We have given detailed NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit रचना पत्रलेखनम् Questions and Answers come in handy for quickly completing your homework. मञ्जूषातः उचितं पदं चित्वा पत्रं पूरयत- प्रश्न 1. पश्चिम-विहारः प्रियमित्र अनुराग अत्रकुशलम्, तत्र अपि ___________ भवेत्। तव ___________ मञ्जूषा – आगमिष्यन्ति, अनुभविष्यामः, प्रतीक्षाम्, मिलित्वा, नमस्ते, प्रियमित्रम्, परिवारेण, कुशलम्, प्रीतिभोजः, जन्मदिनम्। उत्तरम्- प्रश्न 2. 826, मॉडल टाउन ___________ राकेश तव
___________ मञ्जूषा – प्रियमित्रम्, कक्षायाम्, उन्नतिम्, सुफलम्, प्रणामाः, पठित्वा, वर्धापनानि, प्रियमित्र, पत्रम्। उत्तरम्- प्रश्न 3. छात्रावासः पूज्यभ्रातः ___________ मञ्जूषा – गणितविषये, सादरम्, प्रयत्नशीलः, पञ्चवादने, विद्यालयाय, अपृच्छत्, स्वाध्यायम्, भवदीयः,
प्राप्ताङ्काः अभ्यासम्। उत्तरम्- प्रश्न 4. छात्रावासः पूज्य-पितृचरणाः ___________ मञ्जूषा – परीक्षा, प्रणतिः, सादरम्, सकुशलः, पुस्तकानि, भवदीयः पुत्रः, अध्ययनम्, रूप्यकाणि। उत्तरम्- संस्कृत पत्र-लेखनं – Letter Writing in Sanskritपत्रलेखनम्- अपने विचारों और भावों के आदान-प्रदान करने के लिए पत्र प्रमुख माध्यम है। हमारे जीवन में अनेक ऐसे अवसर होते हैं। जब हम पत्र लिखने को तत्पर हो जाते हैं। पत्र की अपनी एक विशेषता भी है कि जिन भावों को हम प्रत्यक्ष रूप से अथवा दूरभाष (टेलिफोन) के माध्यम से भी नहीं कह सकते हैं उन्हें पत्र के माध्यम से भेज सकते हैं। दूर रहने वाले अपने सबन्धियों अथवा मित्रों की कुशलता जानने के लिए तथा अपनी कुशलता का समाचार देने के लिए पत्र एक साधन है। इसके अतिरिक्त अन्य कार्यालयी कार्यों के लिए भी पत्र लिखे जाते है। पत्र के प्रकार-
पत्र व्यक्ति के सुख-दुःख का सजीव संवाहक होने के साथ यह पत्र-लेखक के व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब भी होता है। निजी जीवन से लेकर व्यापार को बढ़ाने अथवा कार्यालय/संस्थानों में परस्पर सम्पर्क का साधन पत्र ही है। पत्र की इन सभी उपयोगिताओं को देखते हुए पत्रों को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है जो निम्नलिखित हैं- 1. अनौपचारिक पत्र 2. औपचारिक पत्र 1. अनौपचारिक पत्र- अनौपचारिक पत्र अपने परिवार, सम्बन्धी व मित्र किसी भी व्यक्ति (जो परिचित है) को लिखा जाता है। 2. औपचारिक पत्र- औपचारिक पत्र किसी भी कार्यालय में या संस्थान से जुड़े को लिखा जाता है। पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें निम्न हैं- 1. पत्र लिखते समय प्रारम्भ में पत्र-लेखक व पत्र-प्राप्तकर्ता का नाम, पता व दिनांक के साथ लिखा जाना चाहिए। 2. पत्र में अनावश्यक बातों का विस्तार न देकर संक्षिप्त में अपनी बात प्रभावपूर्ण तरीके से कही जानी चाहिए। 3. पत्र का विषय स्पष्ट होना चाहिए। 4. पत्र लिखते समय कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कहने की कोशिश करनी चाहिए। 5. पत्र की भाषा मधुर, आदरसूचक एवं सरल होनी चाहिए। 6. पत्र की समाप्ति इस प्रकार होनी चाहिए कि पत्र का सन्देश स्पष्ट हो सके। पत्र लेखन का क्रम- अनौपचारिक पत्र के अंग- (i) पहली बात यह कि पत्र के ऊपर बांई ओर पत्र प्रेषक का पता और दिनांक होना चाहिए। (ii) दूसरी बात यह कि पत्र जिस व्यक्ति को लिखा जा रहा हो- जिसे 'प्रेषिती' भी कहते हैं- उसके प्रति, सम्बन्ध के अनुसार ही समुचित अभिवादन या सम्बोधन के शब्द लिखने चाहिए। (iii) यह पत्रप्रेषक और प्रेषिती के सम्बन्ध पर निर्भर है कि अभिवादन का प्रयोग कहाँ, किसके लिए, किस तरह किया जाय। (iv) पिता को पत्र लिखते समय हम प्रायः 'पूज्य पिताजी' लिखते हैं। (v) शिक्षक अथवा गुरुजन को पत्र लिखते समय उनके प्रति आदरभाव सूचित करने के लिए 'आदरणीय' या 'श्रद्धेय'-जैसे शब्दों का व्यवहार करते हैं। (vi) यह अपने-अपने देश के शिष्टाचार और संस्कृति के अनुसार चलता