वाइमर सरकार कब बनी तथा उसका नाम क्या था? - vaimar sarakaar kab banee tatha usaka naam kya tha?

वाइमर गणराज्य इतिहासकारों द्वारा जर्मनी की उस प्रतिनिधिक लोकतांत्रिक संसदीय सरकार को दिया हुआ नाम है जिसने जर्मनी में प्रथम विश्वयुद्ध के बाद १९१९ से १९३३ तक शाही सरकार के बदले में कार्यभार संभाला था। इसका नाम उस जगह से पड़ा जहाँ संवैधानिक सदन का गठन किया गया और वहीं यह पहली बार एकत्रित हुआ। वैसे जर्मनी का उस समय औपचारिक नाम जर्मन राइख ही था।
नवंबर १९१८ में प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् यह गणराज्य जर्मन क्रांति की देन था। सन् १९१९ ई. में वाइमर में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया जहाँ जर्मन राइख के लिए नया संविधान लिखा गया और उसी वर्ष के ११ अगस्त को अपना लिया गया। उदार लोकतंत्र का वह काल १९३० के दशक आने तक समाप्त हो चुका था, जिसके फलस्वरूप सन् १९३३ ई. अडोल्फ़ हिटलर तथा उसकी नाट्सी पार्टी का उत्थान हुआ। नाट्सी पार्टी द्वारा फ़रवरी से मार्च १९३३ को जो क़ानूनी हथकण्डे अपनाये गए उन्हें साधारणतः ग्लाइक्शालतुङ कहा जाता है जिसका अर्थ था कि सरकार संविधान के विपरीत भी क़ानून बना सकती है। यह गणराज्य कागज पर सन् १९४५ ई. तक चलता रहा क्योंकि इसके द्वारा बनाये गए संविधान को औपचारिक रूप से कभी निरस्त किया ही नहीं गया हालांकि नाट्सियों द्वारा अपने शासनकाल के शुरुआत में जो कदम उठाये गये थे उनके अंतर्गत यह संविधान अप्रासंगिक हो चुका था।

पेरिस शांति सम्मेलन में 230 पृष्ठों का पन्द्रह भागों में विभक्त वर्साय संधि का अत्यन्त कठोर एवं अपमानजनक मसौदा जर्मन प्रतिनिधि काउंट फाॅन ब्राकडार्फ रान्टाजू के सम्मुख रखा गया। तत्कालीन जर्मनी की शिडेमान सरकार ने संधि को अस्वीकार कर त्यागपत्र दे दिया। तब जर्मनी में नयी सरकार बनी जिसका प्रधानमंत्री गुस्टावजीर एवं विदेश मंत्री मूलर था। इनके नेतृत्व में ही जर्मनी में वाइमर रिपब्लिक की स्थापना हुई। वाइमर रिपब्लिक के प्रतिनिधियों ने ही 28 जून, 1919 को अत्यन्त अपमानजनक माहौल में बर्साय संधि पर हस्ताक्षर किये। इस संधि पर हस्ताक्षर करने के उपरान्त ही सभी नेता ‘वाइमर’ नामक स्थान पर एकत्रित हुये और रिपब्लिक प्रणाली को अपनाया। जर्मनी में प्रजातांत्रिक प्रणाली अपनायी गयी। राष्ट्रपति इसका प्रमुख था। प्रधानमंत्री को चान्सलर की पदवी प्रदान की गई। 11 अगस्त, 1919 ई. को नवीन संविधान लागू हुआ।

संविधान के तहत हुये चुनाव में फ्रेडरिक एबर्ट के नेतृत्व में समाजवादी दल की सरकार बनी। चूँकि वाइमर रिपब्लिक ने बर्साय की संधि मंजूर की थी अतः जनता वाइमर रिपब्लिक की विरोधी थी। लोगों ने ‘वर्साय संधि मुर्दाबाद’ के नारे लगाये। 1929-31 ई. के महान आर्थिक संकट (विश्वव्यापी मंदी) की विभीषिका का सामना जर्मनी को भी करना पड़ा। संकट तो समस्त विश्व के समक्ष था मगर जर्मन जनता ने इस संकट से न उबर पाने के लिये वाइमर रिपब्लिक को दोषी ठहराया।

राष्ट्रपति एबर्ट की 1925 ई. में मृत्यु के पश्चात हिण्डनबर्ग 7 वर्ष के लिये वाइमर रिपब्लिक का राष्ट्रपति बना।

