रूढ़ शब्द का उदाहरण क्या है? - roodh shabd ka udaaharan kya hai?

रूढ़ शब्द | Rudh Shabd in Hindi

हिंदी व्याकरण में 'रूढ़ शब्द', "शब्द-विचार" के भेद का ही एक प्रकार है। 

बनावट (व्युत्पत्ति) एवं रचना के आधार पर शब्दोँ के तीन भेद होते हैं- (1) रूढ़ शब्द, (2) यौगिक शब्द (3) योगरूढ़ शब्द। 

आज हम इस पोस्ट में "रूढ़ शब्द" के बारे में पढ़ेंगे। आइए जानते हैं कि रूढ़ शब्द किसे कहते हैं ? रूढ़ शब्द का अर्थ, परिभाषा तथा उदाहरण क्या हैं। 

रूढ़ शब्द का अर्थ

'रूढ़' का शाब्दिक अर्थ है- "प्रसिद्ध"।

रूढ़ शब्द की परिभाषा

वे शब्द जिन्हे किसी निश्चित अर्थ के लिए प्रयुक्त किया जाता है।  ऐसे शब्द जिनके खण्ड करने पर उनके खण्डो का कोई अर्थ न निकले तथा जो परंपरा से चले आ रहे हैं 'रूढ़ शब्द' कहलाते हैं। 

दूसरे शब्दों में-

ऐसे शब्द जिनके सार्थक खंड नहीं किए जा सकते, उन्हें  'रूढ़ शब्द' कहते हैं। जैसे- 'दिन' एक सार्थक शब्द है।  इसके खण्ड करने पर ‘दि ’ और ‘न’ का कोई सार्थक अर्थ नहीँ निकलता है। इसी प्रकार जैसे--पानी, पैर, हाथ, सिर, कल, चल, घर, कुर्सी, मेज, घर, पुस्तक, रोटी, घास, मकान आदि रूढ़ शब्द हैं।

रूढ़ शब्द के 20 उदाहरण 

  1. पशु 
  2. ताला 
  3. देश
  4. ताल  
  5. लम्बा
  6. बौना  
  7. छोटा
  8. कुआँ  
  9. नमक
  10. आलू 
  11. पेड़
  12. कौआ 
  13. गाय 
  14. तीर
  15. जंगल 
  16. नाक
  17. मुँह 
  18. कान 
  19. पैर
  20. होंठ  

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रूढ़ किसे कहते है? उदाहरण-सहित लिखिए। 

Asked by Topperlearning User | 30th Jul, 2014, 10:30: AM

Expert Answer:

जिन शब्दों के खंडों का कोई अर्थ न हो, वे रूढ़ कहलाते हैं। जैसे- कमल शब्द का अर्थ जलज है परन्तु इसके खण्डों क,म,ल का कोई अर्थ नहीं है। 

Answered by  | 30th Jul, 2014, 12:30: PM

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व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द–भेद :
      व्युत्पत्ति (बनावट) एवं रचना के आधार पर शब्दोँ के तीन भेद किये गये हैँ – (1) रूढ़ (2) यौगिक (3) योगरूढ़।
(1) रूढ़ :
      जिन शब्दोँ के खण्ड किये जाने पर उनके खण्डोँ का कोई अर्थ न निकले, उन शब्दोँ को ‘रूढ़’ शब्द कहते हैँ। दूसरे शब्दोँ मेँ, जिन शब्दोँ के सार्थक खण्ड नहीँ किये जा सकेँ वे रूढ़ शब्द कहलाते हैँ। जैसे – ‘पानी’ एक सार्थक शब्द है , इसके खण्ड करने पर ‘पा’ और ‘नी’ का कोई संगत अर्थ नहीँ निकलता है। इसी प्रकार रात, दिन, काम, नाम आदि शब्दोँ के खण्ड किये जाएँ तो ‘रा’, ‘त’, ‘दि’, ‘न’, ‘का’, ‘म’, ‘ना’, ‘म’ आदि निरर्थक ध्वनियाँ ही शेष रहेँगी। इनका अलग–अलग कोई अर्थ नहीँ है। इसी तरह रोना, खाना, पीना, पान, पैर, हाथ, सिर, कल, चल, घर, कुर्सी, मेज, रोटी, किताब, घास, पशु, देश, लम्बा, छोटा, मोटा, नमक, पल, पेड़, तीर इत्यादि रूढ़ शब्द हैँ।

