धर्म की आड़ पाठ में बुद्धि पर मार के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं? - dharm kee aad paath mein buddhi par maar ke sambandh mein lekhak ke kya vichaar hain?

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों मेंलिखिए 
'बुद्धि पर मार' के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

Solution

'बुद्धि पर मार' का अर्थ है बुद्धि पर पर्दा डालकर उनके सोचने समझने की शक्ति को काबू में करना। लेखक का विचार है कि विदेश में धन की मार है तो भारत में बुद्धि की मार। यहाँ बुद्धि को भ्रमित किया जाता है। जो स्थान ईश्वर और आत्मा का है, वह अपने लिए ले लिया जाता है। फिर इन्हीं नामों अर्थात धर्म, ईश्वर, ईमान, आत्मा के नाम पर अपने स्वार्थ की सिद्धी के लिए आपस में लड़ाया जाता है।

बुद्धि पर मार के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं धर्म की आड़?

'बुधि पर मार' के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं? बुद्धि की मार से लेखक का अर्थ है कि लोगों की बुद्धि में ऐसे विचार भरना कि वे उनके अनुसार काम करें। धर्म के नाम पर, ईमान के नाम पर लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया जाता है। लोगों की बुद्धि पर परदा डाल दिया जाता है।

धर्म की मार और बुद्धि की मार में क्या अंतर है?

उत्तर: जब कोई व्यक्ति साधारण मनुष्य को धर्म की आड़ में लड़वाता है तो यह बुद्धि की मार होती है। इस स्थिति में लोगों की बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लिया जाता है। उसके बाद धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर लोगों को लड़वाया जाता है ताकि अपनी स्वार्थ सिद्धि हो सके।

धन की मार और बुद्धि की मार का क्या आशय है?

विदेशों में अमीर लोगों द्वारा गरीब लोगों का शोषण किया जाता है। पूँजीपति अपनी शक्ति तथा धन के बल पर मजदूर वर्ग का खून चूसते हैं। यहाँ धन की मार से लोग आहत रहते हैं। ' बुद्धि पर मार ' का अर्थ है- बुद्धि पर पर्दा डालकर उनके सोचने समझने की शक्ति को काबू में करना।

धर्म की आड़ में लेखक क्या संदेश देना चाहता है?

'धर्म की आड़' पाठ में निहित संदेश यह है कि सबसे पहले हमें धर्म क्या है, यह समझना चाहिए। पूजा-पाठ, नमाज़ के बाद दुराचार करना किसी भी रूप में धर्म नहीं है। अपने स्वार्थ के लिए लोगों को गुमराह कर शोषण करना और धर्म के नाम पर दंगे फसाद करवाना धर्म नहीं है। सदाचार और शुद्ध आचरण ही धर्म है, यह समझना चाहिए।