विभीषण के बाद राजा कौन था? - vibheeshan ke baad raaja kaun tha?

विभीषण
विभीषण के बाद राजा कौन था? - vibheeshan ke baad raaja kaun tha?

विभीषण का राज्यभिषेक करते हुए भगवान श्रीराम

लंका के राजा
शासनावधिपुराण के अनुसार, अपने ज्येष्ठ भ्राता रावण के मृत्यु बाद
पूर्ववर्तीरावण
जन्मलंका
जीवनसंगीसरमा
संतानत्रिजटा
घरानापुलस्त्य
पिताविश्रवा
मातानिकषा
धर्महिन्दू धर्म

विभीषण के बाद राजा कौन था? - vibheeshan ke baad raaja kaun tha?

विभीषण के बाद राजा कौन था? - vibheeshan ke baad raaja kaun tha?

विभीषण का राज्यभिषेक करते हुए भगवान श्रीराम

विभीषण रामायण के एक प्रमुख पात्र हैं। वे रावण के भाई थे।विभीषण बहुत ही बड़े राम भक्त थे। उन्होंने लंका में रहते हुए भी राम भक्ति की, जहाँ भगवान श्री राम का शत्रु रावण का राज था। विभीषण रावण का सबसे छोटा भाई था, जिसने लंका पर शासन किया था। वह ऋषि पुलस्त्य के पुत्र ऋषि विश्रवा और कैकसी के सबसे छोटे पुत्र थे। लंका और कुंभकर्ण के राजा रावण उनके बड़े भाई थे। हालाँकि विभीषण राक्षस जाति के थे, लेकिन वे पवित्र थे और श्री राम के भक्त थे । उनका व्यवहार सच्चे ब्राह्मणो जैसा था। उन्होंने अपने बड़े भाइयों के साथ ब्रह्मा जी की तपस्या की थी, एवं  वरदान में अपने लिए ये माँगा की वे हमेशा धर्म-पथ पर चले।    

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रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने क्यों किया विभीषण से विवाह

amarujala.com- presented by: विनोद शुक्ला Updated Tue, 01 Aug 2017 09:51 AM IST

वाल्मीकि रामायण के अनुसार मंदोदरी लंका के राजा रावण की पत्नी थी। लेकिन क्या आप जानते है कि राम के हाथों रावण के मारे जानें के बाद मंदोदरी का क्या हुआ? उसे दोबारा विवाह रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा बनने के बाद क्यों करनी पड़ी? आइए जानते है इसके पीछे की कहानी।

पौराणिक कथा के अनुसार मंदोदरी महान ऋषि कश्यप के पुत्र मायासुर का पुत्री थी और मंदोदरी की माता का नाम रंभा था जो एक अप्सरा थी।

मंदोदरी का विवाह रावण से हुआ था। एक बार रावण मयासुर से मिलने आया और वहां पर मंदोदरी को देखकर संमोहित होकर उससे विवाह करने की इच्छा जाहिर की इसके बाद मंदोदरी का विवाह रावण से हुआ था। रावण से विवाह के बाद मंदोदरी के तीन संताने हुई मेघनाद, अक्षयकुमार और अतिकाय

भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध में रावण की मौत के बाद भगवान राम ने लंका को रावण के भाई विभीषण को लंका राजा बना दिया। भगवान राम ने मंदोदरी को विभीषण से विवाह कर लेने की सलाह दी।

मंदोदरी इसके लिए तैयार नहीं हुई लेकिन भगवान राम के समझाने के बाद वह विभीषण से विवाह करने के लिए तैयार हो गई तो इस तरह मंदोदरी का दोबारा विवाह हुआ।  

महर्षि विश्रवा को असुर कन्या कैकसी के संयोग से तीन पुत्र हुए- रावण, कुम्भकर्ण और विभीषण। विभीषण विश्रवा के सबसे छोटे पुत्र थे। विभिषण बचपन से ही धर्मपरायण और भगवान का भक्त था। विभीषण की पत्नी का नाम सरमा और उसकी बेटी का नाम त्रिजटा था।


