वीर कुंवर सिंह कौन थे उनका जन्म कहां हुआ था? - veer kunvar sinh kaun the unaka janm kahaan hua tha?

Table of Contents

  • वीर कुँवर सिंह की प्रेरक जीवनी और कहानी ! Veer Kunwar Singh Life Essay in Hindi
    • Veer Kunwar Singh Biography In Hindi
      • जरुर पढ़े : महान रानी दुर्गावती की जीवनी

Veer Kunwar Singh Biography In Hindi

भारतीय समाज का अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध असंतोष चरम सीमा पर था. अंग्रेजी सेना के भारतीय जवान भी अंग्रेजो के भेदभाव की नीति से असंतुष्ट थे. यह असंतोष सन 1857 में अंग्रेजो के खिलाफ खुले विद्रोह के रूप में सामने आया.

क्रूर ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिए सभी वर्गों के लोगो ने संगठित रूप से कार्य किया. सन 1857 का यह सशस्त्र – संग्राम स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम कहलाता है.

नाना साहब, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे और बेगम हजरत महल जैसे शूरवीरो ने अपने – अपने क्षेत्रो में अंग्रेजो के विरुद्ध युद्ध किया. बिहार में दानापुर के क्रांतकारियो ने भी 25 जुलाई सन 1857 को विद्रोह कर दिया और आरा पर अधिकार प्राप्त कर लिया. इन क्रांतकारियों का नेतृत्व कर रहे थे वीर कुँवर सिंह.

Veer Kunwar Singh Biography In Hindi

वीर कुंवर सिंह कौन थे उनका जन्म कहां हुआ था? - veer kunvar sinh kaun the unaka janm kahaan hua tha?

   Veer Kunwar Singh

कुँवर सिंह बिहार राज्य में स्थित जगदीशपुर के जमींदार थे. कुंवर सिंह का जन्म सन 1777 में बिहार के भोजपुर जिले में जगदीशपुर गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम बाबू साहबजादा सिंह था.

इनके पूर्वज मालवा के प्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे. कुँवर सिंह के पास बड़ी जागीर थी. किन्तु उनकी जागीर ईस्ट इंडिया कम्पनी की गलत नीतियों के कारण छीन गयी थी.

प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय कुँवर सिंह की उम्र 80 वर्ष की थी. वृद्धावस्था में भी उनमे अपूर्व साहस, बल और पराक्रम था. उन्होंने देश को पराधीनता से मुक्त कराने के लिए दृढ संकल्प के साथ संघर्ष किया.

अंग्रेजो की तुलना में कुँवर सिंह के पास साधन सीमित थे परन्तु वे निराश नहीं हुए. उन्होंने क्रांतकारियों को संगठित किया. अपने साधनों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने छापामार युद्ध की नीति अपनाई और अंग्रेजो को बार – बार हराया. उन्होंने अपनी युद्ध नीति से अंग्रेजो के जन – धन को बहुत हानि पहुंचाई.

कुँवर सिंह ने जगदीशपुर से आगे बढ़कर गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़ आदि जनपदों में छापामार युद्ध करके अंग्रेजो को खूब छकाया. वे युद्ध अभियान में बांदा, रीवां तथा कानपुर भी गये. इसी बीच अंग्रेजो को इंग्लैंड से नयी सहायता प्राप्त हुई. कुछ रियासतों के शासको ने अंग्रेजो का साथ दिया.

एक साथ एक निश्चित तिथि को युद्ध आरम्भ न होने से अंग्रेजो को विद्रोह के दमन का अवसर मिल गया. अंग्रेजो ने अनेक छावनियो में सेना के भारतीय जवानो को निःशस्त्र कर विद्रोह की आशंका में तोपों से भून दिया.

धीरे – धीरे लखनऊ, झाँसी, दिल्ली में भी विद्रोह का दमन कर दिया गया और वहां अंग्रेजो का पुनः अधिकार हो गया. ऐसी विषम परिस्थिति में भी कुँवर सिंह ने अदम्य शौर्य का परिचय देते हुए अंग्रेजी सेना से लोहा लिया. उन्हें अंग्रेजो की सैन्य शक्ति का ज्ञान था.

वे एक बार जिस रणनीति से शत्रुओ को पराजित करते थे दूसरी बार उससे अलग रणनीति अपनाते थे. इससे शत्रु सेना कुँवर सिंह की रणनीति का निश्चित अनुमान नहीं लगा पाती थी.

जरुर पढ़े : महान शासक रणजीत सिंह की जीवनी

आजमगढ़ से 25 मील दूर अतरौलिया के मैदान में अंग्रेजो से जब युद्ध जोरो पर था तभी कुँवर सिंह की सेना सोची समझी रणनीति के अनुसार पीछे हटती चली गयी.

अंग्रेजो ने इसे अपनी विजय समझा और खुशियाँ मनाई. अंग्रेजी की थकी सेना आम के बगीचे में ठहरकर भोजन करने लगी. ठीक उसी समय कुँवर सिंह की सेना ने अचानक आक्रमण कर दिया.