वाइमर रिपब्लिक की असफलता एवं पतन के कारण

वाइमर रिपब्लिक की असफलता एवं पतन के प्रमुख कारण निम्नानुसार थे - 

  1. वाइमर रिपब्लिक की स्थापना अत्यन्त प्रतिकूल परिस्थितियों में हुई थी। उसके द्वारा बर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करना जर्मन जनता को पसन्द नहीं आया। 
  2. जर्मनी पर युद्ध क्षतिपूर्ति हेतु जो रकम लादी गई थी उसे चुका पाना जर्मनी के लिये असंभव था। विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। 
  3. साम्यवादी एवं राजतंत्रवादी दल जर्मनी में वाइमर रिपब्लिक का विरोध कर रहे थे। जर्मन राजनीति दलगत राजनीति का शिकार थी। 
  4. विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के कारण जर्मनी आर्थिक परेशानियों में फंस गया। मुद्रा स्फीति के कारण वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई। बेकारी बढ़ गई। जर्मन सिक्के की विनिमय दर कम हो गयी। कारखाने बंद हो गये। मजदूर बेकार हो गये। उद्योगपतियों ने बाइमर रिपब्लिक का समर्थन बन्द कर दिया। 
  5. विस्मार्क ने अपने युग को विस्मार्क युग कहलवाया। उसने यूरोपीय राजनीति का केन्द्र जर्मनी में स्थापित किया था। बर्साय संधि के पश्चात अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जर्मनी की साख बहुत गिर गयी। अन्तर्राष्ट्रीय कूटनीति के क्षेत्र में उसके साथ अछूत जैसा व्यवहार किया गया। जर्मन की स्वाभिमानी जनता यह बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। उसने अपने इस अपमान के लिये वाइमर रिपब्लिक को दोषी ठहराया।

बाइमर रिपब्लिक के पतन का इन सब कारणों से अधिक महत्वपूर्ण कारण था जर्मनी में हिटलर एवं नाजीवादी पार्टी का उदय। जर्मन जनता हताश थी, निराश थी, चारों ओर उसे अन्धकार दिखायी दे रहा था। वह इसके लिये वाइमर रिपब्लिक को दोषी मानती थी। एक जर्मन नवयुवक ने अपनी हताशा को इन शब्दों में व्यक्त किया था -‘हम एक ऐसे युवक समाज के सदस्य हैं जिसको न तो भविष्य में कोई आशा है और न तो वर्तमान काल में कोई सुख’ जर्मनी के ऐसे हताश नवयुवकों में आशा का संचार हिटलर ने किया। उसने जब बर्साय की संधि की धाराओं को तोड़ने की बात कही तो समस्त जनता ने उसे समर्थन दिया। नाजीवादी दल के उत्थान ने जर्मन जनता में एक नवीन चेतना का संचार किया।

वाइमर गणराज्य

वाइमर सरकार कब बनी तथा उसका नाम क्या था? - vaimar sarakaar kab banee tatha usaka naam kya tha?

वाइमर गणराज्य) इतिहासकारों द्वारा जर्मनी की उस प्रतिनिधिक लोकतांत्रिक संसदीय सरकार को दिया हुआ नाम है जिसने जर्मनी में प्रथम विश्वयुद्ध के बाद १९१९ से १९३३ तक शाही सरकार के बदले में कार्यभार संभाला था। इसका नाम उस जगह से पड़ा जहाँ संवैधानिक सदन का गठन किया गया और वहीं यह पहली बार एकत्रित हुआ। वैसे जर्मनी का उस समय औपचारिक नाम जर्मन राइख ही था। नवंबर १९१८ में प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् यह गणराज्य जर्मन क्रांति की देन था। सन् १९१९ ई. में वाइमर में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया जहाँ जर्मन राइख (शासन) के लिए नया संविधान लिखा गया और उसी वर्ष के ११ अगस्त को अपना लिया गया। उदार लोकतंत्र का वह काल १९३० के दशक आने तक समाप्त हो चुका था, जिसके फलस्वरूप सन् १९३३ ई. अडोल्फ़ हिटलर तथा उसकी नाट्सी पार्टी का उत्थान हुआ। नाट्सी पार्टी द्वारा फ़रवरी से मार्च १९३३ को जो क़ानूनी हथकण्डे अपनाये गए उन्हें साधारणतः ग्लाइक्शालतुङ (समन्वय) कहा जाता है जिसका अर्थ था कि सरकार संविधान के विपरीत भी क़ानून बना सकती है। यह गणराज्य कागज पर सन् १९४५ ई. तक चलता रहा क्योंकि इसके द्वारा बनाये गए संविधान को औपचारिक रूप से कभी निरस्त किया ही नहीं गया हालांकि नाट्सियों द्वारा अपने शासनकाल के शुरुआत में जो कदम उठाये गये थे उनके अंतर्गत यह संविधान अप्रासंगिक हो चुका था। यही कारण है कि सन् १९३३ को वाइमर का अंत तथा हिटलर की तीसरी राइख का आरम्भ माना जाता है। .

