आपराधिक न्याय प्रणाली का अर्थ क्या है? - aaparaadhik nyaay pranaalee ka arth kya hai?

इसे सुनेंरोकेंपरिचय:- आपराधिक न्याय प्रणाली अनिवार्य रूप से सामाजिक नियंत्रण का एक साधन है । यह आपराधिक न्याय प्रणाली इन अपराधों को रोकने के लिए अपराधियों को पकड़ने और दंडित करने का कार्य करती है । यद्यपि समाज सामाजिक नियंत्रण के अन्य रूपों को बनाए रखता है, जैसे कि परिवार, स्कूल और चर्च।

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अपराधिक न्याय में कानून का शासन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंआपराधिक न्याय प्रणाली के उद्देश्य हैं समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखना। अपराधियों को दंडित करना। भविष्य में अपराधी को अपराध करने से रोकें।

आपराधिक न्याय में प्रमुख खिलाड़ी कौन है?

इसे सुनेंरोकेंआपराधिक न्याय प्रणाली में चार प्रमुख खिलाड़ी हैं: पुलिस, लोक अभियोजक, रक्षा वकील और न्यायाधीश।

आपराधिक न्याय व्यवस्था में विभिन्न लोगों को अपनी अलग अलग भूमिका क्यों निभानी चाहिए दो कारण बताएँ?

इसे सुनेंरोकेंविभिन्न लोगों को अलग-अलग भूमिकाएँ, क्योंकि- इससे शक्ति किसी एक जगह केंद्रित नहीं होगी और इससे अन्याय की संभावना कम होगी। जब अलग-अलग भूमिकाओं में विभिन्न लोग काम करेंगे तो वे कार्यों को अच्छी तरह से कर सकेंगे। भेदभाव को पनपने का मौका नहीं मिल पाएगा।

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कौन अपराधियों के सुधार हेतु एक साधन है?

इसे सुनेंरोकेंप्रमाणित या सुधारत्मक विद्यालय – प्रमाणित विद्यालय में बाल अपराधियों को सुधार हेतु रखा जाता है। इन विद्यालयों को सरकार से अनुदान प्राप्त ऐच्छिक संस्थाओं चलाती है। इन स्कूलों में बाल अपराधियों को कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम सात वर्ष की अवधि के लिये रखे जाते है।

आपराधिक न्याय प्रणाली में कौन से चार महत्वपूर्ण लोग होते हैं?

आपराधिक न्याय प्रणाली का अर्थ

  • न्यायालय: न्यायालय की कार्रवाई न्यायाधीशों द्वारा नियंत्रित की जाती है।
  • अभियोजन: अभियोजनकर्त्ता वे वकील होते हैं जो न्यायालय की संपूर्ण कार्रवाई में राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • बचाव पक्ष का वकील: ये सरकार द्वारा दायर मुकदमे के विरुद्ध न्यायालय में आरोपी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अपराधिक न्याय प्रशासन के कितने अंग हैं?

इसे सुनेंरोकेंइस घटना के आधार पर आप देख सकते हैं कि पुलिस, सरकारी वकील, बचाव पक्ष का वकील और न्यायाधीश, ये चार अधिकारी आपराधिक न्याय व्यवस्था में मुख्य लोग होते हैं।

आपराधिक न्याय व्यवस्था की मुख्य विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में आपराधिक न्याय प्रणाली : आपराधिक न्याय प्रणाली का तात्पर्य सरकार की उन एजेंसियों से है जो कानून लागू करने, आपराधिक मामलों पर निर्णय देने और आपराधिक आचरण में सुधार करने हेतु कार्यरत हैं। वास्तव में आपराधिक न्याय प्रणाली सामाजिक नियंत्रण का एक साधन होती है।

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शांति के बक्से से कितने रुपए मिले थे?

इसे सुनेंरोकेंइन दोनों के बयानों के आधार पर सुश्री रॉय यह साबित कर देती हैं कि शांति के संदूक में मिले 10,000 रुपए सुशील और शांति की कमाई की रकम भी हो सकती है।

किसी ऐसे कार्य से क्या अभिप्राय है जिसे कानून अपराध के रूप में परिभाषित करता है?

इसे सुनेंरोकेंयह ऐसी क्रिया या क्रिया में त्रुटि है, जिसके लिये दोषी व्यक्ति को कानून द्वारा निर्धारित दंड दिया जाता है। अर्थात अपराध कानूनी नियमो कानूनों के उल्लंघन करने की नकारात्मक प्रक्रिया है जिससे समाज के तत्वों का विनाश होता है ।

आपराधिक न्याय में कानून का शासन क्या है?

