ओसीडी होने का मुख्य कारण क्या है? - oseedee hone ka mukhy kaaran kya hai?

जानें ओसीडी(OCD obsessive compulsive disorder) के बारे में - प्रकार, लक्षण और बचाव

ओसीडी (OCD obsessive compulsive disorder) का नाम आते ही हमारे दिमाग में अनेकों प्रकार के विचार आने लगते हैं कि यह कोई बीमारी है, या पागलपन है या कोई जानलेवा बीमारी है। इस प्रकार  के बहुत से ख्याल हमारे मन में उत्पन्न होने लगते हैं। 

अगर हम ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर को ध्यानपूर्वक पढ़ते हैं तो हमें खुद इसका मतलब समझ आ सकता है। 

ओबसेशन (obsession) का मतलब है किसी भी व्यवहार की पनरावृत्ति।

जो विचार हमारे मन में बार-बार आते है उनके प्रति सदैव सोचना व उनसे प्रभावित होकर व्यवहार करना। ये विचार कई प्रकार के हो सकते हैं, पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों प्रकार के हो सकते हैं। 

ऐसे विचार हमारे मन में बार-बार आते हैं जिसके कारण हमें घबराहट और बेचैनी होने लगती है। हम इसे चाह कर भी नहीं रोक सकते।  

इसी तरह दूसरा शब्द है compulsion। यह शब्द मजबूरी से जुड़ा है। उदाहरण के लिए यदि हमारे मन में यह विचार आता है कि हमारे हाथ गंदे हैं तो हम ना चाहते हुए भी घबराकर अपने हाथों को बार-बार धोते रहते हैं। यह प्रक्रिया दोबारा फिर से रिपीट होने लगेगी। बार बार हाथ धोना एक प्रकार का कंपल्शन होता है जिससे मरीज को थोड़ी देर के लिए अच्छा महसूस होगा। इस तरह की क्रिया को ही कंपल्शन कहते है। 

ओसीडी के मरीज दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। इसका सही वक्त पर इलाज न कराने पर यह खतरनाक साबित हो सकती है। इससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है क्योंकि चिंता और तनाव के कारण व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है।

ओसीडी के प्रकार और लक्षण

ओसीडी कई प्रकार का हो सकता है। इसकी जानकारी होना अति आवश्यक है ताकि हम ओसीडी को अपने आस पास पहचान सकें और अपने साथ-साथ दूसरों की भी सहायता कर सकें।

1. ) कंटैमिनेशन

इस प्रकार के ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति में साफ सफाई के प्रति ओबसेशन अत्यधिक  बढ़ जाता है। यह ओसीडी (OCD) बहुत से लोगों में पाई जाती है। इस ओसीडी का लक्षण हद से ज्यादा साफ सफाई करना है फिर चाहे वह शरीर हो, कपड़े हो, कमरा हो, घर हो, चादर हो, या इस तरह की कोई भी चीज।

ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति को ऐसा महसूस होने लगता है कि अगर वो कूड़ेदान के पास से चले जाएंगे तो उनके ऊपर जर्म अटैक कर देंगे और उनको नहाना पड़ेगा। 

कुछ लोग स्टेशन या कहीं बाहर के टॉयलेट का प्रयोग नही करते कि वो बहुत गंदा होगा। उन्हें हर समय यही लगता है कि कहीं उनका कपड़ा न गंदा हो जाए। 

अनेक प्रकार के विचार उनके मस्तिष्क में आते हैं। वो खुद को एक किनारे साफ सफाई कर के उसी में खुद को अच्छा महसूस करते हैं।  

“कुछ भी हो सकता है” जैसा संदेह उन्हें बार-बार परेशान करता है। उन्हें लगता है कि आसपास की चीजें बहुत गंदी हैं। 

जब यह बीमारी बढ़ने लगती है तो यह साफ सफाई इस हद तक पहुंच जाती है कि लोग अपना सामान चाहे वो आफिस का हो, घर का हो या  स्कूल का हो, वह किसी भी स्थान पर रखा हो वो उसे उस जगह से हटा देते हैं। उनके मन में यह बैठ जाता है कि यह चीज गंदी है और साफ नहीं होगी।