14 संबंधों: एडोल्फ़ हिटलर, नाज़ी जर्मनी, पहला विश्व युद्ध, फ़्रान्स, बर्लिन, बेल्जियम, महामन्दी, यूरोप, संविधान, जर्मन भाषा, जर्मन राइख, जर्मनी, वर्साय की सन्धि, वाइमर।

एडोल्फ़ हिटलर

हिटलर एडोल्फ हिटलर (२० अप्रैल १८८९ - ३० अप्रैल १९४५) एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता एवं तानाशाह थे। वे "राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी" (NSDAP) के नेता थे। इस पार्टी को प्राय: "नाजी पार्टी" के नाम से जाना जाता है। सन् १९३३ से सन् १९४५ तक वह जर्मनी का शासक रहे। हिटलर को द्वितीय विश्वयुद्ध के लिये सर्वाधिक जिम्मेदार माना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध तब हुआ, जब उनके आदेश पर नात्सी सेना ने पोलैंड पर आक्रमण किया। फ्रांस और ब्रिटेन ने पोलैंड को सुरक्षा देने का वादा किया था और वादे के अनुसार उन दोनो ने नाज़ी जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। .

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नाज़ी जर्मनी

नाज़ी जर्मनी, नाट्सी जर्मनी या तीसरा राइख (Drittes Reich, "द्रीत्तेस रय्ख़्") १९३३ और १९४५ के बीच जर्मनी के लिए इतिहासकारों द्वारा सामान्य नाम दिया गया है, जब जर्मनी पर अडोल्फ़ हिटलर के नेतृत्व वाली नेशनल सोशलिस्ट जर्मन कार्यकर्ता पार्टी (NSDAP) का एकछत्र राज्य था। इसके अतिरिक्त इसे - नाजीवादी जर्मनी (Das nazistische Deutschland "दस नत्सीस्तिशे दोय्च्लन्द्") तथा सहस्रवर्षीय साम्राज्य (Das Tausendjähriges Reich "दस थाउज़ेन्द्येरिगेस रय्ख़्") भी कहा जाता है। तृतीय साम्राज्य वैमार गणराज्य के बाद सत्ता में आया, जब 4 मार्च 1933 को राष्ट्रीय-समाजवादी जर्मन श्रमिकों की पार्टी ने (NSDAP "एन-एस-दे-आ-पे", Die Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei "दी नत्सिओनाल-सोत्सिअलीस्तिशे दोय्चे आर्बाय्तेर्पर्ताय") हिटलर के नेतृत्व में राजसत्ता हथिया ली। ३० जनवरी १९३३ को अडोल्फ़ हिटलर जर्मनी का चांसलर बना और जल्दी ही सारे विरोध को ख़त्म करके वह उस देश का इकलौता नेता बन बैठा। देश ने उसे फ़्युअरर (जर्मन भाषा में लीडर) कहकर पूजना शुरु कर दिया और सारी ताक़त उसके हाथ में सौंप दी। इतिहासकारों ने बड़ी सभाओं में उसके वाक्चातुर्य और कमरे में हुयी बैठकों में उसकी आँखों से होने वाले मंत्रमुग्ध लोगों का ज़ोर देकर बताया है। शनैः शनैः यह बात प्रचलन में आ गई कि फ़्युअरर का वचन विधि से भी ऊपर है। दरअसल यह मत लोगों के बीच हिटलर के मतप्रचालन (propaganda) मंत्री गॅबॅल्स ने रखा था जिसे प्रथम विश्वयुद्ध और वर्साय की संधि से सताई गई जनता ने दोनों हाथों से हड़प लिया। सरकार के शीर्षस्थ अधिकारी केवल हिटलर को रिपोर्ट देते थे और उसी की नीतियों का अनुसरण भी करते थे, हालांकि उनकी कार्यशैली में कुछ हद तक स्वायत्ता बरक़रार थी। .

