रावण की पत्नी मंदोदरी किसकी पुत्री थी - raavan kee patnee mandodaree kisakee putree thee

मंदोदरी किसकी पुत्री थी कहानी whose daughter was Mandodari story 

हैलो दोस्तों आपका इस लेख मंदोदरी किसकी पुत्री थी थी में बहुत बहुत स्वागत है। इस लेख में आप मंदोदरी के बारे में जानेंगे कि मंदोदरी किसकी पुत्री थी।

मंदोदरी के पिता का नाम क्या है? मंदोदरी का नाम मंदोदरी कैसे पड़ा? मंदोदरी का जन्म कैसे हुआ और मंदोदरी पूर्व जन्म में कौन थी। 

दोस्तों मंदोदरी रामायण की एक प्रमुख पात्र थी। जो बुद्धिमान तथा पतिव्रता स्त्री होने के साथ ही निर्भीक स्वभाव की थी। तो दोस्तों आइये जानते है, इस लेख में मंदोदरी किसकी पुत्री थी।

रावण की पत्नी मंदोदरी किसकी पुत्री थी - raavan kee patnee mandodaree kisakee putree thee

मंदोदरी किसकी पुत्री थी whose daughter was mandodari 

मंदोदरी किसकी पुत्री थी - मंदोदरी रामायण की एक प्रमुख पात्र इंद्रजीत मेघनाथ की माँ तथा मायावी राक्षसराज रावण की पत्नी थी। किन्तु पौराणिक ग्रंथों के में बताया गया है कि मंदोदरी 

दानवराज मय और अप्सरा हेमा की पुत्री थी, लेकिन यह कहना कठिन है कि मंदोदरी को अप्सरा हेमा ने जन्म दिया था। बताया जाता है,

मंदोदरी को दानवराज मय ने सप्तऋषियों से गोद लिया है। इसलिए मान्यत: यही है कि मंदोदरी दानवराज मय और अप्सरा हेमा की गोद ली हुई पुत्री थी।

रावण से विवाह करने के बाद मंदोदरी को 3 पुत्र हुए थे। जो इंद्रजीत मेघनाथ, अतिक्य और अक्षयकुमार थे। कुछ पौराणिक घर्म ग्रंथों के आधार पर कहा जाता है,

कि मंदोदरी पूर्व जन्म में अप्सरा थी जो माँ पार्वती के श्राप से मेंढकी बन गई थी। तथा लम्बे समय के बाद सप्तऋषिओं के आशीर्वाद से वह मेढकी से एक सुन्दर रूप में परिवर्तित हुई, और मंदोदरी के नाम से जानी गई

रावण की पत्नी मंदोदरी किसकी पुत्री थी - raavan kee patnee mandodaree kisakee putree thee

मंदोदरी के पूर्व जन्म की कथा थी story of mandodari of previous birth 

मंदोदरी पूर्व जन्म में कौन थी - पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि मंदोदरी पूर्व जन्म में एक सुंदर अप्सरा थी। और उस समय उसका नाम था मधुरा

मधुरा माता पार्वती के श्राप के कारण ही मेढकी के रूप में परिवर्तित हो गई थी। यह कहानी उस समय की है।

जब एक बार अप्सरा मधुरा विचरण करते हुए कैलाश पर्वत गई। उस समय कैलाश पर्वत पर शिव शंकर अकेले ध्यान में थे।

शिव शंकर को अकेले पाकर मधुरा की काम वासना जाग्रत हो गई और शिव जी को आकर्षित करने के लिए कई प्रकार के प्रयत्न करने लगी।

किंतु महाशिव पर मधुरा के काम का कोई असर ना हुआ. तभी अचानक वहाँ पर देवी पार्वती उपस्थित हो गयी और मधुरा के शरीर पर शिव जी की भभूत देखकर वे क्रोध से लाल हो गई और मधुरा

को श्राप दे दिया कि तुमने जो दुष्कर्म करने की कोशिश की है उसके लिए आज से तुम 12 वर्ष तक मेढ़की के रूप में जीवन व्यतीत करोगी।