है। (vii) अपने से छोटे के लिए हम प्रायः 'प्रियवर', 'चिरंजीव'-जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं। अनौपचारिक-पत्र का प्रारूपप्रेषक का पता संबोधन ................... प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध औपचारिक-पत्र के निम्न सात अंग होते हैं :- (1) पत्र प्रापक (प्राप्त करने वाला) का पदनाम तथा पता। (2) विषय- जिसके बारे में पत्र लिखा जा रहा है, उसे केवल एक ही वाक्य में शब्द-संकेतों में लिखें। (3) संबोधन- जिसे पत्र लिखा जा रहा है- महोदय/ महोदया/ माननीय आदि । (4) विषय-वस्तु-इसे दो अनुच्छेदों में लिखें : (5) हस्ताक्षर व नाम- भवदीय/भवदीया के नीचे अपने हस्ताक्षर करें तथा उसके नीचे अपना नाम लिखें। (6) प्रेषक का पता- शहर का मुहल्ला/इलाका, शहर, पिनकोड। (7) दिनांक। औपचारिक-पत्र का प्रारूप-प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र 1. सेवामें प्रधानाचार्य, 5. पहला अनुच्छेद ...................... 6. आपका आज्ञाकारी शिष्य, प्रश्न 1- मंजूषातः उचित पदानि चित्वा पत्रं पूरयतु- (1)………… प्रधानाचार्यमहोदया, विषयः–दिनत्रयस्य अवकाशार्थं प्रार्थनापत्रम् । महोदयाः, (2)………. निवेदनमस्ति यत् (3) …….. भवत्याः विद्यालये दशमी (4)……….. छात्रः अस्मि । परश्वः मम (5)…………. विवाहोत्सवः अस्ति । अतः अहं त्रीणि (6)………. यावत् विद्यालयं न आगन्तुं (7)……… । कृपया (8)……… कृते 6.11.20 तः 8.11.20 दिनांकपर्यन्तम् (9)……… स्वीकरिष्यति इति विश्वासो वर्तते। सधन्यवादः दिनांक: ……. भवत्याः शिष्यः कक्षा- दशमी मंजूषा- दिनानि, कक्षायाः, सविनयं, विनीतः, शक्नोमि, अवकाशं, भगिन्याः, सेवायाम्, अहं, मम । प्रश्न 2- भवान् रमेश: अस्ति । परीक्षापरिणामस्य विषये स्वपितरं प्रति लिखिते अस्मिन् पत्रे मञ्जूषाया: उचितपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत, उत्तरपुस्तिकायां च पुन: लिखत । छात्रावासत: (1)………….. दिनाङ्क: …….. आदरणीय पितृमहोदय ! (2)…………… शुभं समाचारम् अस्ति यत् मम अर्धवार्षिक्या: (3)………….. परिणाम: आगत: । अहं (4) ……….. अशीति: प्रतिशतं अङ्कानि प्राप्तवान् , किन्तु इदं (5) ………….. भवानपि चिन्तित: भविष्यति यत् संस्कृतविषये (6)………… सुष्ठु अङ्कान् प्राप्तुं समर्थ: न अभवम् । अद्यत: अहं अधिकम् (7)…………… करिष्यामि । आशा अस्ति यत् (8)………… भवत: अशीर्वादेन आगामि-वार्षिक-परीक्षायाम् अपि प्रतिशतं नवति: (9)………… प्राप्स्यामि । मातरम्-अग्रजं प्रति अपि मम चरणस्पर्श: कथनीय: । भवत:(10)………. राहुल: मञ्जूषा- अभ्यासेन, प्रियपुत्र:, दिल्लीनगरात्, परीक्षाया:, अहं, परीक्षायाम्, अभ्यासम्, ज्ञात्वा, अङ्कान्, नमो नम: 3. स्वपितरं प्रति प्रति लिखिते अस्मिन् पत्रे मञ्जूषाया: उचितपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत, उत्तरपुस्तिकायां च पुन: लिखत- गोदावरीछात्रावासात् दिल्लीनगरात् दिनाङ्कः .............. माननीया: पितृवर्याः सादरं (i)................. अत्र कुशलं तत्राप्यस्तु। मम (ii)....................समाप्ता। परीक्षापत्राणि अतिशोभनानि जातानि। परीक्षा परिणामश्च (iii)...................प्रथमसप्ताहे उद्घोषयिष्यते। अत्रान्तरे, अस्माकं विद्यालयस्य (iv)........................ अस्मान् शैक्षणिकभ्रमणाय मुम्बईतः नातिदूरे एकस्मिन् (v).................स्थिताम् एलोरा-गुहां प्रति (vi)...................। अत्र प्राचीनानि शिवमन्दिराणि सन्ति । अहमपि तत्र गन्तुम् (vii)..........................। एतदर्थम् अस्माभिः (viii)................ रुप्यकाणि दातव्यानि सन्ति । कृपया (ix)........................उपर्युक्तां राशिं संप्रेष्य माम् अनुगृहीतां कुर्वन्तु। गृहे सर्वेभ्यः मम (x) ....................... निवेदनीयः । भवतां प्रियपुत्री- मदालसा मञ्जूषा - प्रणामाञ्जलि, अध्यापकाः, धनादेशद्वारा, पञ्चशतम्, द्वीपे, इच्छामि, नेष्यन्ति, प्रणमामि, आगामिमासस्य, अर्धवार्षिकपरिक्षा । |