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पिता अपनी बच्ची को माता के प्रसाद का फूल क्यों न दे सका? Advertisement Remove all ads Solutionपिता जब मंदिर से देवी के प्रसाद का फूल लेकर बाहर आने वाला था, तभी कुछ सवर्ण भक्तों की दृष्टि उस पर पड़ गई। उन्होंने अछूत कहकर उसे मारा-पीटा और न्यायालय तक ले आए। यहाँ उसे सात दिन का कारावास मिला। इस बीच उसकी बेटी इस दुनिया से जा चुकी थी और वह अपनी बेटी को माँ के प्रसाद का फूल न दे सका। Concept: पद्य (Poetry) (Class 9 B) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 10: सियारामशरण गुप्त - एक फूल की चाह - अतिरिक्त प्रश्न Q 8Q 7Q 9 APPEARS INNCERT Class 9 Hindi - Sparsh Part 1 Chapter 10 सियारामशरण गुप्त - एक फूल की चाह Advertisement Remove all ads एक फूल की चाह Page [II] 9th Class (CBSE) Hindiलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर:प्रश्न: महामारी अपना प्रचंड रूप किस प्रकार दिखा रही थी?उत्तर: बस्ती में महामारी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। यहाँ कई बच्चे इसका शिकार हो चुके थे। जिन माताओं के बच्चे अभी इसका शिकार हुए थे, उनका रो-रोकर बुरा हाल था। उनके गले से क्षीण आवाज़ निकल रही थी। उस क्षीण आवाज़ में हाहाकार मचाता उनका अपार दुख था। महामारी के इस प्रचंड रूप में चारों ओर करुण क्रंदन सुनाई दे रहा था। प्रश्न: पिता सुखिया को कहाँ जाने से रोकता था और क्यों?उत्तर: पिता सुखिया को बाहर जाकर खेलने से मना करता था क्योंकि उसकी बस्ती में महामारी अपने प्रचंड रूप में हाहाकार मचा रही थी। इस महामारी की चपेट में कई बच्चे आ चुके थे। सुखिया अपनी बच्ची से बहुत प्यार करता था। उसे डर था कि कहीं सुखिया महामारी की चपेट में न आ जाए। प्रश्न: सुखिया ने अपने पिता से देवी के प्रसाद का फूल क्यों माँगा?उत्तर: सुखिया महामारी की चपेट में आ चुकी थी। महामारी के कारण उसकी आवाज कमजोर हो गई और शरीर के अंग शिथिल पड़ गए थे। उसे लग गया होगा कि उसकी मृत्यु निकट है। उसे आशा रही होगी कि वह शायद देवी के प्रसाद से ठीक हो जाए। बीमारी की दशा में वह स्वयं तो जा नहीं सकती थी, इसलिए उसने देवी के प्रसाद का फूल माँगा। प्रश्न: मंदिर की भव्यता और सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।उत्तर: देवी का विशाल मंदिर ऊँचे पर्वत की चोटी पर स्थित था। यह मंदिर बहुत बड़ा था। मंदिर की चोटी पर सुंदर सुनहरा कलश था जो सूर्य की किरणें पड़ने से कमल की तरह खिल उठता था। वहाँ का वातावरण धूप-दीप के कारण सुगंधित था। अंदर भक्तगण मधुर स्वर में देवी का गुणगान कर रहे थे। प्रश्न: न्यायालय द्वारा सुखिया के पिता को क्यों दंडित किया गया?उत्तर: न्यायालय द्वारा सुखिया के पिता को इसलिए दंडित किया गया, क्योंकि वह अछूत होकर भी देवी के मंदिर में प्रवेश कर गया था। मंदिर को अपवित्र तथा देवी का अपमान करने के कारण सुखिया के पिता को न्यायालय ने सात दिन के कारावास का दंड देकर दंडित किया। प्रश्न: भक्तों द्वारा सुखिया के पिता के साथ किए गए इस व्यवहार को आप किस तरह देखते हैं?