बालगोबिन भगत क्या कार्य करते थे तथा किस की आराधना करते थे? - baalagobin bhagat kya kaary karate the tatha kis kee aaraadhana karate the?

बालगोबिन भगत क्या कार्य करते थे तथा किस की आराधना करते थे? - baalagobin bhagat kya kaary karate the tatha kis kee aaraadhana karate the?


बालगोबिन भगत , कक्षा दसवीं, हिंदी, सारांश, प्रश्न उत्तर, बोर्ड परीक्षा के लिए, Balgobin Bhagat , class tenth, Hindi, summary, questions answers, MCQ, for board exam. 

' बालगोबिन भगत  ' सुप्रसिद्ध साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित एक रेखाचित्र है जिसके माध्यम से लेखक ने एक ऐसे चरित्र का उद्घाटन किया है जो मनुष्यता, लोक संस्कृति, और सामूहिक चेतना का प्रतीक है। केवल बाह्य वेशभूषा या वाह्याडंवर से कोई संत नहीं हो जाता बल्कि संत का चरित्र ही सबसे बड़ी पहचान है। बालगोबिन भगत में यही देखने को मिलता है। वे सचमुच संन्यासी दिखते हैं। यह पाठ वर्ण व्यवस्था और सामाजिक रूढ़ियों पर करारा प्रहार है। लेखक ने बालगोबिन भगत के माध्यम से ग्रामीण जीवन की झांकी प्रस्तुत किया है। यहां कक्षा दसवीं में पढाएं जाने वाले पाठ बालगोबिन भगत का सारांश , प्रश्न उत्तर और बहुवैकल्पिक प्रश्न उत्तर MCQ  board exam  को ध्यान में रखकर दिए गए हैं जो छात्र - छात्राओं को लाभान्वित करेगा।

विषय - सूची

बालगोबिन भगत पाठ का सारांश,

बाल गोबिंद भगत पाठ के लेखक का परिचय

बालगोबिन भगत पाठ का प्रश्न उत्तर

बालगोबिन भगत पाठ का बहुत वैकल्पिक प्रश्न  - उत्तर

Table of contents

. Summary of chapter Balgobin Bhagat

Writer Ram Briksh Benipuri biography

Questions answers 

MCQ type questions answers Balgobin Bhagat

Balgobin Bhagat chapter summary, बालगोबिन भगत पाठ का सारांश

बालगोबिन भगत 60 वर्ष की आयु के मझोले कद के गोरे चिट्टे व्यक्ति थे। वे कमर में लंगोटी और सिर पर कबीर पंथी टोपी पहनते थे। वे काला कंबल ओढ़े रहते। माथे पर रामानंदी चंदन , गले में तुलसी की जड़ों की माला रहती। वे साधू नहीं थे, गृहस्थ थे। परन्तु कबीर के भक्त थे।  बालगोबिन भगत खेतों में काम करते थे और खंजरी पर नाचते थे और गीत गाते थे। कार्तिक से फाल्गुन मास तक प्रभात फेरी लगाते। 

 

विडियो क्लिक करें

बालगोबिन भगत की संगीत साधना की चरम सीमा उनके इकलौते पुत्र की मृत्यु हो जाने पर देखी गई। पुत्र की लाश के सामने बैठ कर आसन जमा कर गीत गाए जाते थे। और रोती हुई पतोहू को समझा रहे थे। 

बालगोबिन भगत पुत्र की चिता को आग पतोहू से ही दिलवाई। श्राद्ध की अवधि पूरी होते ही पतोहू को उसके भाई के साथ यह कहकर भेजवा दिया कि इसकी दूसरी शादी कर देना।  बालगोबिन भगत की मौत भी उनके अनुरूप ही हुई। वे प्रति वर्ष गंगा स्नान के लिए जाते , चार - पांच दिन की यात्रा में बीच में कुछ नहीं खाते । बुढापा आ गया था। गंगा स्नान के बाद लौटे तो बीमार हो गए थे। एक दिन शाम में गीत गाए पर भोर में गीत सुनाई नहीं पड़ा। पता चला कि बालगोबिन भगत नहीं रहे।

रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय , biography of Ram Briksh Benipuri

आधुनिक काल के निबंधकारों में रामवृक्ष बेनीपुरी का विशिष्ट स्थान है। उनका जन्म सन् 1902 ई में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक गांव में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। मैट्रिक परीक्षा पास होने से पहले ही वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। अखबारों में लिखना वे बचपन से ही प्रारंभ कर दिए थे। उन्होंने तरुण भारत, किसान मित्र जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया। 1968 ई में बेनीपुरी जी का देहांत हो गया।

रामवृक्ष बेनीपुरी की प्रमुख रचनाएं -- माटी की मूरतें, लाल तारा, गेहूं और गुलाब, मशाल, जंजीर, दीवारें, पैरों में पंख बांधकर। इनकी समस्त रचनाएं बेनीपुरी ग्रंथावली में संगृहीत हैं।

रामवृक्ष बेनीपुरी अपनी जीवन्त भाषा शैली के कारण पाठकों में काफी लोकप्रिय हैं। उनकी भाषा में प्रांतीय शब्द भी खूब मिलते हैं। इनकी रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना, मानव प्रेम, और जन-जीवन के उत्थान की कामना है। रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा साहित्यिक खड़ी बोली हिन्दी है।

संगतकार कविता पढ़ें

बालगोबिन भगत पाठ का प्रश्न- उत्तर , questions answers and MCQ

1. खेती बाड़ी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे ?

