संधि के कितने भेद होते हैं उनके नाम लिखिए? - sandhi ke kitane bhed hote hain unake naam likhie?

आज हम जानेंगे की संधि के कितने भेद होते हैं? (Sandhi ke kitne bhed hote hain) या संधि कितने प्रकार के होते हैं? (Sandhi kitne prakar ke hote hain)

दोस्तों किसी भी भाषा को का आधार व्याकरण ही होता है। एक भाषा को सही तरीके से पढ़ने और समझने के लिए उस भाषा के व्याकरण का ज्ञान होना जरूरी होता है। हिंदी हमारी मातृभाषा है, आज के समय में अंग्रेजी को जितना महत्व दिया जाता है, उतना ही महत्व हिंदी का भी है।

हिंदी व्याकरण में संधि एक महत्वपूर्ण भाग है। आज इस लेख में हम संधि तथा संधि के कितने भेद होते हैं? इन सभी के बारे में एक-एक करके उदाहरण सहित समझने का प्रयास करेंगे।

संधि क्या है?

संधि के भेदो के बारे में जाने से पहले संधि क्या होती है इसे जानना होगा। आसान शब्दों में कहा जाए पसंदी शब्द का सीधा मतलब होता है मेल यानी मिलना।

जब एक शब्द किसी दूसरे सब से मिलकर कोई नया शब्द बनाता है उसे ही संधि कहा जाता है। 2 शब्दों को मिलाने पर पहले शब्द की अंतिम ध्वनि दूसरे शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर एक नए शब्द का निर्माण करती है और इस प्रक्रिया को ही संधि कहते हैं।

संधि का विपरीत  संधि विच्छेद होता है। जब संधि के द्वारा बने गए किसी शब्द को हम शब्दों में तोड़कर अलग-अलग करके लिखते हैं, वह संधि विच्छेद कहलाता है।

संधि के उदाहरण में –

  • सर्व+उच्च – सर्वोच्च

उपयुक्त उदाहरण में तथा मिलकर बन गए हैं जिसमें का लोप हो गया है।

  • भोजन+आलय – भोजनालय

इस उदाहरण में भोजन का अ और आलय का आ मिलकर भोजनालय का आ बन गए हैं।

  • प्रति+एक – प्रत्येक

दिए गए उदाहरण में प्रति का ति तथा एक का ए मिलकर त्ये का निर्माण कर रहे हैं।

  • विद्या+आलय – विद्यालय

दिए गए उदाहरण में आ और आ मिलकर आ का निर्माण कर रहे हैं जिसमें एक आ का लोप हो रहा है।

मुख्य रूप से संधि के तीन भेद जाने जाते हैं। संधि को तीन भागों में  बांटकर पढ़ा जाता है।

  • स्वर संधि
  • व्यंजन संधि
  • विसर्ग संधि

संधि के इन तीनों भेदों को एक-एक करके विस्तार से उदाहरण सहित समझते हैं –

1. स्वर संधि

हिंदी भाषा के  वर्णों में जब दो स्वर आपस में जुड़ते हैं तब उसे स्वर संधि कहा जाता है। यानी दो स्वरों के मिलने से उसमें जो परिवर्तन आता है स्वर संधि कहलाती है। जैसा कि हम सभी को पता है हिंदी में 11 स्वर वर्ण होते हैं और स्वरों के मिलने को स्वर संधि कहा जाता है।

उदाहरण के लिए विद्या+आलय – विद्यालय । इस उदाहरण में देखा जा सकता है की आ और आ दो स्वरों को मिलाए जाने पर मुख्य शब्द में अंतर देखने को मिलता है। दो आ के मिलने से उनमें से एक आ का लोप हो जाता है।

मुनि+इंद्र – मुनींद्र  इस उदाहरण में भी इ और इ दो स्वरों को मिलाए जाने पर ई मिलता है। दो इ मिलकर एक ई में परिवर्तित हुई है।

Must Read

  1. व्यंजन के भेद
  2. स्वर के भेद
  3. वाक्य के भेद

स्वर संधि में, स्वर संधि के पांच भेद होते हैं, जो निम्नलिखित हैं

1. दीर्घ संधि

इसकी परिभाषा में, संधि करते समय अगर (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो ‘आ‘ बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ , ई) हो तो ‘ई‘ बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ ,ऊ) हो तो ‘ऊ‘ बनता है। इस तरह की संधि  दीर्घ संधि कहलाती है।

इसके उदाहरण में, पुस्तक+आलय – पुस्तकालय इसमें अ और आ  मिलकर आ बना रहा है।

पूर्व+आभास – पूर्वाभास उदाहरण में अ तथा आ मिलकर आ बना रहा है।

2. गुण संधि

इसकी परिभाषा में, जब संधि करते समय  (अ, आ) के साथ (इ , ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ ,आ)के साथ (उ , ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है। इस तरह की संधि गुण संधि कहलाती है।

