उम्र अधिक होने पर भी पिताजी को बुढ़ापा क्यों नहीं व्याप्त हुआ था घर की याद के आधार पर लिखिए? - umr adhik hone par bhee pitaajee ko budhaapa kyon nahin vyaapt hua tha ghar kee yaad ke aadhaar par likhie?

उम्र बड़ी होने पर भी पिता को बुढ़ापा छू तक नहीं गया है-कवि ने इसके क्या प्रमाण दिए हैं?


कवि भवानी प्रसाद मिश्र ‘पिता’ कविता में कहते हैं कि वस्तुत: पिताजी बड़ी उस के हैं फिर भी बुढ़ापा उनके पास तक नहीं आ पाया है, क्योंकि वे अभी भी व्यायाम करते हैं, दौड़ लगाते हैं, खिलखिलाकर हँसते हैं, खूब काम करते हैं और निर्भय रहते हैं।

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पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?


पिता के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं को उकेरा गया है

1. पिता पूर्णत: स्वस्थ हैं। बुढ़ापे ने उन्हें कभी नहीं सताया।

2. वे दौड़ लगाते तथा दंड लगाते हैं।

3. वे इतने साहसी हैं कि उनके आगे मौत भी घबराती है।

4. वे धार्मिक प्रवृत्ति के हैं। प्रतिदिन गीता का पाठ करते हैं।

5. वे भावुक प्रवृत्ति के हैं। अपने पाँचवें बेटे को याद करके उनकी आँखें भर आती हैं।

6. वे अपने बेटों-बेटियों से बहुत स्नेह करते हैं।

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कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है?


कविता की अंतिम 12 पंक्तियों में कवि अपनी यथार्थ स्थिति व मन की दशा को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है। इसका कारण यह है कि वह अपनी सत्य स्थिति को बताकर अपने परिवारजनों को और अधिक दुखी नहीं करना चाहता। अपने बेटे के दुखों को जानकर प्रत्येक माता-पिता दुखी होते हैं। यही स्थिति कवि के परिजनों की भी है। वह अपनी वास्तविकता को छिपा जाता है।

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मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?


मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ इसलिए कहा है, क्योंकि वहाँ एक भाई का न होना घर के वातावरण को दुखी अवश्य बनाता होगा। बहन भी भाई को वहाँ घर में न देखकर दुखी होती होगी। यही कारण है कि कवि ने अपने घर को ‘परिताप का घर’ कहा है।

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निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए।

मैं मजे में हूँ सही है

घर नहीं हूँ बस यही है

किंतु यह बस बड़ा बस है,

इसी बस से बस विरस है।


(1) बस-केवल - मैं केवल घर में नहीं हूँ।

(2) बस-बेबसी - यह बात मेरे बस की नहीं हैं।

बस-मात्र - बस पाँच रुपए चाहिए।

(3) बस-कारण - इसी बस से

बस-सब - सब बिना रस का हो रहा है।

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ऐसी पाँच रचनाओं का संकलन कीजिए, जिसमें प्रकृति के उपादानों की कल्पना संदेशवाहक के रूप में की गई है।


1. मेघदूत  2. बादल राग  3. मेघ आए  4. जूही की कली  5. आ: धरती कितना देती है।

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उम्र बड़ी होने पर भी पिताजी को बुढ़ापा क्यों नहीं छू पाया था?

बुढ़ापा पिता को हरा नहीं पाया है। अतः वह उम्रदराज़ होते हुए भी स्वस्थ हैं। इस उम्र में भी वह नियमित दौड़ते और व्यायाम करते हैं। उनके साहस के कारण मृत्यु भी उनका सामना नहीं करती है।

पिता जी को बुढ़ापा नहीं व्यापा कैसे?

वे अपने सरल और हँसमुख स्वभाव के कारण बुढ़ापे को नहीं आने देते। वे आज बड़े होकर भी दौड़- भाग कर सकते हैं और सबके साथ खिलखिलाकर हँस सकते हैं। पिता जी का स्वभाव सरल, सहज और हँसमुख है जिन पर अभी बुढ़ापे का कोई असर नहीं है। पिता जी इतने निडर और निर्भीक हैं कि मृत्यु से भी नहीं डरते।

पिताजी को क्या व्याप्त नहीं हुआ था?

एक व्यक्ति के वेतन में 10% वृद्धि होती है।

पिताजी जिनको बुढ़ापा एक क्षण भी नहीं व्यापा कहकर कवि पाने पिता के विषय में क्या बताना चाहता है?

कवि अपने पिता के बारे में बताता है कि वे अभी भी चुस्त हैं। बुढ़ापा उन्हें एक क्षण के लिए भी आगोश में नहीं ले पाया है। वे आज भी दौड़ सकते हैं तथा खूब खिल-खिलाकर हँसते हैं। वे इतने साहसी हैं कि मौत के सामने भी हिचकते नहीं हैं तथा शेर के आगे डरते नहीं है।