संक्रमण तत्व का उत्प्रेरक गुण क्या है? - sankraman tatv ka utprerak gun kya hai?

परमाणु संख्या 21 से 30, 39 से 48, 57,72 से 80 और 89,104 से 112 वाले रासायनिक तत्त्व संक्रमण तत्व (transition elements/ट्राँज़िशन एलिमेंट्स) कहलाते हैं। चूँकि ये सभी तत्त्व धातुएँ हैं, इसलिये इनको संक्रमण धातु भी कहते हैं। इनका यह नाम आवर्त सारणी में उनके स्थान के कारण पड़ा है क्योंकि प्रत्येक पिरियड में इन तत्त्वों के d ऑर्बिटल में इलेक्ट्रान भरते हैं और 'संक्रमण' होता है। आईयूपीएसी (IUPAC) ने इनकी परिभाषा यह दी है- वे तत्त्व जिनका d उपकक्षा अंशतः भरी हो। इस परिभाषा के अनुसार, जस्ता समूह के तत्त्व संक्रमण तत्त्व नहीं हैं क्योंकि उनकी संरचना d10 है।

wikitable" border="1" A|-समूह3 (III B)4 (IV B)5 (V B)6 (VI B)7 (VII B)8 (VIII B)9 (VIII B)10 (VIII B)12 (I B)पिरियड 4Sc 21Ti 22V 23Cr 24Mn 25Fe 26Co 27Ni 28Cu 29zn30पिरियड 5Y 39Zr 40Nb 41Mo 42Tc 43Ru 44Rh 45Pd 46Ag 47Cd48पिरियड 6Lu 71Hf 72Ta 73W 74Re 75Os 76Ir 77Pt 78Au 79Mercury 80पिरियड 7Lr 103Rf 104Db 105Sg 106Bh 107Hs 108Mt 109Ds 110Rg 111Cn 112

संक्रमण तत्व का उत्प्रेरक गुण क्या है? - sankraman tatv ka utprerak gun kya hai?

संक्रमण धातुओं के आक्सीकरण अवस्थायें: जो गोले भरे हुए हैं वे 'आम' आक्सीकरण अवस्था दिखा रहे हैं, जो गोले खाली हैं वे यदा-कदा होने वाले आक्सीकरण अवस्था को बता रहे हैं।

संक्रमण धातुओं के यौगिकों के रंग[संपादित करें]

कुछ संक्रमण धातुओं ऋणायनों से युक्त जलीय विलयनों के रंग : कोबाल्ट नाइट्रेट (II), Co (NO3) 2 (लाल); पोटैशियम डाइक्रोमेट, K2Cr2O7 (नारंगी); पोटैशियम क्रोमेट, K2CrO4 (पीला); निकल क्लोराइड (II), NiCl2 (हरा); कापर सल्फेट (II), CuSO4 (नीला); पोटैशियम परमैंगनेट, KMnO4 (बैंगनी).

आवर्त सारणी में वर्गीकृत किए गए विभिन्न तत्वों की अपनी विशेषताएं हैं। आर्टिकल संक्रमण तत्व किसे कहते हैं में d-ब्लॉक के तत्वों की बात करेंगे। यह तत्व बहुत ही खास विशेषताएं रखते हैं तथा अन्य blocks के तत्वों से काफी भिन्नता दर्शाते हैं। आखिर ऐसी कौन सी विशेषताएं हैं जो इन तत्वों को सब से अलग बनाती है जानने के लिए आपको हमारा पूरा आर्टिकल अंत तक पढ़ना होगा। आज का विषय विज्ञान वर्ग के छात्र के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं में यहां से कई प्रश्न देखने को मिलते हैं।

आज हम आपको बताएंगे कि संक्रमण तत्व किसे कहते हैं? संक्रमण तत्व को कितने श्रेणियों में बांटा गया है? संक्रमण तत्व की मूल विशेषताएं कौन-कौन सी है? इन तत्वों का आवर्त सारणी में क्या स्थान दिया गया है? ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जो छात्रों के लिए बहुत ही आवश्यक है, हमने अपने आर्टिकल में सम्मिलित किए हैं। तो चलिए अब अपना आर्टिकल शुरू करते हैं।

संक्रमण तत्व किसे कहते हैं? What is Transition Metal in Hindi?

आवर्त सारणी में विभिन्न तत्वों को एक व्यवस्थित क्रम में रखा गया है। रासायनिक तत्वों को उनके गुणों के आधार पर ही विभिन्न ब्लॉकों में बांटा है। वे तत्व जो डी ब्लॉक  के अंतर्गत आते हैं और परावर्ती संयोजकता व्यक्त करते हैं संक्रमण तत्व कहलाते हैं। क्योंकि सभी तत्व धातु होते हैं इस कारण संक्रमण तत्वों को संक्रमण धातु के नाम से भी जाना जाता है। जिंक, कैडमियम और मर्करी संक्रमण तत्वों के अपवाद हैं। संक्रमण तत्वों को आवर्त सारणी में ग्रुप 3 से ग्रुप 12 के बीच रखा गया है। संक्रमण तत्व की परिभाषा जानने के बाद अब आप समझ गए होंगे कि संक्रमण तत्व किसे कहते हैं।

संक्रमण तत्व का उत्प्रेरक गुण क्या है? - sankraman tatv ka utprerak gun kya hai?
संक्रमण तत्व का उत्प्रेरक गुण क्या है? - sankraman tatv ka utprerak gun kya hai?

