साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है class 8? - saikil ko vinamr savaaree kyon kaha gaya hai chlass 8?

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जंजीरे

प्रश्न 1. ‘‘....... उन जंजीरों को तोडऩे का, जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं.......’’आपके विचार से लेखक जंजीरों* दवारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?
उत्तर लेखक जंजीरों*, के माध्यम से तमिलनाडु के पुरूह्नकोट्टई जिले की महिलाओं की विभिन्न समस्याओं की ओर इशारा किया है। ये महिलाएँ :ढि़वादिता, पिछड़ेपन एवं बंधनों से परिपूर्ण जीवन बिता रही थीं। ये महिलाएँ न तो स्वतंत्र निर्णय ले पाती थीं, न व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अनुभव कर पाती थीं। इन्हीं को लेखस्र ने जंजीरें माना है।

प्रश्न 2. क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उक्रह्म्र का कारण भी बताइए।
उत्तर हाँ, मैं लेखक की ड्ढद्य बात से सहमत हूँ। पुुडुकोट्टई जिले की अत्यंत पिछड़ी पृष्ठभूमि में रहनेवाली महिलाओं को वह घिसी-पिटी ख्नज्जदगी बितानी पड़ रही थी, जिसे पुरुषों ने थोपा था। उन महिलाओं ने अपना पिछड़ापन भगाने तथा उस घिसी-पिटी जिंदगी से निकलने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने साइकिल चलाना सीखा। इससे उनमें आत्म-सम्मान जगा, खुशहाली बढ़ी तथा उनकी आत्मनिर्भरता में भी वृद्धि हुई।

पहिया

प्रश्न 1.‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन-से बदलाव आए हैं?
उत्तर - 'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में अनेक बदलाव आए है;जैसे —
(क) पुडुकोट्टई की महिलाएँ अपनी घिसी-पिटी जिंदगी से बाहर निकल सकी।
(ख) इनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दायरा बढ़ा।
(ग) ये अपने लिए आराम करने का समय निकालने लगी
(घ) ये आर्थिक रूप से समृद्ध होने लगीं।
(ङ) इनके श्रम तथा समय में बचत होने लगी।
(च) अब इन्हें बस का इंतज्जार करते हुए समय नष्ट करने की आवश्यकता नहीं थी।
(छ) अब ये महिलाएँ आत्म-निर्भर हो गईं है ।इन्हें बस-स्टाप तक जाने के लिए अब भाई, पिता, पति या बेटे पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं थी।

प्रश्न 2. शुरुयात में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर- साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?
उत्तर - महिलाओं ने जब साइकिल चलाना शुरू किया तो पुरषों ने इसका विरोध किया, क्योंकि वे महिलाओं की स्वतंत्रता तथा आत्मनिर्भरता के पक्षधर नहीं थे। इसके लिए उन्होंने अनेक हरकतें भी कीं।
इसके विपरीत ‘आर- साइकिल्स’ के मालिक ने पुरुष होकर भी इसका समर्थन किया। इस समर्थन का कारण था उनकी दुकान पर लेडीज़ साइकिलों की बिक्री में वृद्धि।इसका सीधा-सीधा लाभ उन्हें मिल रहा था

प्रश्न 3. प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन-सी बाधा आईं?
उत्तर - प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में महिलाओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। पुरुष वर्ग उन पर फब्तियाँ कसता था, गंदी-गंदी टिप्पणियाँ करता था, पर महिलाओं ने इसकी परवाह नहीं की और अपने आंदोलन को प्रगति के पथ पर ले जाती रही।

शीर्षक की बात

प्रश्न 4. आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?
उत्तर - मेरे विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ इसलिए रखा होगा, क्योंकि पहिया गतिशीलता का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, पूरा पाठ साइकिल के आस-पास घूमता रहता है। यह वह साधन है, जिसने तमिलनाडु स्थित पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं की स्थिति ही बदलकर रख दी। उनकी रूढ़िवादी जिंदगी बदल गई और उनमें आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ गई।

