अंग्रेजों ने विद्रोह को को चलाने के लिए क्या कदम उठाये? - angrejon ne vidroh ko ko chalaane ke lie kya kadam uthaaye?

अंग्रेज़ों ने विद्रोह को कुचलने के लिए क्या कदम उठाए?

Solution

  • अंग्रेज़ों ने विद्रोह को कुचलने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए
  1. दिल्ली को कब्जे में लेने की अंग्रेजों की कोशिश जून, 1857 में बड़े पैमाने पर शुरू हुई, लेकिन यह मुहिम सितंबर के आखिर में जाकर पूरी हो पाई। दोनों तरफ से जमकर हमले किए गए और दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसकी एक वजह यह थी कि पूरे उत्तर भारत के विद्रोही राजधानी को बचाने के लिए दिल्ली में आ जमे थे।
  2. कानून और मुकदमे की सामान्य प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी और यह स्पष्ट कर दिया गया था कि विद्रोही की केवल एक सजा | हो सकती है सजा-ए-मौत।।
  3. उत्तर भारत को दोबारा जीतने के लिए सेना की कई टुकड़ियों को रवाना करने से पहले अंग्रेजों ने उपद्रव शांत करने के लिए। फौजियों की आसानी के लिए कानून पारित कर दिए थे।
  4. मई और जून, 1857 में पास किए गए कानूनों के द्वारा न केवल समूचे उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया बल्कि फौजी अफसरों और यहाँ तक कि आम अंग्रेजों को भी ऐसे हिंदुस्तानियों पर भी मुकदमा चलाने और उनको सजा देने का अधिकार दे दिया गया जिन पर विद्रोह में शामिल होने का शक मात्र था।
  5. नए विशेष कानूनों और ब्रिटेन से मँगाई गई नयी सैन्य टुकड़ियों से लैस अंग्रेज सरकार ने विद्रोह को कुचलने का काम शुरू | कर दिया। विद्रोहियों की तरह वे भी दिल्ली के सांकेतिक महत्त्व को बखूबी समझते थे। लिहाजा, उन्होंने दोतरफा हमला बोल दिया। एक तरफ कोलकाता से, दूसरी तरफ पंजाब से दिल्ली की तरफ कूच हुआ।
  6. अंग्रेजों ने कूटनीति का सहारा लेकर शिक्षित वर्ग और जमींदारों को विद्रोह से दूर रखा। उन लोगों ने जमींदारों को जागीरें वापस लौटाने का आश्वासन दिया।
  7. अंग्रेजों ने संचार सांधनों पर अपना पूर्ण नियंत्रण बनाए रखा। परिणामस्वरूप विद्रोह की सूचना मिलते ही वे उचित कार्यवाही करके विद्रोहियों की योजनाओं को विफल कर देते थे।

Concept: दमन

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भारतीय इतिहास के कुछ विषय

प्रश्न 11-5. अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए क्या कदम उठाया ?

उत्तर : अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए निम्न कदम उठाए
1. उत्तर भारत कोदोबाराजितने के लिए टुकड़ियों को रवाना करने से पहले अंग्रेजों ने उपद्रव शांत करने के लिए फौजियों की आसानी के लिए कई कानून पारित किये गए l
2. मई और जून 1857 में पास किए गए कई कानूनों के द्वारान केवल समूचे उत्तर भारत में मार्शल लो लागु कर दिया गया बल्कि फौजी अफसरों और यहाँ तक की आम अंग्रेजों को भी ऐसे हिन्दुस्तानियों पर मुकदमा चलाने और उनको सजा देने का अधिकार दे दिया गया जिन पर विद्रोह में शामिल होने का शक था ।
3. कानून और मुकदमे की सामान्य प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी और यह सपष्ट कर दिया गया था की विद्रोह की केवल एक ही सजा हो सकती है- सजा-ए-मौत l


प्रश्न 11-6. अवध में विद्रोह इतना व्यापक क्यों था? किसान, ताल्लुकदार और जमींदार उसमें क्यों शामिल हुए ?

