अलंकार के कितने भेद होते हैं Class 10? - alankaar ke kitane bhed hote hain chlass 10?

अलंकार के कितने भेद होते हैं Class 10? - alankaar ke kitane bhed hote hain chlass 10?

परिभाषा

अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – अलम + कार। यहाँ पर अलम का अर्थ होता है ‘ आभूषण। मानव समाज बहुत ही सौन्दर्योपासक है उसकी प्रवर्ती के कारण ही अलंकारों को जन्म दिया गया है। जिस तरह से एक नारी अपनी सुन्दरता को बढ़ाने के लिए आभूषणों को प्रयोग में लाती हैं उसी प्रकार भाषा को सुन्दर बनाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है। अर्थात जो शब्द काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं उसे अलंकार कहते हैं।

उदाहरण :- ‘भूषण बिना न सोहई – कविता , बनिता मित्त।’

अलंकार के भेद :-

शब्दालंकार

अर्थालंकार

उभयालंकार

1. शब्दालंकार :-

शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार। शब्द के दो रूप होते हैं – ध्वनि और अर्थ। ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टी होती है। जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द के रख देने से उस शब्द का अस्तित्व न रहे उसे शब्दालंकार कहते हैं।

अर्थात जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार समाप्त हो जाये वहाँ शब्दालंकार होता है।

10th CBSE में पूछे जाने वाले शब्दालंकार के भेद :-

1. श्लेष अलंकार 

1. श्लेष अलंकार :- 

जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आये पर उसके अर्थ अलग अलग निकलें वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।

जैसे :- रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।

           पानी गए न उबरै मोती मानस चून।।

अर्थालंकार क्या होता है :-

जहाँ पर अर्थ के माध्यम से काव्य में चमत्कार होता हो वहाँ अर्थालंकार होता है।

10th CBSE में पूछे जाने वाले अर्थालंकार के भेद :-

1. उत्प्रेक्षा अलंकार

2. अतिश्योक्ति अलंकार

3. मानवीकरण अलंकार

1. उत्प्रेक्षा अलंकार :- 

जब समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने कि कल्पना की जाए या संभावना हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। यदि पंक्ति में -मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु, मानो, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

जैसे :- सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल

           बाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।

जैसे :- ” सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।

              बाहर लसत मनो पिये, दावानल की ज्वाल।।”

जैसे :- खंजरीर नहीं लखि परत कुछ दिन साँची बात।

           बाल द्रगन सम हीन को करन मनो तप जात।।

यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!

2. अतिश्योक्ति अलंकार :-

जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।

जैसे :-हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।

         सगरी लंका जल गई , गये निसाचर भागि।

3. मानवीकरण अलंकार  :- 

जहाँ पर काव्य में जड़ में चेतन का आरोप होता है वहाँ पर मानवीकरण अलंकार होता है अथार्त जहाँ जड़ प्रकृति पर मानवीय भावनाओं और क्रियाओं का आरोप हो वहाँ पर मानवीकरण अलंकार होता है।

जैसे :-बीती विभावरी जागरी , अम्बर पनघट में डुबो रही तास घट उषा नगरी।

उभयालंकार :-

जो अलंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आधारित रहकर दोनों को चमत्कारी करते हैं वहाँ उभयालंकार होता है।

आपकी स्टडी से संबंधित और क्या चाहते हो? ... कमेंट करना मत भूलना...!!!

अलंकारों से सम्बन्धित प्रश्न – उत्तर :-

इन उदाहरणों में कौन-कौन से अलंकार हैं —–

1. प्रात: नभ था बहुत नीला शंख जैसे।

2. मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के।

3. बहुत काली सिल जरा-से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो।

4. पाहून ज्यों आये हों गाँव में शहर के; 

     मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के।

5. हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग, 

    लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग।

6. मेघमय आसमान से उतर रही है संध्या सुन्दरी परी सी धीरे धीरे धीरे |

7. रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।

    पानी गए न ऊबरें, मोती मानुस चून ॥

8. उस वक्त मारे क्रोध के तनु कांपने उनका लगा। 

    मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।

9. जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। 

    बारि उजियारे लागे, बढे अंधेरो होय।। 

10. सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात।

    मनौ नीलमणि शैल पर आतंप पर्यो प्रभात ॥

11. धनुष उठाया ज्यों ही उसने, और चढ़ाया उस पर बाण |

      धरा–सिन्धु नभ काँपे सहसा, विकल हुए जीवों के प्राण।

12. चारु कपोल लोल लोचन, गोरोचन तिलक दिए।

      लट-लटकनि मनु मत्त मधुपगन, मादक मधुहिँ पिए ।

यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!

13. कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए| 

     हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए|

14. उषा सुनहरे तीर बरसाती, जय लक्ष्मी-सी उदित हुई। 

15. ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।

16. प्रियतम बतला दे लाल मेरा कहाँ है।

17. भूप सहस दस एकहिं बारा। 

     लगे उठावन टरत न टारा।।

18. जगी वनस्पतियाँ अलसाई मुह धोया शीतल जल से।

19. कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।

       हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए ॥

20. मानो माई घनघन अंतर दामिनी। 

    घन दामिनी दामिनी घन अंतर, 

    शोभित हरि-ब्रज भामिनी।। 

21. सुबरन को खोजत फिरे, कवि, व्याभिचारी चोर

22. उस काल मारे क्रोध के तनु कांपने उसका लगा, 

       मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।

23. लोने-लोने वे घने चने क्या बने-बने इठलाते हैं, 

     हौले-हौले होली गा-गा धुंघरू पर ताल बजाते हैं।

आपकी स्टडी से संबंधित और क्या चाहते हो? ... कमेंट करना मत भूलना...!!!

