सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

वर्टिगो (चक्कर आना)

वर्टिगो का अर्थ है – सिर घूमना या चक्कर आना। वर्टिगो घूमने का एक अहसास या असंतुलन की अनुभुति है। इसके लक्षणों, कारणों और उपचार के बारे में अधिक जानें

वर्टिगो का अर्थ

चक्कर के लक्षण

चक्कर के मरीज इस प्रकार से अपने लक्षण का वर्णन कर सकते हैं:-

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

सिर घूमना।

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

एक ओर झुकना

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

सरदर्द

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

अस्थिर या असंतुलित महसूस करना।

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

गिरने का एहसास।

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

चक्कर आना।

वर्टिगो के रोगी में चक्कर के साथ कुछ लक्षण पाए जा सकते हैं, जैसे:- कम सुनाई देना, कान में आवाजें आना या सिरदर्द होना।

कारण, निदान एवं उपचार

मेनीयार्स का रोग:

ये कान के भीतरी हिस्से के रोग के कारण होता हैं, जिससे रोगी के सुनने की क्षमता प्रभावित होती है, कान में आवाजें आती हैं और कुछ घन्टों के चक्कर आते हैं। यह भीतरी कान के तरल पदार्थ के बहते हुए दबाव के कारण होता है। अगर समय पर ईलाज नहीं किया गया तो मेनीयर्स रोग से सुनवाई की हानी हो सकती है। मेनीयर्स रोग आमतौर पर एक कान को प्रभवित करता है, लेकिन यह 15 फीसदी मामलों में इससे दोनों कान प्रभावित हो सकते हैं। इसका उपचार खानपान में बदलाव और दवाईयों से और अग्रिम स्थिति में कान के अन्दर इन्ट्राटिमपेनिक जेन्टामायसिन इंजेक्शन या सर्जरी की आवश्यकता होती है।

वेस्टिबूलर न्युरैटिस:

वेस्टिबूलर न्युरैटिस संतुलन की नस का वायरल संक्रमण है। इन मरीजों में वर्टिगो आमतौर पर घण्टों से लेकर कई दिन के लिये रहता है। समय पर निदान एवं कसरत शुरू करने से संतुलन की क्षमता को सामान्य बनाया जा सकता हैं।

आॅथोलिथिक विकार:

इस रोग में मरीज को असंतुलन का अहसास या सीधे खड़े रहने में परेशानी होती है। ऑटोलिथिक विकार रोग को सब्जैक्टिव विजुअल वर्टीकल टेस्ट एवं वीईएमपी परीक्षण करने से पता चलता है। इसका उपचार तंत्रिका तंत्र की संवेदनशीलता को कम करने के लिये दवा के साथ आॅटोलिथ विकारों के लिये एक विषेष पुर्नवास कार्यक्रम में शामिल किया जाता है।

वेस्टिब्युलर माईग्रेन:

वेस्टिब्युलर माईग्रेन एक सामान्य कारणों में से एक हैं। सिर में दर्द व चक्कर आना बहुत आम बात है जो सभी आयुवर्ग में सामान्य लक्षण हैं। यह निर्धारित करने के लिये कि क्या दो लक्षण जुड़े या एक दूसरे से स्वतंत्र या माईग्रेन के कारण कर रहे हैं, महत्वपूर्ण हैं। इन रोगियों को आमतौर पर सुनाई की समस्या नहीं होती है व अक्सर तेज आवाज या चमकदार रोशनी को सहन नहीं कर पाते हैं। उपचार जीवन शैली में बदलाव, खानपान में बदलाव एवं दवाईयों से काबू किया जाता हैं। आमतौर पर कई महिनों तक ईलाज लेना पड़ता है।

बीपीपीवी :

ऐसे चक्कर आमतौर पर सोने व करवट बदलने पर आते हैं जो कान की भीतरी शिराओं में कैल्शियम कार्बोनेट का मलबा जमने के कारण होता है। बेनिगिन पेरोक्साइज़मल पोजिशनल वर्टिगो (बीपीपीवी) अधिकांशतः बुजुर्ग रोगियों में, सिर पर चोट के बाद, लम्बे समय तक बिस्तर पर आराम करने के बाद और भीतरी कान में संक्रमण के कारण होता हैं। सिर का चक्कर आमतौर पर विडियो निस्टैगमो ग्राफी परिक्षण से स्थिति को मार्गदर्शित किया जाता है, और इसका भीतरी कान में फंसे कणों की स्थिति देखने के बाद ही इसका ईलाज किया जाता है।