उत्तर : अवध में विद्रोह की व्यापकता के कारण :
1. लार्ड डलहौजी ने 1851 में यह निर्णय ले लिया था की किसी न किसी बहाने से अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया जायेगा l पाँचसाल के बाद उसने इस रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग घोषित कर दिया गया l यद्दपि अवध अंग्रेजों का मित्र राज्य था लेकिन वहाँ की जमीन नील और कपास की खेती के लिए बहुत उचित थी l इस इलाके को उत्तरी भारत के बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता था l अवध के नवाब वाजिद अली शाह को यह कहते हुए गद्दी से हटाकर कलकत्ता भेझ दिया की वो शासक अच्छीतरह नही चला रहा था l
2. अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने से अवध की जनता को गहरी भावनात्मक चौट पहुँची थी l इस भवनात्मक उथल-पुथल को भौतिक क्षति के अहसास से और बल मिला l
3. अवध जैसे जिन इलाकों में 1857 के दौरान प्रतिरोध बेहद सघन और लंबा चला था वहाँ लड़ाई की बागडोर असल में ताल्लुक्दारों और उनके किसानों के हाथ में थी l बहुत सारे ताल्लुक्दार अवध के नवाब के प्रति निष्ठा रखते थे इसलिए वे अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए लखनऊ जाकर बेगम हजरत महल के खेमे में शामिल हो गए l उनमे से कुछ तो बेगम की पराजय के बादभी उनके साथ डटे रहे l


अंग्रेजों ने विद्रोह को को चलाने के लिए क्या कदम उठाये? - angrejon ne vidroh ko ko chalaane ke lie kya kadam uthaaye?

भारत देश ब्रिटिश सरकार की एक कॉलोनी थी। भारत देश पर ब्रिटिश सरकार द्वारा लगभग 200 वर्षों तक राज किया, परंतु 1857 में भारत देश में कुछ इस प्रकार का विद्रोह हुआ की ब्रिटिश सरकार को डर लगने लगा की अगर इस विद्रोह को जल्द से जल्द नहीं रोका गया तो हम भारत देश पर अधिक समय तक शासन नहीं कर सकते।

# ऐसे में ब्रिटिश सरकार द्वारा 1857 के विद्रोह को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए जो कुछ इस प्रकार है-

1) अध्याय को पढ़ने के आधार पर यह तो साफ हो जाता है कि विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों ने अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग किया, इसलिए विद्रोह को चलना अंग्रेजों के लिए आसान तो साबित नहीं हुआ। इसके लिए अंग्रेज सरकार ने नए सैनिक कानून बनाए, जिसके अनुसार सैनिक अधिकारियों को भी न्यायिक शक्ति प्राप्त हो गई।

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2) मई और जून 1857 में पारित कई नए कानूनों ने ना केवल पूरे उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर गया बल्कि फौजी अफसरों तथा आम अंग्रेजों को भी विद्रोही पर मुकदमा चलाने वाद दंड देने का अधिकार दे दिया गया था।

3) विद्रोह को कुचलने के लिए लोगों को शक के दायरे पर भी बंदी बना लिया जाता था। लोगों पर कोई मुकदमा या कानून प्रक्रिया नहीं होती थी, विद्रोह को केवल एक ही सजा हो सकती थी सजा-ए-मौत।

4) अंग्रेजों ने इस विद्रोह को दबाने के लिए ब्रिटेन से बड़ी संख्या में सैन्य बल की सहायता मंगाई थी।

5) अंग्रेज सैनिकों ने जनरल के आदेश पर उन सभी क्षेत्रों में घोर अत्याचार किए जहां आंदोलन चल रहा था। सैनिकों ने विद्रोही सैनिकों को पकड़ पकड़ कर उन्हें जनता के सामने तो होश उड़ा दिया गया वह नेताओं ओसामा ने विद्रोही को मार कर पेड़ से लटका दिया ताकि लोगों ने मरने का भय उत्पन्न हो सके।

#1857 ke vidroh ko kuchalane ke lie angrejon ne kya kadam uthae?