संक्रमण तत्वों की एक परिभाषा इस प्रकार भी है कि वे तत्व जिनके बहाए d-उपकोश में आंशिक रूप से इलेक्ट्रॉन भरे हुए होते हैं संक्रमण धातु या तत्व कहलाते हैं। क्योंकि जिंक, कैडमियम और मरकरी के बाहरी उपकोष पूर्णता भरे होते हैं इसलिए यह संक्रमण तत्वों की श्रेणी में नहीं आते हैं।

आयन किसे कहते हैं?

D-ब्लॉक की विभिन्न श्रेणियां – Different Series of D-Block

आवर्त सारणी को सुविधा पूर्वक पढ़े जाने के लिए डी ब्लॉक के तत्वों को चार श्रेणियों में विभाजित कर दिया गया है। इन तीनों श्रेणियों के विषय में अपने आर्टिकल संक्रमण तत्व किसे कहते हैं में वर्णन कर रहे हैं।

प्रथम संक्रमण श्रेणी (3D सीरीज)

इस श्रेणी के तत्व का आखरी इलेक्ट्रॉन 3डी-उपकोष में प्रवेश करता है जिस कारण इन्हें प्रथम संक्रमण श्रेणी 3D सीरीज कहते हैं। इस श्रेणी में स्कैंडियम धातु से लेकर जिंक धातु तक कुल 10 तत्व हैं।

द्वितीय संक्रमण श्रेणी (4D सीरीज)

इस श्रेणी में Yttrium धातु से लेकर स्कैंडियम धातु तक कुल 10 तत्व हैं। इस सीरीज के तत्वों के इलेक्ट्रॉन बहाए कोश के 4d-ओरिबिटल में भरे जाते है।

तृतीय संक्रमण सीरीज (5D सीरीज)

डी ब्लॉक के तत्वों की इस श्रेणी में तत्व lanthanum से मरकरी तक 10 धातुएं रखी गई है। इस श्रेणी में अंतिम इलेक्ट्रॉन 5d-उपकोश में प्रवेश करता है।

चतुर्थ संक्रमण सीरीज (6D सीरीज)

यह डी ब्लॉक की अंतिम श्रेणी है जिसके अंतर्गत एक्टिनियम से कॉपरनीसीयम तक कुल 10 तत्वों का समावेश है। इन तत्वों का अंतिम इलेक्ट्रॉन 6d-उपकोश में प्रवेश करता है।

संक्रमण तत्वों के गुण क्या है? What are the Properties of Transition Metal?

अब हम अपने आर्टिकल संक्रमण तत्व किसे कहते हैं (sankraman tatva kise kahte hain) के अंतर्गत आपको संक्रमण तत्वों के गुणों की व्याख्या करने जा रहे हैं। संक्रमण तत्वों के सामान्य गुण निम्नलिखित दिए गए हैं –

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic Configuration)

किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास उसकी बहुत सारी विशेषताओं को व्यक्त करता है। संक्रमण तत्वों का विन्यास इनकी एक मुख्य विशेषता है। इन तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d1-10 nsl-2 प्रकार का होता है।

ऑक्सीकरण अवस्था में परिवर्तन (Changeable Oxidation State)

संक्रमण तत्व विभिन्न संयोजकताएं दिखाने में समर्थ होते हैं। डी ब्लॉक के तत्व परिवर्ती संयोजकता व्यक्त करते हैं अर्थात एक तत्व एक से अधिक संयोजकता भी दिखा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन तत्वों के d और s ऑर्बिटल के इलेक्ट्रॉन रासायनिक क्रिया करने में समर्थ होते हैं।

उदाहरण के लिए कॉपर (तांबा) 1 और 2, दोनों संयोजकता प्रदर्शित कर सकता है।

चुंबकीय विशेषताएं (Magnetic Properties)

चुंबकीय गुण प्रदर्शित करना संक्रमण तत्वों की प्रमुख विशेषता है। तत्वों में आयुग्मित इलेक्ट्रॉन होने के कारण यह चुंबकीय गुण प्रदर्शित करते हैं। इन संक्रमण तत्वों को यदि चुंबकीय क्षेत्र में रख दिया जाए तो यह तत्व चुंबक की तरह आकर्षित होने लगते हैं।

परिवर्तित आयनन विभव (Changing Ionization Energy)

संक्रमण तत्वों में आयनन विभव का परिवर्तन का गुण भी पाया जाता है। अर्थात एक ही तत्व में इलेक्ट्रॉन के त्यागने के बाद या ग्रहण करने के बाद इनके आयनन विभव में परिवर्तन हो जाता है।

रंगीन यौगिकों का गुणधर्म (Colouring Properties)

