यथार्थवाद का अंग्रेजी रूपांतरण Realism है। Real शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के realis से हुई है। जिसका अर्थ है वस्तु। इस प्रकार Realism का शाब्दिक अर्थ हुआ वस्तु वाद या वस्तु संबंधी विचारधारा। वस्तुतः यथार्थवाद वस्तु संबंधी विचारों के प्रति एक दृष्टिकोण है जिसके
अनुसार संसार की वस्तुएं यथार्थ है। इस वाद के अनुसार केवल इंद्रीयज ज्ञान ही सत्य है। Realism का मानना है कि ब्रह्म जगत मिथ्या नहीं वरन सत्य है। आदर्शवाद इस सृष्टि का अस्तित्व विचारों के आधार पर
मानता है किंतु इसके अनुसार जगत विचारों पर आश्रित नहीं है। इसके अनुसार हमारा अनुभव स्वतंत्र इतना होकर बाय पदार्थों के प्रति प्रतिक्रिया का निर्धारण करता है। अनुभव बाहय जगत से प्रभावित हैं और बाहय जगत की वास्तविक सकता है। इसके अनुसार मनुष्य को वातावरण का ज्ञान होना चाहिए तथा यह पता होना चाहिए कि वह वातावरण को
परिवर्तित कर सकता है या नहीं और इसी ज्ञान के अनुसार उसे कार्य करना चाहिए। Contents
यथार्थवाद की परिभाषा
यथार्थवाद के मूल सिद्धांतयथार्थवाद के मूल सिद्धांत निम्न है-
यथार्थवाद के प्रमुख रूपयथार्थवाद के निम्नलिखित चार रूप हैं-
यथार्थवादी शिक्षा की प्रमुख विशेषताएंइस प्रकार की शिक्षा की प्रमुख विशेषताएं निम्न है-
यथार्थवाद के सिद्धांत क्या है?यथार्थवाद (realism) से तात्पर्य उस विचारधारा से है जो कि उस वस्तु एवं भौतिक जगत को सत्य मानती है, जिसका हम ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं। पशु, पक्षी, मानव, जल थल, आकाश इत्यादि सभी वस्तुओं का हम प्रत्यक्षीकरण कर सकते हैं, इसलिए ये सभी सत्य हैं, वास्तविक हैं।
यथार्थवाद की मुख्य विशेषताएं क्या है?यथार्थवाद के मूल सिद्धांत
प्रत्यक्ष जगत ही सत्य है– यथार्थ वादियों के मतानुसार केवल प्रत्यक्ष जगत जिसे हम देखते सुनते या अनुभव करते हैं ही सत्य है अर्थात यह भौतिक संसार ही सत्य हैं। इंद्रियां ज्ञान के द्वार हैं– यथार्थ वादियों के अनुसार हमें ज्ञान की प्राप्ति इंद्रियों के माध्यम से प्राप्त संवेदना के आधार पर होती है।
यथार्थवाद कितने प्रकार का होता है?यथार्थवाद एक भौतिकवादी दर्शन है। वस्तु को वास्तविक अथवा यथार्थ मानने के कारण ही इस विचारधारा को वास्तववाद अथवा यथार्थवाद की संज्ञा दी जाती है।. मानववादी यथार्थवाद - इसे एेितहासिक यथार्थवाद कहा गया। ... . समाजिकतावादी यथार्थवाद - इस विचारधारा ने पुस्तकीय अध्ययन का विरोध किया।. यथार्थवादी सिद्धांत का प्रवर्तक कौन है?इसे सुनेंरोकेंवैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक महर्षि कणाद ने द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय एवं अभाव इन सात पदार्थों पर विचार किया है। न्याय एवं वैशेषिक को यहाँ यथार्थवादी कहा गया है किन्तु दोनों ही मुक्ति पर विश्वास करते हैं। अपने विवेचन में यह यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाते हैं, इसीलिए इन्हें यथार्थवाद कहा गया है।
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