Show सम्प्रेषण का अर्थसम्प्रेषण शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘कम्यूनीस’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है ‘सामान्य’। इसे अंग्रेजी भाषा में ‘Communication’ कहते हैं। सम्प्रेषण क्रिया के अन्तर्गत प्रेषण क्रिया प्रभावी होता है। यह दो पक्षीय या बहु पक्षीय होता है। सम्प्रेषण की क्रिया में भेजने वाला ‘प्रेषक’ और प्राप्त करने वाला ‘प्राप्तकर्ता’ कहलाता है। शिक्षक द्वारा अपनी बातों को छात्र तक पहुँचने की प्रक्रिया ही सम्प्रेषण कहलाती है। सम्प्रेषण की परिभाषा कीथ के अनुसार “सम्प्रेषण सूचनाओं एवं समझ को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने की क्रिया है।” सम्प्रेषण की विशेषताएँ एवं महत्वसम्प्रेषण की मुख्य विशेषताएँ एवं महत्व निम्नलिखित हैं –
सम्प्रेषण की प्रक्रिया एवं तत्वसम्प्रेषण की प्रक्रिया एवं तत्व नीचे दी गई हैं – प्रेषक प्रेषक सम्प्रेषण प्रक्रिया का पहला बिन्दु होता है जिसके माध्यम प्रेषक अपने विचारों एवं भावों को दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाता है। इस प्रक्रिया में प्रेषक को निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है –
संदेश इस प्रक्रिया में संदेश एक उद्दीपक की तरह कार्य करता है। जिसका प्रेषक उचित प्रकार से प्रयोग करता है। शैक्षिक भाषा में संदेश से आशय पाठ्यवस्तु से है। माध्यम जिन साधनों की सहायता से ग्राही तक संदेशों को पहुंचाया जाता है, उसे माध्यम कहा जाता है। वर्तमान समय में सम्प्रेषण के विभिन्न माध्यम प्रचलित हैं – जैसे – मोबाइल, रेडियो, टेलीविज़न, आदि। ग्राही इस प्रक्रिया में ग्राही की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कक्षा शिक्षण में ग्राही के रूप में छात्र, शिक्षण द्वारा प्रसारित ज्ञान को ग्रहण कर सम्प्रेषण की प्रक्रिया को पूर्ण करता है। प्रतिपुष्टि इस प्रक्रिया में प्रतिपुष्टि या पृष्ठपोषण संदेश प्राप्त करने वाले व्यक्ति द्वारा प्रदान की जाती है। सम्प्रेषण के प्रकारसम्प्रेषण के निम्न प्रकार हैं जो नीचे दिये गए हैं – शैक्षिक सम्प्रेषणशिक्षण के आधार पर सम्प्रेषण को दो भागों में बाँटा गया है –
वैयक्तिक सम्प्रेषणशिक्षक जब एक छात्र को भौतिक रूप से शिक्षण देता है तो ऐसी शिक्षण वैयक्तिक शिक्षण कहलाती है। अर्थात जब शिक्षक बालक को अलग – अलग शिक्षण देता है तो ऐसी शिक्षण को वैयक्तिक सम्प्रेषण कहते हैं। वैयक्तिक सम्प्रेषण के गुण
वैयक्तिक सम्प्रेषण के दोष
सामूहिक सम्प्रेषणसामूहिक सम्प्रेषण से अभिप्राय कक्षा शिक्षण से है। इस विधि में अलग – अलग मानसिक योग्यता वाले छात्रों के अलग अलग समूह बना लिए जाते हैं। इन समूहों को कक्षा कहते हैं। और इन कक्षाओं में शिक्षक, शिक्षण कार्य करते हैं। सामूहिक सम्प्रेषण के गुण
सम्पूर्ण–bal vikas and pedagogy–पढ़ेंसंप्रेषण माध्यम क्या है वर्णन कीजिए?संप्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच मौखिक, लिखित, सांकेतिक या प्रतिकात्मक माध्यम से विचार एवं सूचनाओं के प्रेषण की प्रक्रिया है। संप्रेषण हेतु सन्देश का होना आवश्यक है। संप्रेषण में पहला पक्ष प्रेषक (सन्देश भेजने वाला) तथा दूसरा पक्ष प्रेषणी (सन्देश प्राप्तकर्ता) होता है।
संप्रेषण के कितने माध्यम है?विभिन्न माध्यमों का प्रयोग
संप्रेषण, संगठन के व्यक्तियों एवं समूहों का वाहक एवं विचार अभिव्यक्ति का माध्यम है। संप्रेषण प्रक्रिया में संदेश को भेजने या आदान-प्रदान करने के लिए विभिन्न माध्यमों का सहारा लिया जाता है। यह माध्यम लिखित, मौखिक, सांकेतिक, औपचारिक, अनौपचारिक आदि होता है।
संप्रेषण के मुख्य रूप से कितने प्रकार होते हैं?संप्रेषण के प्रकार. मौखिक संप्रेषण. लिखित संप्रेषण. औपचारिक संप्रेषण. अनौपचारिक संप्रेषण. अधोमुखी संप्रेषण. ऊर्ध्वमुखी संप्रेषण. क्षैतिज संप्रेषण. संप्रेषण क्या है संप्रेषण के उद्देश्य एवं महत्व की व्याख्या कीजिए?संप्रेषण से तात्पर्य है-भाव, विचार, सूचना, संदेश आदि को एक इकाई से दूसरी इकाई तक पहुँचाना और प्रतिक्रिया प्राप्त करना। संप्रेषण के लिए अंग्रेजी भाषा में 'Communication' शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसकी उत्पत्ति लेटिन भाषा के 'Communis' शब्द से हुई है। 'Communis' शब्द का अर्थ है 'जानना या समझना।
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