नमस्कार दोस्तों ! आज हम आपसे RitiKal | रीतिकाल काव्य धारा का नामकरण एवं विभाजन के बारे में चर्चा करने जा रहे है। इसमें रीतिकाल के प्रमुख कवि एवं उनकी काव्य धाराओं का तुलनात्मक अध्ययन, रीतिकाल के प्रवर्तक, रीतिकाल की कविताओं की प्रमुख विशेषताएं और इसके बारे में परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य आदि पर नज़र डाल रहे है। तो आइए RitiKal | रीतिकाल काव्य धारा के बारे में विस्तार से जानते है। Show
RitiKal | रीतिकाल : हिंदी साहित्य के विकास क्रम में रीतिकाल एक महत्वपूर्ण काल है। इस काल में काव्य के कला पक्ष पर अधिक सूक्ष्मता और व्यापकता के साथ कार्य किया गया है। इस काल में श्रृंगार रस की प्रधानता है। रीति काल का समय 1643 ई. से 1843 ई. माना जाता है। रीति शब्द से तात्पर्य : काव्यांगों की बंधी बंधाई परिपाटी का अनुसरण करना। रीतिबद्ध और रीति सिद्ध कवि इस परिभाषा में आ जाते हैं। रीतिमुक्त पर जो परिभाषा लागू है : आचार्य वामन के अनुसार :
वे आगे विशिष्ट शब्द को स्पष्ट करते हुए लिखते हैं :
विशेषो गुणात्मा: अर्थात् – विशिष्ट पद रचना ही रीति है। रीतिमुक्त कविता का अंत: भाव इस परिभाषा में हो जाता है। RitiKal | रीतिकाल का नामकरणRitiKal | रीतिकाल का नामकरण : रीतिकाल का नामकरण करने वाले प्रथम विद्वान ग्रियर्सन है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीति शब्द इन्हीं से ग्रहण किया है।
RitiKal | रीतिकाल के प्रवर्तकRitiKal | रीतिकाल के प्रवर्तक : डॉ. नगेंद्र ने रीतिकाल का प्रवर्तक केशवदास को माना है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिकाल का अखंडित प्रवर्तक चिंतामणि त्रिपाठी को माना है।
RitiKal | रीतिकाल के कवियों का विभाजनRitiKal | रीतिकाल के कवियों का विभाजन : रीतिकाल में कवियों की तीन धाराएं बनती है :
1. रीतिबद्ध कवि | Ritibadh Kavi :रीतिबद्ध कवि से आशय है : रीति से आबंद्ध।
2. रीतिसिद्ध कवि | Ritisidh Kavi :
3. रीतिमुक्त कवि | Ritimukt Kavi :
RitiKal | रीतिकाल काव्य धारा का तुलनात्मक अध्ययन :आइये रीतिकाल के कवियों की तीनों धाराओं को अच्छे से समझने के लिए तुलनात्मक अध्ययन करते है :
Ritimukt | रीतिमुक्त कविता की विशेषताएंरीतिमुक्त कवियों को स्वच्छंद कवि कहा जाता है। स्वच्छंदतावाद से तात्पर्य : असल में स्वच्छंदतावाद एक विद्रोह है – जड़ शास्त्रीयता एवं प्रणाली बद्धता के खिलाफ; जो भावधारा को गतकालिक एवं निष्प्राण बना देता है। स्वच्छंदतावाद का मार्ग प्रकृति और लोकजीवन के मध्य से गुजरता है, जो काव्य को ताजगी प्रदान करता है। रीतिमुक्त कविता की प्रमुख विशेषताओं को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते है :
RitiKal | रीतिकाल से कुछ महत्वपूर्ण तथ्यरीतिकाल से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य आपके लिए परीक्षा की दृष्टि से बहुत उपयोगी है। जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है। ये कुछ इस प्रकार से है :
इसप्रकार दोस्तों ! उम्मीद करते है कि आपको रीतिकाल और उसकी प्रमुख काव्य धारा के बारे में समझ में आया होगा। अब आपको RitiKal | रीतिकाल काव्य धारा का नामकरण एवं विभाजन के सन्दर्भ में अच्छी जानकारी हो गयी होगी।हम आगे के नोट्स में रीतिकाल के प्रमुख कवियों का अध्ययन करेंगे। यह भी जरूर पढ़े :
एक गुजारिश :दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “RitiKal | रीतिकाल काव्य धारा का नामकरण एवं विभाजन” के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I नोट्स अच्छे लगे हो तो अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले I नोट्स पढ़ने और HindiShri पर बने रहने के लिए आपका धन्यवाद..! रीतिकाल की प्रमुख धाराएं कौन कौन सी हैं?RitiKal | रीतिकाल के कवियों का विभाजन : रीतिकाल में कवियों की तीन धाराएं बनती है :. रीतिबद्ध कवि. रीतिसिद्ध कवि. रीतिमुक्त कवि. रीतिकाल को कितनी धाराओं में बांटा गया है?आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को 'श्रृंगारकाल' नाम देते हुए उसे तीन वर्गां में विभाजित किया- 1. रीतिबद्ध 2. रीति सिद्ध 3. रीतिमुक्त।
रीति काव्य धारा क्या है?रीतिबद्ध काव्यधारा उन कवियों की है जिन्होंने राजाओं (उनकी पत्नी या प्रेमिकाओं) को शास्त्रीय ज्ञान देने के लिए लक्षण ग्रंथों की रचना की। ये कवि पहले संस्कृत से काव्य लक्षण या सिद्धांत का अनुवाद ब्रज भाषा में करते, उसके बाद उदाहरण के रूप में कविता लिखते थे।
रीतिकाल की दो प्रमुख विशेषताएं क्या है?(1) आचार्यत्व प्रदर्शन की प्रवृत्ति- यह इस काल की मुख्य विशेषता कही जा सकती है। इस काल के प्रायः सभी कवि आचार्य पहले थे और कवि बाद में । उनकी कविता पांडित्य के भार में दबी हुई है। (2) श्रृंगारप्रियता-यह इस काल की दूसरी मुख्य प्रवृत्ति है।
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