आपकी ईश्वर से क्या प्रार्थना है?

  • Prayer in hindi|ईश्वर से प्रार्थना
    • प्रार्थना का अर्थ|prathna Ka arth
      • ईश्वर से प्रार्थना कैसे करें|how to pray to god in hindi
      • प्रार्थना का महत्व |prathna ka mahatva

आपकी ईश्वर से क्या प्रार्थना है?
Pray to god

मानव जीवन का उद्देश्य क्या है ?

प्रार्थना का अर्थ|prathna Ka arth

प्रार्थना का अर्थ है, अपने तन-मन और अंतरात्मा को एकाग्र करके शुद्ध मन या वाणी से परमपिता परमेश्वर को अपने अस्तित्व के लिए धन्यवाद देना। प्रार्थना का अर्थ कुछ मांगना या शिकायत करना नहीं है बल्कि जो है उसके लिए ईश्वर का आभार प्रकट करना। प्रार्थना ईश्वर से संवाद करने का सबसे सरल तरीका है। प्रार्थना की परिभाषा है,आत्मा को परमात्मा से मिलन और अगर ऐसा नही होता तो प्रार्थना करने का कोई औचित्य ही नहीं है। ईश्वर ने मनुष्य को बिना किसी स्वार्थ के उसके जीवन की आवश्यकता के अनुसार‌ सभी चीजों से परिपूर्ण किया है, इसलिए मनुष्य का कर्तव्य है वह ईश्वर को उसकी उदारता के लिए याद करे। परंतु मनुष्य इतना एहसान फरामोश हैं कि वह ईश्वर को तभी याद करता है जब उसे कुछ मांगना होता है या कोई शिकायत करनी होती है। जब मनुष्य सर्वत्र से थक-हारकर असहाय हो जाता है तभी वह ईश्वर से प्रार्थना करता है। दरअसल मनुष्य अपनी महत्त्वकांक्षाओं की मृगतृष्णा में में पागल हो कर अनदेखे अनजाने मार्गो पर सुख और शांति की तलाश में भटकता रहता है। परंतु परम सुख और परम शांति तो ईश्वर को प्राप्त करने से ही मिलती है। प्रार्थना ईश्वर प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को कम से कम सुबह जगने के बाद और सोने से पहले ईश्वर से सच्चे मन से प्रार्थना जरूर करना चाहिए। तो आइए अब हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
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ईश्वर से प्रार्थना कैसे करें|how to pray to god in hindi

हे प्रभु, हे परमेश्वर,हे ईश्वर आपके परम चरणों में आपके इस दास का सादर प्रणाम है। हे प्रभु माना कि हम सब से बहुत भूले हुए होंगी। बहुत अपराध हुए होंगे और आप उन अपराधों से नाराज भी होंगे। लेकिन हे प्रभु आप तो कृपानिधान है, आप तो दया के सागर है। आप कब तक हमें अपने आप से दुुुर रखोगे। कब तक हमें इस संसार में जन्म-जन्मांतर तक भटकाते रहोगे। लेकिन अब और नहीं अब आप अपने इस दास को, इस अधम को अपने चरणों की भक्ति अपने चरणों का आश्रय प्रदान दिजिए ताकि ये भटकना बंद हो जाए। हे प्रभु हम जानते हैं कि हम अज्ञानी कितना भी प्रयत्न कर लें लेकिन आप तक नही पहुंच सकते। लेकिन हे प्रभु आप तो मुुझ तक पहुंच सकते हो। अब आप कहोगे कि तुममें वो गुण भी तो नहीं है तो हे प्रभु माना कि हम पापी है, माना कि हम नालायक है, लेकिन हे प्रभु हम अच्छे-बुरे जैसे भी हैं, आप की ही संतान है। आप हमारे माता-पिता हो और अगर एक पिता अपने बेटे को क्षमा नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा। हे प्रभु हमने सुना है कि जो सच्चे दिल से आप की शरण में आता है। आप उसके सारे गलतियों को माफ करके उसे अपना बना लेेेते हो। इसलिए हम भी आपके शरण में आए हैं इस उम्मीद से की आप हमारे गलतियों को क्षमा करके‌ हमेंं अपने चरणों का दास बना लोगें। हे प्रभु हमने सुना है कि आप अपने भक्तों की पुकार सुनकर दौड़े चले आते हो। आप प्रहलाद के लिए आए, द्रौपदी के लिए आए, गजेंद्र के लिए आए। अब आप हमारी भी पुकार सुन लिजिए। हे प्रभु हमें धन-दौलत, वैभव और ऐश्वर्य कुछ नहीं  चाहिए। हमें तो केवल आपके चरणों की भक्ति चाहिए। हे प्रभु आप हमारे मन को सांसारिक मोहमाया सेेे हटा कर अपने  में चरणों में आकर्षित कर लीजिए, ताकि मेरा मन हर क्षण आपके चरणों में लगा रहे। हे प्रभु आप मुझ अभागे पर कृपा करके अपने हृदय से लगा लीजिए बस आपसे यही प्रार्थना है मेरी।
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प्रार्थना का महत्व |prathna ka mahatva

