सबसे अच्छा शिवलिंग कौन सा है? - sabase achchha shivaling kaun sa hai?

शिव लिंग को भगवान शिव का निराकार स्वरुप मना जाता है. शिव पूजा में इसकी सर्वाधिक मान्यता है. शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों ही समाहित होते हैं. शिवलिंग की उपासना करने से दोनों की ही उपासना सम्पूर्ण हो जाती है.

विभिन्न प्रकार के शिव लिंगों की पूजा करने का प्रावधान है. जैसे- स्वयंभू शिवलिंग, नर्मदेश्वर शिवलिंग, जनेउधारी शिवलिंग, सोने और चांदी के शिवलिंग और पारद शिवलिंग. इनमें से नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और फलदायी मानी जाती है.

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नर्मदेश्वर शिवलिंग को सर्वाधिक शक्तिशाली और पवित्र क्यों माना जाता है ?

- नर्मदा नदी से निकलने वाले शिवलिंग को नर्मदेश्वर कहा जाता है.

- नर्मदा नदी को शिव के वरदान के कारण इससे प्राप्त होने वाले शिवलिंग को इतना ज्यादा पवित्र माना जाता है.

- वरदान के कारण नर्मदा नदी का कण-कण शिव माना जाता है.

- नर्मदा नदी के शिवलिंग को सीधा ही स्थापित किया जा सकता है, इसके प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है.

- कहा जाता है कि, जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता है.

- व्यक्ति समस्त सुखों का भोग करता हुआ शिवलोक तक जाता है.

शिवलिंग की महत्वपूर्ण बातें क्या हैं और क्या है इसकी स्थापना के नियम ?

- शिवलिंग की पूजा उपासना शिव पूजा में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है.

- शिवलिंग घरों में अलग तरह से स्थापित होता है और मंदिर में अलग तरीके से.

- शिवलिंग कहीं भी स्थापित हो पर उसकी वेदी का मुख उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए.

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- घर में स्थापित किया जाने वाला शिवलिंग बहुत ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए, अधिक से अधिक 6 इंच का होना चाहिए.

- मंदिर में कितना भी बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जा सकता है.

- विशेष उद्देश्यों तथा कामनाओं की प्राप्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की जाती है.

किस प्रकार करें नर्मदेश्वर की आराधना ?

- प्रातःकाल स्नान करके शिवलिंग को एक थाल या बड़े पात्र में रखें.

- बेलपत्र और जल की धारा अर्पित करें.

- इसके बाद शिव जी के मंत्रों का जाप करें. 

- थाल या पात्र में एकत्रित जल को पौधों में डाल सकते हैं.

सबसे अच्छा शिवलिंग कौन सा है? - sabase achchha shivaling kaun sa hai?

प्राचीन काल से चली आ रही हिन्दू धर्म की मान्यताओं के आश्चर्यजनक रूप से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होने को समझें तो निश्चित रूप से आपको अपनी संस्कृति पर गर्व होगा। ऐसी ही एक तर्क-सम्मत और शास्त्र-सम्मत बात लिङ्ग पुराण में भगवान शिव के प्राकृतिक स्वरुप शिवलिंग के बारे में वर्णित है कि इसका अंडाकार रूप ब्रह्मांड का ही स्वरुप है (ध्यान रहे कि यह प्राचीन काल से इसी आकार में पूजा जा रहा है, यानी वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के अंडाकार होने की खोज की, उससे भी पहले से), क्योंकि इसका आकार बिल्कुल वैसा ही है।

शिवलिंग क्या है और इसका क्या महत्त्व है?

लिङ्ग पुराण के अनुसार भगवान शिव का प्राकृतिक स्वरुप माना जाने वाला शिवलिंग ब्रह्मांड का अंडाकार रूप और जिस पीठम् पर वह स्थित होता है, वह ब्रह्मांड को धारण करने और थामे रखने वाली सर्वोच्च शक्ति का स्वरुप है।

शिव पुराण में बताया गया है कि केवल महादेव ही प्राकृतिक ब्रह्म रूप में रहते हैं और अन्य कोई भी देवता अपने ब्रह्म स्वरूप में नश्वर प्राणियों को नहीं दीखता। पृथ्वी पर लोग भोलेनाथ के इस ब्रह्म स्वरूप को जान सकें और मन पवित्र हो, इसलिए ही शिव शम्भू, शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए और आदि काल से ले कर अब तक इसी रूप में इनकी पूजा होती आयी है।

किस तरह का हो शिवलिंग?