6) अंग्रेजी सेना ने विद्रोह को दबाने के लिए दो तरफ से हमले करना शुरू किए। एक तरफ पंजाब की ओर से दूसरी और कोलकाता से।

7) अंग्रेजों ने सबसे पहले सोच की देश की राजधानी को पहले नियंत्रण में लाना चाहिए, इसलिए अंग्रेजों ने दिल्ली के बादशाह को पर नियंत्रण में किया और दिल्ली पर नियंत्रण कर लिया।

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8) दमन के साथ जमीदारों, तल्लुकदारो और राजा को लालच भाव उनके प्रति नरमी बरकते हुए। उन से मदद मांगी गई वह सरकार भविष्य में इन के प्रति सहानुभूति का हवाला देकर उनको अपनी तरफ कर लिया था।

9) अंग्रेजों ने देखा कि यह विद्रोही जात-पात का भेद-भाव किए बिना तथा हिंदू मुसलमान की एकता को देखकर उन्होंने उस उसे तोड़ने के लिए अंग्रेजों ने “फूट डालो राज करो” की नीति को अपनाया।

10) अंग्रेजों ने हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ने की भी भरपूर प्रयास किया। उन्होंने सांप्रदायिक तनाव को भड़का कर इस एकता को तोड़ने का प्रयास किया।लेकिन कुछ क्षेत्रों को छोड़कर उनका यह प्रयास कुछ ज्यादा सफल ना हो।

11) उस समय के भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग ने अपने समस्त साधक जैसे खुफिया विभाग, डाक तार, रेलवे सैन्य सहायता, कानून तथा नीतियों का भरपूर प्रयोग किया विद्रोह को दबाने के लिए।

# निष्कर्ष-

 जैसा की हमने ऊपर दिए गए सभी कथनों को पढ़ने की बाद पता चलता है की अंग्रेजों को यह तो समझ आ गया कि भारतीय लोगों की एकता उन पर भारी पड़ रही, उन्हें समझ आ गया कि भारत अपनी सामाजिक, संस्कृति के प्रति बहुत ही भावुक है। अत: बेटी सरकार को इस आंदोलन से यह तो पता चल गया था कि अगर फिर से कभी भी आंदोलन या विद्रोह हुआ तो वह उनका भारत पर कुछ वक्त की शासन कर सकता है।

@Roy Akash (pkj)

अंग्रेजों ने विद्रोह के लिए क्या कदम उठाए?

अंग्रेज़ों ने विद्रोह को कुचलने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए कानून और मुकदमे की सामान्य प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी और यह स्पष्ट कर दिया गया था कि विद्रोही की केवल एक सजा | हो सकती है सजा-ए-मौत।। उत्तर भारत को दोबारा जीतने के लिए सेना की कई टुकड़ियों को रवाना करने से पहले अंग्रेजों ने उपद्रव शांत करने के लिए

विद्रोहियों के बीच एकता स्थापित करने के लिए क्या तरीके अपनाए गए?

विद्रोहियों के बीच एकता स्थापित करने के लिए क्या तरीके अपनाए गए? । 1. गाय और सूअर की चर्बी के कारतूस, आटे में सूअर और गाय की हड्डियों का चूरा, प्लासी की लड़ाई के 100 साल पूरे होते ही भारत से अंग्रेजों की वापसी जैसी खबरों ने हिंदू-मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को समान रूप से उत्तेजित करके उन्हें एकजुट किया।

अंग्रेज़ 1857 के विद्रोह को कुचलने में सक्षम क्यों थे?

लॉर्ड कैनिंग वह वर्ष 1858 में भारत का पहला वायसराय बना। वह 1857 के विद्रोह को सफलतापूर्वक दबाने में सक्षम था। भारतीय परिषद अधिनियम, 1861 पारित करना जिसने भारत में पोर्टफोलियो प्रणाली की शुरुआत की। "व्यपगत के सिद्धांत" को वापस लेना जो 1858 के विद्रोह के मुख्य कारणों में से एक था।

अंग्रेजों ने सन 18 सो 57 के विद्रोह को कुचलने के लिए क्या कदम उठाए?

40 साल के कर्नल जॉन फिनिस ने जब इन सिपाहियों को रोकने की कोशिश की तो उनके सिर पर गोली मार दी गई, रविवार और सोमवार को कई लोगों की जान गई, मरने वालों में जॉन पहले थे. बाद में सिपाही दिल्ली के लिए रवाना हो गए.