दक्षिण अफ्रीका के झंडे में कितने रंग है - dakshin aphreeka ke jhande mein kitane rang hai

तिरंगा मतबल देश की शान बान और आन. तिरंगे कितना महत्वपूर्ण है ये एक भारतीय बखूबी जानता है. कम ही लोग जानते हैं कि तिरंगे को पिंगली वेंकैया नामक शख्स ने डिजाइन किया था. आज ही रोज 2 अगस्त 1876 को उनका जन्म हुआ था. आइए जानते हैं उनके बारे में, साथ ही जानते हैं कैसे किया तिरंगे को डिजाइन.

- पिंगली वेंकैया की उम्र जब 19 साल की थी तब उन्होंने "ब्रिटिश आर्मी" से जुड़े और अफ्रीका में एंग्लो-बोएर जंग में हिस्सा लिया. वहां वह महात्मा गांधी से मिले थे.

- पिंगली वेंकैया ने प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू और मछलीपट्टनम से प्राप्त करने के बाद 19 साल की उम्र में मुंबई चले गए थे. वहां जाने के बाद उन्‍होंने सेना में नौकरी कर ली, जहां से उन्हें दक्षिण अफ्रीका भेज दिया गया.

- 1899 से 1902 के बीच दक्षिण अफ्रीका के "बायर" युद्ध में उन्होंने भाग लिया था. इसी बीच वहां पर वेंकैया  साहब की मुलाकात महात्मा गांधी से हो गई, वह उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए, स्वदेश वापस लौटने पर मुंबई  में रेलवे में गार्ड की नौकरी में लग गए.

- इसी बीच मद्रास (अब चेन्नई) में प्लेग नामक महामारी के चलते कई लोगों की मौत हो गई, जिससे उनका मन व्यथित हो उठा और उन्‍होंने वह नौकरी भी छोड़ दी थी. वहां से मद्रास में प्लेग रोग निर्मूलन इंस्‍पेक्‍टर के पद पर तैनात हो गए थे.

कैसे हुई राष्ट्रीय ध्वज की रचना

1916 में पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे झंडे के बारे में सोचा जो सभी भारतवासियों को एक धागे में पिरोकर रखें. उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी जी का साथ मिला और इन तीनों ने मिल कर "नेशनल फ्लैग मिशन" की स्थापना की.

वहीं वैकेंया महात्मा गांधी से काफी प्रेरित थे. ऐसे में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के लिए उन्हीं से सलाह लेना बेहतर समझा. गांधी जी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का संकेत बनेगा.

आपको बता दें, पिंगली वेंकैया लाल और हरे रंग के की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र बना कर लाए पर गांधी जी को यह ध्वज ऐसा नहीं लगा कि जो संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता है. आपको बता दें, राष्ट्रीय ध्वज में रंग को लेकर तरह-तरह के वाद-विवाद चलते रहे थे.

फिर ऐसे बना तिरंगा

1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया. देश की आजादी की घोषणा से कुछ दिन पहले फिर कांग्रेस के सामने ये प्रश्न आ खड़ा हुआ कि अब राष्ट्रीय ध्वज को क्या रूप दिया जाए इसके लिए फिर से डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई और तीन सप्ताह बाद 14 अगस्त को इस कमेटी ने अखिल भारतीय कांग्रेस के ध्वज को ही राष्ट्रीय ध्वज के रूप में घोषित करने की सिफारिश की. 15 अगस्त 1947 को तिरंगा हमारी आजादी और हमारे देश की आजादी का प्रतीक बन गया.

आपको बता दें, भारत के राष्ट्रीय ध्‍वज तिरंगे का डिजाइन बनाने वाले पिंगली वेंकैया के सम्मान में भारत सरकार ने उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया था. राष्ट्रीय ध्वज बनाने के बाद पिंगली वेंकैया का झंडा "झंडा वेंकैया" के नाम से लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया. 4 जुलाई, 1963 को पिंगली वेंकैया का निधन हो गया था.

जानें- तिरंगा कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज...

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी. इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया था.

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झण्डामा रातो (शीर्षमा) र नीलो (तलमा) को तेर्सो ब्यान्डहरू छन्, बराबर चौडाइको, केन्द्रीय हरियो ब्यान्डद्वारा छुट्याइएको छ जुन तेर्सो "Y" आकारमा विभाजित हुन्छ, जसको हातहरू कोरमा समाप्त हुन्छन्।