प्रश्न 5. अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर - मेरे मन से इस पाठ का अन्य शीर्षक ‘पहिये ने बदली दुनिया उनकी’ या ‘सस्ती साइकिल बड़े काम की’ हो सकता है। इसका कारण यह है कि—
(क) यह यातायात के अन्य साधनों की अपेक्षा बहुत ही सस्ती है।
(ख) इसकी मरम्मत करना आसान तथा बहुत ही कम खर्चीला है।
(ग) साइकिल की सवारी व्यायाम का उत्तर साधन है।
(घ) यह साधन पर्यावरण के लिए हितकारी है, क्योंकि इससे प्रदूषण नहीं होता।
(ङ) इससे समय तथा श्रम बचने से आराम करने का समय मिल जाता है।
(च) दूर-दराज्ज के क्षेत्रों तथा कच्चे रास्तो या खराब रास्तों के लिए उत्तर साधन है।

समझने की बात

प्रश्न 1.‘‘लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज है। उनके लिए तो यह हवाई जहाज उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है।’ साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।

उत्तर - शहरों में यातायात के जहाँ अनेक साधन होते हैं, वहीँ महिलाओं की दिनचर्या तथा उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता ग्रामीण महिलाओं से बिलकुल अलग होती है। ग्रामीण महिलाएँ पुरुष-प्रधान समाज में उन्हीं के बनाए नियमों में बँधकर घिसी-पिटी ख्नज्जदगी जीने को विवश होती हैं। अब ऐसे में साइकिल चलाते हुए उन्हें बाहर निकलना, आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाना तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता में वृद्धि हो जाना उनके लिए हवाई जहाज्ज उड़ाने से कम नहीं होगा। सचमुच, यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

प्रश्न 2.‘‘पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था।’’ साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?
उत्तर - साइकिल को विनम्र सवारी इसलिए कहा गया है क्योंकि एक तो इसे सीखना और चलाना बहुत ही आसान है। यह बहुत कम खर्चीली है तथा इसे स्त्री-पुरुष दोनों ही चलाते हैं अर्थात यह स्त्री-पुरुष का भेदभाव किए बिना उनका कहना मान लेती है।

साइकिल

प्रश्न 1.फातिमा ने कहा, "....... मैं किराये पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आजादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।" साइकिल चलाने से .फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?
उत्तर - साइकिल चलाने से पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आज़ादी’ का अनुभव इसलिए होता होगा क्योंकि जब वे साइकिल पर सवार होकर घर की चारदीवारी से बाहर निकलती होंगी तो उन्हें अपना दायरा बढ़ता हुआ महसूस होता होगा। उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती होगी। साइकिल सवार इन महिलाओं के साथ कोई रोक-टोक न होने से उनकी आजादी सचमुच ही बढ़ जाती होगी।

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साइकिल को विनम्रता की सवारी क्यों कहा गया है?

उत्तर - साइकिल को विनम्र सवारी इसलिए कहा गया है क्योंकि एक तो इसे सीखना और चलाना बहुत ही आसान है। यह बहुत कम खर्चीली है तथा इसे स्त्री-पुरुष दोनों ही चलाते हैं अर्थात यह स्त्री-पुरुष का भेदभाव किए बिना उनका कहना मान लेती है।

साइकिल आंदोलन से महिलाओं के जीवन में कौन कौन से बदलाव आए हैं?

उत्तर: साइकिल आंदोलन ने पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। महिलाएँ अब पहले से अधिक स्वतंत्र हो गई हैं। कहीं आने जाने के लिए अब वे घर के पुरुषों की मोहताज नहीं हैं। अब उनके पास खाली समय भी बच पाता है क्योंकि साइकिल के इस्तेमाल से कहीं आने जाने में समय की बचत होती है।

प्रश्न 14 कामचोर कहानी क्या संदेश देती है उत्तर?

'कामचोर' कहानी क्या संदेश देती है? उत्तर:- यह एक हास्यप्रधान कहानी है। यह कहानी संदेश देती है की बच्चों को घर के कामों से अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए। उन्हें उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम कराना चाहिए।

आन्दोलन के लिए महिलाओं ने साईकिल को ही क्यों चुना तथा साईकिल को विनम्र सवारी कहने का क्या तात्पर्य है?

उत्तर – साइकिल बिना ईंधन के और बिना शोरगुल के चलती है। यह पर्यावरण को दूषित भी नहीं करती है। रास्ता कैसा भी हो यह चलने के लिए तैयार रहती है। इन्हीं कारणों से साइकिल को विनम्र सवारी कहा गया है