सीमित दायित्व साझेदारी से आप क्या समझते हैं? - seemit daayitv saajhedaaree se aap kya samajhate hain?

सीमित देयता भागीदारी (Limited liability partnership / एलएलपी) व्यापार संगठन का एक स्वरूप है, जिसमें प्रत्येक भागीदार की देयता कानूनी रूप से सीमित होती है।

यह एक कंपनी को सीमित देयता लाभ प्रदान करता है, साथ ही इसके सदस्यों को आपसी सहमति के करार के आधार पर अपनी आंतरिक प्रबंधन व्यवस्था के आयोजन का लचीलापन प्रदान करता है, चाहे भागीदारी फर्म में जैसा भी मामला हो। यह एक कॉरपोरेट व्यापार माध्यम है, जो पेशेवर विशेषज्ञता और उद्यमशीलता की पहल को लचीले, अभिनव और कुशल तरीके से संचालित करने के लिए सक्षम बनाता है।

एलएलपी तेजी से छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए व्यापार के पसंदीदा माध्यम बन रहे हैं, विशेष रूप से सेवा उद्योग और संगठन में पेशेवरों को शामिल करने के लिए इसे अपनाया जाता है।

विशेषताएँ[संपादित करें]

एलएलपी की मुख्य विशेषता यह है कि यह एक पृथक कानूनी इकाई होती है, जो अपनी परिसंपत्तियों की पूरी सीमा तक देयता रखती है और भागीदारों की देयता उनके योगदान की सहमति तक सीमित होती है। किसी भागीदार पर अन्य भागीदारों की स्वतंत्र या अनधिकृत गतिविधियों या दुराचार की देयता नहीं होगी, इस प्रकार व्यक्तिगत तौर पर भागीदार संयुक्त देयता से परिरक्षित हैं, जबकि एलएलपी में भागीदारों के आपसी अधिकार और कर्तव्य का नियंत्रण भागीदारों के बीच किए गए करार या एलएलपी तथा भागीदारों के बीच किए गए करार द्वारा नियंत्रित होगा।

एलएलपी पेशेवर/तकनीकी विशेषज्ञता को जागृत और अभिनव व कुशल तरीके से वित्तीय जोखिम उठाने की क्षमता को जोड़ने की पहल करती है।

आवश्यकताएं[संपादित करें]

एलएलपी के गठन के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता यह है कि इसके लिए न्यूनतम दो भागीदारों की जरूरत होती है, हालांकि भागीदारों की अधिकतम संख्या की कोई सीमा नहीं है। इसके अतिरिक्त एक कॉरपोरेट संस्था एलएलपी में भागीदार हो सकती है। आपसी अधिकार और कर्तव्य के मामले में एलएलपी और इसके सभी भागीदार समझौते से नियंत्रित होते हैं, यह समझौता भागीदारों के बीच या एलएलपी और भागीदारों के बीच होता है, जिसे 'एलएलपी समझौता' के रूप में जाना जाता है। किसी भी मामले में समझौते के अभाव में आपसी अधिकारों और देयताओं को एलएलपी अधिनियम की अनुसूची-I के अधीन प्रदान किया जाएगा।

लेखा परीक्षा, नत्थीकरण (फिलिंग) और अन्य आवश्यकताएँ[संपादित करें]

एलएलपी को अपने कार्यों की स्थिति में वार्षिक लेखा विवरण को अनुरक्षित करने की बाध्यता होगी, जिसमें सत्य और निष्पक्ष चित्र दर्शाया जाए। लेखा और शोधन क्षमता का विवरण एक निर्धारित प्रपत्र में प्रत्येक वर्ष प्रत्येक एलएलपी द्वारा रजिस्ट्रार के पास जमा कराया जाएगा। प्रत्येक एलएलपी को प्रपत्र 11 में वार्षिक विवरणी वित्त वर्ष के अंत से पहले 60 दिन के भीतर कंपनी रजिस्ट्रार के पास जमा कराना आवश्यक है। यह वार्षिक विवरणी रजिस्ट्रार को विहित शुल्क का भुगतान करने पर जनता के निरीक्षण के लिए उपलब्ध होती है। केंद्र सरकार को किसी एलएलपी के मामले की जांच के लिए निरीक्षक नियुक्त करने का अधिकार है।

सीमित देयता भागीदारी से सम्बन्धित प्रमुख बातें[संपादित करें]

