तीसरी क्लास के बच्चों की पढ़ाई - teesaree klaas ke bachchon kee padhaee

तीसरी क्लास के बच्चों की पढ़ाई - teesaree klaas ke bachchon kee padhaee

छोटे बच्चे करीब दो साल बाद स्कूल पहुंचे हैं तो आसान सी पढ़ाई भी उन्हें पहाड़ लग रही है. (फोटो साभार सोशल मीडिया)

कोरोना महामारी की वजह से 23 मार्च 2020 को लगे लॉकडाउन के करीब दो साल बाद छोटे बच्चों के स्कूल खुले हैं. बड़े प्राइवेट स्कूलों के संपन्न परिवारों की बात छोड़ दें तो सरकारी स्कूलों के अधिकतर बच्चे सामान्य गुणा-भाग भी भूल गए हैं. अब टीचर परेशान हैं कि उनका सिलेबस कैसे पूरा कराएं.

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  • News18Hindi
  • Last Updated : June 04, 2022, 08:37 IST

नई दिल्ली. कोरोना महामारी ने सिर्फ लोगों की सेहत को ही नहीं, बल्कि हर तरफ से चोट पहुंचाई है. स्कूल के बच्चे भी इसकी मार से बच नहीं सके हैं. उनकी पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है, खासकर छोटे बच्चों की. अब जब करीब दो साल के बाद उन्होंने स्कूल जाना शुरू किया तो आसान सी पढ़ाई भी उन्हें किसी पहाड़ से कम नहीं लग रही. गणित उनके सामने हौव्वा बनकर खड़ा हो गया है. 5वीं के स्टूडेंट्स को गणित के मामूली गुणा-भाग भी किसी पहेली से कम नहीं लग रहे हैं. कई बच्चों की तो ये स्थिति है कि उन्हें बेसिक नंबर तक पहचानने में परेशानी आ रही है. इस सबके बीच टीचर इस बात को लेकर परेशान हैं कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाए. कैसे साल का कोर्स पूरा कराया जाए.

कोरोना महामारी की वजह से 23 मार्च 2020 को पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया था. देखते ही देखते पूरा देश घरों में कैद हो गया था. इस बीच कई बार कोरोना आया और कमजोर हुआ, लेकिन स्कूल बंद ही रहे. सुविधा संपन्न स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई करवाई. लेकिन सरकारी स्कूलों में संसाधनों का अभाव साफ नजर आया. यहां के बच्चों के पास न लैपटॉप था, न फोन तो ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करते. हफ्ते में एकाध वर्कशीट उनके माता पिता के फोन पर भेज दी जाती, जिससे बच्चे पढ़ लेते. लेकिन इसकी वजह से उनकी पढ़ाई, लिखाई, सोचने और सीखने की क्षमता पर बहुत ही असर पड़ा. अब जब करीब दो साल के बाद छोटे बच्चों ने स्कूल जाना शुरू किया तो असल दिक्कत उनके सामने आकर खड़ी हो गई.

इंडियन एक्सप्रेस ने दिल्ली में कालका जी के सरकारी स्कूल वीर सावरकर सर्वोदय कन्या विद्यालय में 5वीं की एक क्लास के बच्चों की स्थिति को लेकर रिपोर्ट दी है. इसके मुताबिक, क्लास में 38 बच्चे हैं, जिनमें 20 लड़कियां और 18 लड़के हैं. पिछली बार जब से स्कूल आए थे, तब दूसरी क्लास में थे. अब 5वीं में आ चुके हैं. इन सभी के सामने पहाड़ जैसा सिलेबस खड़ा है, लेकिन शुरुआत करने में ही इनके पसीने छूट रहे हैं. क्लास टीचर नेहा शर्मा ने देखा कि बच्चे साधारण गुणा-भाग तक नहीं कर पा रहे हैं. दो नंबर की संख्या से भाग देने में वो चकरा जाते हैं. एक बच्चे की तो ये हालत है कि वो संख्या पहचानना तक भूल गया है.

टीचर नेहा ने बच्चों का एक बेसिक असेसमेंट किया, जिसके चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. उन्होंने देखा कि 5वीं क्लास के इन 38 में से 20 बच्चों का लेवल तीसरी क्लास का है. वो भाग के सिर्फ साधारण सवाल ही हल कर सकते हैं. दो बच्चे ऐसे थे, जो दो नंबर वाली संख्या को घटाने के सवाल कर पाते हैं, लेकिन इनके भाग के सवाल नहीं कर पाते. 38 में से 14 बच्चों का लेवल पहली क्लास के बच्चों जैसा है. वो 10 से लेकर 99 तक की संख्या को भी नहीं समझ पा रहे हैं. एक बच्चा ऐसा है जो सिर्फ 0 से लेकर 9 तक के नंबर ही पहचान पाता है.

