सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया? - saphiya ke bhaee ne namak kee pudiya le jaane se kyon mana kar diya?

जब साफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?


साफिया जब अमृतसर पुल पर चढ़कर दूसरी तरफ जा रही थी तब कस्टम आफिसर पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। उन्हें उस समय अपना वतन ढाका याद आ रहा था। वे यह अनुभव करने की कोशिश कर रहे थे कि अपने वतन में आकर कैसा लगता है। अपने वतन की चीजों का मजा ही कुछ और होता है।

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साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?


साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था। पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था। उसके अनुसार नमक की पुड़िया निकल आने पर बाकी सामान की भी चिंदी-चिंदी बिखेर दी जाएगी। नमक की पुड़िया तो जा नहीं पाएगी, ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी।

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‘लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं?


इस प्रकार के उद्गार इस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं कि विस्थापन का दर्द व्यक्ति को जीवन भर सालता है। राजनैतिक कारणो से बँटवारे की खींची गई रेखाओं का अभी तक लोगों का अंतर्मन स्वीकार नहीं कर पाया है।

यह यथार्थ प्राकृतिक न होकर परिस्थितिवश आरोपित किया गया है। प्राकृतिक बात को व्यक्ति का मन स्वीकार कर लेता है पर आरोपित बात उसे स्वीकार्य नहीं हो पाती है। लोगों का मन अपनी पुरानी जगहों में ही भटकता रहता है।

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नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।


सिख बीबी के लिए लाहौर से नमक ले जाने के बारे में साफिया के मन में द्वंद्व उठता है। इस द्वंद्व से उसकी कई चारित्रिक विशेषताएँ उभरती हैं:

- साफिया अपने वायदे की पक्की है। वह सैयद है और सैयद कभी वायदा करके झुठलाते नहीं। वह जान देकर भी वायदा पूरा करने के प्रति संकलित है।

- अब प्रश्न उठता है कि वह नमक की पुड़िया को लाहौर से भारत कैसे ले जाए? वह पहले नमक को छिपाकर ले जाने का विचार करती है पर यह विचार उसे जँचता नहीं और वह कस्टम वालों को नमक की पुड़िया दिखा देती है। इससे पता चलता है कि वह लुका-छिपाकर काम करने में विश्वास नहीं करती।

- वह मानवीय रिश्तों में विश्वास करने वाली है। यही तर्क देकर वह अपने भाई को चुप कर देती है। इन्हीं रिश्तों की दुहाई देकर वह अटारी तथा अमृतसर में कस्टम अफसरों को अपने तर्कों से अपने पक्ष में करने में सफल हो जाती है।

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नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में क्या द्वंद्व था?


नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में यह द्वंद्व था कि वह इस नमक की पुड़िया को चोरी से छिपाकर ले जाए या कहकर दिखाकर ले जाए। पहले वह नमक की पुड़िया को कीनुओं के नीचे छिपाकर टोकरी में रख देती है। तब उसने सोचा इस पर भला किसकी निगाह जाएगी। इसे तो सिर्फ वही जानती है। पर जब कस्टम की जाँच के लिए उसका सामान बाहर निकाला जाने लगा तब उसने अचानक फैसला किया कि वह मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं ले जाएगी। वह नमक की पुड़िया को कस्टमवालों को दिखाएगी। उसने किया भी ऐसा ही।

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साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?


साफिया का भाई पाकिस्तान में पुलिस अफसर था। साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था। पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था। उसके अनुसार नमक की पुड़िया निकल आने पर बाकी सामान की भी चिंदी-चिंदी बिखेर दी जाएगी। नमक की पुड़िया तो जा नहीं पाएगी, ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी।

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जब साफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?


साफिया जब अमृतसर पुल पर चढ़कर दूसरी तरफ जा रही थी तब कस्टम आफिसर पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। उन्हें उस समय अपना वतन ढाका याद आ रहा था। वे यह अनुभव करने की कोशिश कर रहे थे कि अपने वतन में आकर कैसा लगता है। अपने वतन की चीजों का मजा ही कुछ और होता है।

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‘नमक’ कहानी को लेखक ने अपने नजरिए से अन्य पुरुष शैली में लिखा है। आप साफिया की नजर से/उत्तर पुरुष शैली में इस कहानी को अपने शब्दों में कहें।


