वर्ण विचार प्रश्न उत्तर Class 5 - varn vichaar prashn uttar chlass 5

NCERT Solutions for Class 5 Hindi Grammar Chapter 2 वर्ण विचार (Varn Vichar) updated for CBSE and State board students for the academic session 2022-2023. We have explained all terms related to Varn and Varnmala. Students can practice here with definitions and examples to clear their doubts.

Class 5 Hindi Grammar Chapter 2 Varn Vichar

कक्षा: 5 हिंदी व्याकरण
अध्याय: 2 वर्ण विचार

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वर्ण-विचार

भाषा की सबसे छोटी इकाई तथा मूल ध्वनि वर्ण होते हैं। बोलते वक्त हमारे मुँह से ध्वनियाँ निकलती हैं जिन्हें लिखने के लिए भाषा में कुछ चिह्न निश्चित किए गए हैं। इन चिह्नों को वर्ण कहा जाता है।
रोहन आया। इस वाक्य में रोहन शब्द में रो + ह + न ध्वनियाँ हैं।
इनमें भी कई ध्वनियाँ हैं:

    • रोहन (र् + ओ +ह् + अ + न् + अ)
    • अनार (अ + न् + आ + र + अ)

ये रोहन सबसे छोटी ध्वनियाँ हैं। इन्हें और टुकड़े नहीं किए जा सकते। वर्ण वह छोटी से छोटी ध्वनि है, जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते। जैसे: अ, क, द आदि।
हिंदी भाषा में चवालीस (44) वर्ण हैं। वर्णों का व्यवस्थित समूह वर्ण माला कहलाता है। समस्त वर्णों को एक साथ लिखने से वर्ण माला बनती है।

मानक हिंदी की वर्णमाला इस प्रकार है:

स्वर

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ

व्यंजन

क्, ख्, ग्, घ्, ङ्,
च्, छ्, ज्, झ्, ञ्,
ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्, ड़, ढ़,
त्, थ्, द्, ध्, न्,
प्, फ्, ब्, भ्, म्,
य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह

कुछ अन्य वर्ण: अं अः ड़ ढ़ ऑ ज़ फ़
अं और अः अयोगवाह स्वर है।
ऑ, ज़, फ़ आगत ध्वनियाँ है, जिन्हें दूसरी भाषाओं से लिया गया है
ङ, ञ, ण, न, म पंचम वर्ण कहलाते है।

वर्ण के भेद

वर्ण दो प्रकार के होते हैं:
1. स्वर
2. व्यंजन

स्वर

जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से और किसी अन्य ध्वनि की सहायता लिए बिना किया जाता हैं, वे स्वर वर्ण कहलाते हैं। हिंदी भाषा में इनकी संख्या ग्यारह हैं। ये दो तरह से लिखे जाते हैं:
(क) अपने मूल रूप में- अ, आ, इ, ई आदि।
(ख) मात्रा के रूप में- किसी व्यंजन के साथ मिलाकर। जैसे- क् + आ = का, क् + इ = कि आदि।

स्वर के तीन भेद हैं:

1. ह्रस्व स्वर

जिन स्वरों का उच्चारण सबसे कम समय में होता है, उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। ह्रस्व स्वर चार हैं
अ, इ, उ, ऋ

2. दीर्घ स्वर

जिन स्वरों का उच्चारण करने में ह्रस्व स्वरों से दुगुना लगता है। उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।
आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

3. प्लुत स्वर

इनके उच्चारण में ह्रस्व और दीर्घ स्वरों के उच्चारण से तिगुना समय लगता है। जैसे ओउम् प्लुत स्वर एक ही है।
अनुस्वार
इनका उच्चारण नाक से होता है। जैसे: कंगन, दंगल, जंगल आदि। इसका चिह्न ( • ) होता है।

अनुनासिक

इसका उच्चारण नाक और गले दोनों से होता है। जैसे: चाँद, गाँधी, आँगन, आदि। इसका चिह्न ( ) होता है।
विसर्ग- (:) इसका उच्चारण ‘ह’ के समान होता है जैसे: प्रातः, अतः, दु:ख।
अर्धचंद्र ( ) इसका उच्चारण ‘आ’ तथा ‘ओ’ के मध्य की ध्वनि के रूप में होता है। इसका प्रयोग अंग्रेजी के शब्दों को देवनागरी लिपि में लिखने में किया जाता है। जैसे- डॉक्टर, कॉलेज, ऑफिस।

स्वर तथा उनकी मात्राएँ

हर स्वर की एक मात्रा होती है। वैसे स्वर अपने मूल रूप में भी प्रयोग किए जाते हैं। जैसे- अब, अनार, आम आदि। व्यंजनों के साथ आने पर स्वर मात्रा रूप में आते हैं। जैसे: कान (आ), चील (ई) आदि। ‘अ’ ऐसा स्वर है जो हर व्यंजन में मिला रहता है उसकी अलग से कोई मात्रा नहीं होती। ‘क’ बोलकर देखिए। ‘क्’ + ‘अ’ हम इसका यह रूप बोलते हैं। इसी तरह सभी व्यंजन ‘अ’ के साथ बोले जाते हैं।
विशेष: ‘र’ के साथ ‘उ’ और ‘ऊ’ की मात्रा का प्रयोग इस प्रकार किया जाता है
रूक = र् + उ + क् + अ रूप = र + ऊ + प् + अ

