CBSE Class 7 Textbook Solutions, Videos, Sample Papers & MoreCBSE Class 7 MIQs, Subjective Questions & MoreSelect SubjectViplav Gayan Synopsisसारांश
भावार्थ कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, सावधान! मेरी वीणा में, भावार्थ- विप्लव गायन कविता की इन पंक्तियों में कवि एक ऐसा गीत गाने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं, जो समाज में क्रांति पैदा करे और जिससे परिवर्तन की शुरुआत हो। अगली पंक्तियों में कवि लोगों को सावधान करते हुए कहते हैं कि मेरा यह गीत समाज में क्रांति की चिंगारियाँ पैदा कर सकता है, आपकी शांति भंग हो सकती है और इस क्रांति से आने वाले बदलाव आपको कष्ट दे सकते हैं। वो कहते हैं कि उनके इस गीत से समाज में कई बदलाव आएँगे और वर्तमान व्यवस्था उलट-पुलट हो सकती है। कंठ रुका है महानाश
का झाड़ और झंखाड़ दग्ध हैं – भावार्थ- कवि ने विप्लव गायन कविता की इन पंक्तियों में कहा है कि मेरे गीत से पैदा हुए हालातों की वजह से महाविनाश का गला रुंध गया है और उसने मृत्यु का गीत गाना रोक दिया है। असल में, इन पंक्तियों में कवि कहना चाह रहे हैं कि जब भी समाज में बदलाव के लिए आवाज़ उठाई जाती है, तो उसे दबाने की लाखों कोशिशें की जाती हैं। मगर, क्रांति की आवाज़ ज्यादा समय तक दबाई नहीं जा सकती। कवि के दिल में सामाजिक बुराइयों और वर्तमान व्यवस्था के प्रति को रोष है, उसकी ज्वाला से हर अवरोध जल कर राख हो जाएगा। फिर बदलाव के गीतों की तान दोबारा दोगुने ज़ोर से शुरू हो जाती है और उसके वेग से सभी सामाजिक कुरीतियां और ढोंग-पाखंड पल भर में समाप्त हो जाते हैं।
आज देख आया हूँ – जीवन विप्लव गायन कविता की अगली पंक्तियों में कवि कहते हैं कि मैं तो यह जानता हूँ कि बदलाव के बाद समाज में कैसी परिस्थितियाँ पैदा होंगी। इसीलिए वो कहते हैं कि समाज के विचारों और नज़रिए में बदलाव आने के साथ ही बुराइयों से भरे दूषित समाज का विनाश होने लगेगा और इसके बाद ही एक नए राष्ट्र और समाज का निर्माण प्रारम्भ होगा। Get 60% Flat off instantly. Avail Now × NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 20 विप्लव गायन These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 20 विप्लव गायन Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts. विप्लव गायन NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 20Class 7 Hindi Chapter 20 विप्लव गायन Textbook Questions and Answersकविता से प्रश्न 1. प्रश्न 2. कविता से आगे प्रश्न 1. चाह नहीं में सुरबाला के मैथिलीशरण गुप्त “नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर
है, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला “सिंही की गोद में से छीनते हैं शिशु कौन ? अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. भाषा की बात प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 1. कवि, कुछ ……………………. मेरी ऐंठी हैं। शब्दार्थ : तान-स्वर लहरी; हिलोर-लहर; मिज़राबें-वीणा के तारों को छेड़ने के लिए अंगुली में पहने जाने वाला छल्ला। शब्दार्थ- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग 2’ में संकलित कविता ‘विप्लव-गायन’ से लिया गया है। जिसके कवि ‘बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ जी हैं। कवि ने इन पक्तियों में अन्य कवियों से अपनी कविताओं के माध्यय से समाज में क्रांति लाने का आह्वान किया है। व्याख्या- कवि सरस्वती की उपासना करने वालों को अर्थात् कवियों का आह्वान करते हुए उनसे कह रहा है कि आप अपने कंठ से अब ऐसी कविताएँ सुनाओ जो समाज में उथल-पुथल मचा दें क्योंकि कवि अपनी कविताओं से समाज में क्रांति ला सकता है। क्रांति की लहरें समाज में सभी ओर से उठनी चाहिए तभी सभी लोग क्रांति में अपना योगदान दे पाएंगे। सभी लोगों को, आज जागृत करने की सबसे बड़ी आवश्यकता है। कवि समाज का शोषण करने वालों को सावधान करते हुए कहता है कि अब मेरी वीणा से शृंगार गीत की धुन नहीं निकल रही है अब तो इससे क्रांति की चिंगारियाँ निकलने लगी हैं। ये चिंगारियाँ सब कुछ भस्म कर देने की शक्ति रखती हैं। कवि कहता है कि अब वीणावादक अर्थात् कवि की मिजराजें टूट गई हैं और अंगुलियाँ अकड़ गई हैं। अब इनमें इतनी कठोरता आ गई है कि कोमल स्वर की अपेक्षा करना व्यर्थ है। कठोर चीज जब तार से टकराएगी तो चिंगारियाँ ही निकलेंगी। कवि की यही स्थिति है। अब उसकी वीणा से क्रांति के स्वर निकल रहे हैं। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 2. कंठं रुका है …………………… अंतरतर से। शब्दार्थ : महानाश-महा विनाश / पूरी बर्बादी; मारक गीत-मारने वाला गीत; रुद्ध-रुकना; हृत्तल-हृदय तल में / हृदय में; क्षुब्ध-कुपित; दग्ध-जलना; ज्वलंत-जलता हुआ; क्रुद्ध-क्रोधित; अंतरतर-हृदय की गहराइयाँ। प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता ‘विप्लव-गायन’ से अवतरित है जिसके कवि ‘बालकृष्ण शर्मा नवीन’ जी हैं। कवि ने इन पंक्तियों में अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों को भस्म करने के लिए एवं समाज के नव- निर्माण के लिए क्रांति का आह्वान किया है। व्याख्या- कवि कहता है कि अब तक मेरा कंठ रुका हुआ था मैं चाहकर भी महाविनाश का मारक गीत लिखने में अपने को असमर्थ पाता था परन्तु अब ऐसा नहीं है। अब मेरे हृदय में आक्रोश एवं घृणा के भाव उत्पन्न हो गए हैं इसलिए मैंने क्रांति के गीत लिखने का निश्चय कर लिया है। मेरे गीतों से क्रांति की जो ज्वाला निकलेगी वह सभी तरह के झाड़-झंकाड़ अर्थात् समाज के लिए घातक रूढ़ियों और परंपराओं को जलाकर भस्म कर देगी। अब तक मेरे मन में क्रांति का जो गीत रुका हुआ था वह अब ज्वाला के रूप में प्रकट होगा। हृदय की गहराइयों से निकलने वाला मेरा यह गीत मधुर और कोमल न होकर क्रांति की ज्वाला को भड़काने वाला होगा। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 3. कण-कण में है ………………….. आया हूँ। शब्दार्थ : व्याप्त-समाया हुआ; कालकूट-विष; फणि-शेषनाग; भ्रू-विलास-भौंहे टेढ़ी होना, क्रोध करना; पोषक-पोषित करने वाला/पालने वाला; परख-जाँच। प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता ‘विप्लव-गायन’ से ली गई हैं जिसके रचयिता ‘बालकृष्ण शर्मा नवीन’ जी हैं। कवि ने अपने कंठ से निकले क्रांति गीत की व्यापकता के बारे में बताया है। व्याख्या- कवि कहता है कि मेरे कंठ से निकला गीत बहुत व्यापक है, वह सारे संसार के कण-कण में समाया हुआ है। सभी लोगों का रोम-रोम इस क्रांति गीत को गाता है। जो तान मैंने छेड़ी है सभी लोग उसी तान में इस गीत को गाते हैं। इस गीत को गाने वाले प्राणी केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि भंयकर विष को धारण करने वाला शेषनाग भी अपने सिर पर रखी चिंतामणि के माध्यम से इस गीत को गा रहा है। शेषनाग ऐसा करके क्रांति का आह्वान कर रहा है। कवि इस दृश्य को देखकर समझ गया है कि इस जीवन में क्या राज़ छिपा है। कवि जान गया है कि क्रोध में ही महानाश पोषक सूत्र होते हैं। कवि ने इस बात की जाँच अच्छी प्रकार कर ली है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. विप्लव गीत गाकर कवि क्या करना चाहता है?(ख) कवि विप्लव गान क्यों गाना चाहता है? कवि का मानना है कि विप्लव गान द्वारा ही वह लोगों को समाज के नवनिर्माण के लिए जाग्रत कर सकता है, क्योंकि सुंदर राष्ट्र की नींव पुराने, गले-सड़े रीति-रिवाजों व रूढ़िवादी विचारों पर नहीं रखा जा सकता।
कवि बालकृष्ण शर्मा नवीन विप्लव गान क्यों गाना चाहता है?कवि का मानना है कि वह अत्यंत आवेश से विनाशक गीत गाना चाहता है क्योंकि वह जानता है कि विध्वंस की नींव पर ही नवनिर्माण संभव है। उसके कंठ से अधिक उत्तेजना के कारण विनाशकारी गीत के स्वर निकल नहीं पाते।
विप्लव गायन कविता में कवि का मूल भाव क्या है?कविता का मूल भाव है गलत रीति-रिवाजों, रूढ़िवादी विचारों व परस्पर भेदभाव त्यागकर नवनिर्माण के लिए जनता को प्रेरित करना। इसीलिए इस कविता का शीर्षक 'विप्लव-गायन' रखा गया है जिसका अर्थ है क्रांति के लिए आह्वान करना।
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