लाब्रिनिथिटक्स:

यह रोग संतुलन नस का जिवाणु संक्रमण के कारण होता है, जिससे एक कान में अचानक कम सुनाई देने के साथ तीव्र वर्टीगो या कान का भारीपन, कम सुनाई देना, कान में आवाजें आना व कुछ दिन के चक्कर इस रोग के लक्षण हैं, लाब्रिनिथिटक्स का शीघ्र निदान और सही उपचार से सुनवाई की क्षति को रोका जा सकता है। असंतुलन व चक्कर का ईलाज विशेष प्रकार के व्यायाम से किया जाता है।

पेरीलिम्फ फिस्टूला:

यह भीतरी कान में भरी तरल और बाहय कान में भरी हवा के असामान्य सम्पर्क के कारण होता है। भीतरी कान के तरल पदार्थ मध्य कान में पेरिलिम्फ तरल पदार्थ रिसकर मध्य कान में प्रवाहित होता है जिस कारण कम सुनाई देना, कान में भारीपन और चक्कर महसूस किये जाते हैं। ये लक्षण खांसने, छींकने व भारी वजन उठाने पर बढ़ जाते हैं। फिस्टूलाज में सबसे अधिक आघात हालांकि भारी वजन उठाने पर होता है, लेकिन यह ड्राईविंग के दौरान, उड़ान में या प्रसव के दौरान दबाव में अचानक परिवर्तन से होता है। इसका निदान रोगी के इतिहास पर निर्भर है। वेस्टिब्युलर परिक्षण और लक्षणों में इसका निदान किया जाता है। उपचार के लिए दूरबीन से आॅपरेशन करके पेरिलिम्फ फिस्टूला का सुधार किया जाता है। आॅपरेशन के बाद मरीज को कुछ दिन के लिये बिस्तर पर आराम की सलाह दी जाती है।

वेस्टिब्युलर परोक्सिमिया:

यह हडडी के अन्दर संतुलन की नस के दबाव के कारण होता है। इसमें अल्प अन्तरल में तेज वर्टिगो एंव असंतुलन का आभास होता है। स्पाॅन्टेनियस न्यासिटमग्स विद हायपरवेंटिलेशन, वेस्टिब्युलर परोक्सिमिया के निदान के लिये उच्च स्तर पर सुझाया गया है। इसके साथ ही एमआरआई (गादोलिनियम) से 95 प्रतिशत स्थिति का निदान किया जा सकता है। इस रोग को सीजर डिस्आॅर्डर से अलग करना पड़ता है। शुरू में चिकित्सा प्रबन्धन कार्बामेजीपिन या आॅक्सार्बमेजीपाईन द्वारा किया जा सकता है। यदि दवाईयों से पर्याप्त नियंत्रण संभव नहीं हो तो ऐसे में सर्जीकल माईक्रोवेस्कुलर डिकम्प्रेशन आॅफ द वेस्टिब्युलर नर्व किया जा सकता है। इससे संतुलन की नस को दबाव से मुक्त किया जा सकता है।

मालडीडिबारकमेंट सिंड्रोम (एमडीडीएस):

मालडीडिबारकमेंट सिंड्रोम (एमडीडीएस) एक असामान्य स्थिति है जिसमें मरीज को नाव पर चलने या फोम पर चलने की तरह अनुभुति होती है। यह आमतौर पर नाव की लम्बी यात्रा या लम्बी उड़ान के बाद होता है। हालांकि यह जरूरी नहीं हैं कि यह स्थिति यात्रा के बाद ही हो। कार में बैठकर या कार चलाने से इस रोग के लक्षण अस्थाई रूप से कम हो जाते है। महिलाओं में यह रोग पुरूषों की अपेक्षा ज्यादा रहता है। इन रोगियों का आॅप्टोकायनिटिक विज्युअल स्टिमुलेशन एवं विशिष्ट पुर्नवास कार्यक्रम में शामिल करने से फायदा मिलता है।

एकॉस्टिक न्युरोमा:

एकॉस्टिक न्युरोमा संतुलन नस में एक टयुमर यानि एक गांठ के रूप में होता है जिस कारण बढ़ती अस्थिरता, एक कान से सुनाई देने में बाधा एवं कान में आवाजें आने के लक्षण होते हैं। यह टयुमर आमतौर पर धीमी गति से बड़ा होता है। इसका निदान आॅडियोलोजिकल टेस्ट जैसे प्योर टोन आॅडियोमीटरी एवं एबीआर, वेस्टिब्युलर टेस्ट और एमआरआई है।

