दबा हुआ आदमी एक कवि है यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फाईल की यात्रा पर क्या असर पड़ा? - daba hua aadamee ek kavi hai yah baat kaise pata chalee aur is jaanakaaree ka phaeel kee yaatra par kya asar pada?

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Question

दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?

Solution

सेक्रेटेरिएट का माली दबे हुए व्यक्ति को खाना खिलाने जाता है। खाना खिलाते समय वह दबे हुए व्यक्ति को बताता है कि उसके विषय में सभी सेक्रेटियों की मींटिग हो रही है। अतः उसके विषय में कुछ-न-कुछ फैसला निकल आएगा। तब वह एक शेर बोलता है, जिससे माली को पता चलता है कि वह एक कवि है। जब माली को पता चला कि यह कवि है, तो पूरे सेक्रेटेरिएट में यह बात फैल गई। सभी उसके पास आ गए। अब कहा गया कि यह फाइल न एग्रीकल्चर और न हॉर्टीकल्चर की है। यह तो कल्चर डिपार्टमेंट की है। इस तरह फाइल कल्चर डिपार्टमेंट में घूमकर साहित्य अकादमी सेक्रेटरी के पास पहुँची। वे भी कुछ नहीं कर पाए और पेड़ के नीचे दबा व्यक्ति दबा ही रह गया।

दबा हुआ आदमी एक कवि है यह कैसे पता चला और इसका फाइल पर क्या असर पड़ा?

सवेरे को जब माली ने देखा, तो उसे पता चला कि पेड़ के नीचे एक आदमी दबा पड़ा है। माली दौड़ा-दौड़ा चपरासी के पास गया, चपरासी दौड़ा-दौड़ा क्लर्क के पास गया, क्लर्क दौड़ा-दौड़ा सुपरिंटेंडेंट के पास गया, सुपरिंटेंडेंट दौड़ा-दौड़ा बाहर लॉन में आया। मिनटों में गिरे हुए पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी के चारों ओर भीड़ इकट्ठी हो गई।

यदि आप माली की जगह होते तो हुकूमत के फैसले का इंतजार करते या नहीं अगर हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों?

यदि मैं माली की जगह पर होता, तो हुकूमत के फैसले का कभी इंतज़ार नहीं करता। दबा व्यक्ति कोई वस्तु नहीं है। वह मनुष्य है और उसे दर्द होता है। अतः मैं तुरंत निर्णय लेता और उस दबे व्यक्ति को निकालने का प्रयास करता।

कवि के जीवन का क्या फैसला हुआ?

आदमी के शायर होने की बात सारे सचिवालय में फैल गई, फिर यह चर्चा शहर में फैल गई और तरह-तरह के कवि व शायर वहाँ इकट्ठे हो गए। वे सभी अपनी रचनाएँ सुनाने लगे। कई क्लर्क उस आदमी से अपनी कविता पर आलोचना करने को मजबूर करने लगे। जब यह पता चला कि दबा हुआ व्यक्ति कवि है, तो सब-कमेटी ने यह मामला कल्चरल डिपार्टमेंट को सौंप दिया।

इस पाठ में सरकार के किन किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?

इससे पता चलता है कि यह विभाग स्वयं किसी निर्णय को नहीं ले सकते हैं। इनमें मानवता का लेश मात्र नहीं है। बस नियमों का ढोल पीटते हैं। अपनी ज़िम्मेदारी कोई नहीं समझता है।