1. ब्रह्मा से वरदान : एक बार तीनों भाइयों ने बहुत दिनों तक कठोर तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा ने प्रकट होकर तीनों से वर मांगने के लिए कहा। रावण ने अपने महत्वकांक्षी स्वभाव के अनुसार ब्रह्माजी से त्रैलोक्य विजयी होने का वरदान मांगा, कुम्भकर्ण ने इंद्रासन की जगह गलती से निंद्रासान मांग लिया इसलिए वह वर्ष में बस एक दिन के लिए ही जागता था। अंत में विभीषण ने उनसे भगवद्भक्ति की याचना की। तपस्या से लौटने के बाद रावण ने अपने सौतेले भाई कुबेर से सोने की की लंका पुरी को छीनकर उसे अपनी राजधानी बनाया और ब्रह्मा के वरदान के प्रभाव के प्रभाव से त्रैलोक्य विजयी बना। विभीषण भी रावण के साथ लंका में रहने लगे।

2. रावण को समझाया : रावण ने जब सीता जी का हरण किया, तब विभीषण पराई स्त्री के हरण को महापाप बताते हुए सीता जी को श्री राम को लौटा देने की सलाह दे कर हमेशा धर्म की शिक्षा देता था लेकिन रावण उसकी एक नहीं सुनता था। अंत में रावण ने उसे लंका से निकाल दिया।

3. प्रभु भक्त विभीषण का हनुमान मिलन : हनुमानजी सीता की खोज करते हुए लंका में आए। उन्होंने श्री रामनाम से अंकित विभीषण का घर देखा। घर के चारों ओर तुलसी के वृक्ष लगे हुए थे। सूर्योदय के पूर्व का समय था, उसी समय श्री राम-नाम का स्मरण करते हुए विभीषण जी की निद्रा भंग हुईं। राक्षसों के नगर में श्री रामभक्त को देखकर हनुमान जी को आश्चर्य हुआ। दो रामभक्तों का परस्पर मिलन हुआ। हनुमानजी ने उनसे पता पूछकर अशोकवाटिका में माता सीता का दर्शन किया।

4. नहीं जला विभीषण का घर : जब हनुमानजी लंका का दहन कर रहे थे तब उन्होंने अशोक वाटिका को इसलिए नहीं जलाया, क्योंकि वहां सीताजी को रखा गया था। दूसरी ओर उन्होंने विभीषण का भवन इसलिए नहीं जलाया, क्योंकि विभीषण के भवन के द्वार पर तुलसी का पौधा लगा था। भगवान विष्णु का पावन चिह्न शंख, चक्र और गदा भी बना हुआ था। सबसे सुखद तो यह कि उनके घर के ऊपर 'राम' नाम अंकित था। यह देखकर हनुमानजी ने उनके भवन और मन्दिर को नहीं जलाया।

5. राम के शरणागत हुए विभीषण : रावण के निकाले जाने के बाद विभीषण के पास और कोई चारा नहीं था। वे प्रभु श्री राम की शरण में चले गए। वे चाहते थे कि निर्दोष लंकावासी न मारे जाएं और लंका में न्याय का राज्य स्थापित हो।

विभीषण के शरण याचना करने पर सुग्रीव ने श्रीराम से उसे शत्रु का भाई व दुष्ट बताकर उनके प्रति आशंका प्रकट की और उसे पकड़कर दंड देने का सुझाव दिया। हनुमानजी ने उन्हें दुष्ट की बजाय शिष्ट बताकर शरणागति देने की वकालत की। इस पर श्रीरामजी ने विभीषण को शरणागति न देने के सुग्रीव के प्रस्ताव को अनुचित बताया और हनुमानजी से कहा कि आपका विभीषण को शरण देना तो ठीक है किंतु उसे शिष्ट समझना ठीक नहीं है।

