा करना सैदव शुभ रहती है। इस दिन यात्रा करने का फल शीघ्र मिलता है। शास्त्रों में एकादशी के दिन यात्रा करने के बारे में लिखा है कि ‘एकादशी तु सर्वत्र प्रशस्ता सर्व कर्मसु’ अर्थात इस दिन की गई यात्रा से मनवांछित फल मिलता है। साथ ही देवी-देवातओं का भी आशीर्वाद मिलता है।

द्वादशी तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की बारहवीं तिथि को द्वादशी कहते हैं और इस तिथि का नाम यशोबला है और इसे बारस भी कहा जाता है। इस तिथि के दिन यात्रा करना नुकसानदायक हो सकता है। इस तिथि पर यात्रा करने से केवल धन की हानि होती है। अगर आप व्यापारिक यात्रा पर जा रहे हैं तो इस तिथि के दिन यात्रा न करें क्योंकि इससे आपको धन की हानि हो सकती है। शास्त्रों में इस तिथि पर यात्रा करने के बारे में लिखा है कि “द्वादशीत्वर्थनाशाय” अर्थात इस तिथि के दिन यात्रा करने से असफलता और निराश ही प्राप्त होती है।

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त्रयोदशी तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की तेरहवीं तिथि त्रयोदशी कहलाती है और इस तिथि को तेरस भी कहा जाता है। यह तिथि चंद्रमा की तेरहवीं कला है। इस तिथि के दिन यात्रा करना शुभ माना गया है। अगर कोई कानूनी मामला सुलझाना चाहते हैं या समझौता चाहते हैं तो इस तिथि के दिन यात्रा करना बेहत उत्तम रहेगा। बिजनस डील के लिए भी यह दिन काफी शुभ है। अगर किसी कॉन्ट्रैक्ट पाना चाहते हैं तो इस दिन यात्रा करना लाभदायक रहेगा। सुलह, समझौता और साझेदारी के लिए त्रयोदशी के दिन यात्रा करना शुभ है। इन कार्यों के लिए इस तिथि का चयन करना ही बुद्धिमानी माना गया है।

चतुर्दशी तिथि के दिन यात्रा करना
हिंदू पंचांग की चौदवीं तिथि को चतुर्दशी कहा जाता है और इसे ज्यादातर लोग चौदस के नाम से भी जानते हैं। इस दिन यात्रा करना बहुत अशुभ माना गया है इसलिए इस दिन यात्रा को टालना ही समझदारी मानी गई है। चतुर्दशी के दिन केवल छोटे-मोटे कामों के लिए यात्रा कर सकते हैं, जिसका आपके जीवन पर ज्यादा प्रभाव न पड़ता हो। कौतुहल पूर्ण कार्यों के प्रयोग आदि को करने के उद्देश्य से की जाने वाली यात्रा इस तिथि को सिद्धि प्रदान करती हैं।

पूर्णिमा तिथि के दिन यात्रा करना
पंचांग की पंद्रहवीं तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। साथ ही यह शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि भी होती है। इस दिन के दिन चंद्रमा और गुरु एक ही नक्षत्र में होते हैं इसलिए इस दिन यात्रा करना अशुभ माना गया है। इस दिन किसी भी कार्य के कारण यात्रा नहीं करनी चाहिए क्योंकि पूर्णिमा तिथि के दिन यात्रा करना असफलता का प्रतिक होता है लेकिन अगर आप रात्रि में यात्रा कर रहे हैं तो शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। पूर्णिमासी के दिन में यात्रा करना कार्य की असिद्धि मिलती है।

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अमावस्या तिथि के दिन यात्रा करना
हिंदू पंचांग की तीसवीं तिथि और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है और इस तिथि का विशेष महत्व होता है। इसे कई लोग अमावसी भी कहते हैं। अमावस्या तिथि के दिन यात्रा करना बहेद अशुभ माना गया है। इस तिथि पर यात्रा करने से केवल मुश्किलें ही आती हैं इसलिए इस तिथि पर यात्रा करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में अमावस्या के दिन यात्रा करने के बारे में लिखा है कि ‘अमावस्यां न यात्रा कुर्यात्’ अर्थात इस दिन नहीं करनी चाहिए क्योंकि नकारात्मक शक्तियां इस तिथि में ज्यादा शक्तिशाली हो जाती हैं।

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क्या अमावस्या को यात्रा करनी चाहिए?

अमावस्या तिथि के दिन यात्रा करना बहेद अशुभ माना गया है। इस तिथि पर यात्रा करने से केवल मुश्किलें ही आती हैं इसलिए इस तिथि पर यात्रा करना वर्जित माना गया है।

कौन सी तिथि को यात्रा नहीं करनी चाहिए?

गरुड़ पुराण के मुताबिक किसी भी माह की प्रथमा और नवमी तिथि को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है इन तिथि पर पूर्व दिशा में यात्रा पर जाने काम में बाधा आती है और वह पूरा नहीं होता है। 2. प्रतिपदा की नवमी और द्वितीया को उत्तर दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए

यात्रा करने के लिए शुभ दिन कौन सा है?

मंगलवार पूर्व व दक्षिण दोनों ही दिशाओं में यात्रा के लिए शुभ होता है। बुधवार के दिन पूर्व एवं पश्चिम दिशा की यात्रा अनुकूल रहती है। गुरूवार को दक्षिण दिशा को छोड़कर अन्य सभी दिशाओं में यात्रा सुखद रहती है। शुक्रवार के दिन शाम के समय शुरू की गयी यात्रा सुखद और शुभ फलदाय होती है।

कौन से नक्षत्र में यात्रा नहीं करनी चाहिए?

नक्षत्रवार दिशाशूल- नक्षत्र : ज्येष्ठा- पूर्व दिशा, पूर्वाभाद्रपद- दक्षिण दिशा, रोहिणी- पश्चिम दिशा, उत्तराफाल्गुनी- उत्तर दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए