Extra Questions and Answer from Chapter 7 Dharm ki aad Sparsh Bhaag Iनिम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए - Show
1. देश के सभी शहरों का यही हाल है। उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बुझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुट जाता है। यथार्थ दोष है, कुछ चलते-पुरज़े, पढ़े लिखे लोगों का, जो मूर्ख लोगों की शक्तियों का और उत्साह का दुरूपयोग इसलिए कर रहे हैं कि इस प्रकार, जाहिलों के आधार पर उनका नेतृत्व और बड़प्पन कायम रहे। इसके लिए धर्म और ईमान की बुराइयों से काम लेना उन्हें सबसे सुगम मालुम पड़ता है। सुगम है भी। (क) कौन किसका दुरूपयोग कर रहा है और क्यों? (2) उत्तर (क) कुछ चालाक और पढ़े-लिखे लोग मूर्ख लोगों की शक्तियों और उत्साह का दुरूपयोग धर्म के नाम पर अपना नेतृत्व और बड़प्पन कायम रखने के लिए कर रहे हैं। 2. हमारे देश में धनपतियों का इतना ज़ोर नहीं है। यहाँ धर्म में नाम पर कुछ इन-गिने आदमी अपने हैं स्वार्थों की सिद्धि के लिए करोड़ों आदमियों की शक्ति का दुरूपयोग किया करते हैं। गरीबों का धनाढ्यों द्वारा चूसा इतना बुरा नहीं है, जितना बुरा यह है कि वहाँ है धन की मार, यहाँ पर है बुद्धि की मार। वहाँ धन दिखाकर करोड़ो को वश में किया जाता है और फिर मनमाना धन पैदा करने के लिए जोत दिया जाता है। यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना। (क) पाश्चात्य देशों और भारत में क्या अंतर है? (2) उत्तर (क) पाश्चात्य देशों में धन दिखाकर लोगों को वश में करते हैं और भारत में धर्म के नाम पर लोगों की शक्ति को दुरूपयोग किया
जा रहा है। 3. धर्म की उपासना के मार्ग में कोई रुकावट न हो। जिसका मन जिस प्रकार चाहे, उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगावे। धर्म और ईमान, मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचा उठाने का साधन हो। वह किसी दशा में भी, किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने या कुचलने का साधन न बने। आपका मन चाहे, उस तरह का धर्म आप मानें और दूसरों का मन चाहे, उस प्रकार का धर्म वह माने। दोनों भिन्न धर्मों को मानने वालों को टकरा जाने के लिए कोई भी स्थान न हो। यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं जबरदस्ती टाँग अड़ाते हों, तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए। (क) धर्म किस बात का साधन है?
(1) उत्तर (क) धर्म आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचा उठाने का साधन है। 4. देश की स्वाधीनता के लिए जो उद्योग किया जा रहा था, उसका वह दिन निःसंदेह, बुरा था, जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में ख़िलाफ़त, मुल्ला, मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया। एक प्रकार से उस दिन हमने स्वाधीनता के क्षेत्र में, एक कदम पीछे हटकर रखा था। अपने उसी पाप का फल आज हमें भोगना पड़ रहा है। देश को स्वाधीनता के संग्राम ही ने मौलना अब्दुल बारी और शंकराचार्य को देश के सामने दूसरे रूप में पेश किया, उन्हें अधिक शक्तिशाली बना दिया और हमारे इस काम का फल यह हुआ कि इस समय, हमारे हाथों से ही बढ़ाई इनकी और इनके से लोगों की शक्तियाँ हमारी जड़ उखाड़ने और देश में मज़हबी पागलपन, प्रपंच और उत्पात का राज्य स्थापित कर रही हैं। (क) देश की स्वाधीनता का कौन सा दिन सबसे बुरा था? (1) उत्तर (क) देश की स्वाधीनता का वह दिन सबसे बुरा था जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में ख़िलाफ़त, मुल्ला, मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया गया। 5. ऐसे धार्मिक और दीनदार आदमियों से तो वे ला-मज़हब और नास्तिक आदमी कहीं अधिक अच्छे और ऊँचे हैं, जिनका आचरण अच्छा है, जो दूसरों के सुख-दुःख का ख्याल रखते हैं और जो मूर्खों को किसी स्वार्थ सिद्धि के लिए उकसाना बहुत
बुरा समझते हैं। ईश्वर इन नास्तिक और ला-मज़हब लोगों को अधिक प्यार करेगा और वह अपने पवित्र नाम पर अपवित्र काम करने वालों से यही कहना पसंद करेगा, मुझे मानो या ना मानो, तुम्हारे मानने से ही मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोडो और आदमी बनो। उत्तर (क) ला-मज़हबी और नास्तिक लोग जिनका आचरण अच्छा है, धार्मिक और ईमानदार लोगों से अच्छे हैं। निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये- उत्तर आज धर्म और ईमान के नाम पर उत्पात, जिद और झगडे करवाये जाते हैं। अपने स्वार्थ को पूरा करने लिए धर्म को साधन बनाया जाता है और दंगे कराये जाते हैं। आम आदमी धर्म को जाने या ना जाने परन्तु धर्म के नाम पर जान देने और लेने के लिए तैयार हो जाता है। 2. पाश्चात्य देशों और हमारे देश में क्या अंतर है? पाठ के आधार पर लिखिए। उत्तर पाश्चात्य देशों में धन का बोलबाला है। वहाँ धनी लोग गरीब लोगों को धन दिखाकर उनका शोषण करते हैं। हमारे देश में धन का उतना ज़ोर नहीं है। यहाँ कुछ लोग बुद्धि पर पर्दा डाल धर्म के नाम पर स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को आपस में भिड़ाते हैं। 3. लेखक के अनुसार धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए? उत्तर लेखक के अनुसार धर्म का विषय व्यक्ति के मन के ऊपर हो। जिसका मन जिस प्रकार चाहे उसी प्रकार का धर्म माने। यह आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचा उठाने का साधन है। यह किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने या कुचलने का साधन ना बने। 4. अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दबाने और नमाज़ पढ़ने का नाम धर्म नहीं है। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। उत्तर घंटों पूजा कर, शंख बजाकर और पंच-वक्ता नमाज़ अदा कर कोई सच्चा धार्मिक नहीं हो जाता। ऐसा करने के बाद अगर व्यक्ति बुरे काम में लिप्त है तो यह धर्म का पालन नहीं हुआ। शुद्धाचरण और सदाचरण ही सच्चा धर्म है। अगर आपका आचरण अच्छा नहीं है तो पूजा-पाठ और नमाज़ अदायगी व्यर्थ के कार्य हैं। धर्म की आड़ - पठन सामग्री और सार NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 7- धर्म की आड़ पाश्चात्य देशों और हमारे देश में क्या अंतर है धर्म की आड पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?पाश्चात्य देशों में धन का बोलबाला है। वहाँ धनी लोग गरीब लोगों को धन दिखाकर उनका शोषण करते हैं। हमारे देश में धन का उतना ज़ोर नहीं है। यहाँ कुछ लोग बुद्धि पर पर्दा डाल धर्म के नाम पर स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को आपस में भिड़ाते हैं।
पाश्चात्य देशों में घनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?पाश्चात्य देशों में धनी लोगों की ऊँची-ऊँची इमारतें गरीब लोगों का मजाक बनाती है। उसके अतिरिक्त उनके पास सभी सुख-सुविधाएँ हैं। गरीब लोगों का शोषण करके ये लोग धनी बने हैं। धन का मार्ग दिखाकर ये निर्धन लोगों को वश में करते हैं।
पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है धर्म की आड़ में पाठ के आधार पर स्पस्ट कीजिए L?पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन के बीच गहरी खाई है। वहाँ धनी लोग निर्धन को चूसना चाहते हैं। उनसे पूरा काम लेकर ही वह धनी हुए हैं। वे धन का लोभ दिखाकर उन्हें अपने वश में कर लेते हैं और मनमाने तरीके से काम लेते हैं।
पाश्चात्य देशों में धनी लोगों की क्या चीज गरीब मजदूरों की झोपड़ी का मजाक उड़ाते हैं?Answer: “पाश्चात्य देशों में, धनी लोगों की, गरीब मजदूरों की झोपड़ी का मज़ाक उड़ाती हुई अट्टालिकाएँ आकाश से बातें करती हैं! गरीबों की कमाई ही से वे मोटे पड़ते हैं, और उसी के बल से, वे सदा इस बात का प्रयत्न करते हैं कि गरीब सदा चूसे जाते रहें।
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