'ज्ञानी' से कवयित्री का अभिप्राय है? Show यहाँ ज्ञानी से कवयित्री का अभिप्राय है जिसने आत्मा और परमात्मा के सम्बन्ध को जान लिया हो। कवयित्री के अनुसार ईश्वर का निवास तो हर एक कण-कण में है परन्तु मनुष्य इसे धर्म में विभाजित कर मंदिर और मस्जिद में खोजता फिरता है। वास्तव में ज्ञानी तो वह है जो अपने अंतकरण में ईश्वर को पा लेता है। भाव यह है कि ईश्वर को अपने ही हृदय में ढूँढना चाहिए और जो उसे ढूँढ लेते हैं वही सच्चे ज्ञानी हैं। 248 Views 'रस्सी' यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है? रस्सी यहाँ पर मानव के नाशवान शरीर के लिए प्रयुक्त हुई है और यह रस्सी कब टूट जाए कहा नहीं जा सकता है। यह कच्चे धागे की भाँति है जो कभी भी साथ छोड़ सकता है । 660 Views भाव स्पष्ट कीजिए- कवयित्री कहती है कि मनुष्य को भोग विलास में पड़कर कुछ भी प्राप्त होने वाला नहीं है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग अपनाने को कह रही है।मनुष्य जब सांसारिक भोगों को पूरी तरह से त्याग देता है तब उसके मन में अंहकार की भावना पैदा हो जाती है। अत:भोग-त्याग, सुख-दुःख के मध्य का मार्ग अपनाने की बात यहाँ पर कवयित्री कर रही है। भाव यह की भूखे रहकर तू ईश्वर साधना नहीं कर सकता। 845 Views कवयित्री का 'घर जाने की चाह' से क्या तात्पर्य है? कवयित्री का घर जाने की चाह से तात्पर्य है प्रभु से मिलना। कवयित्री इस भवसागर को पार करके अपने परमात्मा की शरण में जाना चाहती है क्योंकि जहाँ प्रभु हैं वहीं उसका वास्तविक घर है। 505 Views कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं? कवयित्री के कच्चेपन के कारण उसके मुक्ति के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं अर्थात् वह इस संसारिकता तथा मोह के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है ऐसे में वह प्रभु भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रहीं है। उसमें अभी पूर्ण रुप से प्रौढ़ता नहीं आई है। अत: उसे लगता है उसके द्वारा की जा रही सारी साधना व्यर्थ हुई जा रही है इसलिए उसके द्वारा मुक्ति के प्रयास भी विफल होते जा रहे हैं। 455 Views भाव स्पष्ट कीजिए - भाव यह है कवयित्री इस संसार में आकर सांसारिकता में उलझकर रह गयी और जब अंत समय आया और जेब टटोली तो कुछ भी हासिल न हुआ। लेखिका ने प्रभु के पास पहुँचने के लिए कठिन साधना चुनी परंतु उससे इस राह से ईश्वर नही मिला। अब उसे चिंता सता रही है कि भवसागर पार करानेवाले मांझी अर्थात् ईश्वर को उतराई के रूप में क्या देगी। 572 Views कवयित्री ज्ञानी को क्या जानने की प्रेरणा देती हैं?कवयित्री ने काव्यांश के माध्यम से यह संदेश दिया है कि मनुष्य को हिंदू-मुसलमान के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए क्योंकि ईश्वर सर्वव्यापक । वह कहती हैं कि हे मनुष्य! तुम धार्मिक भेदभाव को त्यागकर उसे अपना लो। ईश्वर को जानने से पहले तुम स्वयं को पहचानो अर्थात् आत्मज्ञान प्राप्त करो।
ज्ञानी का कवयित्री से क्या तात्पर्य है?'ज्ञानी' से कवयित्री का अभिप्राय है? यहाँ ज्ञानी से कवयित्री का अभिप्राय है जिसने आत्मा और परमात्मा के सम्बन्ध को जान लिया हो। कवयित्री के अनुसार ईश्वर का निवास तो हर एक कण-कण में है परन्तु मनुष्य इसे धर्म में विभाजित कर मंदिर और मस्जिद में खोजता फिरता है।
कवित्री के अनुसार सच्चा ज्ञानी कौन है?कवयित्री का मानना है कि जो मनुष्य मंदिर-मस्जिद या विभिन्न देवी देवताओं में उलझा रहता है उसे ज्ञान नहीं मिल पाता है। जिसने आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया वही सच्चा ज्ञानी है।
कवयित्री प्रभु को किस नाम से पुकारते हैं और क्यों?शिव से कवयित्री का तात्पर्य ईश्वर से है। अथवा I. कवयित्री ईश्वर को शिव के नाम से पुकारती है, क्योंकि वही सबका कल्याण करने वाला है। कवयित्री के अनुसार, परमात्मा प्रकृति के कण-कण में बसा हुआ है।
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