प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग पृथक करने के लिए क्या किया जाता है? - prabhaajee aasavan vidhi ka prayog prthak karane ke lie kya kiya jaata hai?

प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग पृथक करने के लिए क्या किया जाता है? - prabhaajee aasavan vidhi ka prayog prthak karane ke lie kya kiya jaata hai?

01. आसवन विधि (Aasvan Vidhi) किसे कहते हैं?

उत्तर- जब दो द्रवो के क्वथनांक में अंतर अधिक होता है, तो उसके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक करते हैं। 

अर्थात यह द्रवो के मिश्रण को अलग करने की विधि है। इसका प्रथम भाग वाष्पीकरण (Vaporisation) एवं दूसरा भाग संघनन Condensation) कहलाता है

02. आसवन विधि कितने प्रकार के होते हैं? 

उत्तर- आसवन विधि मुख्यत: 3 प्रकार के होते हैं

I. प्रभाजित आसवन

II. निर्वात आसवन

III. भंजक आसवन

I. प्रभाजी आसवन (Fractional distillation) क्या हैं? 

उत्तर- जब दो बाष्पशील कार्बनिक द्रवों के बीच का अन्तर लगभग 40॰ C या इससे कम होता है, तब उनका शोधन व प्रथक्करण प्रभाजी आसवन विधि द्रारा किया जाता है, प्रभाजी आसवन विधि एक औद्योगिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी मिश्रण के अवयवों को अलग-अलग किया जाता है। यह आसवन की एक विशिष्ट विधि है।

उदाहरण- डीजल, पेट्रोलियम से पेट्रोल, केरोसिन एवं अन्य घटकों को इसी विधि से अलग किया जाता है।

II. निर्वात आसवन (Vacuum distillation) क्या हैं?

उत्तर- निर्वात आसवन, एक आसवन प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत आसुत होने वाले तरल मिश्रण के ऊपर के दाब को इसके वाष्प दाब से कम कर दिया जाता है (आमतौर पर वायुमंडलीय दाब से कम) जिसके कारण सबसे अधिक वाष्पशील द्रवों (जिनका क्वथनांक सबसे कम होता है) का वाष्पीकरण होता है।

निर्वात आसवन के कुछ उदाहरण और उपयोग - 

• सौ प्रतिशत शुद्ध हाइड्रोजन परॉक्साइड सर्वप्रथम रिचर्ड वोल्फेन्स्टीन ने 1894 में निर्वात आसवन के द्वारा प्राप्त की

• निर्वात आसवन, फ्रीज ड्राइंग आदि रासायनिक प्रक्रियाओं में

• एक निर्वात आसवन के माध्यम से किया जाता है, कम तापमान पर पहले किण्वित शराब स्टेनलेस स्टील के टैंक और एक नियंत्रित तापमान पर प्रदान की

III. भंजक आसवन (Destructive distillation) क्या हैं?

उत्तर- भंजक आसवन वह रासायनिक प्रक्रम है जिसमें उच्च ताप पर गरम करने के कारण काष्ठ आदि पदार्थ अपघतित हो जाते हैं। प्रायः यह शब्द कार्बनिक पदार्थों को हवा की अनुपस्थिति या बहुत कम आक्सीजन की उपस्थिति में सम्साधित करने को कहते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा बड़े अणु टूट जाते हैं। कोक, कोयला गैस, गैस कार्बन, कोलतार तथा अमोनिया लिकर आदि कोयले के भंजक आसवन के बाद प्राप्त किये जाते हैं।

03. व्यापारिक रूप से आसवन के कुछ उपयोग लिखए?

उत्तर- व्यापारिक रूप से आसवन के कई उपयोग है-

• क्रूड ऑयल के प्रभाजी आसवन से ईंधन और अन्य अनेकों पदार्थ प्राप्त होते हैं।

• आसवन के द्वारा वायु को इसके अवयवों (आक्सीजन, नाइट्रोजन, आर्गान आदि) में विभाजित किया जाता है जो औद्योगिक उपयोग में आतीं हैं।

• औद्योगिक रसायन के क्षेत्र में, रासायनिक संश्लेषण द्वारा निर्मित किये गये द्रवों को आसवित करके अलग किया जाता है।

• किण्वित उत्पादों का आसवन करने से आसवित पेय प्राप्त होते हैं जिनमें अल्कोहल की मात्रा अधिक होती है।

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प्रभाजी आसवन विधि का उपयोग तरलीय पदार्थों के शुद्धिकरण के लिए किया जाता है जब ____________ होता है