ये कान के भीतरी हिस्से के रोग के कारण होता हैं, जिससे रोगी के सुनने की क्षमता प्रभावित होती है, कान में आवाजें आती हैं और कुछ घन्टों के चक्कर आते हैं। यह भीतरी कान के तरल पदार्थ के बहते हुए दबाव के कारण होता है। अगर समय पर ईलाज नहीं किया गया तो मेनीयर्स रोग से सुनवाई की हानी हो सकती है। मेनीयर्स रोग आमतौर पर एक कान को प्रभवित करता है, लेकिन यह 15 फीसदी मामलों में इससे दोनों कान प्रभावित हो सकते हैं। इसका उपचार खानपान में बदलाव और दवाईयों से और अग्रिम स्थिति में कान के अन्दर इन्ट्राटिमपेनिक जेन्टामायसिन इंजेक्शन या सर्जरी की आवश्यकता होती है।

वेस्टिबूलर न्युरैटिस संतुलन की नस का वायरल संक्रमण है। इन मरीजों में वर्टिगो आमतौर पर घण्टों से लेकर कई दिन के लिये रहता है। समय पर निदान एवं कसरत शुरू करने से संतुलन की क्षमता को सामान्य बनाया जा सकता हैं।

इस रोग में मरीज को असंतुलन का अहसास या सीधे खड़े रहने में परेशानी होती है। ऑटोलिथिक विकार रोग को सब्जैक्टिव विजुअल वर्टीकल टेस्ट एवं वीईएमपी परीक्षण करने से पता चलता है। इसका उपचार तंत्रिका तंत्र की संवेदनशीलता को कम करने के लिये दवा के साथ आॅटोलिथ विकारों के लिये एक विषेष पुर्नवास कार्यक्रम में शामिल किया जाता है।

वेस्टिब्युलर माईग्रेन एक सामान्य कारणों में से एक हैं। सिर में दर्द व चक्कर आना बहुत आम बात है जो सभी आयुवर्ग में सामान्य लक्षण हैं। यह निर्धारित करने के लिये कि क्या दो लक्षण जुड़े या एक दूसरे से स्वतंत्र या माईग्रेन के कारण कर रहे हैं, महत्वपूर्ण हैं। इन रोगियों को आमतौर पर सुनाई की समस्या नहीं होती है व अक्सर तेज आवाज या चमकदार रोशनी को सहन नहीं कर पाते हैं। उपचार जीवन शैली में बदलाव, खानपान में बदलाव एवं दवाईयों से काबू किया जाता हैं। आमतौर पर कई महिनों तक ईलाज लेना पड़ता है।

ऐसे चक्कर आमतौर पर सोने व करवट बदलने पर आते हैं जो कान की भीतरी शिराओं में कैल्शियम कार्बोनेट का मलबा जमने के कारण होता है। बेनिगिन पेरोक्साइज़मल पोजिशनल वर्टिगो (बीपीपीवी) अधिकांशतः बुजुर्ग रोगियों में, सिर पर चोट के बाद, लम्बे समय तक बिस्तर पर आराम करने के बाद और भीतरी कान में संक्रमण के कारण होता हैं। सिर का चक्कर आमतौर पर विडियो निस्टैगमो ग्राफी परिक्षण से स्थिति को मार्गदर्शित किया जाता है, और इसका भीतरी कान में फंसे कणों की स्थिति देखने के बाद ही इसका ईलाज किया जाता है।

यह रोग संतुलन नस का जिवाणु संक्रमण के कारण होता है, जिससे एक कान में अचानक कम सुनाई देने के साथ तीव्र वर्टीगो या कान का भारीपन, कम सुनाई देना, कान में आवाजें आना व कुछ दिन के चक्कर इस रोग के लक्षण हैं, लाब्रिनिथिटक्स का शीघ्र निदान और सही उपचार से सुनवाई की क्षति को रोका जा सकता है। असंतुलन व चक्कर का ईलाज विशेष प्रकार के व्यायाम से किया जाता है।