इसके उदाहरण में, नर+ इंद्र – नरेंद्र इस संधि में अ तथा इ मिलकर ए बना रहे हैं।

देव+ ऋषि – देवर्षि दिया गया उदाहरण में अ तथा ऋ मिलकर  अर बना रहे हैं जिससे यह गुण संधि के अंतर्गत आ रहा है। 

3. वृद्धि संधि

परिभाषा में, जब अ , आ  के साथ  ए , ऐ  हो तो ‘ ऐ ‘ बनता है और जब अ , आ  के साथ ओ , औ हो तो ‘ औ ‘ बनता है। इस प्रकार के  संधि वृद्धि संधि  कहलाती है।

सदा + एव – सदैव उदाहरण में आ तथा ए मिलकर ऐ का निर्माण कर रहे हैं।

महा + ऐश्वर्य – महैश्वर्य इस संधि में भी आ तथा ऐ मिलकर ऐ का निर्माण कर रहे हैं।

4. यण संधि

परिभाषा में, इस संधि में इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है , जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है।

अति + आवश्यक – अत्यावश्यक उदाहरण में इ तथा आ मिलकर या बना रहे हैं।

5. अयादि संधि

परिभाषा में, संधि करते समय ए , ऐ , ओ , औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो (ए का अय), (ऐ का आय), (ओ का अव), (औ – आव) बन जाता है

नौ + इक – नाविक दिए गए उदाहरण में औ तथा इ का संधि होकर आव बना रहा है।

2. व्यंजन संधि

हिंदी भाषा में संधि करते व्यंजन के साथ किसी स्वर या व्यंजन के मिलने से व्यंजन संधि होती है किसी शब्द के अंत का व्यंजन किसी दूसरे शब्द के शुरुआत  के स्वर या व्यंजन से  मिलता है। यानी कि इसमें व्यंजन के साथ स्वर या व्यंजन की संधि होती है।

उदाहरण के लिए, अभी + सेक – अभिषेक । दिए गए उदाहरण में इ तथा स की संधि हो रही है।

दिक् + अम्बर – दिगम्बर । उपयुक्त उदाहरण में पहले शब्द के व्यंजन से दूसरे शब्द के स्वर की संधि हो रही है।

3. विसर्ग संधि

जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है, इस प्रकार की संधि करते समय विसर्ग के बाद व्यंजन या स्वर वर्ण जुड़ता है। पहले शब्द के  विसर्ग से दूसरे शब्द का स्वर या व्यंजन वर्ण मिलकर नए शब्द का निर्माण करता है।

उदाहरण के लिए, अंतः + गत – अंतर्गत । दिए गए उदाहरण पहले शब्द के विसर्ग से दूसरे शब्द के व्यंजन वर्ण की संधि हो रही है।

नि: + संदेह – निस्संदेह, इस उदाहरण में भी विसर्ग के साथ व्यंजन वर्ण की संधि हो रही है।

अतः + एव – अतएव । उदाहरण में विसर्ग के साथ स्वर वर्ण की संधि हो रही है।

संधि के कितने भेद होते हैं नाम लिखिए?

संधि के तीन प्रकार या भेद होते हैं। स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। यदि संधि के पहले शब्द का अंतिम वर्ण स्वर हो तो 'स्वर संधि'। यदि संधि के पहले शब्द का अंतिम वर्ण व्यंजन हो तो 'व्यंजन संधि'।

संधि के कितने भेद होते हैं प्रत्येक के उदाहरण दीजिए?

संधि के तीन भेद होते हैं- स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि। जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाती हैं उसे संधि कहते हैं। अर्थात संधि किये गये शब्दों को अलग-अलग करके पहले की तरह करना ही संधि विच्छेद कहलाता है।

2 संधि के कितने भेद है?

जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ ऋ, तथा लृ के बाद कोई असमान स्वर आए तो 'इ' को य्, उ को व्, ऋ, को 'र्' तथा 'लृ' को 'लू' आदेश हो जाता है। शे + अनम् नै + अक: मातृ + आज्ञा मात्राज्ञा लृ + आकृति: लाकृति: अयादि सन्धि (एचोऽयवायाव :) – जब ए, ऐ, ओ तथा औ के बाद कोई स्वर आए तो 'ए' को अय्, 'ऐ' को आय्, 'ओ' को अव् तथा 'औ' को आव् आदेश हो जाते हैं।

संधि क्या है और उसके भेद?

संधि की परिभाषा Sandhi in Hindi. पास-पास स्थित पदों के समीप विद्यमान वर्णों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं। संधि के तीन भेद होते हैं- स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि