सोने पर जीएसटी कितना लगता है 2022 - sone par jeeesatee kitana lagata hai 2022

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ज्वेलर्स का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण (Nirmala Sitharaman) बजट में सोने की चमक बढ़ाने का उपाय कर सकती हैं। सीतारमण 1 फरवरी को बजट (Budget 2022) पेश करेंगी। ज्वेलर्स ने अपनी मांग से वित्तमंत्री को अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि बजट में सीतारमण सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) को घटाने का ऐलान कर सकती हैं।

अभी गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी 7.5 फीसदी है। इसे घटाकर 4 फीसदी करना ठीक रहेगा। ज्वैलर्स (Jewelers) का कहना है कि इससे गोल्ड की स्मगलिंग में कमी आएगी। उन्होंने कहा है कि चीन, अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों ने डोमेस्टिक मार्केट को मजबूत बनाने के इंपोर्ट ड्यूटी को हटाया है। इंडिया में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी ज्यादा होने से इसकी स्मगलिंग को बढ़ावा मिलता है।

इंपोर्ट ड्यूटी के चलते सोने की कीमत बढ़ जाती है। इससे कम पैसे वाले लोगों के लिए सोना खरीदना मुश्किल हो जाता है। सोने पर जीएसटी (GST) की दर को भी तर्कसंगत बनाया जा सकता है। अभी गोल्ड पर 3 फीसदी जीएसटी लगता है। इसके अलावा सोना खरीदने के लिए पैन कार्ड की अनिवार्यता के नियम में भी बदलाव किया जाना चाहिए। 5 लाख रुपये से ज्यादा गोल्ड खरीदने पर पैन कार्ड को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।

सोने को इन्वेस्टमेंट का सबसे सुरक्षित माध्यम माना जाता है। देश में सोने में निवेश की परंपरा रही है। इसके अलावा शादी-ब्याह में भी गोल्ड ज्वैलरी का काफी इस्तेमाल होता है। इसलिए अगर सरकार इस पर इंपोर्ट ड्यूटी हटाती है और टैक्स के नियमों को आसान बनाती है तो इससे देश में गोल्ड की मांग बढ़ेगी।

पिछले साल बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी को 12.5 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया था। गोल्ड इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया गया था। सरकार को सोने पर कैपिटल गेंस के नियम में भी बदलाव करने की जरूरत है। अभी सोने को 3 साल से ज्यादा वक्त तक रखने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम लागू होते हैं। 3 साल से ज्यादा अवधि के बाद बेचने पर 20 फीसदी टैक्स (इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ) लगता है।

उधर, शेयरों को एक साल से ज्यादा अवधि तक रखने पर सिर्फ 10 फीसदी टैक्स लगता है। इस तरह सोने का होल्डिंग पीरियड और इस पर लगने वाला टैक्स इक्विटी के मुकाबले ज्यादा है। इस फर्क को दूर करने की जरूरत है।

Tax on Gold Jewellery: सोने और चांदी की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है। वैसे, अमूमन सोना खरीदना भारतीयों की पसंद रहा है। कई लोग इसमें निवेश भी करते हैं तो कुछ इसे बेच कर मोटी रकम कमाते हैं। लेकिन, सोना खरीदने से पहले यह जानना जरूरी है कि सोने को बेचते वक्त कितना टैक्स चुकाना पड़ता है। इस टैक्स का कैलकुलेशन कैसे होता है। आइये जानते हैं कि गोल्ड पर कैपिटल गेन टैक्स क्या है और कैसे इसकी बचत की जा सकती है।

Gold Purchase, Storage And Tax Rules In India: भारत में सोने की खरीद और स्‍टोरेज को लेकर सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं। जानिए, आप घर में कितना सोना रख सकते हैं। एक शादीशुदा महिला अपने पास 500 ग्राम सोना रख सकती है।

नई दिल्ली/जयपुर.  जीएसटी लागू होने पर सोना, चांदी, पॉलिश्ड डायमंड और ज्वैलरी महंगी हो जाएंगी। हालांकि कपड़े, जूते-चप्पल व बिस्किट सस्ते होंगे। जीएसटी काउंिसल ने शनिवार को इन वस्तुओं के रेट तय कर दिए। सोना, चांदी, डायमंड और ज्वैलरी पर 3% जीएसटी लगाना तय हुआ है। चूंकि अन्य राज्यों में 2% तक वैट व अन्य टैक्स हैं, इस कारण 1% तक की ही बढ़ोतरी होगी, लेकिन राजस्थान में कंपोजिशन स्कीम होने से अलग से वैट नहीं है। बिना सेनवैट के डीलर काम करते हैं। यानी अबतक प्रदेश में इस पर अधिकतम 1.25% टैक्स था। अब 3% जीएसटी लगेगा। इस कारण 1.75% तक टैक्स बढ़ेगा। इससे 10 हजार रु. की ज्वैलरी 300 रु. तक महंगी होगी।

ब्रांडेड रेडीमेड गारमेंट पर 12% टैक्स लगेगा। लेकिन 1000 रु. से कम कीमत के कपड़ों पर 5% टैक्स लगेगा। अभी कपड़ों पर प्रदेश में 18% तक टैक्स है। तेंदू पत्ते पर 18% और बीड़ी पर 28% टैक्स लगेगा। सिगरेट पर सेस था, पर बीड़ी पर नहीं होगा। सोलर पैनल पर 5% टैक्स लगेगा।

ट्रेडर के लिए: पुराने स्टॉक पर क्रेडिट 40% से बढ़ाकर 60% किया

-  ट्रांजिशन के समय पुराने स्टॉक पर 40% इनपुट टैक्स क्रेडिट देने का फैसला था। काउंसिल ने तय किया है कि जिन वस्तुओं पर 18% या अधिक टैक्स है, उन पर 60% क्रेडिट व 18% से कम रेट वाले आइटम पर 40%।
-  ब्रांड की परिभाषा तय। जिस ब्रांड का ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड वही ब्रांडेड मानेंगे।
-  ईकॉमर्स में ऑपरेटर-सप्लायर की रिटर्न मैचिंग आसान। 5 साल अनुभवी सेल्स टैक्स प्रैक्टिसनर या टैक्स रिटर्न प्रिपेयरर जीएसटी प्रैक्टिसनर बन सकेंगे।

टैक्स बढ़ने से 22 कैरेट सोने का भाव प्रति 10 ग्राम 1,000 रुपये तक बढ़ गया है. इसके कारण गहने भी महंगे हो गए हैं और धीरे-धीरे इसमें और बढ़ोतरी देखी जाएगी. पिछले हफ्ते सोने का भाव दो महीने के ऊंचे स्तर पर रहा.

कोरोना में सोने के दाम (Gold Price) में यूं ही आग लगी थी, ऊपर से सरकार ने इंपोर्ट टैक्स बढ़ा दिया. इससे सस्ते गहने की आस खत्म हो गई और अब आपको ज्यादा पैसे चुकाने होंगे. सरकार ने अभी हाल में सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी (Gold Import Duty) को 10.75 फीसद से बढ़ाकर 15 फीसद कर दिया. यह फैसला दिनों दिन डॉलर के मुकाबले तेजी से फिसलते रुपये को थामने के लिए लिया गया. रुपया तो खैर थमा नहीं, लोगों की जेब जरूर ढीली होने लगी. सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने से आभूषणों के दाम में तेजी देखी जाएगी. आप जब ज्वेलरी की दुकान पर गहना खरीदने जाएंगे, तो पता चलेगा कि पहले से कितना अधिक रकम चुकानी पड़ रही है.

अब आप जानना चाहते हैं कि सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी क्यों बढ़ाई जा रही है, तो करंट अकाउंट डेफिसिट के बारे में जानना चाहिए. दरअसल, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का आयातक देश है. सोने का आयात करने के लिए सरकार को बड़ी मात्रा में विदेशी करेंसी खर्च करनी होती है. आयात बढ़ने और विदेशी करेंसी निकलने से करंट अकाउंट डेफिसिट पर और दबाव बढ़ जाता है. इस दबाव को कम करने के लिए सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई ताकि आयात कम हो सके और विदेशी करेंसी को भी निकलने से रोका जा सके. लेकिन इसका बड़ा असर आम लोगों पर यह पड़ेगा कि शादी-ब्याज या शुभ-लग्न आदि में खरीदे जाने वाले गहने महंगे हो जाएंगे.

टैक्स बढ़ने का क्या होगा असर

भारत में सोने का अधिकांश आयात गहने बनाने के लिए किया जाता है. भारत में सोने के गहने न केवल शृंगार में इस्तेमाल होते हैं बल्कि निवेश के भी सबसे बड़े साधन माने जाते हैं. आम बोलचाल में कहा जाता है कि बिगड़े वक्त में गहना रेहन रखकर इमरजेंसी का खर्च निकाला जा सकता है. बहुत कम मौका होता है जब सोने का भाव गिरता है. गिरता भी है तो मामूली, लेकिन लंबी अवधि में निवेश का इससे अच्छा स्रोत किसी और कमॉडिटी को नहीं माना जाता. चूंकि आयात किए गए सोने का अधिकांश इस्तेमाल आभूषण-गहने बनाने में होता है. इसलिए, आयात शुल्क बढ़ने से सोना और उसके गहने के भाव भी बढ़ जाएंगे.