वह कितनी भी कीमती हो वह वह उसे फेंक करके ही मानते हैं। बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं कि अगर कोई अन्य व्यक्ति उनकी चादर पर बैठ जाता है तो इसमें भी उनका मन लगा रहता है। वे उस चादर को बदल कर ही दम लेते हैं। इस ओसीडी में इसी प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं।

2.) परफेक्शन सा पूर्णता

जिनको इस तरह की ओसीडी (OCD) होती है उन्हें यह बात परेशान करती है कि चीज़े एक विशेष प्रकार से क्यों नहीं रखी? अगर रंग मिलता है तो वह चाहेंगे कि हम इसे इंद्रधनुष की तरह सजा दें या उसे अपने हिसाब से किसी भी पंक्ति में रख दें। 

अगर चीजें एक बराबर नहीं हैं तो वे इसे एक बराबरी से रखने के लिए चिंतित रहते हैं।

उनके दिमाग में अजीब खयाल आ जाता है कि अगर यह चीजें आर्डर में ना रखी जाएँ तो कुछ बुरा हो सकता है। ऐसे लोगों को बस एक ही चिंता होती है कि वह चीज़ों को एक पंक्ति या आर्डर में रख दें चाहे वह अल्फाबेटिकल हो, न्यूमेरिकल हो, कलर्ड हो, कैसा भी हो लेकिन पंक्ति में हो।

3.) डाउट एंड हार्म (संदेह करना) 

इस तरह के ओसीडी में लोगों के दिमाग में बार बार एक संदेह ख्याल आते रहते हैं। क्या मैंने दरवाजा बंद किया, क्या मैंने सिलेंडर बंद किया, पंखे का बटन बंद है या नहीं, दरवाज़ा कहीं खुला न रह गया, आदि जैसे सवाल उनके मन में पैदा होते रहते हैं। इसी कारण वे बार-बार इसको देखने के लिए आते हैं क्योंकि उनके मस्तिष्क में अजीब तरह का तनाव होता रहता है। 

जब तक वह इस काम को ना कर लें उन्हें तसल्ली नहीं मिलती। यह आदत सामान्य लोगों में भी आसानी से देखने को मिलती है।

वैसे तो अपनी सुरक्षा का ख़याल रखना सबके लिए आवश्यक हैं लेकिन हर 10 मिनट में इस बात का बार-बार ख्याल आना कि मैं फिर से चेक कर लूं, या कहीं खुला ना रह गया हो वास्तव में संदेह कोजन्म देता है।

ऐसे लोग इस हद तक पहुंच जाते हैं कि जब तक वे 5-6  बार चेक ना कर लें तब तक उन्हें उलझन होती रहती है। उसका दिमाग बार-बार वहीं जाता है। ऐसा ना करने पर कुछ बुरा हो जाएगा ऐसा उन्हें महसूस होने लगता है। इस तरह ना सिर्फ़ उनका समय नष्ट होता है बल्कि वे परेशान भी रहते हैं। इससे उनका व्यवहार बदलने लगता है। 

4.) फोरबिडेन थॉट्स (ना सोचने योग्य चीज़ें व अपराधबोध)

ऐसा विचार आना जो एक नॉर्मल इंसान के लिए गलत हो। इस ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति ऐसा सोचता है कि कहीं वह गलत इंसान न बन जाए।

कभी कभी व्यक्ति ऐसी सोच रखता है वह गलत है। वे दूसरे व्यक्ति के लिए भी ग़लत सोचने लगते हैं। वे ऐसा जानबूझकर नहीं करते हैं। इनके थॉट्स एन्टी रिलिजन (धर्म इत्यादि के विरुद्ध) भी हो सकते हैं,  सेक्सुअल भी हो सकते हैं, हिंसक हो सकते हैं, या किसी विशेष जाति के विरूद्ध भी हो सकते हैं। 

ऐसा देखा जाता है कि अक्सर इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति प्रार्थना भी करता है ताकि वह इन विचारों से बच सके। इस तरह के बहुत से विचारो  से बचने के लिए कुछ लोग गाने सुनने लगते हैं ताकि वे अपने दिमाग को इन विचारों से बचा सकें। हर व्यक्ति का अपना एक अलग डिफ़ेंस मेकेनिस्म हो सकता है। 