  • (१) पृथक विधिक अस्तित्व
  • (२) सतत अस्तित्व - साझेदार की मृत्यु (अथवा जारी रख पाने में उसकी असमर्थता) के बावजूद भी इसका अस्तित्व बना रहता है।
  • (३) साझेदारी का करार तैयार करने में लचीलापन रहता है। नामित साझेदारों के कर्तव्य और दायित्व सीमित देयता साझेदारी अधिनियम, 2008 के अनुसार होंगे। भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 लागू नहीं होगा।
  • (४) साझेदार, दूसरे साझेदारों के कार्यों के लिए जवाबदेह नहीं होते। देयता एलएलपी में उनके अंशदान तक सीमित होती है।
  • (५) शेयर अंतरण प्रतिबंधित
  • (६) एलएलपी के गठन के लिए न्यूनतम २ साझेदार चाहिए। अधिकतम ५० साझेदार।
  • (७) वार्षिक लेखा रख-रखाव की बाध्यता
  • (८) केंद्र सरकार को जाँच का अधिकार
  • (९) कोई फर्म, प्राइवेट कंपनी या कोई गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनी खुद को एलएलपी में रूपांतरित कर सकती है।
  • (१०) कंपनी अधिनियम, १९५६ के प्रावधान भी शामिल किए जा सकते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • सीमित देयता कंपनी

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी)
  • सीमित देयता भागीदारी

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सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) को सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं : -

  • एलएलपी एक नैगम निकाय और एक कानूनी इकाई होगी जो इसके भागीदार से यह अलग होगी। कोई भी दो या दो से अधिक व्‍यक्ति लाभ कमाने की दृष्टि से एक कानूनी रूप से व्‍यापार करने के लिए संबद्ध होते हैं तो ये अपना नाम एक निगमन दस्‍तावेज पर दे सकते हैं और इसे सीमित देयता भागीदारी बनाने के लिए रजिस्‍ट्रार के पास जमा कर सकते हैं। एलएलपी का एक शाश्‍वत आरोहण होगा।
  • एक एलएलपी के भागीदारों के आपसी अधिकार और कर्तव्‍य तथा एलएलपी तथा इसके भागीदारों का नियंत्रण इन भागीदारों के बीच किए गए करार या एलएलपी तथा भागीदारों के बीच किए गए करार द्वारा नियंत्रित होगा जो एलएलपी अधिनियम 2008 के प्रावधानों के अधीन होगा। इस अधिनियम से करार को अपनी रुचि के अनुसार संकल्पित करने की नम्‍यता मिलती है।
  • एलएलपी एक पृथक कानूनी इकाई होगी जिसे भागीदारों की देयता के साथ एलएलपी में उनके सहमत योगदान तक सीमित, परिसंपत्तियों की पूरी सीमा तक देयता होगी, जो मूर्त या अमूर्त प्रकार के अथवा मूर्त और अमूर्त दोनों प्रकार के हो सकते हैं। किसी भागीदार पर अन्‍य भागीदारों की स्‍वतंत्रता या अनधिकृत गतिविधियों या दुराचार की देयता नहीं होगी। एलएलपी और उनके भागीदारों की देयताएं, जिन्‍हें लेनदारों को विकपटन के आशय से कार्रवाई करता हुआ अथवा किसी कपट पूर्ण प्रयोजन में लिप्‍त पाया जाता है तो यह एलएलपी की किसी या सभी देनदारियों या अन्‍य देयताओं के लिए असीमित होगी ;
  • प्रत्‍येक एलएलपी में कम से कम दो भागीदार होंगे और इसमें कम से कम दो व्‍यक्ति नामनिर्दिष्‍ट भागीदार के रूप में होंगे, जिसमें से कम से कम एक भारत का निवासी होगा। नामनिर्दिष्‍ट भागीदारों के कर्तव्‍य और बाध्‍यताएं कानून में बताए गए अनुसार होगी;
  • एलएलपी को अपने कार्यों की स्थिति में वार्षिक लेखा विवरण को अनुरक्षित करने की बाध्‍यता होगी जिसमें सत्‍य और निष्‍पक्ष चित्र दर्शाया जाए। लेखा और शोधन क्षमता का विवरण प्रत्‍येक वर्ष प्रत्‍येक एलएलपी द्वारा रजिस्‍ट्रार के पास जमा कराया जाएगा। एलएलपी के लेखा का लेखापरीक्षण किया जाएगा, जो एलएलपी के किसी वर्ग के तहत केन्‍द्र सरकार द्वारा इस आवश्‍यकता से रियायत पाने के अधीन होगा;
  • केन्‍द्र सरकार को आवश्‍यकता होने पर इस प्रयोजन के लिए नियुक्‍त सक्षम निरीक्षक द्वारा किसी एलएलपी के कार्यों की जांच कराने का अधिकार है;
  • एलएलपी के समझौते या व्‍यवस्‍था सहित विलय और सम्मिलन का कार्य एलएलपी अधिनियम 2008 के प्रावधानों के अनुरूप किया जाएगा;
  • एक फर्म, निजी कंपनी या एक गैर सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनी को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार एलएलपी में परिवर्तित होने की अनुमति है। इस रूपांतरण पर इस विषय में रजिस्‍ट्रार द्वारा जारी पंजीकरण के प्रमाणपत्र की तिथि पर और उसके बाद रूपांतरण के प्रभाव उसी प्रकार होंगे जैसे एलएलपी अधिनियम में निर्दिष्‍ट हैं। पंजीकरण के प्रमाणपत्र में निर्दिष्‍ट पंजीकरण की तिथि को और उसके बाद से सभी मूर्त (चल या अचल) तथा अचल संपत्ति, जिसे कंपनी या फर्म में लगाया गया हो, सभी परिसंपत्तियां, ब्‍याज, अधिकार, लाभ, देयताएं, बाध्‍यताएं जो फर्म अथवा कंपनी से संबंधित हैं, तथा फर्म या कंपनी द्वारा एक संपूर्ण वचन, अंतरित किया जाएगा और इसे अगले किसी आश्‍वासन, अधिनियम या विलेख के बिना एलएलपी में निहित किया जाएगा और फर्म या कंपनी को विलीन माना जाएगा तथा इसे फर्म के रजिस्‍ट्रार या कंपनी के रजिस्‍ट्रार के विलेखों से हटा दिया जाएगा, जैसा भी मामला हो;
  • एलएलपी का समापन स्‍वैच्छिक या ट्रिब्‍यूनल हो सकता है जिसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत स्‍थापित किया गया हो। जब तक ट्रिब्‍यूनल स्‍थापित किया जाता है इस विषय में अधिकार उच्‍च न्‍यायालय को दिए जाते हैं;
  • एलएलपी अधिनियम 2008 में केन्‍द्र सरकार को कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधान लागू करने का अधिकार प्रदान किया गया है, जैसा उचित हो और इसके लिए उक्‍त परिवर्तनों या संशोधनों के साथ अधिसूचना जारी की जाए, जैसा अनिवार्य हो। जबकि यह अधिसूचना संसद के प्रत्‍येक सदन के सामने प्रारूप के तौर पर कुल 30 दिनों की अवधि के लिए रखी जाएगी और यह दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किसी संशोधन के अधीन होगी;
  • भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 सीमित देयता भागीदारी पर लागू नहीं होगा।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

