Show तंत्र-मंत्र से ज्ञान-विद्या की प्राप्तिकमजोर विद्यार्थियों के लिए आसान विधिआज के युग में तंत्र-मंत्र पर विद्यार्थीगण कम विश्वास करते हैं तथा सरस्वती साधना भी आसान नहीं होती, जिसे प्रत्येक कर सके। जनसाधारण तथा कमजोर विद्यार्थियों हेतु एक आसान विधि का वर्णन किया जा रहा है, जिससे साधक को निश्चित लाभ होगा।
एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र : ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः। और भी पढ़ें :मंत्र-तंत्र-यंत्र में असीम अलौकिक शक्तियां निहित हैं। इसके द्वारा नर से नारायण बना जा सकता है। आवश्यकता है सविधि साधना के साथ-साथ श्रद्धा एवं विश्वास की। मंत्र शब्दों या वाक्यों का वह मंत्र-तंत्र-यंत्र में असीम अलौकिक शक्तियां निहित हैं। इसके द्वारा नर से नारायण बना जा सकता है। आवश्यकता है सविधि साधना के साथ-साथ श्रद्धा एवं विश्वास की। मंत्र शब्दों या वाक्यों का वह वर्ण समूह है, जिसके निरंतर मनन से विशेष शक्ति प्राप्त की जाती है। मंत्र शास्त्र हमारे दिव्य दृष्टि युक्त ऋषि-महर्षियों की देन हैं। मंत्र का सीधा संबंध मानव के मन से है, मन की एकाग्रता एवं तन्मयता मंत्र सिद्धि की मंजिल तक पहुंचाती है और मन को एकाग्र करके किसी भी देवी-देवता की सिद्धि प्राप्त की जा सकती है।
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विद्या प्राप्ति के लिए कौन सा मंत्र?मां सरस्वती, जो प्रधानत: जगत की उत्पत्ति और ज्ञान का संचार करती हैं। * विद्या प्राप्ति का प्रभावी मंत्र : प्रतिदिन हरे हकीक या स्फटिक माला से सुबह के समय में 108 बार जपें। विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
विद्या की प्राप्ति कैसे होती है?विद्या है वो जानकारी और गुण, जो हम देखने-दिखाने, सुनने-सुनाने, या पढ़ने-पढ़ाने (शिक्षा) के माध्यम से प्राप्त करते हैं । हमारे जीवन के शुरुआत में हम सब जीना सीखते है । शिक्षा लोगों को ज्ञान और विद्या दान करने को कहते हैं अथवा व्यवहार में सकारात्मक एंव विकासोन्मुख परिवर्तन को शिक्षा माना जाता है ।
तंत्र मंत्र कैसे काम करता है?तंत्र एक प्रक्रिया है जिससे हम अपनी आत्मा और मन को बंधन मुक्त करते हैं. इस प्रक्रिया से शरीर और मन शुद्ध होता है, और ईश्वर का अनुभव करने में सहायता होती है. तंत्र की प्रक्रिया से हम भौतिक और आध्यात्मिक जीवन की हर समस्या का हल निकाल सकते हैं.
तांत्रिक विद्या से क्या होता है?तंत्र विद्या के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मशक्ति का विकास करके कई तरह की शक्तियों से संपन्न हो सकता है। यही तंत्र का उद्देश्य है। इसी तरह तंत्र से ही सम्मोहन, त्राटक, त्रिकाल, इंद्रजाल, परा, अपरा और प्राण विद्या का जन्म हुआ है। तंत्र से वशीकरण, मोहन, विद्वेषण, उच्चाटन और स्तम्भन क्रियाएं भी की जाती है।
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