वाल्मीकि रामायण में कौन-कौन से कांड है - vaalmeeki raamaayan mein kaun-kaun se kaand hai

विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा के लिए राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण को मांग कर ले जाते हैं, वहाँ उन्हें महर्षि द्वारा बला और अतिबला नामक दो विद्याएँ तथा अनेक अस्त्रों की प्राप्ति होती है तथा वे उनके संचालन की विधि का भी ज्ञान प्राप्त करते हैं। 

राम विश्वामित्र के यज्ञ में बाधा डालने वाले राक्षसों--ताड़का, मारीच तथा सुबाहु-का वध कर सिद्धाश्रम देखते हैं।

बालकांड में बहुत-सी कथाओं का वर्णन है, जिन्हें विश्वामित्र ने राम को सुनाया है। विश्वामित्र के वंश का वर्णन तथा तत्संबंधी कथाएँ, गंगा एवं पार्वती की उत्पत्ति की कथा, कािर्त्तकेय का जन्म, राजा सगर एवं उनके साठ सहò पुत्रों की कथा, भगीरथ की कथा, दिति-अदिति की कथा तथा समुद्र-मंथन का वृत्तान्त, गौतम-अहल्या की कथा तथा राम के दर्शन से उसका उद्धार, वसिष्ठ एवं विश्वामित्र का संघर्ष. ित्राशंकु की कथा, राजा अम्बरीष की कथा, विश्वामित्र की तपस्या एवं मेनका द्वारा उनकी तपस्या भंग होना, विश्वामित्र का पुन: तपस्या में प्रवृत्त होना एवं ब्रह्मर्षि-पद की प्राप्ति, राम-लक्ष्मण का विश्वामित्र के साथ मिथिला में पधारना, सीता और उर्मिला की उत्पति का वर्णन, राम द्वारा शिव धनुष का तोड़ना एवं चारों भाइयों का विवाह।

2. अयोध्या कांड

इसमें अधिकांश कथाएँ मानवीय हैं। राजा दशरथ द्वारा राम के राज्याभिषेक की चर्चा सुन कर कैकेयी की दासी मंथरा का कैकेयी को बहकाना, कैकेयी का कोपभवन में जाना और राजा के मनाने पर पूर्व प्राप्त दो वरदानों को मांगना, जिसके अनुसार राम को चौदह वर्षो का वनवास एवं भरत को राजगद्दी की प्राप्ति । इसके फलस्वरूप राम, सीता और लक्ष्मण का वन-गमन एवं उनके वियोग में राजा दशरथ की मृत्यु। 

ननिहाल से भरत का अयोध्या आगमन और राम को मनाने के लिय उनका चित्रकूट में प्रस्थान करना, राम-लक्ष्मण का भरत-संबंधी सन्देह तथा परस्पर वार्त्तालाप, भरत और राम का विलाप, जाबालि द्वारा राम को नास्तिक धर्म का उपदेश तथा राम का उन पर क्रोध करना, पिता के वचन को सत्य करने के लिए राम का भरत को लौटकर राज्य करने का उपदेश, राम की चरण-पादुका का लेकर भरत का लौटना और नन्दिगा्रम में वास, राम का दण्डकारण्य में प्रवेश करना।

3. अरण्यकांड

दण्डकारण्य में राम का स्वागत तथा विराध का सीता को छीनना, विराध-वध, पंचवटी में राम का आगमन, जटायु से भेंट, शूर्पनखा वृत्तान्त, खरदूषण एवं ित्राशरा के साथ राम का युद्ध एवं सेना सहित तीनों का संहार, शूर्पनखा द्वारा रावण के पास जाकर अपना हाल कहना और मारीच का स्वर्ण मृग बनना, स्वर्ण मृग का राम द्वारा वध एवं सूना आश्रम देख कर रावण का सीता-हरण करना, पक्षिराज जटायु का रावण से सीता को छुड़ाने के प्रयत्न में घायल होना तथा राम-लक्ष्मण द्वारा उसका वध, दिव्य रूप धारी कबन्ध का राम-लक्ष्मण को सुग्रीव से मित्रता करने की राय देकर ऋष्यमूक तथा पम्पा सरोवर का मार्ग बताना, राम-लक्ष्मण का पम्पा सरोवर के तट पर मतंग वन में जाना तथा शबरी से भेंट, अपने शरीर की आहुति देकर शबरी का दिव्यधाम में पहुँचना।

4. किष्किन्धाकांड

पम्पा के तीर पर राम-लक्ष्मण का शोकपूर्ण संवाद तथा पम्पासर का वर्णन, दोनो भाईयों को ऋष्यमूक की ओर आते देखकर सुग्रीव का भयभीत होकर हनुमान् को उनके पास भेजना तथा राम और सुग्रीव की मैत्री, सुग्रीव का राम से बाली की कथा कहना एवं राम द्वारा बाली का वध, सुग्रीव का राज्याभिषेक एवं सीता की खोज करने के लिये उसका वानरों को भेजना, वानरों का मायासुर-रक्षित ऋक्षबिल में जाना तथा वहाँ स्वयंप्रभा तपस्विनी की सहायता से सागर-तट पर पहुँचना, सम्पाति से बानरों की भेंट तथा उनके पंख जलने की कथा, जाम्बवान् द्वारा हनुमान की उत्पति की कथा कहना तथा उन्हें समुद्र लंघन के लिये उत्साहित करना, हनुमान का समुद्र लाँघने के के लिए उत्साह प्रकट करना, जाम्बवान् द्वारा उसकी प्रशंसा तथा वेगपूर्वक छलाँग मारने के लिये हनुमान जी का महेन्द्र पर्वत पर चढ़ना।