https://web.archive.org/web/20111012074202/http://llp.gov.in/files/LLP_Act_2008_15jan2009.pdf

सीमित दायित्व साझेदारी से क्या आशय है?

सीमित देयता भागीदारी साझेदारी और निगम दोनों का एक संयोजन है। इसमें इन दोनों रूपों की विशेषता है। जैसा कि नाम से पता चलता है कि भागीदारों की कंपनी में सीमित देयता है, जिसका अर्थ है कि भागीदारों की व्यक्तिगत संपत्ति का उपयोग कंपनी के ऋण का भुगतान करने के लिए नहीं किया जाता है।

सीमित दायित्व साझेदारी क्या है सीमित दायित्व साझेदारी एवं सीमित दायित्व साझेदारी के मध्य अन्तर कीजिए?

सीमित देयता साझेदारी(एलएलपी) व्यापार संगठन का एक रूप है जिसमें सभी साझेदारों की देयता नियमों के आधार पर सीमित होती है।

सीमित दायित्व साझेदारी की क्या विशेषताएं हैं?

विशेषताएँ एलएलपी की मुख्य विशेषता यह है कि यह एक पृथक कानूनी इकाई होती है, जो अपनी परिसंपत्तियों की पूरी सीमा तक देयता रखती है और भागीदारों की देयता उनके योगदान की सहमति तक सीमित होती है।

सीमित दायित्व साझेदारी अधिनियम 2008 क्या है इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएं स्पष्ट कीजिए?

एलएलपी एक नैगम निकाय और एक कानूनी इकाई होगी जो इसके भागीदार से यह अलग होगी। कोई भी दो या दो से अधिक व्‍यक्ति लाभ कमाने की दृष्टि से एक कानूनी रूप से व्‍यापार करने के लिए संबद्ध होते हैं तो ये अपना नाम एक निगमन दस्‍तावेज पर दे सकते हैं और इसे सीमित देयता भागीदारी बनाने के लिए रजिस्‍ट्रार के पास जमा कर सकते हैं।