उत्तर: भक्तों द्वारा सुखिया के पिता का अपमान और मारपीट करना उसकी संकीर्ण मानसिकता और अमानवीय व्यवहार का प्रतीक है। उनका ऐसा कार्य समाज की समरसता और सौहार्द नष्ट करने वाला है। इससे लोगों में तनाव उत्पन्न होता है। ऐसा व्यवहार सदैव निंदनीय होता है। प्रश्न: माता के भक्नों ने सुखिया के पिता के साथ कैसा व्यवहार किया?उत्तर: माता के भक्त जो माता के गुणगान में लीन थे, उनमें से एक की दृष्टि माता के प्रसाद का फूल लेकर जाते हुए सुखिया के पिता पर पड़ी। उसने आवाज़ दी कि यह अछूत कैसे अंदर आ गया। इसको पकड़ लो। फिर क्या था, माता के अन्य भक्तगण पूजा-वंदना छोड़कर उसके पास आए और कोई बात सुने बिना जमीन पर गिराकर मारने लगे। प्रश्न: पिता अपनी बच्ची को माता के प्रसाद का फूल क्यों न दे सका?उत्तर: पिता जब मंदिर से देवी के प्रसाद का फूल लेकर बाहर आने वाला था, तभी कुछ सवर्ण भक्तों की दृष्टि उस पर पड़ गई। उन्होंने अछूत कहकर उसे मारा-पीटा और न्यायालय तक ले आए। यहाँ उसे सात दिन का कारावास मिला। इस बीच उसकी बेटी इस दुनिया से जा चुकी थी और वह अपनी बेटी को माँ के प्रसाद का फूल न दे सका। प्रश्न: सुखिया का पिता किस सामाजिक बुराई का शिकार हुआ?उत्तर: सुखिया का पिता उस वर्ग से संबंधित था, जिसे समाज के कुछ लोग अछूत कहते हैं, इस कारण वह छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई का शिकार हो गया था। अछूत होने के कारण उसे मंदिर को अपवित्र करने और देवी का अपमान करने का आरोप लगाकर पीटा गया तथा उसे सात दिन की जेल मिली। प्रश्न: ‘एक फूल की चाह’ कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।उत्तर: प्राचीन समय से ही भारतीय समाज वर्गों में बँटा है। यहाँ समाज के एक वर्ग द्वारा स्वयं को उच्च तथा दूसरे को निम्न और अछूत समझा जाता है। इस वर्ग का देवालयों में प्रवेश आदि वर्जित है, जो सरासर गलत है। सुखिया का पिता भी जाति-पाति का बुराई का शिकार हुआ था। यह कविता हम सभी को समान समझने, ऊँच-नीच, छुआछूत आदि सामाजिक बुराइयों को नष्ट करने की प्रेरणा देती है। अत: यह कविता पूर्णतया प्रासंगिक है। दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर:प्रश्न: आपके विचार से मंदिर की पवित्रता और देवी की गरिमा को कौन ठेस पहुँचा रहा था और कैसे?उत्तर: मेरे विचार से तथाकथित उच्च जाति के भक्तगण मंदिर की पवित्रता और देवी की गरिमा को ठेस पहुँचा रहे थे, सुखिया का पिता नहीं, क्योंकि वे जातीय आधार पर सुखिया के पिता को अपमानित करते हुए देवी के सामने ही मार-पीट रहे थे। वे जिस देवी की गरिमा नष्ट होने की बात कर रहे थे, वह तो स्वयं पतित पाविनी हैं तो एक पतित के आने से न तो देवी की गरिमा नष्ट हो रही थी और न मंदिर की पवित्रता। ऐसा सोचना उन तथाकथित उच्च जाति के भक्तों की संकीर्ण सोच और अमानवीयता थी। प्रश्न: ‘एक फूल की चाह’ कविता में देवी के भक्तों की दोहरी मानसिकता उजागर होती हैं। स्पष्ट कीजिए।