ओसीडी (OCD) कोई घातक बीमारी या महामारी नहीं है परंतु अगर ओसीडी (OCD) का इलाज समय पर ना करें तो यह घातक हो भी सकती है। 

ओसीडी (OCD) का कोई भी लक्षण यदि आपको दिखे तो आप डॉक्टर या साइकोलॉजिस्ट की सलाह लें। वह आपको इस बीमारी से मुक्त करा सकते हैं। इसी के साथ इससे बचने के लिए आप यह चीजें अपना सकते हैं-

1.) अपनी स्थिति को देखें व समझें। 

2.) हर स्थिति में स्वयं का साथ दें। 

3.) अपने दिमाग में सिर्फ पॉजिटिव थॉट्स या सकारात्मक विचार ही लाएं। यह देखें कि वास्तव में क्या हुआ है बजाय इसके कि आप केवल अपने दिमाग़ में आयी बात को ही सुनें।

4.) कुछ काम करने का मन करें तो आप उसका उल्टा करें जैसे आप एक ही रंग के कपड़े बार-बार पहनना चाहते हैं तो अलग-अलग रंग के कपड़े पहनें।

5.) जब आप असहज स्थिति में रहना सीख जाएँ तो समझें कि आप ओसीडी से बच रहे हैं।

6.) अपने व्यवहार में बदलाव करें। इससे  आपका दिमाग भी उसी में सहज महसूस करेगा।

निष्कर्ष

यह तो हम सभी जानते हैं कि कोई भी चीज एक बार या दो बार करने से असामान्य में शुमार नहीं होता परंतु जब वही चीज बार-बार होने लगे तो वह चीज “कुछ अजीब” या असामान्य में आने लगता है। 

अगर कोई व्यक्ति हद से ज्यादा कोई भी चीज करने लगता है तो वह उसके लिए खतरनाक होता है और यही चीज ओसीडी में आता है। इससे बचने के लिए हमें यहाँ बताई गयी चीजों को अपनाना चाहिए और वक्त रहते इसका इलाज करा लेना चाहिए अन्यथा हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

अगर आप ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति को अपने आसपास देखें तो उसे पागल ना समझें बल्कि उसे साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाकर उसका सही तरीके से इलाज कराएं।

ओसीडी की बीमारी क्यों होती है?

इस पर कंट्रोल नहीं होता है। कई बार ऑब्सेशन होता है तो व्यवहार में कंपल्शन भी आ जाता है। जैसे- हाथ धोने या क्लीनिंग जैसे कामों से मरीज मन की घबराहट को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं।" छिब्बर ने बताया कि ओसीडी बायोलॉजिकल और न्यूरोट्रांसमीटर्स का बैलेंस बिगड़ने की वजह से होता है।

ओसीडी को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?

ओसीडी का इलाज- जब शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन की कमी हो जाती है तब यह समस्या हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर सेरोटोनिन हार्मोन को बढ़ाने की दवाई दे सकते हैं। इससे अलग ओसीडी की समस्या को दूर करने के लिए बिहेवियर थेरेपी और टॉक थेरेपी की मदद भी ली जा सकती है। कुछ रोगियों को एंटीडिप्रेसेंट दवाई भी दी जाती है।

OCD के 4 प्रकार क्या हैं?

ओसीडी के 4 प्रकार क्या हैं? कम्पल्सिव जाँच, संदूषण या मानसिक संदूषण, समरूपता और आदेश और जमाखोरी विभिन्न प्रकार के ऑब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर होते हैं

ओसीडी के मरीज को अंग्रेजी दवा कितने दिन में असर दिखाता है?

आमतौर पर इस दवा को काम करने में 4-6 सप्ताह लगते हैं, इसलिए चाहे आपको यह लगे कि दवा काम नहीं कर रही है, फिर भी आपको इसे लेते रहना होगा. भले ही आप बेहतर महसूस करें पर जब तक कि आपका डॉक्टर आपको सलाह न दे, इसे लेना बंद न करें.