भारत में महिलाओं की स्थिति
कार्य का रूप एवं सीमा, राजनीतिक भागीदारी, शिक्षा का स्तर, स्वास्थ्य की स्थिति, निर्णयकारी निकायों में प्रतिनिधित्व, संपत्ति तक पहुँच आदि कुछ प्रासंगिक संकेतक हैं, जो समाज में व्यक्तिगत सदस्यों की स्थिति को प्रकट करते हैं। हालाँकि समाज के सभी सदस्यों की, विशेष रूप से महिलाओं की उन कारकों तक एकसमान पहुँच नहीं रही है, जो स्थिति के इन संकेतकों का गठन करते हैं। Show
पितृसत्तात्मक मानदंड भारतीय महिलाओं के शिक्षा एवं रोज़गार विकल्पों को—जिनमें शिक्षा प्राप्त करने के विकल्प से लेकर कार्यबल में प्रवेश और कार्य की प्रकृति तक सब शामिल हैं, को सीमित या प्रतिबंधित करते हैं। इस परिदृश्य में देश की लगभग आधी आबादी और नागरिकता की हिस्सेदार महिलाओं की स्थिति पर विचार करना प्रासंगिक होगा कि वर्तमान में स्वतंत्रता, गरिमा, समानता और प्रतिनिधित्व के संघर्ष में वे कहाँ खड़ी हैं। महिला सशक्तीकरण के बारे में संविधान क्या कहता है?
भारत में वे कौन-से क्षेत्र हैं जहाँ महिलाओं ने असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है?
भारत में महिलाओं से संबंधित चिंता के वर्तमान क्षेत्र
महिला सशक्तीकरण से संबंधित प्रमुख सरकारी योजनाएँ
आगे की राह
अभ्यास प्रश्न: भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में कौन-सी बाधाएँ मौजूद हैं? महिला सशक्तीकरण से संबंधित कुछ प्रमुख सरकारी पहलों पर प्रकाश डालें। UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न: स्वाधार और स्वयं सिद्ध महिलाओं के विकास के लिये भारत सरकार द्वारा शुरू की गई दो योजनाएँ हैं। उनके बीच अंतर के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये : (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मुख्य परीक्षा प्रश्न 1: “महिलाओं का सशक्तीकरण जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है।” विवेचना कीजिये। (2019) प्रश्न 2: भारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की चर्चा कीजिये? (2015) प्रश्न 3: महिला संगठन को लैंगिक पूर्वाग्रह से मुक्त बनाने के लिये पुरुष सदस्यता को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। टिप्पणी कीजिये। (2013) भारत में महिलाओं की प्रमुख समस्या क्या है?असमान लिंगानुपात, स्त्रियों की औसत आयु में कमी एवं मृत्यु-दर की अधिकता के लिए बाल विवाह, प्रसवकाल में स्त्रियों की मृत्यु, स्त्रियों की आर्थिक परनिर्भरता, लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को अधिक महत्व देना, कुपोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव आदि उत्तरदायी है।
आज के समय में महिलाओं की स्थिति क्या है?भारत में महिलाओं की स्थिति सदैव एक समान नही रही है। इसमें युगानुरूप परिवर्तन होते रहे हैं। उनकी स्थिति में वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक अनेक उतार - चढ़ाव आते रहे हैं तथा उनके अधिकारों में तदनरूप बदलाव भी होते रहे हैं। वैदिक युग में स्त्रियों की स्थिति सुदृढ़ थी , परिवार तथा समाज में उन्हे सम्मान प्राप्त था।
महिलाओं की स्थिति क्या है?भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक, भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है।
समाज में महिलाओं की स्थिति के मुख्य कारण क्या है?महिलाओं की स्थिति जानने का आधार मुख्य रूप से उनका सामाजिक आदर, शिक्षा व्यवस्था, परिवार में स्थान, लैंगिक भेदभाव का न होना, रूढ़ियों एवं कुप्रथाओं का न होना, आर्थिक संसाधनों पर नियन्त्रण, निर्णय लेने की क्षमता का प्रयोग एवं स्वतन्त्रता आदि में निहित होता है।
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