सड़क पर वाहनों की बढ़ती संख्या से क्या-क्या परेशानी होती है - sadak par vaahanon kee badhatee sankhya se kya-kya pareshaanee hotee hai

वाहनों की बढ़ती संख्या से यातायात प्रभावित

Publish Date: Mon, 03 Dec 2012 05:56 PM (IST)Updated Date: Mon, 03 Dec 2012 05:57 PM (IST)

अरुण कुमार पुरी, रूपनगर :

सिकुड़ती सड़कों पर बढ़ रहे वाहनों की संख्या चिंता का विषय बनती जा रही है। इसके चलते शहरों में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी ट्रैफिक व्यवस्था बुरी तरह से चरमराती जा रही है। आलम यह है कि वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण आम लोगों को तो परेशानी होती ही है, यातायात को सुचारू रखने के लिए यातायात पुलिस को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं। इस समय यदि जिले के अंदर वाहनों की संख्या पर नजर डाली जाए तो हर वर्ष आठ से 10 हजार नए वाहन सड़कों पर आ रहे हैं। पहले जिनके पास मात्र साइकिल हुआ करती थी उनके पास आज दोपहिया वाहन आ गया हैं, जबकि पहले दोपहिया वाहन रखने वालों के पास अब कारें व अन्य वाहन मौजूद हैं। यानी आज जिले में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिसके यहां छोटा बड़ा वाहन न हो। पिछले पांच वर्ष के दौरान जिले में लगभग 40 हजार वाहन बढ़े हैं। इसकी तुलना मे ज्यादातर शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों की चौड़ाई पहले जितनी ही है। हालांकि मुख्य मार्गो व हाईवे की चौड़ाई पहले से काफी बढ़ाई जा चुकी है, लेकिन वर्तमान में वाहनों की तुलना में उक्त चौड़ाई भी कम पड़ने लगी है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि लोग एक दूसरे को देखते हुए वाहन पर वाहन तो खरीद रहे हैं, लेकिन वाहन चलाने की पूरी ट्रेनिंग हर कोई नहीं ले रहा है। यही कारण है कि सड़कों पर बढ़ती भीड़ व गलत ड्राइविंग, एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में सड़क हादसे भी बढ़ते जा रहे हैं।

अकेले रूपनगर शहर की अगर बात करें तो पुराना शहर होने के कारण यहां कि सड़कें पहले से ही कम हो गई हैं। ऊपर से ट्रैफिक के बढ़ते बोझ के कारण शहर में रोज बड़े जाम लगे रहते हैं। हालांकि जगह-जगह ट्रैफिक पुलिस के जवान यातायात को सुचारू बनाए रखने के लिए कोशिश करते रहते हैं, लेकिन बीच शहर में उनकी चक्कर यदा कदा ही लगता है, क्योंकि मुख्य मार्ग व हाईवे पर पूरा दिन वीआईपी का आवागमन रहता है। इस बारे में ट्रैफिक प्रभारी रोशन लाल ने कहा कि उनका काम यातायात को सुचारू बनाना है, वाहनों की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाना नहीं। उन्होंने कहा कि अगर लोग नियमों का पलन करें तो समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।

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