प्रार्थना का हमारे जीवन में बहुत महत्व है इसलिए विज्ञान पर आधारित डॉक्टर भी जब किसी रोगी का इलाज करने में असमर्थ हो जाते हैं तो रोगी के परिजनों से कहते हैं ईश्वर से प्रार्थना कीजिए । आपने अपने जीवन में कई बार सुना भी होगा कि जहां दवा काम नहीं आती वहां दुआ काम आती है। प्रार्थना करने से हमें

मानसिक शांति

तो मिलती ही है, इसके अलावा हमारे तन-मन में आध्यात्मिक ऊर्जा और

ईश्वरीय शक्ति

का संचार होता है। प्रार्थना करने से हमारे विचारों में सकारात्मकता आती है और हमारे अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है। प्रार्थना डिप्रेशन कम करने में सहायक होता है। प्रार्थना करने से हमारे विचारों में पवित्रता आती है और हम खुद को ईश्वर के करीब पाते हैं। प्रार्थना करने से हमारे मन से भय और असंतोष दुर होता है। प्रार्थना ईश्वर प्राप्ति सबसे सरल मार्ग है। इसी मार्ग पर चल कर प्रहलाद,सुरदास,ध्रुव, मीरा आदि ने ईश्वर को प्राप्त किया था। परंतु प्रार्थना के भी कुछ नियम होते हैं। प्रार्थना हमेशा एकांत में तन‌-मन को शुद्ध और पवित्र करके निश्चल और निस्वार्थ भाव से श्रद्धापुर्वक करना चाहिए। सच्चे दिल से निकली प्रार्थना में आंखों से आंसू बहने लगते हैं। प्रार्थना अगर सच्चे मन में की जाए तो वह निश्चय ही मनुष्य के लिए कल्याणकारी होता है। 

मानवता की परिभाषा क्या है ?

तों दोस्तों हमारी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि ईश्वर आपकी हर प्रार्थना स्वीकार करें। धन्यवाद 🙏

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हमें ईश्वर से क्या प्रार्थना करनी चाहिए?

ईश्वर से अपने दिल की बात कहना ही प्रार्थना है. इससे व्यक्ति अपने या दूसरों की इच्छापूर्ति का प्रयास करता है. वैसे, तंत्र, मंत्र, ध्यान और जाप भी प्रार्थना का ही एक रूप है. प्रार्थना छोटे स्तर पर काम करती है और इसकी वजह से प्रकृति में आपके अनुरूप बदलाव आते हैं .

आप भगवान से क्या प्रार्थना करते हैं?

1. आप भगवान से क्या प्रार्थना करते हैं? उत्तर: हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं, कि तू बड़ा दयालु है, तो तू अपनी कृपा दृष्टि हम पर बनाए रखना। ताकि हम कोई गलत काम ना करें और तू बड़ा ताकतवर है तो सभी लोगों की जो हालात है, उसका खयाल रखें।

हम भगवान से प्रार्थना कैसे करें?

जब मनुष्य इन सब से ऊपर उठकर सिर्फ परमतत्व को पाने के लिए परमात्मा के सामने खड़ा होता है, प्रार्थना तभी घटती है। उस परम को पाने की चाह, हमारे भीतर गूंजते हर शब्द को मंत्र बना देती है, वहां मंत्र गौण हो जाते हैं, हर अक्षर मंत्र हो जाता है। दूसरा कायदा है, प्रार्थना अकेले में नहीं करनी चाहिए, एकांत में करें।

भगवान हमारी कब सुनता है?

प्रार्थना आत्मा की पुकार होती है। प्रार्थना तब होती है जब आप कृतज्ञता महसूस कर रहे होते हैं या आप अत्यंत निस्सहाय या निर्बल महसूस कर रहे होते हैं। इन दोनों ही परिस्थितियों में आपकी प्रार्थना की पुकार सुनी जाएगी। जब आप निःस्सहाय होते हैं तो प्रार्थना अपने आप ही निकलती है।