Contents नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम मनोविज्ञान विषय के अंतर्गत अभिप्रेरणा के सिद्धांत (Abhiprerna ke siddhant) के बारे में अध्ययन करेंगे। इसे पढ़ने के बाद आप Ctet,UPTET,HTET तथा अन्य शिक्षक पात्रता परीक्षाओं में अभिप्रेरणा के सिद्धांत से संबंधित किसी भी प्रश्न को हल करने में सक्षम होंगे तो आइए शुरू करते हैं- अभिप्रेरणा का अर्थअभिप्रेरणा को अंग्रेजी में मोटिवेशन कहते हैं मोटिवेशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के मोटम शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है मोटस, मोट (गति) हम किसी भी उत्तेजना को प्रेरणा कह सकते हैं जिसके कारण व्यक्ति कोई प्रक्रिया या व्यवहारकरता है, यह उत्तेजना वाह्य तथा आंतरिक दोनों प्रकार की हो सकती है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से अभिप्रेरणा एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने अंदर से किसी कार्य को करने के लिए अभिप्रेरित हो जाता है। अभिप्रेरणा की परिभाषाएंवुड के अनुसार,” कार्य को आरंभ करने जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया अभिप्रेरणा कहलाती है”। वुडवर्थ के अनुसार,” निष्पत्ति का परिणाम योग्यता और अभिप्रेरणा हैं”। हमारे अन्य महत्वपूर्ण लेख भी पढ़ें-
अभिप्रेरणा के प्रकारअभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है- सकारात्मक अभिप्रेरणा- सकारात्मक अभिप्रेरणा के अंतर्गत वे कार्य आते हैं जिन्हें व्यक्ति अपनी इच्छा एवं रुचियों के अनुरूप करता है। अभिप्रेरणा के सिद्धांत (Abhiprerna ke siddhant)1. मूल प्रवृत्ति का सिद्धांतअभिप्रेरणा के मूल प्रवृत्ति के सिद्धांत का प्रतिपादन मैक्डूगल (1908) ने किया था। इस नियम के अनुसार,” मनुष्य का व्यवहार उसकी मूल प्रवृत्तियों पर आधारित होता है इन मूल प्रवृत्तियों के पीछे छिपे संवेग किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करते हैं”। 2. अंतर्नोद सिद्धांतइस सिद्धांत का प्रतिपादन मनोवैज्ञानिक हल ने किया था। इस सिद्धांत के अनुसार,” मनुष्य की शारीरिक आवश्यकताएं उसमें तनाव उत्पन्न करती हैं मनोवैज्ञानिक भाषा में इसे अंतर्नोद कहा जाता है यही अंतर्नोद व्यक्ति को कोई विशेष कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। 3. मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांतमनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत का प्रतिपादन सिगमन फ्रायड ने किया इस सिद्धांत के अनुसार अभिप्रेरणा के दो मुख्य कारक हैं- इन्होंने मूल प्रवृत्तियों को दो भागों में बांटा है- (A) जीवन मूल प्रवृत्ति ( इरोस) जीवन मूल प्रवृत्ति द्वारा व्यक्ति संरचनात्मक कार्य करने के लिए प्रेरित होता है। 4. प्रोत्साहन का सिद्धांतप्रोत्साहन के सिद्धांत का प्रतिपादन वोल्स और कॉफमैन ने किया। इस सिद्धांत के अनुसार,” मनुष्य जिस वातावरण में रहता है
उस वातावरण में निश्चित वस्तुएं उसे किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती हैं। (A) धनात्मक प्रोत्साहन- यह किसी लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। 5. शरीर क्रिया सिद्धांतइस सिद्धांत का प्रतिपादन मॉर्गन किया था। शरीर रचना सिद्धांत के अनुसार,” मनुष्य को प्रेरणा किसी बाहरी तत्वों से नहीं मिलती बल्कि उसके शरीर के अंदर तंत्रिकाओं में होने वाले परिवर्तनों से मिलती है”। 5. मांग का सिद्धांतमांग के सिद्धांत का प्रतिपादन मेस्लो ने किया था। इस सिद्धांतके अनुसार,” मनुष्य की आवश्यकताएं ही उसे किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है”। मेस्लो ने इन आवश्यकताओं को एक विशेष क्रम ( निम्न से उच्च की ओर) में व्यक्त किया। मेस्लो ने पांच प्रकार की मांगे बताई हैं- 1. दैहिक मांग प्रेरकों के प्रकारमैस्लो के अनुसार- थॉमसन के अनुसार- गैरेट के अनुसार- 1. जैविक प्रेरक अभिप्रेरणा की विधियां (Abhiprerna ki vidhiya)अभिप्रेरणा की विधियां निम्नलिखित है- 1. सफलता का ज्ञान अधिक जानकारी के लिए आप इस साइट पर विजिट करें- “Hindi Meri Jaan” आशा है आप लोगों को यह पोस्ट”अभिप्रेरणा के सिद्धांत, विधियां (Abhiprerna ke siddhant)” अवश्य पसंद आई होगी। अगर हमारा यह छोटा सा प्रयास अच्छा लगा हो तो आपसे विनम्र निवेदन है कि इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें जिससे हमें मनोबल प्राप्त होगा और हम आपके लिए ऐसे ही ज्ञानवर्धक पोस्ट लाते रहेंगे। अगर आपके मन में कोई सुझाव या शिकायत है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद। अभिप्रेरणा के सिद्धांत कौन कौन से हैं?अभिप्रेरणा के सिद्धांत | Theory of Motivation. मूल प्रवृत्ति का सिद्धांत. मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत. अंतरनोद सिद्धांत. प्रोत्साहन सिद्धांत. शारीरिक क्रिया सिद्धांत. मांग का सिद्धांत. अभिप्रेरणा का जनक कौन है?1. मूल प्रवृत्ति का सिद्धांत अभिप्रेरणा के मूल प्रवृत्ति के सिद्धांत का प्रतिपादन मैक्डूगल (1908) ने किया था। इस नियम के अनुसार,” मनुष्य का व्यवहार उसकी मूल प्रवृत्तियों पर आधारित होता है इन मूल प्रवृत्तियों के पीछे छिपे संवेग किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करते हैं”।
अभिप्रेरणा के कुल कितने सिद्धांत हैं?इस सिद्धान्त का प्रतिपादन मैक्डूगल ने किया मैक्डूगल के अनुसार मनुष्य में चौदह मूल प्रवृत्तियाँ होती हैं। जैसे-क्रोध, काम, युयुत्सा, वात्सल्य आदि। ये चौदह मूल प्रवृत्तियाँ व्यक्ति को विभिन्न कार्य करने के लिये प्रेरित करती हैं। इस प्रकार मनुष्य का प्रत्येक कार्य तथा व्यवहार मूल प्रवृत्ति के अनुसार जन्म लेता है।
अभिप्रेरण कितने प्रकार के होते हैं?अभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है- 1. आन्तरिक तथा 2. बाह्य अभिप्रेरणा। (क) आन्तरिक अभिप्रेरणा : यह व्यक्ति के अन्दर की शक्ति होती है।
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