आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था? - aajaadee se pahale bhaarat ka jhanda kya tha?

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3 महीने पहलेलेखक: प्रज्ञा भारती/ सिद्धार्थ शर्मा

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तारीख: 7 अगस्त 1906

जगह: कोलकाता का पारसी बागान चौक (अब ग्रीन पार्क)

बंगाल विभाजन के विरोध में ‘बॉयकाट दिवस’ मनाने के लिए हजारों लोग जमा थे। इस प्रदर्शन में पहली बार स्वतंत्रता सेनानी सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने एक झंडा फहराया, जिसे भारत का पहला नेशनल फ्लैग कहा जाता है।

इस झंडे में हरे, पीले और लाल रंग की तीन पट्टियां थीं। इनमें से बीच वाली पीली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा हुआ था। सबसे नीचे की लाल पट्टी पर सूरज और आधे चांद की तस्वीरें थी। वहीं सबसे ऊपर की हरी पट्टी पर 8 कमल के फूल बने हुए थे।

अब सबसे पहले उस तस्वीर को देख लीजिए..

आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था? - aajaadee se pahale bhaarat ka jhanda kya tha?

ये 7 अगस्त 1906 को फहराए गए उसी झंडे की तस्वीर है। माना जाता है कि इसे स्वतंत्रता सेनानी सचिंद्र प्रसाद बोस और हेमचंद्र कानूनगो ने बनाया था।

इस ऐतिहासिक घटना को बीते 116 साल हो चुके हैं। इस दौरान भारत के नेशनल फ्लैग ने एक लंबा रास्ता तय किया है। इसके डिजाइन में 6 बार बदलाव हुए, इससे जुड़े नियमों में बदलाव हुआ और आज घर-घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है। भास्कर एक्सप्लेनर में हम तिरंगे के बनने से लेकर घर-घर पहुंचने तक की पूरी यात्रा जानेंगे…

देश में फहराए गए पहले नेशनल फ्लैग का किस्सा तो हमने ऊपर जान लिया। अब बात भारत के बाहर फहराए गए झंडे की। 22 अगस्त 1907 में मैडम कामा और उनके साथियों ने जर्मनी में भारत का झंडा फहराया था। इसे बर्लिन कमेटी फ्लैग कहा गया।

इस झंडे में भी तीन रंगों का इस्तेमाल किया गया था। सबसे ऊपर नारंगी, बीच में पीले और आखिर में हरे रंग की पट्टियां थीं। नारंगी रंग की पट्टी में 8 सितारे बने हुए थे। वहीं बीच वाली पीले रंग की पट्टी में वंदे मातरम लिखा था। सबसे नीचे की हरी पट्टी में एक सूरज और चांद के ऊपर सितारे की तस्वीर बनी हुई थी।

आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था? - aajaadee se pahale bhaarat ka jhanda kya tha?

ये 1907 में जर्मनी में फहराए गए भारतीय झंडे की तस्वीर है। इस झंडा को मैडम कामा और उनके साथियों ने पहली बार विदेश में फहराया था।

1916 में बाल गंगाधर तिलक के बनाए राजनीतिक संगठन 'होम रूल' ने एक झंडा बनाया।

तब भारत अंग्रेजों से डोमिनियन स्टेट की मांग कर रहा था। इसका मतलब ये हुआ कि ऐसा देश जो स्वतंत्र हो, लेकिन अंग्रेजी साम्राज्य के कानून से चले।

इस झंडे में सबसे ऊपर अंग्रेजों का झंडा यूनियन जैक था। इसके अलावा पांच लाल और चार हरे रंग की पट्टियां थीं। इसमें सात तारे भी थे। ये तारे सप्तऋषि को दर्शाते थे। इस पर आधा चांद और उसके ऊपर तारा भी बना हुआ था। हालांकि, देश के लोगों ने दिल से इस झंडे को स्वीकार नहीं किया था।

आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था? - aajaadee se pahale bhaarat ka jhanda kya tha?