(2) यौगिक :
      यौगिक शब्द वे होते हैँ, जो दो या अधिक शब्दोँ के योग से बनते हैँ और उनके खण्ड करने पर उन खण्डोँ के वही अर्थ रहते हैँ जो अर्थ वे यौगिक होने पर देते हैँ। यथा – पाठशाला, महादेव, प्रयोगशाला, स्नानागृह, देवालय, विद्यालय, घुड़सवार, अनुशासन, दुर्जन, सज्जन आदि शब्द यौगिक हैँ। यदि इनके खण्ड किये जाएँ जैसे – ‘घुड़सवार’ मेँ ‘घोड़ा’ व ‘सवार’ दोनोँ खण्डोँ का अर्थ है। अतः ये यौगिक शब्द हैँ।
      यौगिक शब्दोँ का निर्माण मूल शब्द या धातु मेँ कोई शब्दांश, उपसर्ग, प्रत्यय अथवा दूसरे शब्द मिलाकर संधि या समास की प्रक्रिया से किया जाता है।
उदाहरणार्थ :–
- ‘विद्यालय’ शब्द ‘विद्या’ और ‘आलय’ शब्दोँ की संधि से बना है तथा इसके दोनोँ खण्डोँ का पूरा अर्थ निकलता है।
- ‘परोपकार’ शब्द ‘पर’ व ‘उपकार’ शब्दोँ की संधि से बना है।
- ‘सुयश’ शब्द मेँ ‘सु’ उपसर्ग जुड़ा है।
- ‘नेत्रहीन’ शब्द मेँ ‘नेत्र’ मेँ ‘हीन’ प्रत्यय जुड़ा है।
- ‘प्रत्यक्ष’ शब्द का निर्माण ‘अक्ष’ मेँ ‘प्रति’ उपसर्ग के जुड़ने से हुआ है। यहाँ दोनोँ खण्डोँ ‘प्रति’ तथा ‘अक्ष’ का पूरा–पूरा अर्थ है।

 कुछ यौगिक शब्द हैँ:
      आगमन, संयोग, पर्यवेक्षण, राष्ट्रपति, गृहमंत्री, प्रधानमंत्री, नम्रता, अन्याय, पाठशाला, अजायबघर, रसोईघर, सब्जीमंडी, पानवाला, मृगराज, अनपढ़, बैलगाड़ी, जलद, जलज, देवदूत, मानवता, अमानवीय, धार्मिक, नमकीन, गैरकानूनी, घुड़साल, आकर्षण, सन्देहास्पद, हास्यास्पद, कौन्तेय, राधेय, दाम्पत्य, टिकाऊ, भार्गव, चतुराई, अनुरूप, अभाव, पूर्वापेक्षा, पराजय, अन्वेषण, सुन्दरता, हरीतिमा, कात्यायन, अधिपति, निषेध, अत्युक्ति, सम्माननीय, आकार, भिक्षुक, दयालु, बहनोई, ननदोई, अपभ्रंश, उज्ज्वल, प्रत्युपकार, छिड़काव, रंगीला, राष्ट्रीय, टकराहट, कुतिया, परमानन्द, मनोहर, तपोबल, कर्मभूमि, मनोनयन, महाराजा।