यह भीतरी कान में भरी तरल और बाहय कान में भरी हवा के असामान्य सम्पर्क के कारण होता है। भीतरी कान के तरल पदार्थ मध्य कान में पेरिलिम्फ तरल पदार्थ रिसकर मध्य कान में प्रवाहित होता है जिस कारण कम सुनाई देना, कान में भारीपन और चक्कर महसूस किये जाते हैं। ये लक्षण खांसने, छींकने व भारी वजन उठाने पर बढ़ जाते हैं। फिस्टूलाज में सबसे अधिक आघात हालांकि भारी वजन उठाने पर होता है, लेकिन यह ड्राईविंग के दौरान, उड़ान में या प्रसव के दौरान दबाव में अचानक परिवर्तन से होता है। इसका निदान रोगी के इतिहास पर निर्भर है। वेस्टिब्युलर परिक्षण और लक्षणों में इसका निदान किया जाता है। उपचार के लिए दूरबीन से आॅपरेशन करके पेरिलिम्फ फिस्टूला का सुधार किया जाता है। आॅपरेशन के बाद मरीज को कुछ दिन के लिये बिस्तर पर आराम की सलाह दी जाती है।

यह हडडी के अन्दर संतुलन की नस के दबाव के कारण होता है। इसमें अल्प अन्तरल में तेज वर्टिगो एंव असंतुलन का आभास होता है। स्पाॅन्टेनियस न्यासिटमग्स विद हायपरवेंटिलेशन, वेस्टिब्युलर परोक्सिमिया के निदान के लिये उच्च स्तर पर सुझाया गया है। इसके साथ ही एमआरआई (गादोलिनियम) से 95 प्रतिशत स्थिति का निदान किया जा सकता है। इस रोग को सीजर डिस्आॅर्डर से अलग करना पड़ता है। शुरू में चिकित्सा प्रबन्धन कार्बामेजीपिन या आॅक्सार्बमेजीपाईन द्वारा किया जा सकता है। यदि दवाईयों से पर्याप्त नियंत्रण संभव नहीं हो तो ऐसे में सर्जीकल माईक्रोवेस्कुलर डिकम्प्रेशन आॅफ द वेस्टिब्युलर नर्व किया जा सकता है। इससे संतुलन की नस को दबाव से मुक्त किया जा सकता है।

मालडीडिबारकमेंट सिंड्रोम (एमडीडीएस) एक असामान्य स्थिति है जिसमें मरीज को नाव पर चलने या फोम पर चलने की तरह अनुभुति होती है। यह आमतौर पर नाव की लम्बी यात्रा या लम्बी उड़ान के बाद होता है। हालांकि यह जरूरी नहीं हैं कि यह स्थिति यात्रा के बाद ही हो। कार में बैठकर या कार चलाने से इस रोग के लक्षण अस्थाई रूप से कम हो जाते है। महिलाओं में यह रोग पुरूषों की अपेक्षा ज्यादा रहता है। इन रोगियों का आॅप्टोकायनिटिक विज्युअल स्टिमुलेशन एवं विशिष्ट पुर्नवास कार्यक्रम में शामिल करने से फायदा मिलता है।

एकॉस्टिक न्युरोमा संतुलन नस में एक टयुमर यानि एक गांठ के रूप में होता है जिस कारण बढ़ती अस्थिरता, एक कान से सुनाई देने में बाधा एवं कान में आवाजें आने के लक्षण होते हैं। यह टयुमर आमतौर पर धीमी गति से बड़ा होता है। इसका निदान आॅडियोलोजिकल टेस्ट जैसे प्योर टोन आॅडियोमीटरी एवं एबीआर, वेस्टिब्युलर टेस्ट और एमआरआई है।

वर्टिगो को रोकने के लिए व्यायाम और घरेलू उपचार

जीवन शैली में संशोधन और कुछ सरल उपाय आपके चक्कर या चक्कर को कम करने में मदद कर सकते हैं। इन उपायों को आजमाने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें। आगे पढ़ें वर्टिगो एक्सरसाइज और घरेलू उपचार के बारे में।

चक्कर आने से बचने के कुछ नुस्खों में शामिल हैं

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

समस्या वाले कान के पास सोने से बचें

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

सोते समय अपने सिर को तकिए से ऊपर उठाएं

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

समय पर सोने की कोशिश करें

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

अपने आहार में नमक और कैफीन कम करें

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

परिरक्षकों के साथ भोजन से बचें

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

शराब और कार्बोनेटेड पेय से बचें

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

भोजन / उपवास न छोड़ें

सर्वाइकल में चक्कर आने पर क्या करना चाहिए? - sarvaikal mein chakkar aane par kya karana chaahie?

