भारत में हरित क्रांन्ति की शुरुआत सन 1966- 67से हुई। हरित क्रांन्ति प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नॉर्मन ई. बोरलॉग को जाता हैं। हरित क्रांन्ति से अभिप्राय देश के सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना हैं। Show
अनुक्रम
हरित क्रांन्ति के चरण[संपादित करें]
हरित क्रांन्ति की विशेषताएं[संपादित करें]
हरित क्रांन्ति का फसलों पर प्रभाव[संपादित करें]
हरित क्रांन्ति से प्रभावित राज्य[संपादित करें]
वाह्य सूत्र[संपादित करें]
हरित क्रांति शब्द के जन्मदाता कौन हैं?तो नॉरमन बोरलॉग हरित क्रांति के प्रवर्तक माने जाते हैं लेकिन भारत में हरित क्रांति लाने का श्रेय सी सुब्रमण्यम को जाता है. एम ऐस स्वामीनाथन एक जाने माने वनस्पति विज्ञानी थे जिन्होंने हरित क्रान्ति लाने के लिए सी सुब्रमण्यम के साथ काम किया.
भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई थी?भारत में हरित क्रांन्ति की शुरुआत सन 1966- 67से हुई। हरित क्रांन्ति प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नॉर्मन ई. बोरलॉग को जाता हैं। हरित क्रांन्ति से अभिप्राय देश के सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना हैं।
भारत में प्रथम हरित क्रांति का निर्माता कौन थे?डॉक्टर एम. एस. स्वामीनाथन भारत के मशहूर कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक हैं. एम. एस. स्वामीनाथन जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था.
भारत में कुल कितनी क्रांति हुई?लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है - राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है।
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