डी ब्लॉक अर्थात संक्रमण तत्वों में रंगीन यौगिक बनाने की क्षमता होती है। यह विभिन्न प्रकार के रंग प्रदर्शित करते हैं। संक्रमण तत्वों को उनके रंग से पहचाना जा सकता है।

उत्प्रेरक का गुण (Catalytic Properties)

संक्रमण तत्व उत्प्रेरक का गुण भी रखते हैं। परिवर्ती संयोजकता होने के कारण यह एक अच्छे उत्प्रेरक कहलाते हैं।

उदाहरण के लिए हेबर विधि के द्वारा अमोनिया के निर्माण में आयरन एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।

अन्य गुणधर्म (Other Properties)

ऊपर बताए गए गुण धर्मों के अलावा ट्रांजिशन मेटल्स अर्थात संक्रमण तत्वों के कुछ अन्य गुण भी होते हैं। संक्रमण तत्वों के गलनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं। इन तत्वों में चालकता की बहुत अच्छी रेंज पाई जाती है। इसमें तापीय चालकता और तत्वों के मुकाबले अधिक होती है। धातुओं में एक अच्छी खासी धात्विक चमक पाई जाती है। यह तत्व s और p block के तत्वों से अधिक कठोर होते हैं।

अयस्क किसे कहते हैं?

अब हम संक्रमण तत्व किसे कहते हैं (sankraman tatva kise kahte hain) से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों की बात कर लेते हैं।

संक्रमण धातु से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न (Frequently Asked Questions)

प्रश्न – संक्रमण तत्व किसे कहते हैं और इन्हें कौन से ब्लॉक में रखा गया है?

उत्तर – डी ब्लॉक के तत्वों को (जिंक, कैडमियम, पारा) संक्रमण तत्व कहते हैं। आवर्त सारणी में संक्रमण तत्वों को डी ब्लॉक के अंतर्गत रखा गया है।

प्रश्न – संक्रमण तत्वों का आवर्त सारणी में स्थान बताइए?

उत्तर – ग्रुप नंबर 3 से ग्रुप नंबर 12 के बीच के तत्व संक्रमण तत्व कहलाते हैं।

प्रश्न – ट्रांजिशन मेटल्स अर्थात संक्रमण तत्वों के अपवाद बताइए?

उत्तर – जिंक, कैडमियम और मरकरी को संक्रमण तत्व नहीं माना जाता है क्योंकि इनके बाह्य d उपकोश में इलेक्ट्रॉन पूर्णता भरे होते हैं।

प्रश्न – संक्रमण तत्वों को कितने श्रेणियों में रखा गया है?

उत्तर – इन तत्वों को चार श्रेणियों में बांटा गया है।

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस लेख हमने आपको d-ब्लॉक यानि संक्रमण तत्व की परिभाषा और उसके सभी गुण धर्म के बारे मे बताया। यदि अब भी आपके मन मे संक्रमण से जुड़ा कोई भी प्रश्न हो तो कृपया कॉमेंट बॉक्स मे अवश्य पूछें।

संक्रमण धातु के उत्प्रेरक गुण क्या है?

Solution : संक्रमण धातुओं का पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होता है जिससे संयोजकताएं अधिक स्वतंत्र हो जाती है। अतः ये तत्व अपनी सतह पर अभिकारकों को अधिशोषित कर लेते हैं जिससे पृष्ठ क्षेत्रफल पर अभिकारकों का सान्द्रण बढ़ जाता है फलस्वरूप क्रिया का वेग परिवर्तित हो जाता है। इसलिए संक्रमण तत्व अच्छे उत्प्रेरक होते हैं।

संक्रमण तत्व क्या है इसके गुण लिखिए?

वे तत्व जो डी ब्लॉक के अंतर्गत आते हैं और परावर्ती संयोजकता व्यक्त करते हैं संक्रमण तत्व कहलाते हैं। क्योंकि सभी तत्व धातु होते हैं इस कारण संक्रमण तत्वों को संक्रमण धातु के नाम से भी जाना जाता है। जिंक, कैडमियम और मर्करी संक्रमण तत्वों के अपवाद हैं।

उत्प्रेरकीय गुण क्या है?

अधिकांश क्रियाओं में उत्प्रेरक प्रतिक्रिया की गति को बढ़ा देता है। ऐसे उत्प्रेरकों को धनात्मक उत्प्रेरक कहते है; परंतु कुछ ऐसे भी उत्प्रेरक है जो रासायनिक क्रिया की गति को मंद कर देते हैं। ऐसे उत्प्रेरक ऋणात्मक उत्प्रेरक कहलाते हैं।

संक्रमण धातुएं एक उत्प्रेरक का कार्य करती हैं क्यों?

Expert-Verified Answer संक्रमण धातुएं एक अच्छे उत्प्रेरक का कार्य इसलिये करती है, क्योंकि संक्रमण धातुएं आकार में छोटी होती है, और इन धातुओं में नाभिकीय आवेश बेहद प्रभावी होता है। अपने इस गुण के कारण संक्रमण धातुओं में मध्यवर्ती जटिल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति अधिक होती है, इस कारण वे एक अच्छे उत्प्रेरक कार्य करते हैं।