जब भी संशय हो तो याद रखें जो प्राकृतिक है, वही सर्वश्रेष्ठ है। सर्वोत्तम तो होगा अपने मन में स्थापित शिवलिंग की पूजा-अर्चना करना यानी अपने मन में ज्योतिर्लिंग के पावन और तेजोमय स्वरुप की स्थापना करें, मन में धारण कर उस स्वयंभू और सत्य स्वरुप शिवलिंग का ध्यान करें। पूजा के लिए आप अमरनाथ धाम के प्राकृतिक रूप से बने स्वयंभू शिवलिंग यानि बाबा अमरनाथ के पावन स्वरुप का ध्यान करें, मन ही मन आपको दर्शन भी मिल जायेगा।

पारद शिवलिंग

घर में स्थापित करने के लिए आप पारद यानी पारे का शिवलिंग लाने का प्रयास करें। पारा संसार में तरल अवस्था में मौजूद एकमात्र धातु है परंतु चूँकि यह विषैला होता है, शुद्ध और सही शिवलिंग इस विषैले पारे को शुद्ध करके बनता है। इस तरह का शिवलिंग तभी लीजिये जब आपको पारे के सही शिवलिंग की पहचान हो क्योंकि आप शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद चरणामृत प्रसाद के रूप में बाटेंगे, इस कारण इसका शुद्ध होना बहुत आवश्यक है।

स्फटिक शिवलिंग 

अन्य प्रकार के शिवलिंगों में प्राकृतिक रूप से शुद्ध स्फटिक से निर्मित शिवलिंग और नर्मदा नदी के तट से प्राप्त किये गए पत्थर के शिवलिंग भी अति श्रेष्ठ श्रेणी के शिवलिंगों में माने जाते हैं। धातु के शिवलिंग में आप सोना, चांदी या तांबे के बने शिवलिंग घर में रख कर पूजा कर सकते हैं।

उसी धातु का सर्प भी शिवलिंग पर लपेटना चाहिए। यदि बजट या अन्य कारणों से इन श्रेष्ठ तरीकों से बने शिवलिंग आपको ना प्राप्त हो पायें तो भी किसी भी साफ़-सुथरे पत्थर के बने शिवलिंग की आप आराधना कर सकते हैं, क्योंकि असली शिवलिंग तो आपकी भावना का ही होता है यानी मानो तो देव और ना मानो तो पत्थर, है ना!

शिवलिंग पूजा से सम्बंधित महत्वपूर्ण बातें 

शिव शम्भू की पूजा-अर्चना में आप चंद आवश्यक बातों का ध्यान रखें जैसे रजःस्वला नारी शिवलिंग ना छुयें, शिवलिंग का मुख उत्तर दिशा में रखें (ऐसी मान्यता है चूँकि भोले बाबा का निवास कैलाश पर्वत भी उत्तर दिशा में है), घर में अंगूठे की पोर के बराबर छोटा शिवलिंग ही रखें और विशेष ध्यान रखें कि केतकी के फूल, तुलसी, हल्दी और सिन्दूर भोले बाबा पर नहीं चढ़ाये जाते।

बोल बम, भोले बाबा की जय, ॐ नमः शिवाय।

घर में कौन सा शिवलिंग रखना अच्छा होता है?

घर में रखे जाने वाले शिवलिंग का आकार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसका आकार अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए। यदि आप पारद शिवलिंग रखते हैं तो यह सबसे अच्छा होता है। बड़ा शिवलिंग सिर्फ मंदिरों में फलदायी है न कि घर के लिए।

कौन सा शिवलिंग घर में नहीं रखना चाहिए?

घर में कभी भी बड़े आकार का शिवलिंग नहीं रखना चाहिए. शास्त्रों में अंगूठे के ऊपर वाले पोर से बड़ा शिवलिंग घर में कभी नहीं रखना चाहिए. शिवपुराण में वर्णित है कि घर में एक से अधिक शिवलिंग नहीं होना चाहिए. अगर आपके भी घर में एक से ज्यादा शिवलिंग है तो उसे तुरंत हटा दें.

कौन से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए?

माना जाता है कि अगर आपने सोने, चांदी या तांबे का शिवलिंग रखा है तो उन पर लिपटा हुआ नाग भी इसी धातु का होना चाहिए. मान्यता है कि ज्यादा बड़ा शिवलिंग भी पूजा घर में नहीं रखा जाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि घर में रखा शिवलिंग आपके अंगूठे से भी छोटा होना चाहिए.

शिवलिंग कब खरीदना चाहिए?

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि शिवलिंग को किस दिन खरीदना चाहिए तो आज हम आप लोगों को बता दें कि भगवान शिव का दिन सोमवार माना जाता है इसीलिए अगर आप सोमवार के दिन शिवलिंग को खरीदते हैं तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है।