24. हे प्रभु हमें दो जीवनदान। 

25. देख लो साकेत नगरी है यही। 

      स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही। 

26. नील परिधान बीच सुकुमारी खुल रहा था मृदुल अधखुला अंग , 

      खिला हो ज्यों बिजली का फूल मेघवन बीच गुलाबी रंग। 

27. मिटा मोदु मन भए मलीने।

     विधि निधि दीन्ह लेत जनु छीन्हे ॥

28. देखि सुदामा की दीन दशा करुना करिके करुना निधि रोए।

29. चरण धरत चिंता करत चितवत चारोंहुँ ओर

     सुवरन को खोजत फिरे, कवि, व्यभिचारी, चोर।।

30. दादुर धुनि चहुँ दिशा सुहाई। 

      बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई ।।

31. झुककर मैंने पूछ लिया,

      खा गया मानो झटका।

32. सागर के उर पर नाच-नाच करती हैं लहरें मधुर गान। 

33. कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए 

     हिमकणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए। 

34. है वसुंधरा बिखेर देती मोती सबके सोने पर। 

     रवि बटोर लेता है उसको सदा सवेरा होने पर।

35. मेरी भव बाधा हरो राधा नागिन सोये

      जा तन की छाई परे स्याम हरित दुत होये   

36. मैं तो मात्र मृत्तिका।

37. आगे नदियां पड़ी अपार घोडा कैसे उतरे पार। 

     राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।।

38. कार्तिक की एक हँसमुख सुबह नदी-तट से लौटती गंगा नहाकर।

39. चिर जीवो जोरी जुरै, क्यों न सनेह गंभीर।

     को घटि ये बृषभानुजा, वे हलधर के वीर।।

40. जान पड़ता है नेत्र देख बड़े बड़े हीरो में गोल नीलम हैं जड़े। 

उत्तर-1. उत्प्रेक्षा, 2. मानवीकरण, 3. उत्प्रेक्षा, 4. मानवीकरण, 5. अतिश्योक्ति, 6. मानवीकरण, 7. श्लेष, 8. उत्प्रेक्षा, 9. श्लेष, 10. उत्प्रेक्षा, 11. अतिश्योक्ति, 12. उत्प्रेक्षा, 13. उत्प्रेक्षा, 14. मानवीकरण, 15. उत्प्रेक्षा, 16. श्लेष, 17. अतिश्योक्ति, 18. मानवीकरण, 19. उत्प्रेक्षा, 20. उत्प्रेक्षा, 21. श्लेष, 22. उत्प्रेक्षा, 23. मानवीकरण, 24. श्लेष, 25. अतिश्योक्ति, 26. उत्प्रेक्षा, 27. उत्प्रेक्षा, 28. श्लेष, 29. श्लेष, 30. उत्प्रेक्षा, 31. उत्प्रेक्षा, 32. मानवीकरण, 33. उत्प्रेक्षा, 34. मानवीकरण, 35. श्लेष, 36. मानवीकरण, 37. अतिश्योक्ति, 38. मानवीकरण, 39. श्लेष, 40. उत्प्रेक्षा

यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!

MCQs

प्रश्न (1) – ‘माली आवत देखि कलियन करि पुकार। फूले फूले चुन लियो कलि हमारी बार।।’  ये पंक्तियां निम्न में से कौनसे Alankar की ओर इशारा कर रही हैं?

(A) श्लेष
(B) यमक
(C) उपमा
(D) मानवीकरण

उत्तर: (D) मानवीकरण

प्रश्न (2) – अलंकार का शाब्दिक अर्थ है-

(A) आभूषण
(B) आनंद
(C) सार
(D) रोशनी

उत्तर: (A) आभूषण

प्रश्न (3) – ‘देखि सुदामा की दीन दशा। करुणा करके करुणानिधि रोए।। पानी परायत को हाथ छुओ नाहिं। नयनन के जल से पग धोये।।’ में कौनसा अलंकार है?

(A) उल्लेख
(B) अन्योक्ति
(C) अतिश्योक्ति
(D) भ्रांतिमान

उत्तर: (C) अतिश्योक्ति

प्रश्न (4) – जहां समानता की बात संभावना के रूप में की जाए वहां कौनसा अलंकार होता है?

(A) रूपक
(B) उत्प्रेक्षा
(C) यमक
(D) संदेह

उत्तर: (B) उत्प्रेक्षा

प्रश्न (5) – ‘रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गए न उबरे, मोती मानुस चून।।’ में कौनसा अलंकार है?

(A) यमक
(B) अनुप्रास
(C) श्लेष
(D) उपमा

उत्तर: (C) श्लेष

आपके टोटल मार्क्स कितने आए? ... कमेंट करना मत भूलना...!!!

अलंकार के कितने भेद होता है?

भारतीय साहित्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी है । इसके प्रमुख भेद हैं।

अलंकार के कौन कौन से भेद?

अलंकार के मुख्यतः दो भेद होते हैं :.
शब्दालंकार.
अर्थालंकार.

शब्दालंकार के कितने भेद होते हैं Class 10?

शब्दालंकार के तीन भेद हैं— अनुप्रास , यमक श्लेष ।

अलंकार के मुख्यतः कितने भेद होते हैं class 9?

उपमा अलंकार.
रूपक अलंकार.
उत्प्रेक्षा अलंकार.
अतिशयोक्ति अलंकार.
मानवीकरण अलंकार.