उत्तर: ‘एक फूल की चाह’ कविता में देवी के उच्च जाति के भक्तगण जोर-ज़ोर से गला फाड़कर चिल्ला रहे थे, “पतित-तारिणी पाप-हारिणी माता तेरी जय-जय-जय!” वे माता को भक्तों का उद्धार करने वाली, पापों को नष्ट करने वाली, पापियों का नाश करने वाली मानकर जय-जयकार कर रहे थे। उसी बीच एक अछूत भक्त के मंदिर में आ जाने से वे उस पर मंदिर की पवित्रता और देवी की गरिमा नष्ट होने का आरोप लगा रहे थे। जब देवी पापियों का नाश करने वाली हैं तो एक पापी या अछूत उनकी गरिमा कैसे कम कर रहा था। भक्तों की ऐसी सोच से उनकी दोहरी मानसिकता उजागर होती है। प्रश्न: महामारी से सुखिया पर क्या प्रभाव पड़ा? इससे उसके पिता की दशा कैसी हो गई?उत्तर: महामारी की चपेट में आने से सुखिया को बुखार हो आया। उसका शरीर तेज़ बुखार से तपने लगा। तेज बुखार के कारण वह बहुत बेचैन हो रही थी। इस बेचैनी में उसका उछलना-कूदना न जाने कहाँ खो गया। वह भयभीत हो गई और देवी के प्रसाद का एक फूल पाने में अपना कल्याण समझने लगी। उसके बोलने की शक्ति कम होती जा रही थी। धीरे-धीरे उसके अंग शक्तिहीन हो गए। उसकी यह दशा देखकर सुखिया का पिता चिंतित हो उठा। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। सुखिया के पास चिंतातुर बैठे हुए उसे यह भी पता नहीं चल सका कि कब सूर्य उगा, कब दोपहर बीतकर शाम हो गई। प्रश्न: सुखिया को बाहर खेलते जाता देख उसके पिता की क्या दशा होती थी और क्यों?उत्तर: सुखिया को बाहर खेलते जाता देखकर सुखिया के पिता का हृदय काँप उठता था। उसके मन को एक अनहोनी-सी आशंका भयभीत कर रही थी, क्योंकि उसकी बस्ती के आसपास महामारी फैल रही थी। उसे बार-बार डर सता रहा था कि कहीं उसकी पुत्री सुखिया भी महामारी की चपेट में न आ जाए। वह इस महामारी से अपनी पुत्री को बचाए रखना चाहता था। उसे महामारी का परिणाम पता था, इसलिए अपनी पुत्री की रक्षा के प्रति चिंतित और आशंकित हो रहा था। प्रश्न:
उत्तर:
Pages: 1 2 पिता अपनी बच्ची को माता के प्रसाद का फूल क्यों न दे सका?पिता जब मंदिर से देवी के प्रसाद का फूल लेकर बाहर आने वाला था, तभी कुछ सवर्ण भक्तों की दृष्टि उस पर पड़ गई। उन्होंने अछूत कहकर उसे मारा-पीटा और न्यायालय तक ले आए। यहाँ उसे सात दिन का कारावास मिला। इस बीच उसकी बेटी इस दुनिया से जा चुकी थी और वह अपनी बेटी को माँ के प्रसाद का फूल न दे सका।
सुखिया ने अपने पिता से फूल क्यों माँगा एक फूल की चाह इस कविता के आधार पर लिखिए?उसे अंदर-ही-अंदर यह अनुभव हो गया था कि उसकी मृत्यु नजदीक है। इसलिए वह मरते समय देवी की कृपा पाना चाहती थी। वह स्वयं तो देवी के मंदिर में जाने में असमर्थ थी। इसलिए उसके अपने पिता को देवी के प्रसाद का एक फूल लाने को कहा।
सुखिया का पिता अपनी बेटी को बाहर जाने से क्यों रोकता था?पिता सुखिया को बाहर जाकर खेलने से मना करता था क्योंकि उसकी बस्ती में महामारी अपने प्रचंड रूप में हाहाकार मचा रही थी। इस महामारी की चपेट में कई बच्चे आ चुके थे। सुखिया अपनी बच्ची से बहुत प्यार करता था। उसे डर था कि कहीं सुखिया महामारी की चपेट में न आ जाए।
पिता सुखिया को देखने कहाँ दौड़ते हुए गए?वे उसे देखने दौड़ते हुए श्मशान-घाट गए, जहां उनके रिश्तेदारों ने सुखिया का दाह-संस्कार किया था।
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