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पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

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फ़्रान्स

फ़्रान्स,या फ्रांस (आधिकारिक तौर पर फ़्रान्स गणराज्य; फ़्रान्सीसी: République française) पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश है किन्तु इसका कुछ भूभाग संसार के अन्य भागों में भी हैं। पेरिस इसकी राजधानी है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर में बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, पूर्व में जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड, इटली, दक्षिण-पश्चिम में स्पेन, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्यसागर तथा उत्तर पश्चिम में इंग्लिश चैनल द्वारा घिरा है। इस प्रकार यह तीन ओर सागरों से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से इसकी स्थिति उत्तम नहीं है। लौह युग के दौरान, अभी के महानगरीय फ्रांस को कैटलिक से आये गॉल्स ने अपना निवास स्थान बनाया। रोम ने 51 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया। फ्रांस, गत मध्य युग में सौ वर्ष के युद्ध (1337 से 1453) में अपनी जीत के साथ राज्य निर्माण और राजनीतिक केंद्रीकरण को मजबूत करने के बाद एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा। पुनर्जागरण के दौरान, फ्रांसीसी संस्कृति विकसित हुई और एक वैश्विक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित हुआ, जो 20 वीं सदी तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थी। 16 वीं शताब्दी में यहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट (ह्यूजेनॉट्स) के बीच धार्मिक नागरिक युद्धों का वर्चस्व रहा। फ्रांस, लुई चौदहवें के शासन में यूरोप की प्रमुख सांस्कृतिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति बन कर उभरा। 18 वीं शताब्दी के अंत में, फ्रेंच क्रांति ने पूर्ण राजशाही को उखाड़ दिया, और आधुनिक इतिहास के सबसे पुराने गणराज्यों में से एक को स्थापित किया, साथ ही मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा के प्रारूप का मसौदा तैयार किया, जोकि आज तक राष्ट्र के आदर्शों को व्यक्त करता है। 19वीं शताब्दी में नेपोलियन ने वहाँ की सत्ता हथियाँ कर पहले फ्रांसीसी साम्राज्य की स्थापना की, इसके बाद के नेपोलियन युद्धों ने ही वर्तमान यूरोप महाद्वीपीय के स्वरुप को आकार दिया। साम्राज्य के पतन के बाद, फ्रांस में 1870 में तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई, हलाकि आने वाली सभी सरकार लचर अवस्था में ही रही। फ्रांस प्रथम विश्व युद्ध में एक प्रमुख भागीदार था, जहां वह विजयी हुआ, और द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र में से एक था, लेकिन 1940 में धुरी शक्तियों के कब्जे में आ गया। 1944 में अपनी मुक्ति के बाद, चौथे फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई जिसे बाद में अल्जीरिया युद्ध के दौरान पुनः भंग कर दिया गया। पांचवां फ्रांसीसी गणतंत्र, चार्ल्स डी गॉल के नेतृत्व में, 1958 में बनाई गई और आज भी यह कार्यरत है। अल्जीरिया और लगभग सभी अन्य उपनिवेश 1960 के दशक में स्वतंत्र हो गए पर फ्रांस के साथ इसके घनिष्ठ आर्थिक और सैन्य संबंध आज भी कायम हैं। फ्रांस लंबे समय से कला, विज्ञान और दर्शन का एक वैश्विक केंद्र रहा है। यहाँ पर यूरोप की चौथी सबसे ज्यादा सांस्कृतिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद है, और दुनिया में सबसे अधिक, सालाना लगभग 83 मिलियन विदेशी पर्यटकों की मेजबानी करता है। फ्रांस एक विकसित देश है जोकि जीडीपी में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा क्रय शक्ति समता में नौवीं सबसे बड़ा है। कुल घरेलू संपदा के संदर्भ में, यह दुनिया में चौथे स्थान पर है। फ्रांस का शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन प्रत्याशा और मानव विकास की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन है। फ्रांस, विश्व की महाशक्तियों में से एक है, वीटो का अधिकार और एक आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देश के साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है। यह यूरोपीय संघ और यूरोजोन का एक प्रमुख सदस्यीय राज्य है। यह समूह-8, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और ला फ्रैंकोफ़ोनी का भी सदस्य है। .

