माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति मनुष्य की झोली में आई थी. इस दिन बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है. मां सरस्वती की सबसे प्रचलित स्तुति... Show इस दिन पितृ तर्पण किया जाता है और कामदेव की पूजा भी की जाती है. इस दिन पहनावा भी परंपरागत होता है. मसलन पुरुष कुर्ता-पायजामा पहनते हैं, तो महिलाएं पीले रंग के कपड़े पहनती हैं. इस दिन गायन-वादन के साथ अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. सरस्वती को समस्त ज्ञान, साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है. शिक्षण संस्थाओं में वसंत पंचमी बड़े की धूमधाम से मनाई जाती है. यह शिक्षा ही तो मनुष्य को पशुओं से अलग बनाती है. मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने के बाद मनुष्य की रचना की. मनुष्य की रचना के बाद उन्होंने अनुभव किया कि केवल इससे ही सृष्टि की गति नहीं दी जा सकती है. विष्णु से अनुमति लेकर उन्होंने एक चतुर्भुजी स्त्री की रचना की, जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था. अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी. शब्द के माधुर्य और रस से युक्त होने के कारण इनका नाम सरस्वती पड़ा. सरस्वती ने जब अपनी वीणा को झंकृत किया, तो समस्त सृष्टि में नाद की पहली अनुगूंज हुई. चूंकि सरस्वती का अवतरण माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था, इसलिए इस दिन को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है. यह भी मान्यता है कि भगवान विष्णु के कथन के अनुसार ब्रह्मा जी ने सरस्वती देवी का आह्वान किया. सरस्वती माता के प्रकट होने पर ब्रह्मा जी ने उन्हें अपनी वीणा से सृष्टि में स्वर भरने का अनुरोध किया. माता सरस्वती ने जैसे ही वीणा के तारों को छुआ, उससे 'सा' शब्द फूट पड़ा. यह शब्द संगीत के सात सुरों में प्रथम सुर है. इस ध्वनि से ब्रह्मा जी की मूक सृष्टि में ध्वनि का संचार होने लगा. हवाओं को, सागर को, पशु-पक्षियों और अन्य जीवों को वाणी मिल गयी. नदियों से कलकल की ध्वनि फूटने लगी. इससे ब्रह्मा जी बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने सरस्वती को वाणी की देवी के नाम से सम्बोधित करते हुए 'वागेश्वरी' नाम दिया. मां सरस्वती के पूजन की विधि सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए. इसके बाद कलश स्थापित करके गणेश जी तथा नवग्रह की विधिवत् पूजा करनी चाहिए. इसके बाद माता सरस्वती की पूजा करें. सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन और स्नान कराएं. इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं. सरस्वती माता को सिन्दूर, अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए. वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित किया जाता है. देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं. सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं. प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिए. इस दिन सरस्वती माता को मालपुए और खीर का भी भोग लगाया जाता है. सरस्वती पूजन के लिए हवन सरस्वती विसर्जन सरस्वती पूजन के पीछे पौराणिक मान्यताएं: 1. श्रीकृष्ण ने की सरस्वती की प्रथम
पूजा 2. ब्रह्माजी ने की सरस्वती की रचना 3. शक्ति के रूप में भी मां सरस्वती 4. कुंभकर्ण की निद्रा का कारण बनीं सरस्वती 5. मां सरस्वती के विभिन्न
स्वरूप अक्षराभ्यास का दिन है वसंत पंचमी वसंत पंचमी एक नजर में... सरस्वती माता को खुश कैसे करे?मां सरस्वती को केसर अथवा पीले चंदन का तिलक अर्पण करने के बाद इसी चंदन को अपने माथे पर प्रसाद के रूप में अवश्य धारण करें. मान्यता है कि पूजा का उपाय करने पर साधक पर शीघ्र ही मां सरस्वती की कृपा बरसती है. मान्यता है कि किसी भी देवी या देवता की साधना तब तक अधूरी रहती है, जब तकि उनकी पूजा में नैवेद्य न चढ़ा दिया जाए.
सरस्वती माता को क्या चढ़ाना चाहिए?देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं अत: उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदी अर्पित करना चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए एवं खीर का भी भोग लगाया जाता है।
माता सरस्वती को कौन सा रंग पसंद है?मान्यता है कि पीला रंग माता सरस्वती का भी प्रिय रंग है. इसके अलावा मां सरस्वती को वसंत पंचमी के पूजा के दिन पीले रंग के चावल, पीले लड्डू और केसर की खीर का भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि इसलिए लोग पीले कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं.
मां सरस्वती की आराधना कैसे करें?सरस्वती पूजा की विधि. 05 फरवरी वसंत पंचमी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहन लें. ... . अब पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें. ... . अब मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं. ... . बेसन के लड्डू या बर्फी या फिर पीले रंग की कोई भी मिठाई का भोग लगाएं.. |