माता पार्वती का श्राप और क्रोध देख मधुरा डर गई और हाथ जोड़कर माफ़ी मांगने लगी।

किन्तु माँ पार्वती ने कहा उचित समय आने पर तुम श्राप मुक्त हो जाओगी। इसके बाद मधुरा अप्सरा मेंढकी के रूप में धरतीलोक पर विचरण करने लगी।

मेढक रुपी मधुरा पृथ्वीलोक पर अपने दिन गुजार रही थी कि अचानक एक दिन एक भयंकर सर्प मधुरा नामक मेंढकी के पीछे उसे खाने के लिए पड़ गया।

मधुरा रुपी मेढकी अपने प्राण रक्षा करने के लिए इधर - उधर भागने लगी और भागते - भागते सप्तऋषियों के आश्रम में पहुँच गई।

जहाँ पर एक खीर का बहुत बड़ा बर्तन रखा हुआ था, और उसमें खीर भी बन रही थी। लेकिन उस समय वहाँ पर कोई उपस्थित नहीं था।

मेंढकी बनी मधुरा उछलकर उस खीर के बर्तन पर बैठ गई। तभी सर्प भी पीछे - पीछे आ गया और यह देख मधुरा मेंढकी सर्प से बचने के लिए बर्तन के एक छोर से दूसरे छोर पर उछल गयी।

सर्प मधुरा रुपी मेढकी को पकड़ने के लिए उस बर्तन पर चढ़ गया और दूसरे छोर पर जाने की कोशिश करने लगा।

किंतु दुर्भाग्यवश फिसलकर खीर के बर्तन में ही गिर गया और खीर गर्म होने के कारण गिरते ही मर गया।

किंतु अब मेंढकी बनी उस मधुरा को यह चिंता सताने लगी कि ऋषिगण को यह घटना ज्ञात नहीं है, अगर वे यह खीर खाते हैं, तो उनकी मृत्यु हो अवश्य हो जाएगी। कुछ सोचने के बाद

मधुरा मेढकी ऋषियों के इंतजार में उसी बर्तन पर बैठी रही और जैसे ही ऋषि आए और वह उनके सामने ही तुरंत खीर के बर्तन में कूद गई। 

यह सब ऋषियों ने देख लिया और सोचा यह खीर अब खाने योग्य नहीं रही और उन्होंने खीर फैला दी तभी उन्होंने देखा

कि उस बर्तन में मेढकी के अलावा एक सर्प भी मृत अवस्था में है। यह देखकर सब ऋषि तुरंत समझ गए कि

इस मेंढकी ने हम ऋषियों की जान बचाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया, तब सभी ऋषियों ने अपनी शक्ति से मधुरा मेंढकी को जीवित किया

और उसे एक सुंदर कन्या का स्वरूप दे दिया तथा अब मधुरा मेढकी से मंदोदरी बन गई।

किन्तु ऋषियों ने मंदोदरी को अपने साथ नहीं रखा और दानव राज मय को उनकी पुत्री के रूप में उसे प्रदान कर दिया।

मंदोदरी का पहला पति कौन था who was first husband of Mandodari 

मंदोदरी दानवराज मय तथा अप्सरा हेमा की पुत्री थी। किन्तु सबाल यह है कि मंदोदरी के कितने पति थे?

धार्मिक पौराणिक ग्रंथो के आधार पर बताया जाता है, कि मंदोदरी के तीन पति थे, सबसे पहले पति वानरराज बालि थे।

उस समय मंदोदरी से अंगद को जन्म दिया था। फिर रावण ने बालि की अनुपस्थिती में मंदोदरी का हरण किया था जिससे दुसरे पति राक्षस राज रावण थे।

जबकि कुछ ग्रंथो में बताया जाता है,कि एक बार रावण दानवराज मय से मिलने उनके महल में गया था। तभी वहाँ पर उसने मंदोदरी को देखा और वह मंदोदरी के रूप सौन्दर्य पर मोहित हो गया।