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बर्लिन

ब्रांडेनबर्ग गेट, जर्मनी के एक मील का पत्थर बर्लिन टीवी टावर, शहर के लिए मील का पत्थर बर्लिन-मिटे के क्षितिज भालू मेरा साथी: बर् लन की शांती और स्वतंत्रता का प्रतीक बर्लिन जर्मनी की राजधानी और इसके 16 राज्यों में से एक है। यह बर्लिन-ब्रैन्डनबर्ग मेट्रोपोलिटन क्षेत्र के मध्य में, जर्मनी के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। इसकी जनसंख्या 34 लाख है। यह जर्मनी का सबसे बड़ा और यूरोपीय संघ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। बर्लिन यूरोप की राजनीति, संस्कृति और विज्ञान का महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यूरोप के यातायात के लिए यह एक धुरी के समान है। यहाँ कई महत्त्वपूर्ण विश्वविद्यालय, संग्रहालय और शोध केन्द्र हैं। यह शहर बहुत तेजी से विकास कर रहा है और यहाँ के समारोह, उत्सव, अग्रणी कलाएँ, वास्तुशिल्प और रात्रि-जीवन काफी प्रसिद्ध हैं। बर्लिन 13वीं शताब्दी में स्थापित हुआ और इस क्षेत्र के कई राज्यों और साम्राज्यों की राजधानी रहा- प्रुशिया राज्य (1701 से), जर्मन साम्राज्य (1871-1918), वेइमार गणतंत्र (1919-1932) और तीसरी राइख (1933-1945).

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बेल्जियम

किंगडम ऑफ़ बेल्जियम उत्तर-पश्चिमी यूरोप में एक देश है। यह यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य है और उसके मुख्यालय का मेज़बान है, साथ ही, अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का, जिसमें NATO भी शामिल है। 10.7 मीलियन की जनसंख्या वाले बेल्जियम का क्षेत्रफल है। जर्मनिक और लैटिन यूरोप के मध्य अपनी सांस्कृतिक सीमा को विस्तृत किये हुए बेल्जियम, दो मुख्य भाषाई समूहों, फ्लेमिश और फ्रेंच-भाषी, मुख्यतः वलून्स सहित जर्मन भाषियों के एक छोटे समूह का आवास है। बेल्जियम के दो सबसे बड़े क्षेत्र हैं, उत्तर में 59% जनसंख्या सहित फ्लेंडर्स का डच भाषी क्षेत्र और वालोनिया का फ्रेंच भाषी दक्षिणी क्षेत्र, जहाँ 31% लोग बसे हैं। ब्रुसेल्स-राजधानी क्षेत्र, जो आधिकारिक तौर पर द्विभाषी है, मुख्यतः फ्लेमिश क्षेत्र के अंतर्गत एक फ्रेंच भाषी एन्क्लेव है और यहाँ 10% जनसंख्या बसी है। * * * * पूर्वी वालोनिया में एक छोटा जर्मन भाषी समुदाय मौजूद है। मूल (पहले ही) 71,500 निवासियों के बजाय 73,000 का उल्लेख करता है। बेल्जियम की भाषाई विविधता और संबंधित राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संघर्ष, राजनीतिक इतिहास और एक जटिल शासन प्रणाली में प्रतिबिंबित होता है। बेल्जियम नाम, गॉल के उत्तरी भाग में एक रोमन प्रान्त, गैलिया बेल्जिका से लिया गया है, जो केल्टिक और जर्मन लोगों के एक मिश्रण बेल्जी का निवास स्थान था। ऐतिहासिक रूप से, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्ज़मबर्ग, निचले देश के रूप में जाने जाते थे, जो राज्यों के मौजूदा बेनेलक्स समूह की तुलना में अपेक्षाकृत कुछ बड़े क्षेत्र को आवृत किया करते थे। मध्य युग की समाप्ति से लेकर 17 वीं सदी तक, यह वाणिज्य और संस्कृति का एक समृद्ध केन्द्र था। 16वीं शताब्दी से लेकर 1830 में बेल्जियम की क्रांति तक, यूरोपीय शक्तियों के बीच बेल्जियम के क्षेत्र में कई लड़ाइयाँ लड़ी गईं, जिससे इसे यूरोप के युद्ध मैदान का तमगा मिला - एक छवि जिसे दोनों विश्व युद्ध ने और पुष्ट किया। अपनी स्वतंत्रता पर, बेल्जियम ने उत्सुकता के साथ औद्योगिक क्रांति में भाग लिया और उन्नीसवीं सदी के अंत में, अफ्रीका में कई उपनिवेशों पर अधिकार जमाया। 20वीं सदी के उत्तरार्ध को फ्लेमिंग्स और फ्रैंकोफ़ोन के बीच साँप्रदायिक संघर्ष की वृद्धि के लिए जाना जाता है, जिसे एक तरफ तो सांस्कृतिक मतभेद ने भड़काया, तो दूसरी तरफ फ्लेनडर्स और वालोनिया के विषम आर्थिक विकास ने. अब भी सक्रिय इन संघर्षों ने पूर्व में एक एकात्मक राज्य बेल्जियम को संघीय राज्य बनाने के दूरगामी सुधारों को प्रेरित किया। .