व्यंजन

व्यंजन स्वतंत्र नहीं होते। इन्हें बोलने के लिए स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है। इनकी संख्या तैंतीस हैं।

संयुक्त व्यंजन

ऐसे व्यंजन जो दो व्यंजनों से मिलकर बनते हैं, उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं। जैसे:
क् + ष = क्ष = भिक्षा, क्षमा
त् + र = त्र त्रिशूल, त्रिभुज
ज् + अ = ज्ञ = संज्ञा, विज्ञान
श् + र = श्र श्रमिक, विश्राम

दवित्व व्यंजन

जब एक व्यंजन अपने जैसे दूसरे व्यंजन से मिलता है तो उसे दवित्व व्यंजन कहते हैं। इन्हें व्यंजन-गुच्छ भी कहते हैं। जैसे:
क् + क = पक्का
च् + च = कच्चा
ट् + ट = मिट्टी, पट्टी
ड्ड + ड = लड्डू
द् + द = खद्दर

संयुक्ताक्षर

दो अलग-अलग व्यंजनों के मिलने से बने अक्षर संयुक्ताक्षर कहलाते हैं। जैसे:
प + प = ण्य (प्यारा, प्यास)
त् + य = त्य (त्योहार, त्याग)
क् + य = क्य (क्यारी, क्योंकि)
च् + छ = च्छ = स्वच्छ, अच्छा

संयुक्ताक्षर लिखने की विधि

1. पाई हटाकर
जैसे- प्यार, अच्छा, विश्व, ध्यान स्वतंत्रता आदि।
2. हलंत (्) लगाकर
बिना पाई वाले व्यंजनों को हलंत (्) लगाकर उनका अरहित रूप दिखाया जाता है। जैसे- लटू, चिट्ठी आदि।
3. पाई हटाकर
‘क’ ‘फ’ जैसे वर्गों में अंत का लटका हुआ गोल हिस्सा कट जाता है। जैसे- भक्त, दफ्तर मक्खी आदि।
संयुक्ताक्षरों का हलंत लगाकर लिखना

वर्ण विच्छेद

“विच्छेद” का अर्थ है- “अलग करना”। शब्द के प्रत्येक वर्ण को अलग करना वर्ण-विच्छेद कहलाता है। जैसे:
माता – म् + आ + त् + आ
रक्षा – र + अ + क् + ष + आ
अंगूर – अं+ ग् + ऊ + र + अ
प्रेम – प् + र + ए + म् + अ
ट्रक – ट् + र् + अ + क् + अ
शर्म – श + अ +र + म + अ

स्मरणीय तथ्य

    • मुख से बोली जाने वाली सबसे छोटी ध्वनि वर्ण कहलाती है। इसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते।
    • समस्त वर्णों को एक साथ, क्रमानुसार लिखने से वर्णमाला बनती है।
    • वर्ण के दो भेद है-स्वर और व्यंजन।।
    • स्वर तीन प्रकार के होते हैं-हस्व, दीर्घ और प्लुत। अं, अ: आयोगवाह कहलाते है।
    • स्वरों के लिए निर्धारित चिह्न मात्राएँ कहलाते हैं।
    • दो समान व्यंजनों के मेल से बने व्यंजन द्वित्व व्यंजन कहलाते हैं।
    • शब्द के प्रत्येक वर्ण को अलग करके लिखना वर्ण-विच्छेद कहलाता है।

वर्ण और वर्णमाला से आप समझते हैं?

भाषा की सबसे छोटी इकाई तथा मूल ध्वनि वर्ण होते हैं। बोलते वक्त हमारे मुँह से ध्वनियाँ निकलती हैं जिन्हें लिखने के लिए भाषा में कुछ चिह्न निश्चित किए गए हैं। इन चिह्नों को वर्ण कहा जाता है।
वर्णों का व्यवस्थित समूह वर्ण माला कहलाता है। समस्त वर्णों को एक साथ लिखने से वर्ण माला बनती है।

स्वर क्या है? और स्वर कितने प्रकार के होते हैं?

जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से और किसी अन्य ध्वनि की सहायता लिए बिना किया जाता हैं, वे स्वर वर्ण कहलाते हैं। हिंदी भाषा में इनकी संख्या ग्यारह हैं।
स्वर सात प्रकार के होते हैं:
1. ह्रस्व स्वर,
2. दीर्घ स्वर,
3. प्लुत स्वर,
4. अनुस्वार,
5. अनुनासिक,
6. विसर्ग,
7. अर्धचंद्र।

व्यंजन से आप क्या समझते हैं?

व्यंजन वे शब्द हैं जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से नहीं कर सकते। इन्हें बोलने के लिए स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है। इनकी संख्या तैंतीस हैं।