शत्रु सेना सावधान नहीं थी. अतः कुँवर सिंह की सेना ने बड़ी संख्या में उनके सैनिको मारा और उनके शस्त्र भी छीन लिए. अंग्रेज सैनिक जान बचाकर भाग खड़े हुए. यह कुँवर सिंह की योजनाबद्ध रणनीति का परिणाम था.

पराजय के इस समाचार से अंग्रेज बहुत चिंतित हुए. इस बार अंग्रेजो ने विचार किया कि कुँवर सिंह की फ़ौज का अंत तक पीछा करके उसे समाप्त कर दिया जाय. पूरे दल बल के साथ अंग्रेजी सैनिको ने पुनः कुँवर सिंह तथा उनके सैनिको पर आक्रमण कर दिया.

युद्ध प्रारंभ होने के कुछ समय बाद ही कुँवर सिंह ने अपनी रणनीति में परिवर्तन किया और उनके सैनिक कई दलों में बँटकर अलग – अलग दिशाओ में भागे.

जरुर पढ़े : महान रानी दुर्गावती की जीवनी

उनकी इस योजना से अंग्रेज सैनिक संशय में पड़ गये और वे भी कई दलों में बँटकर कुँवर सिंह के सैनिको का पीछा करने लगे. जंगली क्षेत्र से परिचित न होने के कारण बहुत से अंग्रेज सैनिक भटक गये और उनमे बहुत सारे मारे गये. इसी प्रकार कुँवर सिंह ने अपनी सोची – समझी रणनीति में परिवर्तन कर अंग्रेज सैनिको को कई बार छकाया.

कुँवर सिंह की इस रणनीति को अंग्रेजो ने धीरे – धीरे अपनाना शुरू कर दिया. एक बार जब कुँवर सिंह सेना के साथ बलिया के पास शिवपुरी घाट से रात्रि के समय किश्तयो में गंगा नदी पर कर रहे थे तभी अंग्रेजी सेना वहां पहुंची और अंधाधुंध गोलियां चलाने लगी.

अचानक एक गोली कुँवर सिंह की बांह में लगी इसके बावजूद वे अंग्रेज सैनिको के घेरे से सुरक्षित निकलकर अपने गांव जगदीशपुर पहुँच गये. घाव के रक्त स्राव के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया और 26 अप्रैल सन 1858 को इस वीर और महान देशभक्त का देहावसान हो गया.

Read More Hindi Biography:
*. संत रामानन्द की जीवनी
*. वराहमिहिर की जीवनी
*. महर्षि वाल्मीकि की जीवनी

निवेदन- आपको  all information about Veer Kunwar Singh in hindi, Veer Kunwar Singh Biography In Hindi ये आर्टिकल  कैसा  लगा  हमे  अपने  कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताये क्योंकि आपका एक Comment हमें और बेहतर लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा और हमारे Facebook Page को जरूर LIKE करे.

वीर कुंवर सिंह कौन थे उनका जन्म कहां हुआ था? - veer kunvar sinh kaun the unaka janm kahaan hua tha?
वीर कुंवर सिंह कौन थे उनका जन्म कहां हुआ था? - veer kunvar sinh kaun the unaka janm kahaan hua tha?

क वीर कुँवर सिंह का जन्म कहाँ हुआ था?

13 नवंबर 1777, जगदीशपुर, भारतकुँवर सिंह / जन्म की तारीख और समयnull

वीर कुंवर सिंह का जन्म कब और किस राज्य में हुआ?

कहा जाता है कि कुँवर सिंह का जन्म बिहार में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में सन् 1782 ई० में हुआ था। उनके पिता का नाम साहबजादा सिंह और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। उनके पिता साहबजादा सिंह जगदीशपुर रियासत के ज़मींदार थे, परंतु उनको अपनी ज़मींदारी हासिल करने में बहुत संघर्ष करना पड़ा।

वीर कुंवर सिंह कौन थे उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए?

वह जगदीशपुर के परमार राजपूतों के उज्जैनिया कबीले के परिवार से थे, जो वर्तमान में बिहार के भोजपुर ज़िले का एक हिस्सा है। वह बिहार में अंग्रजों के खिलाफ लड़ाई के मुख्य महानायक थे। उन्हें वीर कुंवर सिंह के नाम से जाना जाता है। वीर कुंवर सिंह ने बिहार में वर्ष 1857 के भारतीय विद्रोह का नेतृत्व किया।

वीर कुंवर सिंह का जन्म कब और कहां हुआ था उनके माता पि ता का भी नाम लि खि ए?

वीर कुंवर सिंह का जन्म 13 नवम्बर 1777 को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव के एक क्षत्रिय जमीनदार परिवार में हुआ था। इनके पिता बाबू साहबजादा सिंह प्रसिद्ध परमार राजपूत शासक राजा भोज के वंशजों में से थे। उनके माताजी का नाम पंचरत्न कुंवर था.