आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस वर्ष यह पर्व 11 जुलाई 2021 रविवार से आषाढ़ शुक्र प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है जो आषाढ़ शुक्ल नवमी अर्थात 18 जुलाई 2021 रविवार तक रहेगा। आओ जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि क्या है? क्यों मनाई जाती है? दूसरी नवरात्रि से क्यों अलग है? Show गुप्त नवरात्रि क्या है? हिन्दू माह के अनुसार नवरात्रि वर्ष में 4 पवित्र माह में आती है। यह चार माह है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी या बसंतनवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि या शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है। बाकी बची दो आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। गुप्त अर्थात छिपा हुआ। इस नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि हेतु साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है और तंत्र साधना को गुप्त रूप से ही किया जाता है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इसमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। साधकों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे हुए होने के कारण इसको गुप्त नवरात्र कहते हैं। क्यों मनाई जाती है? वसंत और शारदीय नवरात्रि गृहस्थों और सामान्य जनों के लिए है परंतु गुप्त नवरात्रि संतों और साधकों को लिए है। यह साधना की नवरात्रि है उत्सव की नहीं। इसलिए इसमें खास तरह की पूजा और साधना का महत्व होता है। यह नवरात्रि विशेष कामना हेतु तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए होती है। गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है। अघोर तांत्रिक लोग गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। यह नवरात्रि मोक्ष की कामने से भी की जाती है। दूसरी नवरात्रि से क्यों अलग है? 1. वसंत या शारदीय नवरात्रि को प्रत्यक्ष और बाकी को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। 2. प्रत्यक्ष नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा होती है परंतु गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा होती है। 3. प्रत्यक्ष नवरात्रि में सात्विक साधना, नृत्य और उत्सव मनाया जाता है जबकि गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक साधना और कठिन व्रत का महत्व होता है। 4. प्रत्यक्ष नवरात्रि को सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति हेतु मनाया जाता है जबकि गुप्त नवरात्रि को आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति, सिद्धि, मोक्ष हेतु मनाया जाता है। 5. यह भी कहा जाता है कि प्रत्यक्ष नवरात्रि वैष्णवों की है और गुप्त नवरात्रि शैव और शाक्तों की है। 6. प्रत्यक्ष नवरात्रि की प्रमुख देवी मां पार्वती है जबकि गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवी मां काली है। हिंदू धर्म के पंचांग के मुताबिक वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं। पहली नवरात्रि माघ माह में, दूसरी नवरात्रि चैत्र माह में, तीसरी नवरात्रि आषढ़ महीने में मनाई जाती हैं, जबकि चौथी और आखिरी नवरात्रि अश्विन महीने में पड़ती हैं जिसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता हैं। इस खबर में हम आपको बताते हैं कि आखिर गुप्त नवरात्रि क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व क्या है। गुप्त नवरात्रि में प्रकट नवरात्रि की तरह गेहूं के जवारे नहीं बोए जाते हैं और न ही घट स्थापना होती है। गृहस्थों के लिए गुप्त नवरात्रि में व्रत, पूजन, जाप, देवी पाठ का महत्व है। इस नवरात्रि के पूरे नौ दिन शुद्ध आचरण, शुद्ध आहार-विहार रखना आवश्यक होता है। व्रती को नित्य प्रतिदिन देवी का पूजन करके दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, देवी महापुराण आदि का पाठ करना चाहिए। आपको बता दें कि गुप्त नवरात्रि की उपासना से जीवन तनाव मुक्त होता है। इस दौरान महाविद्या देवियां तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुरा भैरवी , धूमावती, बगलामुखी है, जिनकी गुप्त नवरात्रि में गुप्त तरीके से पूजा की जाती हैं। इस नवरात्रि में खास तौर से तंत्र साधना , जादू टोना, वशीकरण आदि चीजों के लिए विशेष महत्व रखता हैं। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों तक साधक मां दुर्गा की कठिन भक्ति और तपस्या करते हैं। खासकर निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की जाती हैं। इस भक्ति से देवी मां प्रसन्न हो जाती हैं और अपने साधकों को दुर्लभ और अतुल्य शक्ति प्रदान करती हैं। ये सभी कार्य गुप्त तरीके से किए जाते हैं, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस दौरान पूजा के वक्त श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा की कठिन भक्ति और उपासना की जाती है और निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की विधि भी संपन्न की जाती है। इसका आयोजन किसी उत्सव की भांति नहीं होता। प्रकट नवरात्रि से अलग इस पूजा के दौरान खास पूजा और साधना की जाती है तथा विशेष कामना हेतु तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए होती है। जानिए क्यों और कैसे मनाई जाती है गुप्त नवरात्रि, तांत्रिकों के लिए होता है खासFebruary 10, 2022February 10, 20220424 खबरें अब पाए whatsapp पर चैत्र और शारदीय नवरात्र के अलावा साल में दो नवरात्र और होते हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये आषाढ़ और माघ मास में आते हैं और इन्हें ही गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा और साधना की जाती है जो कि चैत्र और शारदीय नवरात्रों से काफी कठिन होती है। इन्हें गुप्त नवरात्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें मां की आराधना गुप्त रूप से की जाती है। इसमें मां का ध्यान लगाने से विशेष फल मिलता है। गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र साधना के लिए बहुत ही उत्तम माना गया है। इस नवरात्रि में गुप्त रूप से साधना का विधान है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व वर्ष में चार बार आता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के साथ साथ दो और भी नवरात्रि होती हैं जिन्हें माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि कहा जाता है।
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इस दौरान पूजा के वक्त श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा की कठिन भक्ति और उपासना की जाती है और निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की विधि भी संपन्न की जाती है। बता दें कि इसका आयोजन किसी उत्सव की भांति नहीं होता। प्रकट नवरात्रि से अलग इस पूजा के दौरान खास पूजा और साधना की जाती है तथा विशेष कामना हेतु तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए होती है। गुप्त नवरात्रि का अर्थ क्या है?हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है।
गुप्त नवरात्रि को गुप्त क्यों कहा जाता है?इन्हें गुप्त नवरात्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें मां की आराधना गुप्त रूप से की जाती है। इसमें मां का ध्यान लगाने से विशेष फल मिलता है। तंत्र साधना में विश्वास रखने वाले लोग इस दौरान तंत्र साधना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए?पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। मां स्वयं एक नारी हैं इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए। जो नारी का सम्मान करते हैं, मां दुर्गा उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इस दौरान घर पर क्लेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि का रहस्य क्या है?गुप्त नवरात्र रहस्य
मां दुर्गा को शक्ति कहा गया है ऐसे में इन गुप्त नवरात्रों में मां के सभी रुपों की पूजा की जाती है. देवी की शक्ति पूजा व्यक्ति को सभी संकटों से मुक्त करती है व विजय का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. गुप्त नवरात्र भी सामान्य नवरात्र की भांति दो बार आते हैं एक आषाढ़ माह में और दूसरे माघ माह में.
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