और रावण ने दानव राज मय से मंदोदरी से विवाह करने की अभिलाषा प्रकट की। किन्तु दानवराज मय ने इस विवाह के लिए स्पष्ट इनकार कर दिया।

इस बात से रुष्ट होकर रावण ने दानवराज मय पर आक्रमण करने का निर्णय लिया। जब मंदोदरी को इस बात का ज्ञान हुआ तो वह सुनकर घबड़ा गयी।

कि दानवराज मय मायावी रावण को कभी पराजित नहीं कर सकते है। इसलिए अपने पिता के लिए मंदोदरी ने अपनी इक्षा से स्वयं रावण से विवाह किया। 

रामायण के अनुसार कहा जाता है, कि मंदोदरी के तीसरे पति विभीषण जी है।

जब राम और रावण युद्ध में श्रीराम ने रावण का वध कर दिया तो मंदोदरी युद्ध स्थल पर पहुँची, तो भगवान श्रीराम ने मंदोदरी से कहा - हे देवी! 

तुम एक पतिव्रता साहसी नारी हो और मायावी महाज्ञानी राक्षसराज रावण की विधवा भी हो, किन्तु यह तो होना ही था, जो अटल सत्य है। 

लेकिन जो हुआ सो हुआ। अब यह लंकावासी तुम्हारी आश लगाए बैठे है, तुम्हे ही इनको अपने पुत्रों समान प्रेम देना है।

इसलिए तुम विभीषण से विवाह कर लंका का राजकाज सम्भालो किन्तु मंदोदरी ने श्रीराम के इस सुझाव का कोई उत्तर नहीं दिया और अपने आप को एक महल में बंद कर लिया किन्तु ऐसी मान्यत: है कि 

कुछ समय बाद मंदोदरी अपने महल से बाहर निकली और विभीषण से विवाह भी किया किन्तु यह तर्कसंगत नहीं है।

इतनी महान ज्ञानी और पतिव्रता नारी ऐसा निर्णय नहीं ले सकती है। लेकिन मान्यता यही है, कि विभीषण ही मंदोदरी के तीसरे पति थे।

दोस्तों आपने इस लेख में मंदोदरी किसकी पुत्री थी? के साथ अन्य कई महत्वपूर्ण तथ्यों को जाना आशा करता हूँ यह लेख आपको बहुत अच्छा लगा होगा।

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मंदोदरी के कितने पति थे?

रावण से शादी के बाद मंदोदरी के तीन पुत्र हुए जिनका नाम 'मेघनाद', 'अक्षकुमार' और 'अतिक्य' था। रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने रावण के भाई विभीषण से विवाह किया था।

मंदोदरी किसकी बेटी थी?

मायासुर की गोद ली गई कन्‍या थी मंदोदरी वह अप्‍सरा हेमा की पुत्री थीं। महर्षि कश्‍यप के पुत्र मायासुर ने उन्‍हें गोद‍ लिया था। मायासुर को राक्षसों का व‍िश्‍वकर्मा भी कहा जाता था। उसे ब्रह्मा जी से एक व‍िशेष वरदान प्राप्‍त था।

क्या मंदोदरी बाली की पत्नी थी?

मंदोदरी और महारानी तारा के जन्म और उनके विवाह के रहस्य जाने। इस अंक में यह जानते है कि जब मंदोदरी का विवाह किष्किंधा के राजा महात्मा बाली से हो गया फिर वह लंका के राजा रावण की पत्नी कैसे बनी।

मंदोदरी विभीषण की पत्नी कैसे बनी?

रावण का वध करने के बाद प्रभु श्रीराम ने विभीषण को लंका का नया राजा बनाने की सलाह दी और उन्हें मंदोदरी से विवाह करने का प्रस्ताव दिया. हालांकि मंदोदरी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और खुद को राज्य से अलग कर लिया. कुछ समय बाद वह विभीषण से विवाह करने पर सहमत हो गईं.