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महामन्दी

इतिहास में महामंदी या भीषण मन्दी (द ग्रेट डिप्रेशन) (१९२९-१९३९) के नाम से जानी जाने वाली यह घटना एक विश्वव्यापी आर्थिक मंदी थी। यह सन १९२९ के लगभग शुरू हुई और १९३९-४० तक जारी रही। विश्व के आधुनिक इतिहास में यह सबसे बड़ी और सर्वाधिक महत्व की मंदी थी। इस घटना ने पूरी दुनिया में ऐसा कहर मचाया था कि उससे उबरने में कई साल लग गए। उसके बड़े व्यापक आर्थिक व राजनीतिक प्रभाव हुए। इससे फासीवाद बढ़ा और अंतत: द्वितीय विश्वयुद्ध की नौबत आई। हालांकि यही युद्ध दुनिया को महामंदी से निकालने का माध्यम भी बना। इसी दौर ने साहित्यकारों और फिल्मकारों को भी आकर्षित किया और इस विषय पर कई किताबें लिखी गईं। अनेक फिल्में भी बनीं और खूब लोकप्रिय भी हुईं। .

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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संविधान

संविधान, मूल सिद्धान्तों या स्थापित नज़ीरों का एक समुच्चय है, जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। वह किसी संस्था को प्रचालित करने के लिये बनाया हुआ संहिता (दस्तावेज) है। यह प्रायः लिखित रूप में होता है। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार है; उसके चरित्र, संगठन, को निर्धारित करती है तथा उसके प्रयोग विधि को बताती है, यह राष्ट्र की परम विधि है तथा विशेष वैधानिक स्थिति का उपभोग करती है सभी प्रचलित कानूनों को अनिवार्य रूप से संविधान की भावना के अनुरूप होना चाहिए यदि वे इसका उल्लंघन करेंगे तो वे असंवैधानिक घोषित कर दिए जाते है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी सम्प्रभु देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है, जिसमें, उसके अंग्रेज़ी-भाषी संस्करण में १४६,३८५ शब्दों के साथ, २२ भागों में ४४४ अनुच्छेद, १२ अनुसूचियाँ और १०१ संशोधन हैं, जबकि मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें ९७ अनुच्छेदों के साथ १० अध्याय, और कुल ३,८१४ शब्द हैं। .