ये समस्या सिर्फ एक स्कूल की एक क्लास की नहीं है. देश के अधिकतर सरकारी स्कूलों के टीचर कमोबेश इसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं. बच्चों की पढ़ाई चौपट हो चुकी है. सिलेबस अपनी जगह है. टीचरों के सामने परेशानी ये है कि वो किस तरह से बच्चों को पढ़ाएं कि सिलेबस पूरा हो पाए.

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Tags: Coronavirus, School

FIRST PUBLISHED : June 04, 2022, 08:37 IST

Publish Date: | Thu, 03 Mar 2022 02:15 PM (IST)

बिलासपुर। Bilaspur Education News: कोरोना संक्रमण काल की पहली से लेकर तीसरी लहर के दौरान स्कूलों में अध्ययन अध्यापन पूरी तरह ठप रहा। आनलाइन क्लास के जरिए शिक्षक बच्चों को पढ़ाते रहे हैं। आनलाइन पढ़ाई के बाद भी ऐसा माना जा रहा है कि बच्चों में अध्ययन अध्यापन के प्रति उत्सुकता नहीं जगा पाए। इसे लेकर पालकों की चिंता भी बढ़ी है। शिक्षा विभाग ने अब इस ओर ध्यान देना शुरू किया है। लर्निंग रिकवरी अभियान के जरिए बच्चों में एक बार फिर पढ़ाई के प्रति रझान जगाने की कोशिशें शुरू हो गई है।

राज्य शासन के निर्देशों पर गौर करें तो लर्निंग रिकवरी के जरिए पढ़ाई में पढ़ाई के प्रति एक बार फिर स्र्झान पैदा करने की कोशिश शुरू हो गई है। जिला शिक्षाधिकारी से लेकर विकासखंड शिक्षाधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। विकासखंड शिक्षाधिकारियों को पुरानी व नई पद्धति के अनुसार अभियान चलाने और बच्चों को इस अभियान से गंभीरतापूर्वक जोड़ने का निर्देश जारी किया है।

खास बात ये कि इस अभियान में बच्चों के साथ ही पालकों की सहभागिता भी सुनिश्चित कराने कहा गया है। पालकों की सहमति को जस्र्री माना गया है। लर्निंग रिकवरी के दौरान बच्चों को आफलाइन पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए पालकों की सहमति जस्र्री है। पालक सहमत होंगे तभी बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल जाएंगे। लिहाजा सबसे पहले पालकों को इसके लिए तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। स्कूलों में बीते दो वर्ष से बंद आफलाइन पढ़ाई की भरपाई के लिए लर्निंग रिकवरी अभियान की शुस्र्आत की जा रही है।

सर्वे रिपोर्ट चिंताजनक

कोरोना संक्रमणकाल के दौरान राज्य शासन ने आनलाइन पढ़ाई को लेकर सर्वे कराया था। सर्वे में इस बात की पुष्टि हुई है कि बच्चों में पढ़ाई के प्रति स्र्झान ें काफी कमी आई है। संक्रमण के दौर में जो स्थिति बनी और डर का माहौल कायम रहा उसे भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। अधिकांश घरों में कोरोना का संक्रमण और विालय बंद होने के कारण भी बच्चों के मन में पढ़ाई के प्रति स्र्झान में कमी आना बताया गया है। जानकारी के अनुसार लर्निंग रिकवरी अभियान 14 मई तक चलाया जाएगा। इस दौरान कोशिश की जाएगी कि बच्चों का मन पढ़ाई के प्रति लगे और विालय खुलने की स्थिति में अध्ययन अध्यापन के लिए विालय भी पहुंचे।

Posted By: sandeep.yadav

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थर्ड क्लास के बच्चों को क्या क्या पढ़ना चाहिए?

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2020 Jul 5..

बच्चे अच्छे से पढ़ाई कैसे कर सकते हैं?

3- अगर किसी विषय में रुचि न हो तो भी उसे पढ़ने में दिल नहीं लगता है. ऐसे विषयों में रुचि बढ़ाने के लिए उन्हें रोजाना 4-5 घंटे पढ़ने की आदत डालें. 4- अपने आस-पास किताबों का ढेर होने की वजह से भी पढ़ाई से मन ऊबने लगता है. इसलिए स्टडी टेबल पर सिर्फ वही किताब रखें, जिससे आप पढ़ाई कर रहे हैं.

चौथी क्लास के बच्चे को कैसे पढ़ाएं?

अब बच्चे पहाड़ों में मज़े से पैटर्न ढूंढ पाने की स्थिति में होंगे । आप उनसे 10 10 को ग्रिड पूरा करने को कह सकते हैं। हर खाने में बच्चे को खाने की लाइन की संख्या और उसकी स्तम्भ की संख्या का गुणनफल भरना होगा ।

तीसरी की किताब कैसे भरते हैं?

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2021 Aug 28..