(3) योगरूढ़ :
      जब किसी यौगिक शब्द से किसी रूढ़ अथवा विशेष अर्थ का बोध होता है अथवा जो शब्द यौगिक संज्ञा के समान लगे किन्तु जिन शब्दोँ के मेल से वह बना है उनके अर्थ का बोध न कराकर, किसी दूसरे ही विशेष अर्थ का बोध कराये तो उसे योगरूढ़ कहते हैँ। जैसे –
      ‘जलज’ का शाब्दिक अर्थ होता है ‘जल से उत्पन्न हुआ’। जल मेँ कई चीजेँ व जीव जैसे – मछली, मेँढ़क, जोँक, सिँघाड़ा आदि उत्पन्न होते हैँ, परन्तु ‘जलज’ अपने शाब्दिक अर्थ की जगह एक अन्य या विशेष अर्थ मेँ ‘कमल’ के लिए ही प्रयुक्त होता है। अतः यह योगरूढ़ है।
      ‘पंकज’ शाब्दिक अर्थ है ‘कीचड़ मेँ उत्पन्न (पंक = कीचड़ तथा ज = उत्पन्न)’। कीचड़ मेँ घास व अन्य वस्तुएँ भी उत्पन्न होती हैँ किन्तु ‘पंकज’ अपने विशेष अर्थ मेँ ‘कमल’ के लिए ही प्रयुक्त होता है। इसी प्रकार ‘नीरद’ का शाब्दिक अर्थ है ‘जल देने वाला (नीर = जल, द = देने वाला)’ जो कोई भी व्यक्ति, नदी या अन्य कोई भी स्रोत हो सकता है, परन्तु ‘नीरद’ शब्द केवल बादलोँ के लिए ही प्रयुक्त करते हैँ। इसी तरह ‘पीताम्बर’ का अर्थ है पीला अम्बर (वस्त्र) धारण करने वाला जो कोई भी हो सकता है, किन्तु ‘पीताम्बर’ शब्द अपने रूढ़ अर्थ मेँ ‘श्रीकृष्ण’ के लिए ही प्रयुक्त है।

 कुछ योगरूढ़ शब्द :
योगरूढ़ — विशिष्ट अर्थ
कपीश्वर – हनुमान
रतिकांत – कामदेव
मनोज – कामदेव
विश्वामित्र – एक ऋषि
वज्रपाणि – इन्द्र
घनश्याम – श्रीकृष्ण
लम्बोदर – गणेशजी
नीलकंठ – शंकर
चतुरानन – ब्रह्मा
त्रिनेत्र – शंकर
त्रिवेणी – तीर्थराज प्रयाग
चतुर्भुज – ब्रह्मा
दुर्वासा – एक ऋषि
शूलपाणि – शंकर
दिगम्बर – शंकर
वीणापाणि – सरस्वती
षडानन – कार्तिकेय
दशानन – रावण
पद्मासना – लक्ष्मी
पद्मासन – ब्रह्मा
पंचानन – शिव
सहस्राक्ष – इन्द्र
वक्रतुण्ड – गणेशजी
मुरारि – श्रीकृष्ण
चक्रधर – विष्णु
गिरिधर – कृष्ण
कलकंठ – कोयल
हलधर – बलराम
षटपद – भौँरा
वीणावादिनी – सरस्वती

रूढ़ शब्द कौन कौन से हैं?

रूढ़ शब्द - जो शब्द हमेशा किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हो तथा जिनके खण्डों का कोई अर्थ न निकले, उन्हें 'रूढ़' कहते है। जैसे - नाक, कान, पीला, पर, झट आदि। इन शब्दों के खंड करने पर इनका कोई अर्थ नहीं निकलता। जैसे - 'नाक' शब्द में 'ना' और 'क' का कोई अर्थ नहीं निकल रहा है।

रूढ़ शब्द से क्या तात्पर्य है उदाहरण सहित बताइए?

रूढ़/मूल शब्द वे शब्द जिनके खंड करने पर कोई अर्थ न निकलता हो तथा जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते हैं, रूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे: कल, कपड़ा, आदमी, घर, घास, पुस्तक, घोड़ा आदि।

रूढ़ शब्द का अर्थ क्या है?

जिन शब्दों के खंडों का कोई अर्थ न हो, वे रूढ़ कहलाते हैं।

योगरूढ़ शब्द का उदाहरण क्या है?

योगरूढ़ शब्द की परिभाषा- जैसे- जलज = (जल + ज) के योग से बना है। इस शब्द का अर्थ है- जल में जन्म लेने वाला। परन्तु इसके कई अर्थ निकलते हैं- कमल, मोती, शंख, चंद्रमा, मछली आदि, परंतु 'जलज' शब्द इन अर्थों में से केवल 'कमल' के लिए रूढ़ हो गया।