कानून एवं रीति रिवाज में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंकानून स्पष्ट रूप से और जानबूझकर राज्य की निश्चित शक्ति द्वारा बनाया गया है, जबकि प्रथा “प्रक्रिया का एक समूह है जो धीरे-धीरे उभरा है, बिना किसी व्यक्त अधिनियम के, इसे घोषित करने के लिए किसी भी गठित प्राधिकरण के बिना इसे लागू करने और इसे सुरक्षित रखने के लिए। ” रिवाज बिना किसी गाइड या निर्देश के अनायास ही उभर आता है।

बाल अपराध के उपचार का कौन सा तरीका नहीं है?

बाल अपराध के रोकथाम के उपाय

  • समुचित पालन पोषण मारपीट और अपमान बहुधा बालक को अपराध की राह पर ले जाता है।
  • स्वस्थ मनोरंजन मनोरंजन का व्यक्ति के जीवन में बडा महत्वपूर्ण स्थान होता है स्वस्थ मनोरंजन के अभाव में बालक की अपराधी प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन मिलता है।
  • मनोवैज्ञानिक दोषों का उपचार

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बच्चा कौन है किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अनुसार?

इसे सुनेंरोकेंबाल अधिकार समझौते के अनुच्छेद 1 के अनुसार “18 वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति बच्चा है। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 2(12) में भी बच्चे को इसी प्रकार परिभाषित किया गया है। सार्वजनिक या निजी समाज कल्याण संस्थाओं, कानूनी अदालत, प्रशासनिक अधिकारियों या विधायी संस्थाओं के साथ हो।

भारत में आपराधिक न्याय प्रशासन के प्रमुख तत्व क्या है?

आपराधिक न्याय प्रणाली का उद्देश्य

  • आपराधिक घटनाओं को रोकना।
  • अपराधियों को दंड देना।
  • अपराधियों के पुनर्वास की व्यवस्था करना।
  • पीड़ितों को यथासंभव मुआवज़ा देना।
  • समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखना।

आपराधिक न्याय व्यवस्था में सरकारी वकील की क्या भूमिका होती है?

इसे सुनेंरोकेंसरकारी वकील की भूमिका तब शुरू होती है प|जब पुलिस जाँच पूरी करके अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर देती है। सरकारी वकील को राज्य की ओर से अभियोजन प्रस्तुत करना होता है। उसकी जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष रूप से अपना काम करे और अदालत के सामने सारे ठोस तथ्य, गवाह और सबूत पेश करे। तभी अदालत सही फैसला दे सकती है।

आपराधिक न्याय प्रणाली से क्या समझते हैं?

आपराधिक न्याय प्रणाली का तात्पर्य सरकार की उन एजेंसियों से है जो कानून लागू करने, आपराधिक मामलों पर निर्णय देने और आपराधिक आचरण में सुधार करने हेतु कार्यरत हैं। उद्देश्य : आपराधिक घटनाओं को रोकना। अपराधियों और दोषियों को दंडित करना।

भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली की चुनौतियां क्या है?

पुलिस व्यवस्था में समस्याएं इसके साथ साथ नैतिकता की कमी तथा कम वेतन जैसी समस्याएं पुलिस में भ्रस्टाचार को जन्म देती है. जो आपराधिक न्याय प्रणाली के इस स्तम्भ को कमजोर करती है।

भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता क्यों है?

लाभ इस प्रकार की समितियों के माध्यम से समय-समय पर न्यायिक प्रणाली में अपेक्षित सुधारों के माध्यम से न्यायालयों को अधिक प्रभावी बनाने में सहायता मिलेगी। समिति के संशोधनों के माध्यम से आपराधिक कानूनों में औपनिवेशिक काल की कमियों को दूर कर कानूनी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने में सहायता प्राप्त होगी।

आपराधिक न्याय व्यवस्था में विभिन्न लोगों को अपनी अलग अलग भूमिका क्यों निभानी चाहिए दो कारण बताएँ?

विभिन्न लोगों को अलग-अलग भूमिकाएँ, क्योंकि- जब अलग-अलग भूमिकाओं में विभिन्न लोग काम करेंगे तो वे कार्यों को अच्छी तरह से कर सकेंगे। भेदभाव को पनपने का मौका नहीं मिल पाएगा।