  1. उनके क्वथनांक में कम अंतर (25 ° C से कम)
  2. उनके क्वथनांक में कोई अंतर नहीं होता
  3. तरल के क्वथनांक में अथिक अंतर (25 ° C से अधिक)
  4. गलनांक में कम अंतर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : उनके क्वथनांक में कम अंतर (25 ° C से कम)

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स्पष्टीकरण:

सही विकल्प उनके क्वथनांक में कम अंतर (25 ° C से कम) है।

प्रभाजी  आसवन:

  • आसवन विधि का उपयोग उनके क्वथनांक में पर्याप्त अंतर रखने वाले तरल पदार्थ को अलग करने के लिए किया जाता है। अलग-अलग तापमानों पर अलग-अलग क्वथनांक वाले तरल पदार्थ वाष्प बनाते हैं, वाष्प को ठंडा किया जाता है और जो तरल पदार्थ बनते हैं, उन्हें अलग-अलग एकत्र कर लिया जाता है।
  • यदि दो तरल पदार्थों के क्वथनांक में अधिक अंतर ना हो, तो उन्हें अलग करने के लिए सरल आसवन का उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस तरह के तरल पदार्थ के वाष्प एक ही तापमान सीमा के भीतर बनते हैं और एक साथ संघनित हो जातें हैं।
  • प्रभाजी आसवन की तकनीक का प्रयोग तब किया जाता है जहां मिश्रण के वाष्प संघनन से पहले तरल प्रभाजक स्तंभ के माध्यम से निकल जातें हैं। प्रभाजक स्तंभ को गोल तल फ्लास्क के मुंह पर फिट किया जाता है।
  • कम क्वथनांक वाले तरल के वाष्प से पहले उच्च क्वथनांक वाले तरल के वाष्प संघनित हो जातें हैं। जब तक वाष्प प्रभाजक स्तंभ के शीर्ष तक पहुँचते हैं, तब तक ये अधिक अस्थिर घटक से भर जातें हैं।
  • प्रभाजक स्तंभ बढ़ते वाष्प और घटते संघनित तरल के बीच ऊष्मा विनिमय के लिए कई सतहें प्रदान करता है।
  • प्रभाजी आसवन के तकनीकी अनुप्रयोगों में से एक पेट्रोलियम उद्योग में कच्चे तेल के विभिन्न अंशों को अलग करना है।

प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग पृथक करने के लिए क्या किया जाता है? - prabhaajee aasavan vidhi ka prayog prthak karane ke lie kya kiya jaata hai?
Additional Information

  • सरल आसवन- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा अलग-अलग क्वथनांक वाले दो तरल पदार्थों को अलग किया जा सकता है। तरल के क्वथनांक में अधिक अंतर (25 ° C से अधिक)होता है।
  • एक निर्वात आसवन का उपयोग तब किया जाता है जब यौगिक का क्वथनांक बहुत अधिक (Tb> 150oC) होता है ताकि संकेतक अपघटन के बिना यौगिक को आसवित किया जा सके।

Last updated on Sep 22, 2022

The exam dates for the HTET 2022 have been postponed. Due to the General Elections, the exam dates for the HTET have been revised. The exam will be conducted on the 3rd and 4th of December 2022 instead of the 12th and 13th of November 2022. The exam is conducted by the Board of School Education, Haryana to shortlist eligible candidates for PGT and TGT posts in Government schools across Haryana. The exam is conducted for 150 marks. The HTET Exam Pattern for Level I, Level II, and Level III exams is different. There will be no negative marking in the exam.

प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग पृथक करने के लिए क्या जाता है?

प्रभाजी आसवन (Fractional distillation) एक औद्योगिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी मिश्रण के अवयवों को अलग किया जाता है। यह आसवन की एक विशिष्ट विधि है। उदाहरण के लिये पेट्रोलियम से पेट्रोल, डीजल, केरोसिन एवं अन्य घटकों को इसी विधि से अलग किया जाता है।

आसवन की विधि में कौन कौन सी प्रक्रिया करती है?

क्रूड ऑयल के प्रभाजी आसवन से ईंधन और अन्य अनेकों पदार्थ प्राप्त होते हैं। आसवन के द्वारा वायु को इसके अवयवों (आक्सीजन, नाइट्रोजन, आर्गान आदि) में विभाजित किया जाता है जो औद्योगिक उपयोग में आतीं हैं। औद्योगिक रसायन के क्षेत्र में, रासायनिक संश्लेषण द्वारा निर्मित किये गये द्रवों को आसवित करके अलग किया जाता है।