गंगाधर तिलक के राजनीतिक संगठन 'होम रूल' ने इस झंडा को बनाया था।

ये तो बात हुई अलग-अलग समय में अंग्रेजों के खिलाफ फहराए गए अलग-अलग भारतीय झंडों की। लेकिन हम आज जो तिरंगा झंडा देखते हैं, उसके बनने की शुरुआत 1921 से हुई थी।

1921 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रोफेसर पिंगली वैंकय्या ने महात्मा गांधी को एक झंडे का डिजाइन दिखाया था। इसमें देश के दो प्रमुख धर्मों हिंदुओं के लिए लाल और मुसलमानों के लिए हरे रंग की पट्टियां थीं।

पिंगली 1916 में झंडों की डिजाइन के लिए एक किताब भी छपवा चुके थे। वह इस प्रयास में थे कि बाकी देशों की तरह भारत में भी एक ऐसे प्रतीक की जरूरत है जो सभी धर्मों के लोगों को आपस में जोड़ सके।

गांधी जी को प्रोफेसर पिंगली का विचार पसंद आया। आर्य समाज के लाला हंस राज सोंधी ने पिंगली को सुझाव दिया कि इस झंडे के बीच में चरखा भी होना चाहिए। उस समय चरखा भारत के लोगों के लिए स्वदेशी कपड़ा बनाकर आत्मनिर्भर होने का संकेत हुआ करता था।

जब बात आगे बढ़ी तो गांधी जी ने इस झंडे में सफेद रंग की पट्टी जोड़ने के लिए कहा था। गांधी ने इसके पीछे तर्क दिया कि ये रंग बाकी धर्मों का प्रतिनिधित्व करेगा। इस तरह इस झंडे में सबसे ऊपर सफेद फिर हरा और नीचे लाल रंग था।

आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था? - aajaadee se pahale bhaarat ka jhanda kya tha?

1921 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रोफेसर पिंगली वैंकय्या ने महात्मा गांधी को एक झंडे का डिजाइन दिखाया था। बाद में इसी झंडे पर सहमति बनी थी।

भारत का झंडा 1931 में एक बार फिर से बदला गया और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने पहली बार आधिकारिक तौर पर इसे अपना लिया। इस झंडे में सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और अंतिम में हरे रंग की पट्टी बनाई गई थी। इसमें छोटे आकार पूरा चरखा बीच की सफेद पट्टी रखी गई थी। सफेद पट्टी में चरखा राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक है। कांग्रेस का यह झंडा भारतीय लोगों के लिए राष्ट्रीयता से जुड़ा हुआ था।

आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था? - aajaadee se pahale bhaarat ka jhanda kya tha?

1921 में बनाए गए राष्ट्रीय झंडा को 1931 में कुछ बदलावों के साथ कांग्रेस पार्टी ने अधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया था।

1947 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी को भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज तय करना था। कमेटी ने भारतीय नेशनल कांग्रेस के झंडे में कुछ बदलाव करके इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने की बात कही थी। इस तरह 1931 में बने इस झंडे के बदले रूप को 22 जुलाई 1947 को अपना लिया गया। इस झंडे में चरखे की जगह अशोक चक्र ने ले ली थी। 300 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने जब पूरे भारत को एक करने की कोशिश की तो उन्होंने इसका इस्तेमाल किया था। मौर्य सम्राज्य के स्तंभों में भी यह धर्म चक्र दिखाई देता है।

आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था? - aajaadee se pahale bhaarat ka jhanda kya tha?

आखिरकार देश की आजादी के बाद जुलाई 1947 में इस तिरंगा झंडा को स्वीकार किया गया था। तब से आज तक यही तिरंगा हमारे देश का राष्ट्रीय झंडा है।

आपने तिरंगे की आजादी तक की यात्रा पढ़ ली है। अब आजादी के बाद तिरंगे से जुड़े कुछ नियम कानून और इसमें हुए बदलावों की कहानी जानते हैं…

आजादी के बाद राष्ट्रीय झंडा तिरंगे से जुड़े दो कानून देश में बनाए गए थे- पहला: प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950, दूसरा: राष्ट्रीय सम्मान के अपमान या अनादर की रोकथाम अधिनियम, 1971।

