अभीष्ट मार्ग से क्या तात्पर्य है उस पर चलते हुए हमें क्या करना चाहिए? - abheesht maarg se kya taatpary hai us par chalate hue hamen kya karana chaahie?

कवि संदेश देता है कि हमें निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। बाधाओंकठिनाइयों को हँसते हुएढकेलते हुए बढ़ना चाहिए लेकिन आपसी मेलजोल कम नहीं करना चाहिए। किसी को अलग न समझेंसभी पंथ व संप्रदाय मिलकर सभी का हित करने की बात करेविश्व एकता के विचार को बनाए रखे।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये- 
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।


कवि कहता है कि अपने इच्छित मार्ग पर प्रसन्नतापूर्वक हंसते खेलते चलो और रास्ते पर जो कठिनाई या बाधा पड़े उन्हें ढकेलते हुए आगे बढ़ जाओ। परंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारा आपसी सामंजस्य न घटे और हमारे बीच भेदभाव न बढ़े।हम तर्क रहित होकर एक मार्ग पर सावधानीपूर्वक चलें।एक दूसरे को तारते हुए अर्थात् उद्धार करते हुए आगे बढ़े तभी हमारी समर्थता सिद्ध होगी अर्थात् हम तभी समर्थ माने जाएंगे जब हम केवल अपनी ही नहीं समस्त समाज की भी उन्नति करेंगे।सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए मरता है।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर 'मनुष्यता' के लिए क्या संदेश दिया है?


कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर ‘मनुष्यता’ के लिए उदार होने तथा परोपकारी होने की प्ररेणा दी है। हमे अपने प्राण तक न्योंछावर करने के लिए तैयार रहना चाहिए। दधीचि ने मानवता की रक्षा के लिए अपनी अस्थियॉ तथा कर्ण ने खाल तक दान कर दी। इससे यह सन्देश मिलता है कि इस नाशवान शरीर के प्रति मोह को त्यागते हुए, मानवता के कल्याण के लिए मनुष्य को आवश्यकता पड़ने पर इसका बलिदान करने से भी पीछे नही हटना चाहिए।
 

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?


जो व्यक्ति दूसरों के हित को सर्वापरि मानता हैं तथा जिसमे मानवता, दया, साहनुभूति आदि गुण होते हैं, जो मृत्यु के बाद भी औरों के द्वारा सम्मान की दृष्टि से याद किया जाता है, उसी की मृत्यु को कवि ने सुमृत्यु कहा है

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त है कि हमें गर्व रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?


कवि ने निम्नलिखित पंक्तियों के द्वारा इस भाव को व्यक्त करना चाहा है।
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में।
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में॥

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
'मनुष्य मात्र बंधु है' से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।


इस पंक्ति से अर्थ भाईचारे कि भावना से है। 'मनुष्य मात्र बंधु' का अर्थ है कि सभी मनुष्य आपस में भाई बंधु हैं क्योंकि सभी का पिता एक ईश्वर है। हम सभी एक ही पिता परमेश्वर कि संताने हैं इसलिए हम सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए तथा दुसरों की मदद करनी चाहिए। कोई पराया नहीं है। सभी एक दूसरे के काम आएँ। कर्मों के कारण ऊँच -नीच, गरीब- अमीर के भेद तो हो सकते हैं परन्तु मूल रूप से हम एक ही हैं ।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?


जो व्यक्ति प्राणी मात्र से प्रेम की भावना रखता है तथा जिसका जीवन परोपकार और मनुष्यता की सेवा में व्यतीत होता है जो अपना पूरा जीवन पुण्य व लोकहित कार्यो में बिता देता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता, आत्मीय भाव रखता है तथा जो  निज स्वार्थों का त्याग कर जीवन का मोह भी नहीं रखता, वही उदार व्यक्ति कहलाता है।

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अभीष्ट मार्ग पर हमें कैसे चलना चाहिए?

कवि कहता है कि अपने इच्छित मार्ग पर प्रसन्नतापूर्वक हंसते खेलते चलो और रास्ते पर जो कठिनाई या बाधा पड़े उन्हें ढकेलते हुए आगे बढ़ जाओ। परंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारा आपसी सामंजस्य न घटे और हमारे बीच भेदभाव न बढ़े। हम तर्क रहित होकर एक मार्ग पर सावधानीपूर्वक चलें।

अभीष्ट मार्ग का क्या तात्पर्य है?

Answer: अभीष्ट मार्ग से कवि का अर्थ है इच्छित मार्ग। हँसी के साथ अपने मनचाहे रास्ते पर चलें और अपने रास्ते में आने वाली कठिनाइयों या बाधाओं को आगे बढ़ाते हुए आगे बढ़ें। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारा आपसी सदभाव कम न हो और हमारे बीच भेदभाव न बढ़े।

मन ु ष्यता कविता में अभीष्ट मार्ग ककसे कहा र्या है और क्यों?

इस कविता में अभिष्ट मार्ग परोपकार को कहा गया है। यह ऐसा मार्ग है, जिसमें मानवता का कल्याण है। अतः कवि चाहता है कि सभी इस मार्ग पर बढ़ें।