उत्तर - बालगोबिन भगत गृहस्थ थे और साधु भी थे , परन्तु परंपरा गत साधु नहीं थे। उनकी चारित्रिक विशेषताएं निम्नलिखित थी -

1. वे कबीर को मानते थे और उन्हीं के गीत गाते थे।

2. वे कभी झूठ नहीं बोलते।

3. बिना कारण किसी से झगड़ा नहीं करते।

4. दूसरे की चीज नहीं छूते।

5. वे सुख - दुख की भावना से ऊपर थे।

2. भगत की पुत्रवधु उन्हें अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी ?

उत्तर -  भगत के बेटे की आकस्मिक निधन के बाद भगत ने पुत्र वधू को भाई के साथ भिजवा दिया। वह जाना नहीं चाहती थी। उसे चिंता थी कि उसके जाने के बाद भगत का भोजन - पानी कौन देखेगा। उनके बीमार पड़ने पर उनकी देखभाल कौन करेगा।

3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त की?

उत्तर - अपने एक मात्र पुत्र की अकाल मृत्यु पर भगत विचलित नहीं हुए। पुत्र को चटाई पर लिटा सफेद कपड़े से ढक दिया , फूल बिखेर दिया , सिराहने दीपक जला दिया। उसके समीप बैठ कर खंजडी बजाने लगे और गाने लगे। रोती हुई पतोहू को समझने लगे - मृत्यु का अवसर रोने का नहीं, उत्सव मनाने का है , क्योंकि तब आत्मा परमात्मा से मिलन होता है। विरहिन अपने प्रियतम से मिलती है। इन शब्दों में उनका विश्वास बोल रहा था। 

4. भगत के व्यक्तित्व और वेशभूषा का चित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत करें।

उत्तर - भगत मझोला कद काठी के साठ वर्ष के ऊपर के व्यक्ति थे। उनका रंग गोरा और बाल सफेद थे। वे बहुत कम कपड़े पहनते थे। कमर पर लंगोटी और सिर पर कबीर पंथी टोपी पहनते थे। मस्तक पर रामानंदी चंदन और गले में तुलसी के जड़ों की माला रहती थी।

5. बालगोबिन भगत की दिन चर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी ?

उत्तर - बालगोबिन भगत अहले सुबह उठकर गंगा स्नान कर आते और गांव के बाहर चबूतरे पर खंजरी बजाकर गाने लगते। कार्तिक मास से फाल्गुन मास तक वे प्रभात फेरी लगाते। अपने खेत जोतते, रोपनी करते। सीधा सरल थी दिनचर्या उनकी। इसलिए लोग अचरज करते।

6. पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषता बताइए।

उत्तर - बालगोबिन गीत मस्ती में गाते थे। उनकी आवाज लोगों को मंत्र मुग्ध कर देती थी। भयंकर सर्दी हो या उमस भरी गर्मी , उनके स्वर की मिठास कम नहीं होती। उनकेे गायन में लोगों को जगाने की क्षमता थी। 

7. कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। उन प्रसंगों का उल्लेख करें।

उत्तर - बालगोबिन भगत सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, ऐसा निम्नलिखित प्रसंगों से पता चलता है --

1. वे अपने इकलौते पुत्र की मृत्यु से विचलित नहीं हुए।

2. वे अपनी पुत्रवधू को रोने के स्थान पर उत्सव मनाने को कहते थे क्योंकि आत्मा परमात्मा के पास चली गई।

3. उन्होंने पुत्र की चिता को अग्नि पुत्रवधू से दिलवाई।

4. समाज की परवाह न करते हुए पुत्र वधू को दूसरी शादी करने का आदेश दिया।

सी.बी. एस. सी. परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्न  - उत्तर

1. बालगोबिन भगत ने पुत्र की मृत्यु पर पुत्र वधू को रोने के स्थान पर उत्सव मनाने को क्यों कहा ?

उत्तर - बालगोबिन भगत मृत्यु को आत्मा परमात्मा का मिलन मानते थे। विरहिन अपने प्रियतम से मिलती है इसलिए यह समय रोने का नहीं, उत्सव मनाने का है।

नेताजी का चश्मा "कहानी भी पढ़ें

कन्यादान कविता पढ़ें 

MCQ multiple choice questions,

 बहुत वैकल्पिक प्रश्न उत्तर

1. बालगोबिन भगत कैसी टोपी पहनते थे ?

क. गांधी टोपी

ख. रामायणी टोपी

ग. रामानंदी टोपी

घ. इनमें से कोई नहीं

उत्तर - घ. इनमें से कोई नहीं

2. बालगोबिन भगत पाठ के रचयिता कौन हैं ?

क. रामवृक्ष बेनीपुरी

ख. फणीश्वरनाथ रेणु

ग. सुंदर बेन जेठा

घ. हरिशंकर परसाई

उत्तर - क. रामवृक्ष बेनीपुरी

3. बालगोबिन भगत किसे अपना गुरु मानते थे ?

क. सूरदास

ख. कबीर दास

ग. रैदास

घ. इनमें से कोई नहीं

उत्तर - ख. कबीर दास

4. बालगोबिन भगत मृत्यु को क्या समझते थे ?

क. आत्मा का मरना

ख. आत्मा परमात्मा का मिलन

ग. घर का त्याग

घ. नया ज्ञानोदय

उत्तर - ख. आत्मा परमात्मा का मिलन

5. पुत्र की मृत्यु के बाद बालगोबिन भगत वधू को कहां भेजना चाहते थे ?

क. काशी

ख. उसके मायके

ग. उसके नाना घर

घ. कहीं नहीं

उत्तर - ख. उसके मायके

बसंत  ऋतु निबंध

नेताजी का चश्मा "कहानी भी पढ़ें

कन्यादान कविता पढ़ें