इस पर श्री हनुमानजी ने कहा कि तुम लोग विभीषण को ही देखकर अपना विचार प्रकट कर रहे हो मेरी ओर से भी तो देखो, मैं क्यों और क्या चाहता हूं...। फिर कुछ देर हनुमानजी ने रुककर कहा- जो एक बार विनीत भाव से मेरी शरण की याचना करता है और कहता है- 'मैं तेरा हूं, उसे मैं अभयदान प्रदान कर देता हूं। यह मेरा व्रत है इसलिए विभीषण को अवश्य शरण दी जानी चाहिए।'

6. विभीषण ने दिया इस तरह प्रभु का साथ : विभीषण का एक गुप्तचर था, जिसका नाम 'अनल' था। उसने पक्षी का रूप धारण कर लंका जाकर रावण की रक्षा व्यवस्था तथा सैन्य शक्ति का पता लगाया और इसकी सूचना भगवान श्रीराम को दी थी। विभिषण ने ही राम को कुंभकर्ण, मेघनाद और रावण की मृत्यु का रहस्य बताया था।

7. चिरंजीवी बने विभीषण : भगवान श्री राम ने विभीषण को लंका का नरेश बनाया और अजर-अमर होने का वरदान दिया। विभीषण जी सप्त चिरंजीवियों में एक हैं और अभी तक विद्यमान हैं। विभीषण को भी हनुमानजी की तरह चिरंजीवी होने का वरदान मिला है। वे भी आज सशरीर जीवित हैं।

8. हनुमान स्तुति : इंद्रा‍दि देवताओं के बाद धरती पर सर्वप्रथम विभीषण ने ही हनुमानजी की शरण लेकर उनकी स्तुति की थी। विभीषण ने हनुमानजी की स्तुति में एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना की है। विभीषण द्वारा रचित इस स्तोत्र को 'हनुमान वडवानल स्तोत्र' कहते हैं।

हनुमान की शरण में भयमुक्त जीवन : हनुमानजी ने सबसे पहले सुग्रीव को बाली से बचाया और सुग्रीव को श्रीराम से मिलाया। फिर उन्होंने विभीषण को रावण से बचाया और उनको राम से मिलाया। हनुमानजी की कृपा से ही दोनों को ही भयमुक्त जीवन और राजपद मिला। इसी तरह हनुमानजी ने अपने जीवन में कई राक्षसों और साधु-संतों को भयमुक्त और जीवनमुक्त किया है।

विभीषण के बाद लंका का राजा कौन था?

उन्होंने लंका में रहते हुए भी राम भक्ति की, जहाँ भगवान श्री राम का शत्रु रावण का राज था। विभीषण रावण का सबसे छोटा भाई था, जिसने लंका पर शासन किया था। वह ऋषि पुलस्त्य के पुत्र ऋषि विश्रवा और कैकसी के सबसे छोटे पुत्र थे। लंका और कुंभकर्ण के राजा रावण उनके बड़े भाई थे। ... .

विभीषण की मृत्यु कब हुई थी?

माना जाता है कि राम की जीत विभीषण बिना सम्भव नहीं थी. यही कारण था कि राम ने विभीषण को लंका नरेश बनाने के साथ अजर-अमर होने का वरदान भी दिया. विभीषण को सप्त चिरंजीवियों में से एक माना जाता है. विभीषण को भी हनुमानजी की तरह चिरंजीवी होने का वरदान मिला.

लंका का आखिरी राजा कौन था?

उसका नाम विभीषण था

रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी का क्या हुआ?

बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि रावण की मौत के बाद मंदोदरी (Mandodari) का क्या हुआ था. दरअसल मंदोदरी ने रावण के वध के बाद उनके छोटे भाई और लंका के नए राजा विभीषण (Vibhishan) से विवाह कर लिया था. पुराणों के मुताबिक मंदोदरी पूर्व जन्म में एक मेंढकी थी.