स्क्रीन समय कम करें: सेल फोन, टीवी और कंप्यूटर

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समस्या वाले कान के पास सोने से बचें

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सोते समय अपने सिर को तकिए से ऊपर उठाएं

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समय पर सोने की कोशिश करें

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अपने आहार में नमक और कैफीन कम करें

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परिरक्षकों के साथ भोजन से बचें

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शराब और कार्बोनेटेड पेय से बचें

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भोजन / उपवास न छोड़ें

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डॉ अनीता भंडारी

डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है। डॉ अनीता भंडारी एक वरिष्ठ न्यूरोटॉलिजिस्ट हैं। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में पोस्ट ग्रेजुएट और सिंगापुर से ओटोलॉजी एंड न्यूरोटोलॉजी में फेलो, डॉ भंडारी भारत के सर्वश्रेष्ठ वर्टिगो और कान विशेषज्ञ डॉक्टरों में से एक हैं। वह जैन ईएनटी अस्पताल, जयपुर में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में जुड़ी हुई हैं और यूनिसेफ के सहयोग से 3 साल के प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में काम करती हैं, जिसका उद्देश्य 3000 से अधिक वंचित बच्चों के साथ काम करना है। वर्टिगो और अन्य संतुलन विकारों के निदान और उपचार के लिए निर्णायक नैदानिक ​​उपकरण जयपुर में न्यूरोइक्विलिब्रियम डायग्नोस्टिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किए गए हैं। उन्होंने वीडियो निस्टागमोग्राफी, क्रैनियोकॉर्पोग्राफी, डायनेमिक विज़ुअल एक्यूआई और सब्जेक्टिवेटिव वर्टिकल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ अनीता भंडारी ने क्रैनियोकॉर्पोग्राफी के लिए अपने एक पेटेंट का श्रेय दिया है और वर्टिगो डायग्नोस्टिक उपकरणों के लिए चार और पेटेंट के लिए आवेदन किया है। वर्टिगो रोगियों का इलाज करने के लिए वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करके अद्वितीय वेस्टिबुलर पुनर्वास चिकित्सा विकसित की है। उन्होंने वेस्टिबुलर फिजियोलॉजी, डायनेमिक विज़ुअल एक्युइटी, वर्टिगो के सर्जिकल ट्रीटमेंट और वर्टिगो में न्यूरोटोलॉजी पाठ्यपुस्तकों के लिए कठिन मामलों पर अध्यायों का लेखन किया है। उन्होंने वर्टिगो, बैलेंस डिसऑर्डर और ट्रीटमेंट पर दुनिया भर में सेमिनार और ट्रेनिंग भी की है।

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सर्वाइकल में चक्कर आये तो क्या करें?

अगर आप सर्वाइकल पेन से जूझ रहे हैं तो इन योगासनों को अपने रूटीन में शामिल कर लें।.
इसके लिए आप सीधा बैठ जाएं और अपने सिर को धीरे- धीरे दाएं कंधे की तरफ ले जाएं और थोड़ी देर इस मुद्रा में रहें।.
इसके बाद सिर को बीच में लाएं और फिर से बायीं ओर भी यहीं दोहराएं।.
ऐसा करीब 10 से 15 मिनट तक करें।.

सर्वाइकल में चक्कर क्यों आता है?

अगर पेशेंट को एकदम चक्कर आने शुरू हो गए हैं तो इसका मतलब है कि उसे कोई बड़ी दिक्कत है। यह परेशानी दिमाग और दिल से भी जुड़ी हो सकती है। अगर कभी-कभी चक्कर आते हैं सर्वाइकल या कान के संक्रमण की समस्या हो सकती है। इसके अलावा कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, इन्हें जानने के लिए शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

चक्कर आने पर कौन सी दवा दी जाती है?

सिनार्ज़िन टैबलेट - Cinnarizine tablets स्टुगेरोन - Stugeron. सिनार्ज़िन टैबलेट बीमारी और चक्कर आने से रोकने में मदद करता है। इसे वयस्कों और 5 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों द्वारा लिया जा सकता है।

चक्कर आने पर क्या पीना चाहिए?

यदि आपको चक्कर के साथ में मितली आने की समस्या भी हो रही है तो आप इन चीजों का सेवन करें....
सौंफ और मिश्री.
आंवला कैंडी.
अदरक कैंडी.
सादा अदरक के छोटे टुकड़े चूसें.
अदरक की चाय पिएं.
नींबू पानी पिएं- 1 गिलास पानी, 2 चम्मच चीनी, आधा नींबू.