5. सुन्दरकांड

समुद्र-संतरण करते हुए हनुमान का लंका में जाना, लंकापुरी का अलंकृत वर्णन, रावण के शयन एवं पानभूमि का वर्णन, अशोक वन में सीता को देखकर हनुमान् का विषाद करना, लंका-दहन तथा वाटिकाविध्वंस कर हनुमान का जाम्बवान् आदि के पास लौट आना तथा सीता का कुशल राम-लक्ष्मण को सुनाना।

6. लंकाकांड

राम का हनुमान की प्रशंसा, लंका की स्थिति के सम्बन्ध में प्रश्न, रामादि का लंका प्रयाण, विभीषण का राम की शरण में आना और राम की उसके साथ मंत्रणा, समुद्र पर बाँध बाँधना, अंगद का दूत बनकर रावण के दरबार में जाना तथा लौट कर राम के पास आना, लंका पर चढ़ाई, मेघनाद का राम-लक्ष्मण को घायल कर पुष्पक विमान से सीता को दिखाना, सुषेण वैद्य एवं गरूड़ का आगमन एवं राम-लक्ष्मण का स्वस्थ होना, मेघनाद द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर राम-लक्ष्मण को मूिच्र्छत करना, हनुमान का द्रोण-पर्वत को लाकर राम-लक्ष्मण एवं वानर-सेना को चेतना प्राप्त कराना, मेघनाद एवं कुम्भकर्ण का वध, राम-रावण युद्ध, रावण की शक्ति से लक्ष्मण का मूिच्र्छत होना, रावण के सिरों के कटने पर पुन: अन्य सिरों का उत्पन्न होना, इन्द्र के सारथी मातलि के परामर्श से ब्रहा्रास्त्रा से राम द्वारा रावण का वध, राम के सम्मुख सीता का आना तथा राम का सीता को दुर्वचन कहना, लक्ष्मण रचित अग्नि में सीता का प्रवेश तथा सीता को निर्दोष सिद्ध करते हुए अग्नि का राम को समर्पित करना, दशरथ का विमान द्वारा राम के पास आना तथा केकयी एवं भरत पर प्रसन्न होने की प्रार्थना करना, इन्द्र की कृपा से वानरों का जी उठना, वनवास की अवधि की समाप्ति के पश्चात् राम का अयोध्या लौटना तथा अभिषेक, सीता का हनुमान को हार देना तथा रामराज्य का वर्णन, रामायण-श्रवण का फल।

7. उत्तरकांड

राम के पास कौशिक, अगस्त्य आदि ऋषियों का आगमन, उनके द्वारा मेघनाद की प्रशंसा सुनने पर राम का उसके संबंध में जानने की जिज्ञासा प्रकट करना, अगस्त्य मुनि द्वारा रावण के पितामह पुलस्त्य एंव पिता विश्रवा की कथा सुनाना, रावण, कुम्भकर्ण एवं विभीषण की जन्म-कथा तथा रावण की विजयों का विस्तारपूर्वक वर्णन, (रावण का वेदवती नामक तपस्विनी को भ्रष्ट करना और उसका सीता के रूप में जन्म लेना ) हनुमान् के जन्म की कथा जनक-केकय, सुग्रीव, विभीषण आदि का प्रस्थान, सीता-निर्वासन तथा वाल्मीकि के आश्रम में उनका निवास, लवणासुर के वध के लिए शत्रुघ्न का प्रस्थान तथा वाल्मीकि के आश्रम पर ठहरना, लव-कुश की उत्पति, बा्रह्मण-पुत्र की मृत्यु एवं शम्बूक नामक शूद्र की तपस्या तथा राम द्वारा उसका वध एवं ब्राह्मण-पु्ृत्र का जी उठना, राम का राजसूय करने की इच्छा प्रकट करना, वाल्मीकि का यज्ञ में आगमन तथा लव-कुश द्वारा रामायण का गान, राम द्वारा सीता को अपनी शुद्धता सिद्ध करने शपथ लेने की बात कहना, सीता का शपथ लेना, भूतल से सिहांसन का प्रकट होना और सीता का रसातल-प्रवेश, तापसवेशधारी काल का ब्रह्मा का सन्देश लेकर राम के पास आना, दुर्वासा का आगमन एवं लक्ष्मण को शाप देना, लक्ष्मण की मृत्यु तथा सरयू तीर पर पधार का राम का स्वर्गारोहण करना, रामायण के पाठ का फल-कथन।

वाल्मीकि रामायण में कौनसे कौनसे कांड है?

वाल्मीकि रामायण में 6 कांड है जो इस प्रकार है : बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किन्धा कांड, सुंदर कांड और लंका कांड

महर्षि वाल्मीकि रामायण में कितने कांड है?

रामायण में सात काण्ड हैं - बालकाण्ड, अयोध्यकाण्ड, अरण्यकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, लङ्काकाण्ड और उत्तरकाण्ड।

वाल्मीकि रामायण में कितने कांड है और क्या नाम है?

रामायण महाकाव्य में कुल 24,000 श्लोक, 500 उपखंड तथा 7 काण्ड (अध्याय) है। इन सात काण्डो के नाम – बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युदध्काण्ड) तथा उत्तरकाण्ड है।

रामायण के सात कांड कौन कौन से हैं?

उन्होंने बताया कि बाल कांड श्रीराम के पैर, अयोध्या कांड कमर, अरण्य कांड श्रीरामजी का पेट, किष्किंधा कांड श्रीराम का ह्रदय, सुंदरकांड भगवान राम का गला और ग्रीवा है तथा लंका कांड भगवान का मुख है।