55 साल बाद इंडियन फ्लैग कोड में हुआ बदलाव

25 जनवरी 2002 को देश की आजादी के 55 साल बाद इंडियन फ्लैग कोड में बदलाव किया गया। इसके जरिए 2 अहम बदलाव किए गए…

पहला: अब किसी सामान्य दिन में कभी भी भारतीय राष्ट्रीय झंडा घरों, दफ्तरों, फैक्ट्री पर लगाने की छूट दे दी गई। इससे पहले घरों या प्राइवेट संस्थानों में झंडा फहराने की छूट नहीं थी।

दूसरा: फ्लैग कोड में तिरंगा झंडा के साथ किए जाने वाले किसी भी तरह के अनादर को अपराध माने जाने की बात कही गई है।

आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था? - aajaadee se pahale bhaarat ka jhanda kya tha?

अब उन मामलों को जानते हैं जब सचिन और सानिया समेत कई सेलिब्रिटी पर तिरंगा के अपमान के आरोप लगे..

तिरंगा झंडा के अपमान का सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, अमिताभ बच्चन जैसे टॉप भारतीय सेलिब्रिटी पर भी आरोप लगे हैं। आइए जानते हैं…

सानिया मिर्जा: 2008 में सानिया पर तिरंगा झंडा के अपमान के आरोप में केस दर्ज हुआ था। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में एक टेनिस की मैच देखने पहुंची सानिया के टेबल पर तिरंगा रखा था और वह उसी के बगल में पैर रखकर बैठी हुईं थी।

सचिन तेंदुलकर: 2010 में सचिन अपना बर्थडे सेलीब्रेट कर रहे थे, इस दौरान उनके बर्थडे केक पर तिरंगे का डिजाइन बना था। इसके बाद ही उन पर झंडे के अपमान का आरोप लगा था।

मंदिरा बेदी: 2011 में मंदिरा बेदी तिरंगे वाली साड़ी पहनकर विवादों में घिर गईं। न सिर्फ पहनने वाले कपड़ों में तिरंगे के इस्तेमाल की मनाही है, बल्कि कमर के नीचे तिरंगा पहनने की भी इजाजत नहीं है। ऐसे में मंदिरा पर झंडे के अपमान का आरोप लगा था।

शाहरुख खान: 2011 में इंडिया के वर्ल्डकप में जीतने पर शाहरुख खान अपनी गाड़ी लेकर रोड पर जश्न मनाने निकल पड़े। इस वक्त वह हाथ में जो तिरंगा लिए थे, वह उल्टा हो गया था। इसके बाद उन पर राष्ट्रीय झंडे के अपमान का आरोप लगा।

इसी तरह से अमिताभ बच्चन और मल्लिका शेरावत जैसे बड़े सेलिब्रिटी पर भी झंडे के अपमान के आरोप लगे हैं।

आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था? - aajaadee se pahale bhaarat ka jhanda kya tha?

1947 से पहले भारत का राष्ट्रीय ध्वज क्या था?

यह ध्वज खादी के कपड़े पर बना था, जिसमें तीन रंग की पट्टियां थीं और बीच में चरखा बना हुआ था। चरखा भारत के आर्थिक उन्नयन का प्रतीक था। इसमें दो हरा और केसरियां रंग की पट्टियां थीं। गांधी जी ने इस झंडे को मंजूरी देने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि हरा रंग मुस्लिम और केसरिया हिंदू धर्म से संबंधित है।

भारत का झंडा पहले कैसे था?

1906 में मिला पहला राष्ट्रीय ध्वज 1906 में देश का पहला प्रस्तावित झंडा सामने आया। जिसे सात अगस्त, 1906 को पारसी बागान चौक, कलकत्ता (अब ग्रीन पार्क, कोलकाता) में फहराया गया था। इस झंडे में तीन - हरे, पीले और लाल रंग की पट्टियां थीं। इसमें ऊपर की हरे रंग वाली पट्टी में आठ कमल के फूल थे, जिनका रंग सफेद था

भारत का इतिहास का पहला झंडा कौन सा था?

प्रथम चित्रित ध्वज १९०४ में स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था। ७ अगस्त, १९०६ को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में इसे कांग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था