मैं एक सिख बीबी के यहाँ कीर्तन में गई हुई थी। बीबी लाहौर की रहने वाली थी और अब तक लाहौर को ही अपना वतन बताती थीं। जब उन्हें पता चला कि मैं कल लाहौर जाने वाली हूँ तो उन्होंने लाहौरी नमक की फरमाइश कर दी। मैंने इसका उनसे वायदा कर दिया। लाहौर पहुँचने पर मेरा प्रेमपूर्वक स्वागत हुआ। मेरा भाई वहाँ की पुलिस में है। मैंने उसे लाहौरी नमक की पुड़िया दिखाकर उसे भारत ले जाने की बात कही तो उसने साफ इनकार कर दिया। उसने इस काम को गैरकानूनी बताया, पर मैं तो नमक ले जाने पर तुली थी। मैंने कीनुओं की टोकरी में नमक की पुड़िया को छिपा लिया। पर मेरे मन में द्वंद्व था। मैं कोई भी काम चोरी-छिपे करने के विरुद्ध हूँ अत: मैंने अटारी में कस्टम आफिसर को नमक दिखाकर सारी बात बता दी। वह देहली का रहने वाला था और देहली को ही अपना वतन मानता था अत: उसने मुझे नमक ले जाने की इजाजत दे दी। मेरी गाड़ी अमृतसर जा पहुँची। वहाँ का कस्टम आफिसर ढाका का रहने वाला था और ढाका को ही अपना वतन मानता था। वह भी सहृदय निकला और उसने नमक लाने पर आपत्ति नहीं की। इस प्रकार मैं लाहौरी नमक भारत लाने में सफल हो गई। यह इंसानी रिश्तों की जीत थी।

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साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?


साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था। पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था। उसके अनुसार नमक की पुड़िया निकल आने पर बाकी सामान की भी चिंदी-चिंदी बिखेर दी जाएगी। नमक की पुड़िया तो जा नहीं पाएगी, ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी।

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नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में क्या द्वंद्व था?


नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में यह द्वंद्व था कि वह इस नमक की पुड़िया को चोरी से छिपाकर ले जाए या कहकर दिखाकर ले जाए। पहले वह नमक की पुड़िया को कीनुओं के नीचे छिपाकर टोकरी में रख देती है। तब उसने सोचा इस पर भला किसकी निगाह जाएगी। इसे तो सिर्फ वही जानती है। पर जब कस्टम की जाँच के लिए उसका सामान बाहर निकाला जाने लगा तब उसने अचानक फैसला किया कि वह मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं ले जाएगी। वह नमक की पुड़िया को कस्टमवालों को दिखाएगी। उसने किया भी ऐसा ही।

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नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए-

(क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।

(ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं?

सामान्यत: ‘ही’ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।


(क) इसमें लाहौर पर बल है अर्थात् केवल लाहौर ही है।

(ख) यहाँ विरोधी अर्थ की प्रतीति होती है-सभी कानून हकूमत के ही नहीं होते।

पाँच-पाँच वाक्य

1. हमारा खाना तो दाल-रोटी ही है।

2. उसका घर तो उधर ही है।

3. मेरा जन्मस्थान बंगलूर ही है।

4. यह गीता की ही पुस्तक है।

5. उसकी कार काली ही है।

1. क्या तुम सब बातें मेरी ही मानते हो?

2. क्या रमेश अंग्रेजी ही पड़ता है?

3. क्या गेंद लड़के ही खेलते हैं?

4. क्या नृत्य में सभी लड़कियाँ ही भाग लेंगी?

5. क्या समाज के नियम प्रभावी होते ही नहीं?

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सत्य के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?

उत्तर: नमक की पुड़िया को लेकर सफ़िया के मन में यह द्वंद्व था कि वह नमक कस्टम अधिकारियों को दिखाकर ले जाए या चोरी से छिपाकर। सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से मना कर दिया क्योंकि पाकिस्तान से भारत को नमक का निर्यात प्रतिबंधित था। यह गैर-कानूनी था।

नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफिया के मन में क्या द्वंद्व था?

नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में क्या द्वंद्व था? उत्तर:- नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में यह द्वंद्व था कि प्यार के इस तोहफे नमक की पुड़िया को चोरी-छिपे ले जाए या कस्टम अधिकारियों को दिखाकर ले जाए।

नमक कहानी में भारत व पाकिस्तान की जनता के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है कैसे?

'नमक' कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे? भारत-पाक का विभाजन एक त्रासदी था। राजनैतिक इच्छाओं का दुष्परिणाम जनता को भोगना पड़ा था। जनता के ऊपर भेदभाव आरोपित कर दिए गए थे, जबकि दोनों देशों की जनता के बीच मुहब्बत का जज्बा था।

सफिया के दोस्त ने कीनुओं की टोकरी देते समय उसे कौन सा तोहफा बताया था?

पहले वह नमक की पुड़िया को कीनुओं के नीचे छिपाकर टोकरी में रख देती है। तब उसने सोचा इस पर भला किसकी निगाह जाएगी। इसे तो सिर्फ वही जानती है। पर जब कस्टम की जाँच के लिए उसका सामान बाहर निकाला जाने लगा तब उसने अचानक फैसला किया कि वह मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं ले जाएगी।