हीरे पर भी सरकार ने कस्टम ड्यूटी बढ़ाई है जिसका असर हीरे के गहने के साथ सोने के आभूषणों पर भी दिखेगा. कस्टम ड्यूटी बढ़ाने के अलावा सरकार ने कट और पॉलिस किए गए हीरे पर जीएसटी की दर को 0.25 परसेंट से बढ़ाकर 1.5 परसेंट कर दिया है. यह नियम 18 जुलाई से लागू हो रहा है. इस नए नियम से हीरे के दाम तो बढ़ेंगे ही, सोने के जिन वैसे गहने भी महंगे हो जाएंगे जिनमें हीरा जड़ा जाता है. इस तरह से देखें तो सोने पर कुल इंपोर्ट टैक्स बढ़कर 15.75 परसेंट तक चला गया है जिसमें 12.50 परसेंट बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी, 2.5 परसेंट एग्री सेस और 0.75 परसेंट सोशल वेलफेयर सरचार्ज है. गोल्ड पर इसके अलावा 3 परसेंट जीएसटी लगता है.

टैक्स बढ़ने से 22 कैरेट सोने का भाव प्रति 10 ग्राम 1,000 रुपये तक बढ़ गया है. इसके कारण गहने भी महंगे हो गए हैं और धीरे-धीरे इसमें और बढ़ोतरी देखी जाएगी. पिछले हफ्ते सोने का भाव दो महीने के ऊंचे स्तर पर रहा. गोल्ड फ्यूचर में भी ऐसी ही बढ़ोतरी देखी जा रही है. अभी सोने के दाम 53,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास घूम रहे हैं और इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने के बाद और भी तेजी देखी जाएगी. अब आइए जान लेते हैं कि भाव का हिसाब कैसे लगाते हैं.

कैसे लगाते हैं हिसाब

सोने का भाव तय करने के लिए ज्वेलर्स एक फिक्स्ड फॉर्मूला लागू करते हैं. इसमें शुद्धता और निर्धारित वजन का पैमाना शामिल होता है. इसके अलावा जीएसटी और मेकिंग चार्ज को भी शामिल किया जाता है. दाम निकालने के लिए 10 ग्राम सोने का भाव लिया जाता है जिसमें 22 कैरेट या 18 कैरेट सोने का दाम लिया जाता है. इस भाव को सोने के ग्राम से गुणा किया जाता है. इस भाव के साथ मेकिंग चार्ज को जोड़ा जाता है. इसमें 3 परसेंट जीएसटी ज्वेलरी के दाम पर और मेकिंग चार्ज पर और अंत में 35 रुपये का हॉलमार्किंग चार्ज जोड़ा जाएगा. इससे पूरे गहने का हिसाब निकलेगा.

10 ग्राम सोने पर कितना जीएसटी लगता है?

यह टैक्स 3% जीएसटी के अलावा होगा। इस वजह से दस ग्राम की गोल्ड ज्वैलरी खरीदना 350 रु. तथा सौ ग्राम सिल्वर ज्वैलरी खरीदना 325 रुपए तक महंगा पड़ेगा। काउंसिल ने पहले ज्वैलरी मेकिंग पर 18% टैक्स का प्रस्ताव किया था। आपने 10 ग्राम गोल्ड ज्वैलरी खरीदी।

सोने के जेवर पर मेकिंग चार्ज कितना लगता है?

हॉलमार्क से जुड़े मेकिंग चार्ज सोने के किसी भी जेवर पर 45 रुपये का शुल्क लगता है।

सोने में जीएसटी रेट कितना है?

23 कैरेट गोल्ड पर भी 3 फीसद GST और 10 फीसद मुनाफा जोड़कर आपको मिलेगा 57292 रुपये प्रति 10 ग्राम के रेट से। जबकि, 22 कैरेट सोने का भाव तीन फीसद GST के साथ यह 47900 रुपये का पड़ेगा। इससे बने जेवरों पर भी ज्वैलर्स का मुनाफा अलग से जोड़ने पर करीब 52690 रुपये का पड़ेगा।

भारत में सोने पर कितना टैक्स लगता है?

कब लगता है कैपिटल गेन टैक्स वहीं तीन साल के बाद गोल्ड बेचने का फैसला करते हैं तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इस पर 20 फीसदी की टैक्स लगेगा।