1 लेखक को क्यों लगता है कि इन सब पिछड़े खयालातों का हमारे घर में गुजर नहीं हो सकेगा? - 1 lekhak ko kyon lagata hai ki in sab pichhade khayaalaaton ka hamaare ghar mein gujar nahin ho sakega?

1 लेखक को क्यों लगता है कि इन सब पिछड़े खयालातों का हमारे घर में गुजर नहीं हो सकेगा? - 1 lekhak ko kyon lagata hai ki in sab pichhade khayaalaaton ka hamaare ghar mein gujar nahin ho sakega?

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By: Team, Chandan Kr Verma

1. लेखक को क्यों लगता है कि इन सब पिछड़े खयालातों का हमारे घर में गुजर नहीं हो सकेगा।
उ. अमरूद के पेड़ को देखकर सबसे पहले बाबू कन्हैयालाल की बूढ़ी पत्नी ने एक दिन टोका कि पश्चिम की तरफ अगर मकान का मुखड़ा हो और सामने ही अमरूद का पेड़ तो 'राम-राम बड़ा अशुभ होता है और माँ के चेहरे पर थोड़ा-सा भय दिखा पर लेखक को विश्वास था कि इन सब पिछड़े खयालातों का हमारे घर में गुजर नहीं हो सकेगा क्योंकि उसके घर के लोग आधुनिक विचारधारा के थे उसकी माँ सत्याग्रह के दिनों में अजमेर में लम्बा जेल कर चुकी है। पिताजी खुद राजनैतिक सामाजिक उदारता वाले आदमी थे। बुआ ने विवाह नहीं किया था, पढ़ने-लिखने में ही अपनी सम्पूर्ण जिन्दगी लगा दी और समाज कोई चुनौती देने का साहस नहीं कर सका। साथ ही परिवार के सभी लोगों में पिछड़ेपन के प्रति भर्त्सना का भाव था।

2. अमरूद के पेड़ की छाया किस प्रकार लेखक को उनके भाई-बहनों के साथ जोड़ती है ?
उ. अमरूद के पेड़ की छाया लेखक को उसके भाई-बहनों के साथ जोड़ती है। वे सभी अमरूद की छाया में बेंत की कुर्सियों पर बैठ चर्चाएँ करते थे जिससे उनके बीच उम्र का फर्क मिट जाता था और दोस्ताना व्यवहार पनपा था।

3. लेखक अपने घर वापस जाकर उदासी का अनुभव क्यों करता है ?
उ. लेखक अपने घर वापस जाकर उदासी का अनुभव करता है क्योंकि अमरूद का पेड़ कट चुका था और जब लेखक और उसके भाई-बहन जिन्दगी की बुलंदी की ओर बढ़ रहे थे तब लेखक की माँ को रूढ़ि और अशुभ के मिथ्या भाव ने पराजित कर दिया था। लेखक के प्रति बड़ों में कोई स्वागत भाव भी नहीं था।

4. लेखक की माँ अमरूद के पेड़ के लगे रहने का क्या दुष्परिणाम मानती थी ?
उ. लेखक की माँ का मन यह मान बैठा था कि बड़ी बहू की अलगाव-भावना, सबसे छोटे का निठल्लापन खुद उनकी बीमारी और लोगों का धंधे से बिखर जाना और कुछ नहीं है, बहुत दिनों तक दरवाजे पर उसी अमरूद के पेड़ के लगे रहने का दुष्परिणाम है जिसे काफी पहले ही लोगों ने अशुभ बताया था।

5. लेखक को मिद् का क्षोभ क्यों अच्छा लगा ? 
उ. लेखक को मिटू का क्षोभ इसलिए अच्छा लगा कि यह क्षोभ वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में निहायत जरूरी है और क्योंकि यह जीवन का परिष्कार करता है, बिस्तर इस क्षोभ का संस्कार हो और उसे स्वयं पोसा तथा सहा भी जा सके।

6. आशय स्पष्ट करें
    सूरज पिछवाड़े के पीपल के ऊपर आ रहा था और जहाँ अमरूद का पेड़ था वहाँ धूप का एक चकत्ता तेजी से बड़ा होता दीख पड़ा।
उ. इस पंक्ति के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि जहाँ पर कभी अमरूद का पेड़ अपनी छाया से शीतलता प्रदान करता था वहाँ उसके कट जाने के बाद शीतलता तो समाप्त हो ही गई हैए धूप अपने बिकराल रूप से वातावरण को गर्म कर रही हैं।

लेखक को क्यों लगता है कि इन सब पिछड़े ख्यालों का हमारे घर में गुजर नहीं हो सकेगा?

अमरूद के पेड़ को देखकर सबसे पहले बाबू कन्हैयालाल की बूढ़ी पत्नी ने एक दिन टोका कि पश्चिम की तरफ अगर मकान का मुखड़ा हो और सामने ही अमरूद का पेड़ तो 'राम-राम बड़ा अशुभ होता है और माँ के चेहरे पर थोड़ा-सा भय दिखा पर लेखक को विश्वास था कि इन सब पिछड़े खयालातों का हमारे घर में गुजर नहीं हो सकेगा क्योंकि उसके घर के लोग ...

लेखक की मां अमरूद के पेड़ के लगे रहने का क्या दुष्परिणाम मानती थी?

Solution : लेखक की माँ अमरुद के पेड़ के लगे रहने का कारण अपने दिल में यह मान बैठी थी कि बड़ी बहु का अलगाव भावना , सबसे छोटे का निठल्लापन , खुद उनकी बिमारियों और लोगों का धंधे से बिखर जाना और कुछ नहीं हैं, बल्कि बहुत दिनों तक दरवाजे पर उसी अमरुद पेड़ के लगे रहने का दुष्परिणाम हैं।

अमरूद के पेड़ का लेखक कौन है?

( ( ( ( जयपाल सिंह मुंडा ।

घर में अमरूद का पेड़ होने से क्या होता है?

दोस्तों यदि आपके घर के अंदर संतान प्राप्त नहीं हो रही है तो अपने घर के आस पास आप अमरूद का पेड़ लगा सकते हैं। यह संतान प्राप्ति मे काफी मददगार होता है। ‌‌‌इन सबके अलावा अमरूद के पेड़ को देखना भी शुभ माना जाता है। यदि कोई उठकर सुबह सुबह अमरूद के पेड़ के दर्शन करता है तो यह काफी शुभ माना जाता है।