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जर्मन भाषा

विश्व के जर्मन भाषी क्षेत्र जर्मन भाषा (डॉयट्श) संख्या के अनुसार यूरोप की सब से अधिक बोली जाने वाली भाषा है। ये जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड और ऑस्ट्रिया की मुख्य- और राजभाषा है। ये रोमन लिपि में लिखी जाती है (अतिरिक्त चिन्हों के साथ)। ये हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में जर्मनिक शाखा में आती है। अंग्रेज़ी से इसका करीबी रिश्ता है। लेकिन रोमन लिपि के अक्षरों का इसकी ध्वनियों के साथ मेल अंग्रेज़ी के मुक़ाबले कहीं बेहतर है। आधुनिक मानकीकृत जर्मन को उच्च जर्मन कहते हैं। जर्मन भाषा भारोपीय परिवार के जर्मेनिक वर्ग की भाषा, सामान्यत: उच्च जर्मन का वह रूप है जो जर्मनी में सरकारी, शिक्षा, प्रेस आदि का माध्यम है। यह आस्ट्रिया में भी बोली जाती है। इसका उच्चारण १८९८ ई. के एक कमीशन द्वारा निश्चित है। लिपि, फ्रेंच और अंग्रेजी से मिलती-जुलती है। वर्तमान जर्मन के शब्दादि में अघात होने पर काकल्यस्पर्श है। तान (टोन) अंग्रेजी जैसी है। उच्चारण अधिक सशक्त एवं शब्दक्रम अधिक निश्चित है। दार्शनिक एवं वैज्ञानिक शब्दावली से परिपूर्ण है। शब्दराशि अनेक स्रोतों से ली गई हैं। उच्च जर्मन, केंद्र, उत्तर एवं दक्षिण में बोली जानेवाली अपनी पश्चिमी शाखा (लो जर्मन-फ्रिजियन, अंग्रेजी) से लगभग छठी शताब्दी में अलग होने लगी थी। भाषा की दृष्टि से "प्राचीन हाई जर्मन" (७५०-१०५०), "मध्य हाई जर्मन" (१३५० ई. तक), "आधुनि हाई जर्मन" (१२०० ई. के आसपास से अब तक) तीन विकास चरण हैं। उच्च जर्मन की प्रमुख बोलियों में यिडिश, श्विज्टुन्श, आधुनिक प्रशन स्विस या उच्च अलेमैनिक, फ्रंकोनियन (पूर्वी और दक्षिणी), टिपृअरियन तथा साइलेसियन आदि हैं। .

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जर्मन राइख

जर्मन राइख (जर्मन: Deutsches Reich /), १८७१ से १९४३ तक जर्मन राष्ट्र-राज्य का आधिकारिक नाम था। इसका शाब्दिक अर्थ 'जर्मन साम्राज्य' है। अनौपचारिक रूप से इसे केवल 'जर्मनी' कहा जाता है। राइख के इतिहास के तीन अवधियाँ प्रमुख हैं-.

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जर्मनी

कोई विवरण नहीं।

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वर्साय की सन्धि

वर्साय की सन्धि का इंगलिश कवर पेज वर्साय की सन्धि प्रथम विश्व युद्घ के अन्त में जर्मनी और गठबन्धन देशों (ब्रिटेन, फ्रान्स, अमेरिका, रूस आदि) के बीच में हुई थी। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पराजित जर्मनी ने 28 जून 1919 के दिन वर्साय की सन्धि पर हस्ताक्षर किये। इसकी वजह से जर्मनी को अपनी भूमि के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा, दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबन्दी लगा दी गयी, उनकी सेना का आकार सीमित कर दिया गया और भारी क्षतिपूर्ति थोप दी गयी। वर्साय की सन्धि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया था। इस कारण एडोल्फ हिटलर और अन्य जर्मन लोग इसे अपमानजनक मानते थे और इस तरह से यह सन्धि द्वितीय विश्वयुद्ध के कारणों में से एक थी। .

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वाइमर

वाइमर (Weimar; जर्मन उच्चारण) जर्मनी का एक नगर है। .

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वाइमर गणतंत्र की स्थापना कब हुई?

9 नवंबर 1918वायमार रिपब्लिक / स्थापना की तारीख और जगहnull

वाइमर गणराज्य का जन्म कैसे हुआ वर्णन करें?

Explanation: नवंबर १९१८ में प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् यह गणराज्य जर्मन क्रांति की देन था। सन् १९१९ ई. में वाइमर में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया जहाँ जर्मन राइख (शासन) के लिए नया संविधान लिखा गया और उसी वर्ष के ११ अगस्त को अपना लिया गया। ...

वाइमर गणराज्य से क्या अभिप्राय है?

(ii) रूस की बोल्वेशिक क्रांति की तरह ही जर्मनी में स्पार्टकिस्ट लीग द्वारा विद्रोह की योजना बनाई गई | इसे वाइमर गणराज्य ने विफल तो कर दिया परन्तु जर्मनी के साम्यवादी और समाजवादी एक दुसरे के कट्टर दुश्मन बन गए (iii) प्रथम विश्व युद्ध के बाद जब कर्ज और हर्जाना चुकाने से मना कर दिया तो फ्रांस ने उसके बहुत से आर्थिक ...